Wednesday, June 24, 2009

और यदि आत्मा मरती तो दलाई लामा कब का कोमुनिस्ट हो गया होता !!!!!!!

क्या बँटा भारत हिन्दुओ का नहीं है? इसमे इतिहास यदि किसी एक आदमी को विश्व के १२० करोड़ लोगो का भाग्य विधाता बनाने की रसीद जारी कर सकता है तो वो शख्स जवाहर लाल नेहेरू है। इस व्यक्ति ने हिन्दुओ की किस्मत का फैसला अपनी मर्जी से विशेष रूप का हिन्दू इजाद कर के किया । आज मैं पूछना चाहता हूँ की कौन हिन्दू इस संसार में भारत जैसा सेकुलर होना चाहता है? और क्यों हिन्दुओ को इस सेकुलर शब्द का मोहताज होना ही पड़े। इस छदम पंडित श्री जवाहरलाल नेहेरू के तथाकथित वंशजो से ही पूछलो की क्या कालीकट की उस नौका को जिसमे विदेशी सवार थे को हिंदुस्तान में रहेने की इजाजत आज के इसी संविधान से पूछ कर दी थी? या चाणक्य ने चन्द्र गुप्त को सेलेकुस की बेटी की शादी इन सेकुलरों से ही पूछ कर की थी? अरे यह हिन्दू की थाती थी जिसके बलबूते पर हिन्दू फैसला लेते रहे है।
इसलिए ये लाल पीली किताबवाले वामपंथी और संविधान की ओट में छुपे नापुंसको को हिन्दुओ को सेकुलारिसम की परिभाषा सिखाने की जरुरत नहीं है। हाँ अपनी अधम राजनीती को जारी रखने के लिए इस मानवता की गौरवशाली धरोहर हिन्दू जाति को शर्मिंदा कर सकते हैं। क्या कोई कांग्रेसी मुझे एक उत्तर दे सकता है जब नेहेरू इतना ही बड़ा सेकुलर था तो क्यों अपने नाम के आगे पंडित लगाये घूमता था?
हाँ बात कर रहे थे १९४७ में हिन्दुतान के हिन्दुओ को जबरदस्ती सेकुलर जामा पहनाने की। धर्मनिरपेक्षता शब्द चाहे बाद में संविधान में शामिल किया गया हो परन्तु हिन्दुओ को गिरियाने की शुरुवात तो नेहेरू ने ही कर दी थी। मुझे आज तक समझ नहीं आया की वो करोडो हिन्दू जो अपनी जमीन, अपनी पगड़ी, अपना मान, अपनी इज्जत, अपनी माँ, बेहेन, बेटी, अपना सब कुछ लुटा कर हिंदुस्तान में क्या धर्मनिरपेक्षता की खटाई चाटने आये थे। वो आये थे अपने हिन्दुओ के हिन्दुस्थान में। परन्तु वो यहाँ आते अपनी पीडाओं को हिन्दुओ को बता कर एक ऐसे नए हिन्दुस्थान का निर्माण करते जिस से की हालात भविष्य में कभी भी दुबारा एअसे न बनते जैसे १९४७ में बने थे। परन्तु नेताजी को ठिकाने लगा कर, वीर सावरकर को दोषी बता कर, संघ को कटघरे में खडा कर कर, पाकिस्तान से लुटे पिटे हिन्दुओ को कुछ एक प्लाट दे कर और बाकि बचे हिन्दुस्थान के हिन्दुओ को सेकुलेरिसम का झुनझुना पकडा दिया ।
और लगे गाँधी के नाम पर धडा धड नोट छापने। बस बना कर रख दिया एक धुलधूसरित हिन्दुओ का अजायबघर।
जिसमे आज ६० साल बाद भी हिन्दू ही यह पूछता फिर रहा है की मुसलमानों को आरक्षण क्यों नहीं देदेते। अब चरखे वाले बाबा के इन बंदरो को कौन बताये की जिनके लिए तुम मुझे दीनानाथ बनने के लिए कह रहे हो इन्होने (पूर्वजो) ही तुम्हारे ही माँ बेहेन की इज्जत लुट कर तुम्हारे ही बाप दादों की छाती पर खूंटा गाड़ कर हिन्दुस्थान से अलग अपने रहेने के लिए दो देश १९४७ में ही ले लेलिये हैं।
और जो हिन्दुओ के लिए मिला था उसको नेहेरू - गाँधी परिवार ने चिडियाघर बना दिया।
जहाँ हिंदुस्तान के सुप्रीम कोर्ट को भी कई बार नीचा दिखा चुके यह सरकारी विदूषक । आज सुप्रीम कोर्ट हिन्दुओ को डराने के लिए ही इस्तमाल होता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने १९९५ में हिन्दू शब्द की वियाख्या की थी और यदि उसका पालन सरकार ने किया होता तो सभी लोग हिन्दुस्थान के आज हिन्दू ही केहेलाते परन्तु फिर धर्म्निर्पेक्षेता की क्या दही जमाई जाती सो सुप्रीम कोर्ट को एक बार फिर धकिया दिया गया और फ़िर सच्चर नाम के विशुद हातमताई अवतरित हुए जिन्होंने अपनी ब्रहम लेखनी से एक बार फिर हिंदुस्तान के हिन्दुओ को अरस्तु और सुकरात की दिव्येद्रष्टि का परमज्ञान दे दिया। अथः एक बार फिर भारत के ही भूभाग पर मुसलमानों को आरक्षण की चिलम देने की सच्चर कमेटी रिपोर्ट पकडा दी ।
अरे जब हमारे मनमोहन सिंह जी ने ही हिन्दुओ को असली ज्ञान दे दिया था की ओ हिन्दुओ सुनलो की हिन्दुस्थान (पाकिस्तान और बांग्लादेश देने के बाद भी) के सभी भौतिक साधनों और संसाधनों पर इसलाम के वारिसों का ही प्रथम अधिकार है.
और हाँ यदि अभौतिक ज्ञान जिसको की तुम आज के युग में ढूंढ़ते फ़िर रहे हो को पहेले अंग्रेजो ने फिर मुसलमानों ने और फिर वामपंथियों ने मिटा दिया पर भी अपना अधिकार जताओगे तो बता दू की उसके लिए हम परम तेजस्वी सुप्रीम कोर्ट के काबिल वकील श्री कपिल सिबल को यह अधिकार देते हैं की यह सरस्वती शिशु मंदिर जैसे संस्थाओ के नाक में भी नकेल डाले फिर देखते हैं उन धार्मिक पुस्तकों को जिसमे राम सेतु को राम का बनाया बताया जाता है। सैम पित्रोदा को ज्ञान आयोग इसीलिए दिया हैं की इन हिन्दुओ के ज्ञान में सही बात ठोस ठोस कर भर दो। बाकि काम अम्बिका सोनी मीडिया में देख ही लेंगी।
अच्छा तो मित्रो बात कर रहा था की हिन्दुओ को बताया जाता है की तुम अपनी औकात में रहो जिन बंधुओ को विश्वाश नहीं होता तो मुझे बता दो की फ्रांस में सरकोजी ने एसा क्या कर दिया जो मुख्यधारा के चार चार बड़े चैनल प्राइम टाइम में मुसलमानों के बुर्के पर गंभीर मंत्रणा करते हुए दिखे। क्या हिन्दुस्थान में गरीबी कम होगी या देश में सभी गरीबी रेखा से ऊपर आगये, या अमरनाथ में हिन्दू तीरथ यात्री मरने बंद होगये, या मानसरोवर में फसे सभी हिन्दू यात्री घर आगये या भारत का एक रुपया ५० डालर के बराबर होगया जो हिंदुस्तान के चैनल मुसलमानों की खुदमुख्तारी की सुपारी लेकर सीधा फ्रांस से टकराने को तैयार होगये। अरे हद तो जब हो गई जब भारत के विदेश मंत्री ने भी फ्रांस से एसा करने पर एतराज जाता दिया। भाई हद होगई एसा अब्दुला तो हिंदुस्तान में ही दिख सकता हैं अब पता नहीं की एक सम्मानित विदेश मंत्री की इस बिजली सी फुर्ती भरे बयान की वज़ह क्या है? वो तो मैं नहीं जानता परन्तु विस्मित जरुर हूँ और फिर ऊपर से येही सरकार मुझे धर्मनिरपेक्षता की शरबती ठंडाई पिलाती है। भाई वाकई ऐसी दोरंगी नीति का तो अमरीका भी कायल हो जाये।
अच्छा बात फ्रांस की तो यार एअसा फ्रांस ने क्या कर दिया जो सौ से ऊपर मुस्लिम देशो के पेरिस में बैठे अम्बेसडर उसको करने से नहीं रोक पाए और हिंदुस्तान की सरकार और न्यूज़ चैनलो ने इस मामले को भारत की अस्मिता का प्रशन बना लिया या फ्रांस जहाँ का फैशन देख देख कर जवान हुए पत्रकार और नेता अब अपने चैनलो को ऍफ़ टीवी का मुकाबले में खडा करने की तयारी कर रहे है? भाई जिन अल्प ज्ञानी टीवी पत्रकारों को पता ही नहीं की सरकोजी किन राष्ट्रवादी वोटो से राष्ट्रपति बना है तो उनका क्या करे जो कार्लो ब्रूनी तक ही अपने ज्ञान के अन्तरंग चक्षु खोलना चाहता हो। अरे भइये यह सरकोजी उन धुरंधर राष्ट्रवादी वोटरों के वोटो से बना राष्ट्रपति है जिसको दोबारा से चुनावो में भी जाना है और फ्रांस के राष्ट्रवाद को भी जिन्दा रखना है। इसलिए उसने एसा किया हमारी तरहे तो हैं नहीं की मंदिर बनाते बनाते अपने हिंदुत्व को ही आज बचाने की नौबत आगई। अरे भैया, राम जी का मंदिर बनाने से शुरुवात हुई थी और आज हद यह होगई की हमे ही बैठे बैठे हिंदुत्व के दर्शन पर स्पष्टीकरण देना पड़ गया। वाकई चौब्बे जी दुबे बनगए। फ्रांस पर यह दोयम दर्जे के राजनीती तो इतना ही साबित करती है की अपनी माँ तो मर गई अँधेरे में और धी (बेटी) का नाम लालटेन।
हो सकता हैं इतना बताने पर कुछ नाम के हिन्दू मेरा विरोध भी करे। भाई हो भी क्यों न सेकुलर सरकार की बाकायदा स्कुलो में शिक्षा ली है तो भइया जी एक और बात बता दो की यह हिन्दुतान में दिल्ली से हरिद्वार जाने वाली ही सड़क क्यों नहीं बनी है। जब की आगरा, अजमेर, जयपुर, चडीगढ़ और माशाअल्लह पुणे मुंबई एक्सप्रेस हाई वे बने इतने साल हो गए। अब कुछ सेकुलर बिरादरी वाले आरोप लगा देंगे अरे देखो हर चीज में हिंदुत्व दीखता है इस हिन्दू बावले को। तो भैया यह आरोप भी स्वीकार है। तो भाई न राम जन्मस्थान पर मस्जिद बनी उसपर बोलू, न मथुरा पर, न काशी पर, न कुतुब्मिनारी मंदिर पर, न आगरा के ताजमहल पर और न उन हजारो मस्जिदों पर जो हिन्दुओ के मंदिरों की छाती पर बनी है। तो भाई देश के वातावरण को शांतिपूर्ण बनाने के भरपूर प्रयास करते हुए न बहराइच में परसों पिटे हिन्दू की, न मेरठ में लुटे हिन्दुओ की (पिछले हफ्ते), न लखनऊ में हत्या हुए हिन्दुओ के नेता की (कल), न बात करता सूरत के बलात्कार की और न ही बात करता हिन्दुओ को बधिया करने के एक तरफा मुस्लमान वोटो की। अरे तो अपनी तो बात कर सकता हूँ तो भइया मुझे कोई यह बता दो की हिन्दुओ के जीवन में हरिद्वार का क्या महत्व है जो देश भर की चार, छ , आठ लेन सड़क तक बन गई परन्तु दिल्ली से हरिद्वार जो की एक मात्र जाने का मार्ग है उसकी चांदनी चौक टाइप संकरी सड़क क्यों है? परसों सोमीअमावस्या थी हरिद्वार से दिल्ली एक गाड़ी से दूसरी गाड़ी में एक इंच भी जगह नहीं थी। तो जो सरकर उर्स के इश्तहार देने के लिए करोडो रूपया अखबारों में खर्च कर रही है वो हरिद्वार के बारे में क्या सोच रही है? क्या इस मांग को करने पर मुझे मीडिया भगवा गुंडा तो नहीं कहेगी या सरकार मुझे हिन्दू आतंकवादी तो नहीं कहेगी भाई डर तो यही लगता हैं पता नहीं किस किस से अपने देश में साँस भी लेने की इजाजत लेनी होगी। भाई यहाँ खाड़ी का पैसा भी नहीं जो कुछ कर लेते हम तो सरकार के ही भरोसे है। सुना है कांग्रेस ने चुनाव से पहेले मुस्लिम बस्तियो में मुस्लमान को सरकारी बैंको के जरिए सात आठ महीनो में ही अरबो रूपये बाँट दिए और हम हैं की अडवाणी की उम्र पर ही नाक भों सिकोड़ रहे है।
अच्छा तो बात कर रहे थे हिन्दुओ के अधिकारों की खैर जो पिछले १००० साल से दुसरे दर्जे की जिंदगी जी रहा है उसे अधिकार देकर क्या चाचा नेहेरू की क्रीज जमी जैकेट में लगे गुलाब को बदबूदार बनाना है। अरे तो भाई यह सावन में कावड का मौसम आने वाला है और मीडिया शिव भक्तो की भक्ति और त्याग तो देखेगी नहीं उनकी मुजबुरी का मजाक बनाया जायेगा। हाँ इसी भक्ति पर कल अजमेर गई कैटरिना कैफ की तारीफों के सभी चैनलो पर कसीदे पड़े गए। तो दिल्ली की सेकुलर सरकार इन २५ लाख कवडियो को इंतजाम तो कर देगी जिस से यह भी अपने शंकर पर जल चढा दे। या इनके जल का भी मजाक उड़ाया जायगा। मीडिया तो उडाती है और धड़ल्ले से इनको देश के कानून व्यवस्था बिगाड़ने का आरोप लगाती है। जब हजारो वर्षो से हिन्दू जनता हरिद्वार का गंगा जल विभिन् शिव मंदिरों में चढाती है तो क्यों इनके लिए अलग से कोई व्यवस्था होती जिस से ये हिन्दू भी अपनी धार्मिक कार्यविधि निर्बाध रूप से कर सके। अब सोचो एसा ही कोई मुस्लिम कार्यकर्म होता अरे इस बात पर सरकारे तो छोडो संविधान बदल जाते, अपने तो बदल ही जाते यहाँ तक ये विदेशो के भी बदल देते जैसे की फ्रांस के बदलने की कोशिश कर रहे है (जैस की बुर्के जैसे नाहक ही छोटे वाकया पर किया जा रहा है) तो सरकर जी मेरी विनती हैं मेरे सभी नागरिक अधिकार तो आपके ४२ बार खारिज संविधान ने बंधक बना ही दिए (उसकी उलजुलूल सेकुलर लोगो की व्याखा की वेजेह से) अब धार्मिक अधिकार जिनको की पहेले से ही नेस्तनाबूद किया हुआ है तो जो बचा हुआ अनुष्ठान है इसको सुचारू रूप से करने के लिए कृपया हरिद्वार - दिल्ली सड़क को उसकी श्रद्धालु के हिसाब से तवाजो दे कर हिन्दुओ नामक प्राणी को देश के बचे कुचे कोने में साँस लेते रहेने की उन पर कृपया करो। हाँ मुझ से उमीद मत करना (हिंदू होने के नाते) मैं मंदिरों को बहुत दान देता हूँ जिसके ऊपर भी आपका ही कब्जा हैं और जिनसे मैं लाखो की संख्या में मदरसों के लिए कंप्युटर खरीदते और बंटते देख रहा हूँ। इसलिए की यह लोग इनसे कुछ पढ़ कर इस देश में शांति बख्शेंगे।
रही बात हमारी तो इस कम्बखत शांति के लिए ही तो आज हमारी हालत यह होगई की हिन्दुओ के अत्यंत परम धार्मिक स्थल के लिए एक अदद ढंग की सड़क की मांग मुझे करनी पड़ रही है। उस पर भी इस बात पर हलकान हुए जा रहा हूँ की कही कोई मुझे हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे उठाने का अपराधी घोषित न कर दे। क्या करू हजूर आत्मा नहीं मानती है इस शारीर को तो आपका कानून बांधे ही हुआ है। और यदि आत्मा मरती तो दलाई लामा कब का कोमुनिस्ट हो गया होता।

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