Friday, March 26, 2010

एक दरिद्र और असहाय हिन्दू का सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध !!!!!!!!!!!

अमिताभ की लालीपॉप और हिन्दुओ को नेस्तनाबूद!!!!!







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कल हिन्दुओ को फिर एक अफीम की गोली दी गई और हिन्दू उसे खा कर फिर से मस्त होगए. कल हिंदुस्तान की तारीख में फिर से बटवारे के बीज बो दिए गए और इस कर्म को करने में आदर्शय हाथो का बड़ा योगदान है. इस हिंदुस्तान के मुस्लिमो द्वारा लुटने पीटने और पकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश छिनने के बाद आज उनको ही आरक्षण दे दिया गया है. कल टीवी देखा तो सदमा सा लग गया की सारे टीवी चैनल कांग्रेस को अमिताभ के लिए मुंबई सी लिंक उद्घाटन पर हडकाते नज़र आये समझ ही नहीं आया की एका एक यह सभी चैंनल कांग्रेस को क्यों घेर रहे है ध्यान तब आया जब निचे एक छोटी सी लाइन चलती नजर आई की मुसलमानों को मान निये सुप्रीम कोर्ट ने ४% आरक्षण देने की सहमती देदी.

अरे कोई चर्चा नहीं कोई शोर नहीं. एसा कैसे होगया की मेरे भारत माता के चीरहरण करने वालो को आरक्षण?

अरे क्या चाहते हो डेमोक्रेसी का मतलब यह नहीं की हिंदुस्तान में हिन्दुओ को भगा दिया जाये. एसा कैसा सुप्रीम कोर्ट है जो मुसलमानों को आरक्षण दे सकता है. हिंदुस्तान का जबरदस्ती थोपा गया संविधान के भी खिलाफ है यह धर्म पर आधारित आरक्षण. अरे सुप्रीम कोर्ट जी कल ही तो आपने राधा कृष्ण के जरिये शादी से पहेले सेक्स को न्यायोचित ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट जी हिन्दुओ से चाहते क्या हो. क्या नंगे होकर सड़क पर आजाये. गरीब की जोरू सब की भाभी. सुप्रीम कोर्ट जी कर क्या रहे हो.
  • पहेले सम्लेंगिगता को अपने जाएज ठहराया.
  • शादी से पहेले सेक्स को उचित ठहराया.
  • मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण दे दिया.
आपके शाहबानो के केस में आप को ही ठेंगा दिखा कर राजीव गाँधी ने आपके ही फैसले को संसद में पलट दिया. हम दरिद्र हिन्दू यह नहीं कर सकते है. आप तो हमारे राम मंदिर का भी फैसला नहीं कर पाए. रामसेतु पर श्री राम का ही अस्तितिव दाव पर लग गया. सुप्रीम कोर्ट जी आप चाहते क्या हो. मैं दरिद हिन्दू संसद में कम हूँ, देश में भी आज कम हूँ. हमारे लिए कानून तो क्या कोई पलटेगा और हमे ही पलट देगा. हिंदुस्तान रूपी पैंट लंगोट में बदल गई थी वो भी आप एक हिस्सा इनको देने को कह रहे हो जहाँ बिना कहे. २ करोड़ बंगलादेशी हम गरीब हिन्दुओ का हक़ खा रहे है. और सरजी आपके हुकम की नाफ़रमानी यह कांग्रेस ही कर रही है परन्तु आपके इस ४% के आरक्षण को देखो किस तत्परता से लागु करेगी. सरजी हिन्दुओ के पास तो कोई और देश भी नहीं, मत दरबदर करो हमे क्योंकि आपने तो ४% आरक्षण किया है यह राजनेता इसको ४००% प्रतिशत करदेंगे. हमारे एक मात्र हिन्दू देश नेपाल को नहीं बक्शा. हम हिन्दू. और सिर्फ हिन्दू की बात कर रहा हूँ यदि हिंदुस्तान में मुसलमान का राज आ ही गया तो मंदिर के घंटे तो निश्चित रूप से नहीं ही बजने दिए जायेंगे. पकिस्तान और बंगलादेश में भी सरजी नहीं घंटे बज रहे. सुप्रीम कोर्ट जी मुझे यह भी बता दो शुरुवात तो आपने करदी परन्तु जाएगी कहा तक. यदि चाहते हो के हमारी आने वाली पीढियों को सुन्नत ही करानी है तो फिर बात ही अलग है.
सुप्रीम कोर्ट सर जी मुझे एक राष्ट्र का हवाला देदो जहाँ पर इस तरहे के आरक्षण दिया जाता हो. मलेशिया को ही उद्धरण लेलो. देश में १५% हिन्दू है और वहा पर अभी देश के मुसलमानों के लिया ही निश्चित आरक्षण रखा है जिस से की भविष्य में कही यह ही अलग थलग न पडजाये और कोई और कब्ज़ा कर ले. मैं उनकी इस पोलिसी से सहमत हूँ, परन्तु वहां भी सहमत हो जाओ और आपके प्रेशेर से यहाँ हिंदुस्तान में भी सहमत हो जाऊ तो हिन्दू कहा जायेगा. यदि उस से भीख ही मंगवानी है तो लोकतंत्र का ढकोसला क्यों???????????????????
हम हिन्दू हरराष्ट्र में कानून का पालन करते है अपने हिंदुस्तान में भी आपके निर्णय सर आँखों पर परन्तु दूसरी तरफ जैसे शाहबानो के केस आपके ही निर्णय का दम निकाल दिया हम हिन्दू तो एसा भी नहीं कर सकते. क्या कर लिया आपने भी जब मेरी माँ भारती की नंगी तस्वीर बना दी गई और उसपर सूरा पीकर कला की प्रसंशा की गई. किस कानून ने उनको रोक लिया बहुसंख्य में है तब क्या हम अल्पसंख्या में होंगे और राज फिर से मंगोलों का होगा.
हे सुप्रीम कोर्ट हमारी न नेता सुनते, न मीडिया और आप भी यदि मुसलमानों को आरक्षण देंगे तो कहाँ जा कर हम अपनी छाती पिटे. हमारा कोई भी वाली वारिस नहीं. हे न्याय के देवता हम पर रहम करो रहम कर. हम नहीं मांग रहे आप से अपना राम मंदिर, नहीं मांग रहे राम सेतु और न ही वो ३०००० मंदिर जिन पर आज मस्जिद खड़ी है. हम तो अगली पीडी की सुन्नत न हो इतनी ही अपनी हिन्दू कौम की रहेने की गारेंटी चाहते है. क्या कसूर है हमारा हजूर. क्यों हिन्दू कौम को अजायबघर में रखने की वस्तु बना रहे हो.

  • कल मीडिया ने हिन्दुओ को बड़ी खूबसूरती उल्लू बनाया. इस खबर को छुपाने का पाप किया है. सब सवीकार है माननीय सुप्रीम कोर्ट जी परन्तु अपना हक़ तो नहीं ही देंगे. बहुत होगया. पहेले से ही हम पांडव पांच गाव में रह रहे है. पाकिस्तान और बंगलादेश के बाद हमे यह कटा छंटा भारत मिला पांच गाँव के रूप में उसपर भी हम इनको हिस्सा दें दें. नहीं सरजी मत हमे दरबदर करो. कम से कम हिन्दुओ के अगली पीडियो के लिया इस हिंदुस्तान को रहेने दो.

  • यह और कुछ भी नहीं आपके माध्यम से राजनेताओ के हाथो हम हिन्दुओ के लिया आपने मुसलमानों को आरक्षण के रूप में हम हिन्दुओ के कफन में लगने वाली एक आखरी कील देदी है. कभी इन राजनेताओ ने दुद्कारे कश्मीरी ब्राह्मणों को आरक्षण तो क्या एक टेंट सर ढकने को भी नहीं दिया. सरजी नस्लों का सवाल है यह इतना मामूली नहीं जिसको मीडिया की चालबाजियों से छुपा लिया जाये. और यदि किसी ने ठान ही लिया की अर्जुन और महाराणा प्रताप का बेटा इमरान और युसूफ ही हो तो इसका तो कोई इलाज है ही नहीं. लव जिहाद के नाम पर बेहेन बेटी तो पहेले ही सलमा और सुल्ताना बन गई.
  • कुछ करो परतु इस को लागु होने से बचाओ
एक दरिद्र, असह्य हिन्दू की महाबली सुप्रीम कोर्ट से के अनुरोध मात्र.

9 comments:

  1. भाई आप कितने विनम्र हैं शायद यही होता होगा कि कोई आदमी विरोध में शस्त्र उठा लेता होगा तब उसे आतंकवादी कह कर मार दिया जाता है। जब न्याय करने वालों की दिमागी हालत ऐसी है तो कोई क्या करेगा ये अनिश्चित सा है,खुद न्यायपालिका अराजक सी प्रतीत हो रही है लेकिन अगर कुछ विरोध में बोल दो तो सजा भुगतने के लिये तैयार रहो ये तो हाल है....

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  2. सादर वन्दे!
    इस देश के कमीने नेता, कमीने पत्रकार, कमीने न्यूज़ चैनल और कमीने सेकुलरवादियों ने तो अपनी गन्दगी से इस देश को मैला कर ही रखा था अब बारी इन पढ़े-लिखे कमीनों कि थी सो ये भी वही रास्ता अपना रहे हैं. लेकिन ये सभी कमीने यह नहीं जानते कि जब हमारा दिमाक घूमेगा तो इनकी नश्लें इस भारतभूमि पर पैदा होने से डरेंगी,
    इन कुत्तों की जमात जो दिन- प्रतिदिन इस देश में बढ़ रही है, उन्हें गोली मारने के आलावा कोई रास्ता नहीं दिखाई देता.
    इस सार्थक पोस्ट के लिए आभार.
    वन्देमातरम!
    रत्नेश त्रिपाठी

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  3. त्यागी जी, एक अफीम धर्म की कही गयी है, लेकिन हमें तो धर्मनिरपेक्षता की अफीम पिला दी गयी है.. पियो और मस्त रहो.. कल का एक फैसला और भी था जिसमें शायद पीआईएल दायर करने के बारे में कुछ कहा गया था, जिसमें आपराधिक कृत्य वाले नेताओं के लिये नियामक एजेंसियों से सम्पर्क करने जैसा कुछ कहा गया था. अर्थात मुलायम, लालू इत्यादि तमाम नेताओं के लिये मौजां ही मौजां जैसी स्थिति हो जायेगी.. धिक्कार है सुषुप्त नागरिकों और विशेषत: हिन्दुओं पर. या तो फिर से विभाजन होकर कई नये टुकड़े होंगे या फिर गृहयुद्ध.

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  4. बंधु त्यागीजी (वास्तविक नाम मालूम नहीं),
    इस लेख को पढ़कर जो कल्पना हुई, उससे आँखों में आंसू आ गए | सरकार, समाचार माध्यम और अब न्यायालय भी राष्ट्रीयता से खिलवाड़ करने लगे हैं | परिस्थितियों को देखकर बहुत दुःख होता है | उपाय समझ में नहीं आता | विजय धर्म की ही होगी परन्तु कब ? हिंदू समाज तो दूसरों को मिले झुनझुने देखकर ही खुश रहता है और धर्मनिरपेक्ष बना बैठा रहता है |

    खैर १२०० वर्षों की गुलामी की मानसिकता इतनी जल्दी नहीं खत्म होगी | हम बढे चलें | विजयी अवश्य होंगे |

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  5. शर्म भी नहीं आना चाहती
    अब क्या किया जाए!शांत विरोध करे तो मुर्ख बोलेंगे,अशांत विरोध करे तो सविंधान का उल्लंघन होगा जो केवल हिन्दू ही करते है हर बार!नेहरु जी ने बहुत सोच समझ कर ही कभी कहा होगा कि मै गलती से हिन्दू हूँ!(अब आप दूसरी वाली गलती ना समझ बैठना)!
    "लेकिन मै क्या कर सकता हूँ!इस बार मैंने कांग्रेस को वोट दिया था क्योंकि दूसरी पार्टी में दूसरी जात का आदमी था!इस बार भी कांग्रेस को वोट दूंगा क्योकि इस बार टिकट मेरे रिश्तेदार को मिलेगा!"
    यही सब कारण होते होंगे कांग्रेस को चुनने के!नहीं तो कोई और कारण मुझे नहीं लगता के इस हाथ ने किसी गरीब,दरिद्र या भारतवासी का सही साथ दिया हो!जहा धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाए वो देश धर्मनिरपेक्ष कैसे हो सकता है!मुस्लिमो को आरक्षण दे कर इन्होने भारत को हिन्दुस्तान घोषित कर दिया है!तो b j p, विश्व हिन्दू परिषद् क्या गलत कहती है!कर दो भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित!

    कुंवर जी

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  6. त्यागी जी, आपने एक आम हिन्दू के दिल की बात रख दी है, लेकिन वोटिंग के दिन ड्राइंगरूम में बैठकर कांग्रेस को गाली देने और वक्त आने पर पैसा खाने के लिये उसी कांग्रेस से गले मिलने वाले "हिजड़े हिन्दुओं" का क्या इलाज किया जाये यह भी तो सोचना पड़ेगा…

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  7. पता नही कब जागेगा हिंदू?आभार आपका एक अच्छी पोस्ट के लिये.

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  8. Sir ji main koi mahan vucharak to nahin hun..par rashtra ki dasha se chintit hun....bas main sabhi se ye margdarshna chahta hun..ki kya karein ham i ye vyavastha badle...main vastav me is prashna ka uttar chahta hun...kripya uttar de...

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