कभी कभी जल्दी में ब्लॉग न लिखने का आलस्य आपको फेसबुक पर त्वरित टिप्प्णी के लिए प्रोहत्साहित कर देता है तो उस समय के आलस्य का अब विस्तार से पोस्ट के रूप में ब्लॉग पर प्रस्तुत करने कि इजाजत चाहूंगा जो "आप " पार्टी का दिल्ली में कथित प्रादुर्भाव पर है।
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कोंग्रेस और भाजपा के दो तरफ़ा लड़ाई में "कथित प्रगतिशील " ताकते राज्ये में हमेशा से त्रिकोणीय मुकाबला दिखाना चाहती है इसमें कोई शक नहीं कि वाम दल अपनी कमियों को छुपाने के चक्कर में मीडिया का सयहोग लेकर प्रदेश कि जनता को भरमाने के लिए ऐसी ही किसी शक्ति का साथ लेती है अब वो बादल परिवार से टूटे आदमी को लेकर पंजाब का मुकाबला त्रिकोणीय बनाना हो आप पार्टी को लेकर दिल्ली या फिर राजस्थान में किसी आदिवासी मीणा को लेकर हो या फिर हिमाचल में त्रिकोणीय मुकाबलो कि झूठा मौहल खड़ा करना हो वैसे इनको बिहार उत्तर परदेश में मायावती और मुलायम के रूप में सफलता जरुर मिली है और भी जगह मिल सकती है. और यह ही शिखंडी वाम दलो कि रणनीति है. आज दिल्ली में भी आप के माधयम से एंट्री करना चाहती है. इन कथित त्रिकोणीय मुकाबले के निर्वरोध रूप से लाभकर्ता वाम दल राष्ट्रिय राजनीती में और प्रादेशिक परिपेक्ष में कोंग्रेस है. फैसला आपका है.
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जो दिल्ली में "आप' का प्रदर्शन मान रहे है चुनाव में वो असल में आप का नहीं वाम का असर है. दिल्ली कही नक्सली कम्युनिस्टो का गड़ न बन जाये।
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वाम दलो कि सोची समझी रणनीति है "आप " वो भी दिल्ली में।
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सरासर बेमानी है "आप " को वोट इतने मिल ही नहीं सकते। किसी भी कीमत में. जो पार्टी ५० - ५० साल से जनता के बीच काम कर रही है उनको १० विधायक नहीं मिल पाते। झूठ कोरा झूठ और बकवास है आप पार्टी कि इतनी सीट पर। कोंग्रेस भी आ जाती तो इतना आश्चर्य नहीं था दुबारा परन्तु इस झूठ को तो पकड़ना ही होगा नहीं तो लोगो को मिलेगा डा. विश्वाश का ठुल्ला !!!
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सूत्रो के मुताबिक आप पार्टी ने दिल्ली में फर्जीवाड़ा कर वोटरो को फंसाने के बाद अब लोकसभा पर नजर गड़ा दी। पर लाख टके का प्रशन है कि दूसरा अन्ना हजारे कहाँ से लायेंगे। और पहले वाला रिपीट नहीं होगा !!!!!!!!!!
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सोचो यदि कल प्रकाश करात, सीता राम युचुरी और वृंदा करात दिल्ली से लोक सभा का चुनाव लड़े और वो भी आम आदमी कि सहयोग से और जीत भी जाये तो क्या होगा भारत कि अर्थव्यवस्था का ? खैर दिल्ली वाले इतनी दूर कि सोचते कहाँ है क्यूंकि दिल्ली तो गूंगी और बहेरी पहले सी थी पर शायद नजरे भी कमजोर हो गयी. वैसे आप पार्टी के जितने से जितने आप वाले खुश है उतने ही कुछ मीडिया वाले और पाकिस्तानी भाई भी खुश है.
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लोग बड़े भोले और नादान है जो सोचते है कि भाजपा बहुत स्मार्ट है मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारी गोटी वो ही ही बिछा रही है परन्तु लोगो को पता होना चाहिए कि कम्युनिस्ट और नक्सली सो नहीं रहे है और न ही जेनयू के बन्दर, सभी जुगत में है कि बंगाल के बाद क्या करे कि फिर से भारत में वाम दल दोबारा से मुख्यधारा में कूद जाये। इसलिए इन्होने आप पार्टी आविष्कार किया जो अब दिल्ली को बंगाल बनाएगी। दिल्ली वालो अब पता चलेगा वाम दल का क्या बल है. वैसे आप लोगो को याद होगा सत्तर के दशक में एक " दम मारो दम " गैंग था बस वो ही है आप पार्टी। कम्युनिस्ट धीरे से आयंगे और भारत कि अर्थव्यवस्था को पचास के दशक में ले जायेंगे। भाजपा नहीं कम्युनिस्ट भी चतुर है जो तीसरा तीसरा ऑप्शन कि बात करते है, कोंग्रेस भाजपा को एक तराजू में तोलते है वो केवल और केवल कम्युनिस्टो कि सत्ता में पकड़ को मजबूत बनाने का जुगाड़ कर रहे होते है. दिल्ली फंस गई भइया। दोस्तों दिल्ली का रंग बदल रहा है भगवा से कही लाल न हो जाये पता नहीं संसेक्स वाले भी मेरी बात सुन रहे है कि नहीं ?????????????
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भाजपा सावधान !!!!!! आप पार्टी का कोई उद्देश्ये नहीं है सरकार दिल्ली में बनाने का वो इस स्थिति लोकसभा चुनाव तक चलाना चाहते है. हाँ आप पार्टी के एम् एल ये को सम्पर्क करने वालो का स्टिंग तैयार हो रहा है. सावधान भाजपा!!!! आप पार्टी ने देश में आपको और कोंग्रेस को एक ही तरजू में रखा है और आप कि इमेज को ख़राब करने के लिए यह कोंग्रेस का खेल है.
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मानलो कल दिल्ली में वास्तव में आप पार्टी कि सरकार बन ही गई तो क्या केजरीवाल मुख्यमंत्री बनेगे ? नहीं क्यूंकि शेर कि खाल पेहेन कर गधा डरा जरुर सकता है परन्तु शिकार नहीं कर सकता
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भाजपा को हर हालत में आप पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने देनी चाहिए चाहे खुले आम भाजपा को आप पार्टी के विश्वास मत में गैरहाजिर होने के संकेत ही क्यूँ न देने पड़ जाये तभी भाजपा दिल्ली में सभी लोकसभा सीट निकाल सकती है दूसरा जो मीडिया ने मिटटी का शेर केजरीवाल खड़ा किया है उसको बेनकाब किया जा सकेगा अन्यथा यह बारहा मन कि धोब्बन यूही "तन डोले मेरा मन डोले " अंदाज में लहराती रहेगी
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वैसे कोंग्रेस कि जनित आप पार्टी कि जीत से कोंग्रेस को लाभ कितना हुआ है. अरे भाई सारा लाभ तो कोंग्रेस का ही है.
१. दिल्ली गवां कर ऐसे जैसे ऊँगली कटा कर शहीद।
२. मीडिया भाजपा को ऐसे हड़का रहा है जैसे १५ साल से दिल्ली में उसने राज किया और भ्रष्टाचार किया और भाजपा के नेता भी चैनल उलजलूल बोल रहे है ३. जो कोंग्रेस चाहती है. मतलब भाजपा कि तीन राज्यो में सरकार और अंधी कि तरह का बहुमत फिर भी भाजपा कठघरे में कि वो सरकार क्यूँ नहीं बना रही।
४. कोंग्रेस ने भाजपा को आप पार्टी के सामने ऐसे खड़ा कर दिया जैसे भाजपा ने कोई पाप कर दिया हो.
५. चलो लोक सभा तक राहुल गांधी का पिंड छूटा अब मीडिया ने चालू कर दिया कि जैसे अडवाणी के रथ को लल्लू ने बिहार में रोका था वैसे मोदी के रथ को केजरीवाल ने रोका। सो फोकस मोदी के विरुद्ध केजरीवाल पर होगा राहुल गांधी कि जान बची। स्कैम कि बात तो कोई नहीं करेगा अब।
६. अंत में चारो तरफ क्लीन क्लीन चल रहा है क्यूंकि आप पार्टी आ गई कही ऐसा न हो कि दिल्ली कि जनता इतनी क्लीन न हो जाये कि अगले चुनाव तक कि हलक से जबान बहार आ जाये क्यूंकि न तो बिजली के बिल कम होंगे न भरष्टाचार रुकेगा , न ७०० लीटर पानी मिलेगा और कही सच में बाबा जी का ठल्लू देने वाले इस को तो ठुल्लु नहीं कहे रहे तो जो आप पार्टी ने दिल्ली कि जनता को सरकार न बनायंगे और न बनाना देंगे।
वैसे राज्ये सरकारो ने टीवी में बिना मतलब के विज्ञापन देकर लोकसभा का जल्द होने के संकेत तो दे ही दिए।
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भाजपा को हर हालत में आप पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने देनी चाहिए चाहे खुले आम भाजपा को आप पार्टी के विश्वास मत में गैरहाजिर होने के संकेत ही क्यूँ न देने पड़ जाये तभी भाजपा दिल्ली में सभी लोकसभा सीट निकाल सकती है दूसरा जो मीडिया ने मिटटी का शेर केजरीवाल खड़ा किया है उसको बेनकाब किया जा सकेगा अन्यथा यह बारहा मन कि धोब्बन यूही "तन डोले मेरा मन डोले " अंदाज में लहराती रहेगी
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लोग बड़े भोले और नादान है जो सोचते है कि भाजपा बहुत स्मार्ट है मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारी गोटी वो ही ही बिछा रही है परन्तु लोगो को पता होना चाहिए कि कम्युनिस्ट और नक्सली सो नहीं रहे है और न ही जेनयू के बन्दर, सभी जुगत में है कि बंगाल के बाद क्या करे कि फिर से भारत में वाम दल दोबारा से मुख्यधारा में कूद जाये। इसलिए इन्होने आप पार्टी आविष्कार किया जो अब दिल्ली को बंगाल बनाएगी। दिल्ली वालो अब पता चलेगा वाम दल का क्या बल है. वैसे आप लोगो को याद होगा सत्तर के दशक में एक " दम मारो दम " गैंग था बस वो ही है आप पार्टी। कम्युनिस्ट धीरे से आयंगे और भारत कि अर्थव्यवस्था को पचास के दशक में ले जायेंगे। भाजपा नहीं कम्युनिस्ट भी चतुर है जो तीसरा तीसरा ऑप्शन कि बात करते है, कोंग्रेस भाजपा को एक तराजू में तोलते है वो केवल और केवल कम्युनिस्टो कि सत्ता में पकड़ को मजबूत बनाने का जुगाड़ कर रहे होते है. दिल्ली फंस गई भइया। दोस्तों दिल्ली का रंग बदल रहा है भगवा से कही लाल न हो जाये पता नहीं संसेक्स वाले भी मेरी बात सुन रहे है कि नहीं।
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आप पार्टी के दूसरे नंबर कि पार्टी दिल्ली में बनने के बाद भाजपा को थोडा फूंक फूंक कर कदम उठाना पड़ेगा। खास तौर से नॉन सीरियस टीवी प्रवक्ता के मामले में। कृपया भाजपा ध्यान दे कुछ एक प्रवक्ता अपनी ड्रेसिंग पर ज्यादा तर्कों और भाव भंगिनाओ पर कम ध्यान दे रहे है। पता नहीं क्यों आप पार्टी के जवाब उलजलूल तरीके से देकर दिग्विजय सिंह कि भाषा बोल रहे है। भाजपा जिस के पास बुद्धिजीवी हैं तो शेरो श्यारी वाले या दम्बी प्रवक्ता या कथित बड़े नेता (पूर्व में मंत्री परन्तु आज फ्रस्ट्रेटेड ) टीवी पर न भेजे। यह एक चेतावनी है अन्यथा कोंग्रेस का ग्राफ उठने और मोदी जी का गिरने में ज्यादा समय नहीं लगे गा. वक्त बहुत बलवान होता है। भाजपा कि दिशा ठीक है परन्तु सचेत बने रहना है नहीं तो प्रवक्ताओ कि कॉमेडी बहुत भरी पड़ेगी।
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आप पार्टी के जीतने के बाद एक दम से माओ कि बाते यादे आने लगी कुछ पत्रकारो को कुछ दिनों में माओ कि निति आने लगे गी। फिर जंगलो से नक्सली दिल्ली में आएंगे जेएनयू के बन्दर टीवी पर इनको भगत सिंह के बराबर बैठा कर इन का गुण गान करेंगे। और फिर अंत में माओवाद कि नीतिए भारत पर लागु हो जाएँगी और एक सड़क भी बनेगी दिल्ली से बीजिंग वाया देहरादून - काठमांडू - ल्हासा - चेन्द्गु - बीजिंग। प्रकाश करात, वृंदा करात और सीता राम येचुरी ख़ुशी छुपाय छिप रही उधर पाकिस्तान कश्मीर कि नीति को लेकर आप पार्टी के प्रशांत भूषण के अगले बयान का इन्तजार कर रहा है।
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जिसका मुझे था इन्तजार वो स्टेटमेंट आ गई, आप पार्टी के दिल्ली में कुछ एक सीटे ज्यादा आने के बाद श्री मान प्रशांत भूषण जी ने पाकिस्तानी ओ को खुश करने के लिए और चीन और अमेरिका से होंसला अफजाई के लिए बोला है
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भाई कॉमेडी कि इन्तिहा हो गई। आम पार्टी कि १८ शर्ते देखी । वाकई में आम पार्टी के नेता इतने बड़े डफर होंगे यह तो सोच भी नहीं सकते। चलो शर्ते दी तो दी पर यह क्या कि इनके जवाबो को लेकर जनता के पास जायेंगे और फैसला जनता के बीच करेंगे। वैसे ऊपर से देखने में तो यह बड़ा अच्छा लगता है परन्तु यार यह जनता कौन है जो हर बात के हर रोज फैसले लेगी और अनाम भीड़ को चौराहे पर कैसे फैसला ले सकते है। जनता ही ने तो आप विधायक बना है निर्णय लेने के लिए अब अपनी कमियों का ठीकरा जनता पर क्यूँ ? यह उलजलूल हरकते आम पार्टी को बड़ी भारी पडने वाली है।
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कोंग्रेस और भाजपा के दो तरफ़ा लड़ाई में "कथित प्रगतिशील " ताकते राज्ये में हमेशा से त्रिकोणीय मुकाबला दिखाना चाहती है इसमें कोई शक नहीं कि वाम दल अपनी कमियों को छुपाने के चक्कर में मीडिया का सयहोग लेकर प्रदेश कि जनता को भरमाने के लिए ऐसी ही किसी शक्ति का साथ लेती है अब वो बादल परिवार से टूटे आदमी को लेकर पंजाब का मुकाबला त्रिकोणीय बनाना हो आप पार्टी को लेकर दिल्ली या फिर राजस्थान में किसी आदिवासी मीणा को लेकर हो या फिर हिमाचल में त्रिकोणीय मुकाबलो कि झूठा मौहल खड़ा करना हो वैसे इनको बिहार उत्तर परदेश में मायावती और मुलायम के रूप में सफलता जरुर मिली है और भी जगह मिल सकती है. और यह ही शिखंडी वाम दलो कि रणनीति है. आज दिल्ली में भी आप के माधयम से एंट्री करना चाहती है. इन कथित त्रिकोणीय मुकाबले के निर्वरोध रूप से लाभकर्ता वाम दल राष्ट्रिय राजनीती में और प्रादेशिक परिपेक्ष में कोंग्रेस है. फैसला आपका है.
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जो दिल्ली में "आप' का प्रदर्शन मान रहे है चुनाव में वो असल में आप का नहीं वाम का असर है. दिल्ली कही नक्सली कम्युनिस्टो का गड़ न बन जाये।
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वाम दलो कि सोची समझी रणनीति है "आप " वो भी दिल्ली में।
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सरासर बेमानी है "आप " को वोट इतने मिल ही नहीं सकते। किसी भी कीमत में. जो पार्टी ५० - ५० साल से जनता के बीच काम कर रही है उनको १० विधायक नहीं मिल पाते। झूठ कोरा झूठ और बकवास है आप पार्टी कि इतनी सीट पर। कोंग्रेस भी आ जाती तो इतना आश्चर्य नहीं था दुबारा परन्तु इस झूठ को तो पकड़ना ही होगा नहीं तो लोगो को मिलेगा डा. विश्वाश का ठुल्ला !!!
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सूत्रो के मुताबिक आप पार्टी ने दिल्ली में फर्जीवाड़ा कर वोटरो को फंसाने के बाद अब लोकसभा पर नजर गड़ा दी। पर लाख टके का प्रशन है कि दूसरा अन्ना हजारे कहाँ से लायेंगे। और पहले वाला रिपीट नहीं होगा !!!!!!!!!!
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सोचो यदि कल प्रकाश करात, सीता राम युचुरी और वृंदा करात दिल्ली से लोक सभा का चुनाव लड़े और वो भी आम आदमी कि सहयोग से और जीत भी जाये तो क्या होगा भारत कि अर्थव्यवस्था का ? खैर दिल्ली वाले इतनी दूर कि सोचते कहाँ है क्यूंकि दिल्ली तो गूंगी और बहेरी पहले सी थी पर शायद नजरे भी कमजोर हो गयी. वैसे आप पार्टी के जितने से जितने आप वाले खुश है उतने ही कुछ मीडिया वाले और पाकिस्तानी भाई भी खुश है.
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लोग बड़े भोले और नादान है जो सोचते है कि भाजपा बहुत स्मार्ट है मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारी गोटी वो ही ही बिछा रही है परन्तु लोगो को पता होना चाहिए कि कम्युनिस्ट और नक्सली सो नहीं रहे है और न ही जेनयू के बन्दर, सभी जुगत में है कि बंगाल के बाद क्या करे कि फिर से भारत में वाम दल दोबारा से मुख्यधारा में कूद जाये। इसलिए इन्होने आप पार्टी आविष्कार किया जो अब दिल्ली को बंगाल बनाएगी। दिल्ली वालो अब पता चलेगा वाम दल का क्या बल है. वैसे आप लोगो को याद होगा सत्तर के दशक में एक " दम मारो दम " गैंग था बस वो ही है आप पार्टी। कम्युनिस्ट धीरे से आयंगे और भारत कि अर्थव्यवस्था को पचास के दशक में ले जायेंगे। भाजपा नहीं कम्युनिस्ट भी चतुर है जो तीसरा तीसरा ऑप्शन कि बात करते है, कोंग्रेस भाजपा को एक तराजू में तोलते है वो केवल और केवल कम्युनिस्टो कि सत्ता में पकड़ को मजबूत बनाने का जुगाड़ कर रहे होते है. दिल्ली फंस गई भइया। दोस्तों दिल्ली का रंग बदल रहा है भगवा से कही लाल न हो जाये पता नहीं संसेक्स वाले भी मेरी बात सुन रहे है कि नहीं ?????????????
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भाजपा सावधान !!!!!! आप पार्टी का कोई उद्देश्ये नहीं है सरकार दिल्ली में बनाने का वो इस स्थिति लोकसभा चुनाव तक चलाना चाहते है. हाँ आप पार्टी के एम् एल ये को सम्पर्क करने वालो का स्टिंग तैयार हो रहा है. सावधान भाजपा!!!! आप पार्टी ने देश में आपको और कोंग्रेस को एक ही तरजू में रखा है और आप कि इमेज को ख़राब करने के लिए यह कोंग्रेस का खेल है.
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मानलो कल दिल्ली में वास्तव में आप पार्टी कि सरकार बन ही गई तो क्या केजरीवाल मुख्यमंत्री बनेगे ? नहीं क्यूंकि शेर कि खाल पेहेन कर गधा डरा जरुर सकता है परन्तु शिकार नहीं कर सकता
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भाजपा को हर हालत में आप पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने देनी चाहिए चाहे खुले आम भाजपा को आप पार्टी के विश्वास मत में गैरहाजिर होने के संकेत ही क्यूँ न देने पड़ जाये तभी भाजपा दिल्ली में सभी लोकसभा सीट निकाल सकती है दूसरा जो मीडिया ने मिटटी का शेर केजरीवाल खड़ा किया है उसको बेनकाब किया जा सकेगा अन्यथा यह बारहा मन कि धोब्बन यूही "तन डोले मेरा मन डोले " अंदाज में लहराती रहेगी
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वैसे कोंग्रेस कि जनित आप पार्टी कि जीत से कोंग्रेस को लाभ कितना हुआ है. अरे भाई सारा लाभ तो कोंग्रेस का ही है.
१. दिल्ली गवां कर ऐसे जैसे ऊँगली कटा कर शहीद।
२. मीडिया भाजपा को ऐसे हड़का रहा है जैसे १५ साल से दिल्ली में उसने राज किया और भ्रष्टाचार किया और भाजपा के नेता भी चैनल उलजलूल बोल रहे है ३. जो कोंग्रेस चाहती है. मतलब भाजपा कि तीन राज्यो में सरकार और अंधी कि तरह का बहुमत फिर भी भाजपा कठघरे में कि वो सरकार क्यूँ नहीं बना रही।
४. कोंग्रेस ने भाजपा को आप पार्टी के सामने ऐसे खड़ा कर दिया जैसे भाजपा ने कोई पाप कर दिया हो.
५. चलो लोक सभा तक राहुल गांधी का पिंड छूटा अब मीडिया ने चालू कर दिया कि जैसे अडवाणी के रथ को लल्लू ने बिहार में रोका था वैसे मोदी के रथ को केजरीवाल ने रोका। सो फोकस मोदी के विरुद्ध केजरीवाल पर होगा राहुल गांधी कि जान बची। स्कैम कि बात तो कोई नहीं करेगा अब।
६. अंत में चारो तरफ क्लीन क्लीन चल रहा है क्यूंकि आप पार्टी आ गई कही ऐसा न हो कि दिल्ली कि जनता इतनी क्लीन न हो जाये कि अगले चुनाव तक कि हलक से जबान बहार आ जाये क्यूंकि न तो बिजली के बिल कम होंगे न भरष्टाचार रुकेगा , न ७०० लीटर पानी मिलेगा और कही सच में बाबा जी का ठल्लू देने वाले इस को तो ठुल्लु नहीं कहे रहे तो जो आप पार्टी ने दिल्ली कि जनता को सरकार न बनायंगे और न बनाना देंगे।
वैसे राज्ये सरकारो ने टीवी में बिना मतलब के विज्ञापन देकर लोकसभा का जल्द होने के संकेत तो दे ही दिए।
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भाजपा को हर हालत में आप पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने देनी चाहिए चाहे खुले आम भाजपा को आप पार्टी के विश्वास मत में गैरहाजिर होने के संकेत ही क्यूँ न देने पड़ जाये तभी भाजपा दिल्ली में सभी लोकसभा सीट निकाल सकती है दूसरा जो मीडिया ने मिटटी का शेर केजरीवाल खड़ा किया है उसको बेनकाब किया जा सकेगा अन्यथा यह बारहा मन कि धोब्बन यूही "तन डोले मेरा मन डोले " अंदाज में लहराती रहेगी
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लोग बड़े भोले और नादान है जो सोचते है कि भाजपा बहुत स्मार्ट है मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए सारी गोटी वो ही ही बिछा रही है परन्तु लोगो को पता होना चाहिए कि कम्युनिस्ट और नक्सली सो नहीं रहे है और न ही जेनयू के बन्दर, सभी जुगत में है कि बंगाल के बाद क्या करे कि फिर से भारत में वाम दल दोबारा से मुख्यधारा में कूद जाये। इसलिए इन्होने आप पार्टी आविष्कार किया जो अब दिल्ली को बंगाल बनाएगी। दिल्ली वालो अब पता चलेगा वाम दल का क्या बल है. वैसे आप लोगो को याद होगा सत्तर के दशक में एक " दम मारो दम " गैंग था बस वो ही है आप पार्टी। कम्युनिस्ट धीरे से आयंगे और भारत कि अर्थव्यवस्था को पचास के दशक में ले जायेंगे। भाजपा नहीं कम्युनिस्ट भी चतुर है जो तीसरा तीसरा ऑप्शन कि बात करते है, कोंग्रेस भाजपा को एक तराजू में तोलते है वो केवल और केवल कम्युनिस्टो कि सत्ता में पकड़ को मजबूत बनाने का जुगाड़ कर रहे होते है. दिल्ली फंस गई भइया। दोस्तों दिल्ली का रंग बदल रहा है भगवा से कही लाल न हो जाये पता नहीं संसेक्स वाले भी मेरी बात सुन रहे है कि नहीं।
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आप पार्टी के दूसरे नंबर कि पार्टी दिल्ली में बनने के बाद भाजपा को थोडा फूंक फूंक कर कदम उठाना पड़ेगा। खास तौर से नॉन सीरियस टीवी प्रवक्ता के मामले में। कृपया भाजपा ध्यान दे कुछ एक प्रवक्ता अपनी ड्रेसिंग पर ज्यादा तर्कों और भाव भंगिनाओ पर कम ध्यान दे रहे है। पता नहीं क्यों आप पार्टी के जवाब उलजलूल तरीके से देकर दिग्विजय सिंह कि भाषा बोल रहे है। भाजपा जिस के पास बुद्धिजीवी हैं तो शेरो श्यारी वाले या दम्बी प्रवक्ता या कथित बड़े नेता (पूर्व में मंत्री परन्तु आज फ्रस्ट्रेटेड ) टीवी पर न भेजे। यह एक चेतावनी है अन्यथा कोंग्रेस का ग्राफ उठने और मोदी जी का गिरने में ज्यादा समय नहीं लगे गा. वक्त बहुत बलवान होता है। भाजपा कि दिशा ठीक है परन्तु सचेत बने रहना है नहीं तो प्रवक्ताओ कि कॉमेडी बहुत भरी पड़ेगी।
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आप पार्टी के जीतने के बाद एक दम से माओ कि बाते यादे आने लगी कुछ पत्रकारो को कुछ दिनों में माओ कि निति आने लगे गी। फिर जंगलो से नक्सली दिल्ली में आएंगे जेएनयू के बन्दर टीवी पर इनको भगत सिंह के बराबर बैठा कर इन का गुण गान करेंगे। और फिर अंत में माओवाद कि नीतिए भारत पर लागु हो जाएँगी और एक सड़क भी बनेगी दिल्ली से बीजिंग वाया देहरादून - काठमांडू - ल्हासा - चेन्द्गु - बीजिंग। प्रकाश करात, वृंदा करात और सीता राम येचुरी ख़ुशी छुपाय छिप रही उधर पाकिस्तान कश्मीर कि नीति को लेकर आप पार्टी के प्रशांत भूषण के अगले बयान का इन्तजार कर रहा है।
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जिसका मुझे था इन्तजार वो स्टेटमेंट आ गई, आप पार्टी के दिल्ली में कुछ एक सीटे ज्यादा आने के बाद श्री मान प्रशांत भूषण जी ने पाकिस्तानी ओ को खुश करने के लिए और चीन और अमेरिका से होंसला अफजाई के लिए बोला है
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भाई कॉमेडी कि इन्तिहा हो गई। आम पार्टी कि १८ शर्ते देखी । वाकई में आम पार्टी के नेता इतने बड़े डफर होंगे यह तो सोच भी नहीं सकते। चलो शर्ते दी तो दी पर यह क्या कि इनके जवाबो को लेकर जनता के पास जायेंगे और फैसला जनता के बीच करेंगे। वैसे ऊपर से देखने में तो यह बड़ा अच्छा लगता है परन्तु यार यह जनता कौन है जो हर बात के हर रोज फैसले लेगी और अनाम भीड़ को चौराहे पर कैसे फैसला ले सकते है। जनता ही ने तो आप विधायक बना है निर्णय लेने के लिए अब अपनी कमियों का ठीकरा जनता पर क्यूँ ? यह उलजलूल हरकते आम पार्टी को बड़ी भारी पडने वाली है।
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आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन मोहम्मद रफ़ी साहब और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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