अब हालात यह हो गए की कांग्रेस को खाट पर लेटना पड़ रहा है मित्रो इसका कारन क्या है ?? जब राजनीती में आडम्बर और नकारापन बढ़ जाये तो ही हालत खाट पर लेटने की हो जाती है। जो लोग राजनीती से सीखते थे अब उनको राजनीति को सिखाना पढ़ रहा है केजरीवाल हो या पीके दोनों ही भारत की राजनीती का धरती से जुड़ाव न होने के जिन्दा सबूत है। जब ८०% देश के लोग गांव में रहते है तो ८०% गांव के लोग संसद में क्यों नहीं दीखते। देश के किसानों से देश की राजनीती और मीडिया का दोयम दर्जे का व्यवहार ही किसानों को मजदूर बनाने का कारन है। देश में ढोंगी किसान यूनियन, किसानों के मीडिया पर बैठे हितैषी किसानों की उम्मीद के क़त्ल के आरोपी है। किसानों की राजनीती में खनक कम करना एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है। यदि आज मोदी की सरकार न होती तो शायद प्रचंड क्रांति को रोकना मुश्किल हो जाता। आज नहीं तो कल वो गुबार तो निकलेगा परंतु सब से बड़ी गद्दारी किसानों के कर्जे माफ़ करने वालो की है जो स्वाभिमान से किसानों का जीने हक़ छीनकर उनको मोहताज लाचार और भिखारी बनाने में लगे है। कृषक आधारित राजनीती को शेयर मार्किट आधारित अर्थव्यवस्था बनाने वाले इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते।
राजनीति में शुचिता तो बहुत दूर की कौड़ी हो गई है अब तो आंच घर की बहु और बेटियो पर आ गई है जिस प्रकार से राशन कार्ड और विधान सभा के टिकेट के लिए महिलाओ का शोषण हो रहा है इस पर गंभीर कार्यवाही न होना देश की मूल भावनाओ के साथ घोर अत्याचार है उसकी परणिति यह हो सकती है की यह देश सड़को पर निकल जायेगा जिसको कोई रोक नहीं पायेगा। इस देश की संस्कृति को समझने के लिए दो ग्रन्थ ही बहुत है एक रामायण और दूसरा महाभारत। जब हस्तिनापुर का दरबार स्त्री की लाज न बचा सका तो करुक्षेत्र में इसका जवाब देना पड़ा और जब रावण ने माता सीता का अपमान किया तो पूरा आर्यावर्त राम के साथ खड़ा हो गया , क्या किन्नर क्या वानर क्या भालू और क्या गिद्ध क्या गिलहरी और क्या मानव सब राम के साथ हो गए। इस धरती की फितरत ही ऐसी है की स्त्री का अपमान नहीं सह सकती। आप कुछ मुआवजा या धन दे कर इस भावनाओ के उभार को रोक तो सकते हो परंतु ख़तम करना आप का बुता नहीं है। किसानों के बच्चो को दोयम दर्जे की शहरो में नौकरी दे कर कुछ दिन तो आराम कर सकते हो परंतु यह स्थाई नहीं है। क्रांति पनप रही है अंदर ही अंदर इन सदाबहार और स्वतंत्र किसानों की आत्मा को कुछ समय ही कैद कर सकते हो परंतु जब तक इनका पूर्ण निराकरण न हो इस देश में स्थाई शांति नहीं आ सकती यह लावा कभी भी अपना जलवा दिखा सकता है। किसी भी पल सैकड़ो महेन्द्र सिंह टिकैत पैदा करने का माद्दा यह देश की धरती रखती है। राम भक्तो की फ़ौज को कुछ समय दबाया जा सकता है परंतु उनकी इच्छाओ का लावा कब छलक जाये कह नहीं सकते। हस्तिनापुर के यह नौजवान कब अपनी बहन बेटियो की आबरू पर आक्रामक हो जाये इसका गुमान किसी को भी नहीं। जो यह सोच रहे है की मोदी की लहर ही देश में सब कुछ है उनको पता होना चाहिए कांग्रेस सरकार के हिन्दुओ को आतंकवादी स्थापित करने का षड्यंत्र और लव जिहाद के ताप में झुलसे संस्कारी नागरिको को मोदी नामक नेता में अपनी लाज बचती दिखी तो बहुमत की सरकार बना दी। मोदी में अपना बचाव उनको सबसे उपयुक्त उपाय लगा अन्यथा देश की सड़के क्रांति की गवाह होती।
जो मीडिया राम मंदिर को मजाक का विषय सोचती है उसको पता होना चाहिए की गांव में एक इंच जमीन के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी दुश्मनी निभाने का रिवाज है। क्रांति के यह राम जैसे नायक देश के मन में रमे हुए है वो चाहे परशुराम जी हो या द्रोपदी के रक्षक कृष्ण। लोग इनकी पूजा तो करते ही है परंतु उनके आचरण को अपने में आत्मसात भी किये हुए है। पिछले कुछ सालो से नेताओ द्वारा बहु बेटियो को जिस प्रकार शोषण किया जा रहा है उसको यह किसान और नागरिक खून का घुट पिए बैठे है परंतु किसी भी अवसर पर यह क्रांति का सबब कब बन जाये यह कोई नहीं कह सकता।
किसानों को कोंग्रेस का मुवावजा सिवाय उनको खूंखार बनाने के आलावा कुछ भी नहीं है दलालो की चांदी और किसानों की उनके आगे गिड़गड़ाहट एक नई आग सुलगाती है।
किसानों का स्वाभिमान, भगवान की आस्था और बहन बेटियो की अस्मत बस यह ही ५००० वर्ष के भारत संस्कृति के बिंदु है बाकि सब तो चलता है। कोंग्रेस खाट नहीं खटोला/पिढाह / हारा / बिछौना / कम्बल / खेस पंचायत भी कर ले परिणाम जीरो बटा जीरो ही आएगा। देश एक बार मुर्ख बनाया जा सकता है परंतु बार बार नहीं। देश पूछ रहा है २००४ के चुनावो से पहले श्री मती सोनिया गाँधी का प्रयाग में कुम्भ में गंगा स्नान और सत्ता में आने के बाद हिन्दुओ की धार्मिक आस्था पर चोट भूले नहीं भूलेगी। एक बार आपने इस देश के नागरिको के साथ छल कर दिया बाकि फिर कितने भी टाट में पैबंद लगाते रहो परिणाम शून्य ही रहेगा। आप ने पीके जैस पिक्चर के निर्माण की अनुमति हिन्दुओ की आस्था और देश के नागरिको को अंदर तक चोट पहुचती है। हाँ हर बार बातो को बोला नहीं जाता परंतु मोदी लहर के पीछे खाली पीली पि आर एजेंसी या मोदी जी की वाक् कला ही कारक नहीं थी यह सब वो कारण थे जिनके कारण मोदी लहर बनी। अब राजनीतिक विश्लेषकों की मर्जी है इस लहर को कैसे प्रस्तुत करे परंतु सत्य तो सत्य रहेगा।
दिल्ली यह वो ही इंद्रप्रस्थ है जिस में द्रौपदी का अपमान हुआ था आज की "आप पार्टी" जो दिल्ली की शासक है वो जान ले जिस प्रकार राशन कार्ड के बदले वो महिलाओ की अस्मीता से खेल रहे है उसका परिणाम बहुत गंभीर होगा। और वो नेता भी जान ले जो इस सीडी कांड को हलके में ले रहे है और न्यायोचित ठहरा रहे है की समय पड़ने पर मुह छुपाने के लिए एक हाथ कपडे का टुकड़ा नहीं मिलेगा।
मेरा अनुरोध है अभी भी नेताओ जाग जाओ और देश को मुर्ख मत बनाओ दोषियों को सजा दो और मुवावजे और कर्जा माफ़ की खोखली नीति को त्याग दो। राम मंदिर का निर्माण , गौ माता की हत्या यह मुद्दा नहीं यह इस धरती की आत्मा है इनको पूरा न करने पर धरती के अंदर धधकते अंगारो की आंच से बच नहीं पायेगा।
जबरदस्ती के संत, भीख का मुवावजा, बहु बेटियो की इज्जत , भगवान का अपमान , झुटे त्याग की कहानिया, मंदिरो में स्वार्थवश और आडम्बर से माथा टेकना , दलितों को बराबर का स्थान न देना , आरक्षण की आड़ ऐसे मुद्दे है जिनसे जीन्स के ऊपर कुर्ता पहनने वालो को भारी पड़ सकते है। यह उन लम्बे लम्बे दिखावे के भगवा कुर्ते पहनने वालो पर भी भरी पड़ सकते है दिल्ली पहुँच कर अंग्रेजी छांटने लग जाते है और कहते है राम मंदिर का मुद्दा कोई मुद्दा नहीं। जन्माष्टमी पर रात के १२ बजे तक व्रत रखने वाले, नवरात्रो पर ९ दिन तप करने वाले , साले में ३६५ दिन कोई न कोई त्यौहार मनाने वाले , आज भी रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले फूंकने वालो को किसी चीज को भूल जाने वाला सोचना मूर्खता की पराकाष्ठा होगी। यह किसान, हिन्दू और भारत के नागरिक माफ़ तो कर सकते है परंतु बार बार यह भी नहीं कर सकते।
देश सरकारों से चलता है और सरकार इक़बाल से और इक़बाल खाट पर बैठ कर नहीं आता इसके लिए जीवन खपाना पड़ता है। यह चाणक्य की संतान है जिसको पता है कब किसको राजा बनाना है और चंद्रगुप्त कैसे ढूंढा जाता है। आज देश के पास चंद्रगुप्त है।
चाट सभा हो जाती।
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