आज बहुत दिनों के बाद अपने विचारो की गंगोत्री में डुबकी लगाने का मन किया और उसको ब्लॉग के रूप में प्रस्तुत करने की प्रेरणा मिली , बड़े दिनों के बाद इसलिए की देश चन्द्रगुप्त के हाथ में है और डोर चाणक्य के साथ तो हम जैसे तुच्छ महनुभवो के लिए ज्ञान देना स्वाभाविक नहीं है हाँ कभी कभी सन्दर्भ से हटकर कोई विचार कौंधता है तो लिखना स्वाभाविक है। आज का विषय तो पुराना है पहले कांग्रेस के शासन में बेतहाशा हिन्दुओ के ऊपर अत्याचार और अनाचार था और हिन्दुओ को और भारत की राष्ट्रीयता का जड़ से समूल समाप्त करने की शासको की जिद्द ने हमें अपनी आवाज बुलंद करने की ललकार दी और जब तक उस झंझावात से लड़ते रहे जब तक की देश एक हिन्दू राष्ट्रवादी के सुरक्षित हाथ में न पहुँच जाए।
कुछ मित्र बड़ा विचित्र तर्क देते है है की ८०० साल मुस्लिमो और २०० वर्षो की अंग्रेज गुलामी के बाद भी भारत न तो योरोप की तरह ईसाई बना और न ही ईरान मिश्र या अन्य देशो की तरह इस्लामिक ही बल्कि आज भी भारतवर्ष की ८०% जनसंख्या हिन्दू ही है अर्थात हम हिन्दू न ईसाई सत्ता से और न ही मुस्लिम शासको से डरे या झुके। बात तो प्रथम दृष्ट्या ठीक ही है या कहलो अपने आप की पीठ थपथपाने या मोटिवेटेड होने के लिए सही ही है परन्तु फिर एक ही साँस में मेरे हिन्दू राष्ट्रवादी मित्र फिर यह भी कह देते है के ईरान अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान लंका बांग्लादेश इंडोनेशिया वियतनाम आदि आदि से लेकर भारतवर्ष एक ही देश था जिसको वो अखंड भारत का नाम देते है परन्तु बड़ी सावधानी से उसकी जनसंख्या जो की ९९% मुस्लिम हो गई उस को विस्मृत कर देती है , मेरा प्रश्न है की वो हिन्दू जनसँख्या जो इन देशो में है और बाद में मुस्लिम हो गई वो क्या हिन्दू जनसँख्या का हिस्सा नहीं है या थे ????? जो आज केरल और कश्मीर में हो रहा है वो ही तो २००-४०० वर्ष पूर्व इन देशो में हो रहा था। जब उनकी जमीन अखंड भारत का हिस्सा है तो हिन्दुओ या बोधो से मुस्लिम हुए लोगो को गिना क्यों नहीं जाता। क्यों एक बार अपने को धिक्कारा नहीं जाता की किन कारणों से वो पहले मुसलमान बने और फिर एक अलग राष्ट , अखंड भारत हो सकता है तो अखंड हिन्दू का शरीर हिस्सों में तोड़ दिया गया और आज बचे हुए हिस्से पर ८०% हिन्दू होने के गौरव का ढोंग करते हो ??? हमने अपनी कायरता और कमजोरी से अपने ही भाइयो को मुस्लिम बनने दिया और फिर एक राष्ट बन जाने दिया और बाद में उनको अपना दुश्मन बन जाने दिया। न तो उनकी तड़फ कभी हमने महसूस की और न ही उन देशो में अपनी ही मिटटी की हालत जानने की जिज्ञासा। हम इतने बड़े कायर और ढोंगी निकले की अपने आराध्य देवी देवताओ को धूल धूसरित होने दिया और उनको विस्मृत कर दिया , हमने अपने संस्कार और कर्म कांड भी सुविधा के हिसाब से बदल लिए और वो आज तक जारी है। हम इतने बड़े ढोंगी और नपुंसक है की हरिद्वार नहीं जा सकते तो बगल में ही नदी के किसी हिस्से को छोटा हरिद्वार बना डाला और जींस लटकाये और काला चश्मा टाँगे अपने रिश्तेदार की अस्थियां भी किसी तथाकथित छोटे हरिद्वार में बाह दी और डुबकी लगा कर सारी दुनिया के पुण्य भी कमा डाले और पाप भी धो डाले। न वैदिक मन्त्र जाने और न ही यज्ञ समझा बॉलीवुड के गानो की परेड़ी पर बने भजन पर झूम लिए और हो गए लाखो वर्ष पुरानी शाश्वत हिन्दू धर्म के दर्शन। आज हमारे सामने कश्मीर के नव इस्लामिक संस्कृति के दोयम नागरिक हिन्दू संस्कृति की शारदा पीठ के गढ़ में १२० करोड़ हिन्दुओ को चेतावनी देते और उनके रक्षको पर पत्थर फेंक रहे है उनको घायल कर रहे है। जे एन यू के पिशाच आज भी नक्सलियों को हमारे सपूत सैनिको को मारने के लिए लेक्चर पिला रहे है। हम्म्म्म !!!!! आज मोदी जैसा चन्द्रगुप्त बैठा है तो बाते छोटी लगती है अन्यथा तो भाई लोगो इन्होने तो हर की पौड़ी हरिद्वार पर नमाज पढ़वा दी थी। जो आज अजान की आवाज से सो नहीं पा रहे और अपनी बात को बड़ी विनम्रता से रखने पर उनको इस बचे खुचे हिन्दुओ के राष्ट्र में , राष्ट्रवादी सरकार के होते भी धमकी मिल रही है तो सोचो की एक बार ५ सालो के लिए श्री मति सोनिया गाँधी जी के नेतृत्व में फिर से वो राम नाम को नकारती सरकार सत्ता में आ जाती तो क्या होता ?????
कुछ नए नए राष्ट्रवादी विचारो के ब्लॉगर जो २०१४ में श्री मान मोदी जी को समर्थन कर रहे थे वो भी आज कुछ कुछ ज्ञान देने लगे। यह भी दो प्रकार का ज्ञान देते है या तो सीधा पाकिस्तान को ध्वस्त कर दो या दूजे किसम के लोगो जिनकी आत्मा संविधान के पन्नो में दबने लगती है और उनको हर चार पांच दिनों में धर्मनिरपेक्षता के दौरे पड़ने लगते है। कुछ तो इतने बड़े आताताई बन जाते है की "आपातकाल" की आहट से हिस्टीरिये के दौरों में नपने लगते है।
कल कुछ संघ के मित्र मेरे पास आये और मुझे धिक्कारने लगे की सुबह की शाखा में आपके न आने से देश में हिन्दू समाज का कितना नुक्सान हो रहा है बड़े आदर के साथ कहूंगा परन्तु उनके हिन्दू और देश के बारे में अल्प ज्ञान सुन कर मुझे थोड़ा दुःख पहुंचा। मैं बड़ी विनम्रता से संघ के अग्रजो से अनुरोध करूँगा की बौद्धिक पर फिर से जोर दिया जाए क्यूंकि यह वर्तमान संघी मित्र अभी भी १९९२ वाले मोड़ में चल रहे है या जो मोदी जी यह इधर उधर से सुनलेते है। इनको तो जाकिर नायक के चेले ही घेर लेते है। उनसे पार पाने में ही दम निकल जाता है। आज एक राष्ट्रवादी सरकार है अन्यथा तो बौद्धिक स्तर पर हम हिन्दुओ ने घुटने टेक दिए है।
नहीं मित्रो इतना निराश भी मत होवो हिन्दू एकता प्रखंड राष्ट्रवादिता के कुछ जीवित लक्षण भी आप ही लोगो ने दिखाए। असम की जीत उत्तर प्रदेश की जीत, संघ का फैलाव , गौ के मुद्दे पर सक्रियता, मोदी के पीछे एकजुटता, ओडिसा और पश्चिम बंगाल में भविष्य के लक्षण कुछ एक ऐसी बात है जिनके संकेत हिन्दू पीड़ा के अब अभिव्यक्ति दिखती है , उसके अंदर जो हलाहल सदियों से भर दिया गया था अमृत के रूप में बहार आ रहा है और वो अवश्य ही इस अखंड हिन्दू भारत राष्ट्र की कुसमुसती और लज्जित शोषित शक्ति को माँ काली की तरह प्रचंड और शिव की तरह शाश्वत हुंकार बना देगी। कभी कभी कुछ एक फिल्मे और किताबे वो बयान कर देती है जो बड़े से बड़े आंदोलनों की हुंकार नहीं कर पाती , बाहुबली फिल्म का इतना बड़ा हिट होना आई एस आई के पैसे , दाऊद की गुंडई और बॉलीवुड के काले गैंग के आगे भगवा ध्वज लहरा दिया ये कुछ कुछ उत्तर प्रदेश के भाजपा जीत जैसा ही है "इसका नहीं साथ और सबका विकास" इस बाहुबली ने वो सभी रिकार्ड तोड़ दिए जिसके बड़े बड़े टुच्चे खां महीनो प्रोपोगेंडा कर के नहीं कर पाते , महिलाओ का परदे पर अंगप्रदर्शन विशेष कर हिन्दू महिलाओ और हीरोइन का शोषण उस मुताह विवाह से कम नहीं जो शेख लोग हैदराबाद में नाबालिग मुस्लिम बच्चियों के साथ करते है। इस कथित अंगप्रदर्शन को खाड़ी देशो में पिक्चरों के नाम पर परोस कर उन शेखो की ख्वाहिश ही पूरी की जाती रही।
मित्रो अब आते है आज के मुद्दे कश्मीर पर , कश्मीर समस्या की जड़ पिछले ६० साल में या तो पाकिस्तान बताई गई , या किसी ने अमेरिका या किसी ने ब्रिटेन और किसी किसी किसी ने रूस और चीन बता दी अब पिछले १५-२० वर्षो से इस्लाम भी बतानी शुरू कर दी। मेरी कश्मीरी पंडितो के साथ पूरी पूरी हमदर्दी है परन्तु यह सहनुभूति मुझे सच कहने से नहीं रोक पायेगी। यह माना की मेरे अपने कश्मीरी पंडित भाई कश्मीर से दर बदर कर दिए गए जैसे के बांग्लादेश और पाक्सितान से हिन्दू भाई कर दिए गए। इनको मारा गया , माँ बहनो के साथ अत्याचार हुआ और न जाने कितना बड़ा अनाचार और अत्याचार हुआ। परन्तु जो गलती ईरान , अरब , अफ़ग़ानिस्तान और अन्य देशो के हिन्दुओ ने इस्लाम कबूल करके की वो ही गलती शारदा पीठ के सच्चे भक्तो कश्मीरी पंडितो ने की। कोई पूछे यह संघ न होता , यह कम्बख्त भाजपा नहीं होती तो इनका होता क्या ??? क्या यह कश्मीरी पंडित अपने घर में एक शेर का बच्चा पैदा नहीं कर पाए जो भारत के १०० करोड़ हिन्दुओ को एक जुट करने की शक्ति रखता और श्री नगर में हुंकार मारता। क्षमा करे क्षेत्रवाद का मजबूरवश जिक्री कर रहा हूँ वो बंगाल का सिंह श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपना बलिदान देकर परमिट ख़ारिज करवा सकता था। वो मुरली और मोदी भारत यात्रा कर १९९० में श्री नगर के लाल चौक पर माँ भारती का तिरंगा फहराहा सकता था परन्तु देश की डिप्लोमसी में पैबस्ता कश्मीरी पंडित , बॉलीवुड में जलवा बखेरते कश्मीरी पंडित , कॉर्पोरेट वर्ल्ड में मलाई चाटते मेरे अपने कश्मीरी भाई , प्रधान मंत्री कार्यालय के उच्च पदों पर वर्षो से आसीन मेरे पंडित भाई कोई आंदोलन खड़ा न कर पाए। क्या उनकी जन्भूमि से बिछड़ने की पीड़ा हम नहीं समझ सके परन्तु मित्रो हिन्दू का दर्द कही का हो परन्तु चिल्लाना तो उसी को पड़ता है जिसके जिस्म में खंजर भौंका गया है। जो लोग आजादी के झुनझुने उठाय घूमते है जो आजादी के विश्व भर में आलम्बरदार बनते है और जो पराधीनता को सोने का पिंजरा कहते फिरते है तो वो बेबसी दिल्ली और जम्मू के टेंटो में रहते मेरे कश्मीरी पंडित भाई संसार भर में क्यों नहीं चीखे, क्यों नहीं कश्मीर के ही हिन्दू राजा के वंशजो का बहिष्कार कर दिया जो उनके ही कातिलों के साथ सरकार बनाये बैठे थे। मित्रो दुःख सबको है दुःख तो उस पिल्ले का भी है किसी गाड़ी के निचे न आ जाये और दुःख उन पक्षी और परिंदो का भी जो अपनी मातृ भूमि से उजाड़ दिए जाते है दुःख और सिसकिया उन कोटि कोटि कश्मीरी हिन्दुओ के बेबसपने पर भी है जो एक बार नहीं बार बार कश्मीर से निकले गए। एक बार नहीं कई बार निकला गया , आज के ५ लाख कश्मीरी पंडितो का जिक्र हर कोई करता है परन्तु शमशुद्दीन का राज हो या अफ़ग़ानों और मुगलो का हर राज में कश्मीरी पंडितो को निकला गया। परन्तु दिक्कत तो हमारी है हर खंजारो को आत्मसात करते गए , शारदा पीठ ख़तम हो गई , वैष्णव धर्म के एक मात्र तंत्र बर्बाद कर दिया गया , शंकराचार्य मंदिर को सुलेमान तख़्त बना दिया गया , लद्दाख की एक बड़ी बौद्ध आबादी को सरकारी संरक्षण में लव जिहाद से फतह करवाया जा रहा है। आतंकवादियों को वजीफे और परिवार से हमदर्दी , आतंक के सायो को दौलत से तोला जा रहा है , और एक पत्थरमार क्या जीप पर बैठा दिया सारी दुनिया में लाउडस्पीकर लगा दिया गया।
इस्लाम धर्म को कोटि कोटि प्रणाम, धर्म के सज्जनो को अभिवादन परन्तु अपनी भूमि को कोई हमसे ले ले और हम अपने पूर्वजो के बलिदान को भूल जाये वो हो नहीं सकता।
क्या केरल के पद्मनाभस्वामी स्वामी मंदिर को मस्जिद में बदलने का इन्तजार करे ?
मित्रो बामियान में बौद्ध मुर्तिया ध्वस्त कर दी गई यह १२० करोड़ हिन्दुओ के नौवें विष्णु अवतार के साथ समकालीन समय में हो गया और हम अभी इस अजान और तलाक पर ही बहस कर रहे है।
कश्मीर लेने की जिद्द आततायीओ की कोई फ्रीडम विरीड्म नहीं है यह मध्य एशिया की राजनीती का आखरी मंजर है हिन्दुओ के शीश को काट कर इनको हमेशा हमेशा के लिए नपुंसक बनाय जाने की साजिश है। और इसमें गलती भी तो हमारी है जब महाभारत के और रामायण के वो सारे स्थान विस्मृत करा दिए गए जो इस भूभाग पर है , वो सत्यभामा का मायका , वो राजा भोज और कालिदास की विजय के चिन्ह भुला दिए गए तो अब चीन कैलाश , अक्साई चीन और तिब्बत हड़पने के बाद अरुणाचल प्रदेश पर भी जीभ लपलपा रहा है तो हमारी भीरुता का इतिहास देख उसकी मंशा झुठलाई नहीं जा सकती। जब तक हम मध्य एशिया के इतिहास को अपनी मातृ भूमि का इतिहास नहीं मानलेँगे , अपने पूर्वजो की भूमि को नमन नहीं करेंगे, सिंधु नदी में अपनी श्रद्धा का ध्वज नहीं लहरायेंगे , कंधार और हेरात से आगे बढ़ अपने इतिहास को पुनर्जीवित नहीं करेंगे तो फिर खुरसान के एक काले लश्कर और गजवाये हिन्द की मनुहसियत के साये में ही जीयो , कश्मीर से लुटे पिटे भइओ पर अफ़सोस ही प्रकट करो , परशुराम जयंती मानाने वाले कहते है हम तो अशोक की तरह और गाँधी जी की तरह गौ बनकर रहोगे।
मित्रो मैं नहीं कहता कुछ भी करो परन्तु कम से कम कश्मीर में शहीद हुए हर वीर के घर में इतना बड़ा सैलाब खड़ा कर दो उसको श्रदांजलि देने के लिए की दुनिया चकरा जाए भारत माता के सपूत की शाहदत देख कर , फ़्रांस में १० नागरिक मरने पर दुनिया भर की फेसबुक आई डी बदल दी गई परन्तु कश्मीर में आताताइयों के हुई सैनिक की वीरगति अखबार की कुछेक लाइने बन जाती है। जे एन यू के आजादी के नारे लगाने वालो का क्यों नहीं सब्जी वाले दूध वाले, रिक्शा वाले दूकान वाले ने बहिष्कार कर दिया , क्यों दिल्ली की छाती पर आज भी सीना तान कर चल रहे है।
मित्रो राष्ट्र आज सुरक्षित हाथो में है ये परम वैभव पर लेजाने वाले संकल्पित वीरो के हाथो में है पैसे के लिए ऐ टी एम् की लाइनों में मरने वालो की झूठी खबरे गढ़न वाले, कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाले जैसे नपुंसको की भरमार हर काल में होती है परन्तु अपने इतिहास को पुनर्जीवित करना और उसके लिए सब कुछ निछावर कर देना कल के इजराइल से सीखो अपने इतिहास को विस्मृत करने की तो हजारो गाथाएँ मिल जाएँगी जो की आज उधार की भूमि , उधार के धर्म और उधार की संस्कृति को अपना मानते हुए जी रहे है।
जय परशुराम
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