Saturday, July 23, 2011

भारत माता की चिता की ये वो लकडिया है जिनको हम हिंदुस्तान का तथाकथित "बुद्धिजीवी वर्ग" कहते है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!


भारत देश के बुद्धिजीवी वर्ग में एक बहुत बड़ा भाग उन लोगो का है जो एक खास विचारधारा से तालुक रखते है और भारत, हिन्दू और उससे से जुडी हर चीज से नफरत करते है. नफरत का आलम यह है की नफरत करते करते यह लोग देश के दुश्मनों की गोद में जा बैठे. मुझे  प्रतिकार है उन लोगो से जो लोग इन बुद्धिजीविओ को "भोला" कहकर पुरे के पुरे मामले को हल्का बनाने में लगे है. पिछले दिनों भारत देश के सनातनी दुश्मन दुष्ट पकिस्तान की जासूसी संस्था आई एस आई का एजेंट सैयद गुलाम नबी फाई अमेरिका में पकड़ा गया. फाई पर अमेरिकी कानूनों के तहत इस बात के लिए गिरफ्तार किया है की वो गैरकानूनी तौर से अमेरिका में किसी खास मकसद के लिए पकिस्तान के लिए लोबिंग कर रहे थे. जबकि फाई ने पाकिस्तानी स्टैंड को कश्मीर के मामले में पुख्ता करने के लिए भारत के "हिन्दू बुद्दिजीवियो" का इस्तेमाल किया है. "हिन्दू बुद्धिजीविओ" से तात्पर्य मेरा उन लोगो से है जो "गलती" से हिन्दू तो है परन्तु उनकी मानसिकता हिन्दुओ को हीनता से देखने की है. और उसी मानसिकता के चलते वो "भारत माता की चिता की लकड़ी" बनने के लिए भी तैयार हो गए है. क्या में पूछ सकता हूँ

जस्टिस सच्चर जो की आई एस आई के एजेंट फाई की भारत विरोधी स्टैंड लेने वाली कश्मीरी अमेरिकी काउंसिल में प्रखर वक्ता के रूप में शामिल हुए है, क्या इतने "भोले" है जिन्हें यह तो पता है की अतंकवादियो को दण्डित करने के लिए भारतीय कानून "पोटा" को क्यूँ हटाना चाहिए. जिसको भारत सरकार इस लायक समझती है की वो देश के अलाप्संख्यको के बारे में "सच्चर रिपोर्ट" दे सकता है, जो दिल्ली के हाई कोर्ट में २० साल निर्णय सुना सकता है. परन्तु वह इतना नादान है की उनको पता ही नहीं की वो किसके यहाँ और किसके पैसे पर ठहरे है. वो तो पाकिस्तानी पैसे से ऐश करते करते देश के दुश्मनों की भाषा ही बोलने लगा. इस कांग्रेस की यू पी ऐ सरकार का कोई दीन ईमान तो है ही नहीं जो चुन चुन कर ऐसे ही लोगो को सरकारी पद और "पदम् भूषण" बाँटती है जो फ्रीडम ऑफ़ स्पीच इतना चाहती है की देश की फ्रीडम ख़तम हो जाये. कांग्रेस सरकार ने जस्टिस सच्चर को ने केवल सम्मानीय बना रखा है बल्कि सरकारी पद पर भी सुशोभित किया हुआ है, 

यह एक केस नहीं दुसरे सज्जन दिलीप पड़गोंकर है जिसको इसी सरकार ने कश्मीर के लिए "तीन सदस्य" वार्ताकार में से एक में अपोइन्ट किया हुआ है. और यह शख्स भी जिस मुद्दे के लिए नियुक्त किया गया है उसी मुद्दे (कश्मीर) से सम्बंधित मुद्दे पर धुर विरोधी दुश्मन के पैसे से पल्वित संस्था में प्रवक्ता बनता है. 

बात यहीं ख़त्म नहीं हो जाती भारत के प्रधानमंत्री अपने पी एम् ओ में ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करते है वो भी "मीडिया सलाहकार" के रूप में जो पाकिस्तानी एजेंट फाई की पार्टियो और सेमिनारो में आई एस आई के पैसे पर ऐश करता हो. श्री हरीश खेरे एक ऐसे ही शख्स है जो अमेरिका में आई एस आई के पैसो की रोटी तोड़ते है और फिर हिन्दुस्तान में देश के प्रधानमंत्री को सलहा देते है. एक बात का अवश्य ध्यान दे की यह सब सरकार से जुड़े लोग है कोई एरे गेरे "पत्रकार" नहीं है. इनकी सेवाए इधर भारत सरकार ले रही है और उधर पाकिस्तान सरकार भारत देश से कश्मीर को अलग करने के ले रही है .

रीता मनचंदा, वेद भसीन, प्रफुल बिदवई, जे एन यू के प्रोफ़ेसर सहाभ कमल शिनॉय, हेड लाइन टुडे के इन्वेस्टीगेशन संपादक मोहदय श्री हरिंदर बवेजा ध्यान दे यह चेनल में इन्वेस्टीगेशन संपादक है जिनके चैनल ने राष्ट्रीय स्वम सेवक संघ को "भगवा आतंकवादी" होने का न केवल झूठा आरोप लगाया बल्कि बड़े ही विकृत तरीके से देश के लोगो के गले में यह बात उतरवाई की जैसे इस्लामिक आतंकवाद होता है उसी प्रकार से हिन्दू आतंकवाद भी होता है. तो क्या बवेजा सहाभ हम यह मान ले की पकिस्तान की आई एस आई के पैसे से हुई आपकी मिजाज पुरसी का पाकिस्तानियो को "हिन्दुओ को आतंकवादी घोषित" करके आप अहसान चुका रहे हो. अरे यार अहसान भी क्या यह तो एक धंधा है की तुम मुझे "वो" दो मैं तुम्हे "यह" दूंगा. अरे यार क्या "बार्टर सिस्टम" नहीं है यह ? 

हमने जितनी भी बार श्री गौतम नवलखा को टीवी पर सुना हमेश भारतीय स्टैंड का कश्मीर पर लिए गए रुख के विरोध में ही दोहराते हुए दिखा. अच्छा मित्रो इनमे एक और बहुत बड़ी समानता है जो भी उप्रोलिखित लोग है  इनमे गजब की समझदारी है, हिन्दुओ के प्रति इनकी सोच बड़ी ही विकृत है हिंदी , हिन्दू , हिंदुस्तान से इनको चिड है और देश की मीडिया में बड़े ही महिमा मंडित और प्रतिष्टित लोग है. 

यह लोग (कई एक ) उस सरकार के प्रतिनिधि है जिस सरकार की अधिष्टात्री देवी श्री मति सोनिया गाँधी है. जैसे की सोनिया गाँधी जी के द्वारा गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् के मुर्धन्ये विद्वान् श्री हर्ष मनधर  जी इसलिए "अन्ना समर्थन" को जंतर मंतर नहीं जाते क्यूंकि वहां पर संघ की "भारत माता" का चित्र लगा है. यह वो लोग है जो हुसैन की नंगी बनाई हुई "भारत मात" को तो शीश नवाते है परन्तु संघ की बनाई "भारत माता" की तस्वीर होने की वजह से उस स्थान पर ही नहीं जायेगे. देख रहें है मित्र आप कुतर्को की क्या सीमाए है. देशद्रोही सरकार के अन्दर होकर न केवल भारत की आत्मा "हिन्दू " को पिछले कई दशको से न केवल तिरस्कार और पारितडित कर रहे है बल्कि उसको छोटा बना कर देश के दुश्मनों के हाथ भी बेच रहे है. इन सब को एक बात और में बताना चाहता हूँ की अंग्रेजी में अंग्रेजी के अखबारों में लिख कर आप कोई "तुलसीदास" नहीं बन गए हो. आप इस देश के विरोधियो के हाथो में खेलने वाले और देश को बेचने वालो की कैटागिरी में खड़े हो चुके हो. आज प्रशन आप से पत्रकार पूछ रहे है कल आपसे देश की सुरक्षा एजेंसिया पूछेंगी.
 
बड़ा प्रशन यह है की जिनको सरकार अलाप्संख्यको की तथकथित दुर्गति (जो की कांग्रेस राज में ही हुई है) जानने के लिए सच्चर कमिटी या कश्मीर में जनता का विचार जान ने के लिए नियुक्त किये गए वार्ताकार, या पी एम् ओ में भारत सरकार की बात रखने के लिए नियुक्त किए गए लोग जब अपनी पतलून बाँधने के लिए पैसे भी पाकिस्तानी आई एस आई से ले रहे है तो उनको मालुम कैसे मालूम हो सकता है की वो देश विरोधी शक्तियों के साथ हो चुके है. वहा क्या मासूमियत है. मामला इतना हल्का नहीं है "मेरे भोले बुद्धिजीविओ" इतनी आसानी से यह देश की जनता आपको छोड़ने वाली नहीं है. जब राजा को, कलमाड़ी को, कोनिमोज्झी को नहीं छोड़ा तो अमन पसंद सरदार मनमोहन सिंह की सरकार और श्री मति सोनिया गाँधी आपको कैसे छोड़ देंगी. राहुल गाँधी तो वैसे ही दलालों और देशद्रोही के खिलाफ है वो भी आपको सलाखों के पीछे करने में पीछे नहीं रहेंगे. क्यूँ मेरे कांग्रेसी मित्रो मैं सही कह रहा हूँ न?


मित्रो में इन बुद्धिजिविओ के लिए एक कहानी सुनाता हूँ. एक बार एक गाव में सूखा पड़ा, किसान बेचारा परेशान था. उसका एक १० एकड़ का खेत था परन्तु पानी की कमी की वजह से फसल सूख रही थी. सारे जतन कर चूका था परन्तु कही कुछ भी नहीं हो रहा था. महंगे बोरिंग भी करवाए परन्तु वो फेल होगये, पानी उनमे निकला नहीं. अब बोरिंग कराना भी एक महंगा सौदा है बार बार तो कोई करा भी नहीं सकता. किसान की परेशानी देख कर उसकी पत्नी ने गाव में ही एक "बाबा" पर जाने के लिए किसान से बोला पर वो बाबा था फर्जी . अब किसान को पता तो था की बाबा फर्जी है परन्तु पत्नी के दबाव और परेशानी से घिरा होने के कारण चला गया और उसको अपने घर बुला लाया. आते ही बाबे ने किसान की पत्नी को खर्चे की लिस्ट थमा दी और बोला पहले यह सब लाओ तब में कुछ करूँगा और सब कर्मकांड करने के बाद में भोजन भी होगा. अब लिस्ट देखते ही किसान का माथा चकरा गया, बोला यार पहले ही क्या खर्चा कम हुआ है जो इस मुसीबत में यह एक और खर्चा आन पड़ा. परन्तु मरता क्या न करता बीवी पर "फर्जी बाबा" का असर ही इतना था की करना पड़ा. सब कुछ करने के बाद वो किसान बाबा के पास गया और बोला की बाबा सामन तो में लेकर आगया परन्तु थोडा जानकारी के लिए बता तो दे. की आप करेंगे क्या? बाबा बोले हम तुम्हे बोरिंग करने का एक ऐसा स्थान बतांगे जहाँ पर बोरिंग करते ही उसमे से पानी ही पानी निकल पड़ेगा. और तुम्हारी फासले हरी भरी हो जाएगी. किसान ऐसा सुन कर चला गया, परन्तु उसके मन में शंका बनी रही क्यूंकि जानता था की बाबा फर्जी है. वो सीधा अपनी पत्नी के पास पहुंचा और बोला भागवान तू सब कुछ तो कर रही है मेरा भी एक कहना मान ले. की जब कर्मकांड के बाद यह बाबा भोजन करेगा जो भी हलवा, पूरी, खीर तुने बनाई है उसमे एक काम करना. की जब खाने के बाद खीर देगी तो उसमे शक्कर, घी और खीर अलग अलग डालना, मतलब पहले शक्कर डालना, फिर घी डालना और उसके बाद चावलों की दूध की खीर को डाल देना (जो लोग हरियाणा और पश्चिम उप्र के लोग है वो जानते है की गाँव में अमूमन ऐसे ही खीर सर्व की जाती है) किसान की पत्नी मान जाती है और ऐसा ही करती है. अब बाबा आता है कर्मकांड करने के बाद भोजन पर बैठता है. जैसे ही खीर आती है तो खीर में ऊपर से चमच मारता है कहेता है की इस में शक्कर तो है ही नहीं भागवान. दरवाजे के पीछे खड़ा लठ (डंडा) लिए किसान बहार निकलता है और बाबा के ऊपर दनादन खड़ा लठ बजाने लगता है, बाबा पिटते पिटते बोलता है की मुझे मार क्यूँ रहे हो. किसान बोलता है अबे बाबे जब तुझे एक बिल्हेंद (हथली जितनी) जितनी कटोरी में शकर नहीं पा रही तो मेरे १० एकड़ के खेत में पानी कैसे ढूंढ़ लेगा.

 
खैर मित्रो यह तो कहानी थी परन्तु इन "भोले मुर्धन्ये पत्रकारों" से कोई तो पूछो के जब बुद्धि होने का इतना दम भरते हो और सरकारी पदों पर पहुंचकर देश की समस्याओ को सुलझाने का दावा करते हो तो तुम लोगो को अमरीकी यात्रा और उस समेलन में भारत विरोधी रेसूलेशन पास होने पर पाकिस्तान का अता पता नहीं लगा? एक नहीं कई कई बार आप यात्रा करते है और आज अनिभीज्ञ  होने का ढोंग कर रहे हो. अंग्रेजी के अखबारों में अंग्रेजी में लिखते हुए देश पर आज नहीं आज से बीस साल बाद आने वाली समस्या पर भी अपनी कलम घिसते हो और तुम्हे वहा पर कट्टर पाकिस्तानी और देश के दुश्मनों के बीच शामिल होने के बाद भी यह अह्साहस नहीं हुआ की आप दुश्मनों के खेल का मोहरा बन रहे हो. खैर मुद्दा इतना गंभीर है की इसको पत्रकार वार्ता और बहस से बहार निकाल कर देश की सुरक्षा एजेंसी इसका संज्ञान ले. या सुप्रीम कोर्ट इसमें पहल करे क्यूंकि सरकार से तो उमीद नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट देश के सामने दूध का दूध और पानी का पानी करे और देश की "भोली" जनता को बताये की देश को इन लोगो ने "सरकार में ऊँची पहुँच" के चलते अपने संबधो और स्टेटस से देश की सुरक्षा और उसकी प्रतिबधता को कितना नुक्सान पहुचाया है.

दूसरा मुझे देश के हिन्दुओ से कहेना है की क्यूँ न हिन्दू होने के नाते हम लोगो को इनका "हुक्का पानी" बंद कर देना चाहिए. यह वो लोग है जिन्होंने परोक्ष रूप से देश की हितो को देश के दुश्मनों को बेचा है. जब अमेरिका डॉ. फाई को सिर्फ इस आधार पर पकड़ सकता है की वो वहां पर रजिस्टर्ड लोबिस्ट नहीं था जब की डॉ. फाई से अमरीका की सुरक्षा को कोई खतरा है नहीं है. परन्तु यहाँ हिंदुस्तान के बुद्धिजीविओ ने तो भारत का एक प्रदेश बेच ही दिया ऊपर से तुर्रा यह है की यह "भोले" है. इन लोगो के रिश्तेदारों को और परिवार वालो को दबाव बनाना चाहिए. अरे यार बिचारे हिन्दुस्तान के मुसलमानों को भी तो लोग आई एस आई से संबध होने पर उनसे सम्बन्ध तोड़ने का दबाव बनाते है तो क्यूँ नहीं इन "देश द्रोहियो" का सामाजिक बहिष्कार किया जाये. देश की सारी मीडिया इनका बहिष्कार करे, कॉकटेल पार्टियों में इनका बहिष्कार करे, सरकार इनको सरकारी पदों से मुक्त करे, सुरक्षा एजेंसिया इनसे पूछ ताछ करे.
इस बार पाकिस्तान ने हिंदुस्तान के मर्म पर चोट की है, हिन्दुओ को ही हिन्दू भारत का तोड़ने के लिए इस्तेमाल किया

मित्रो लकड़ी के कटने का कोई रास्ता न होता, यदि लोहे की कुल्हाड़ी में लगा लकड़ी का दस्ता न होता.

इसी लकड़ी के दस्ते से पाकिस्तान हिंदुस्तान का सर काटने का मंसूबा पाले था. और जो लोग इस मामले को हल्का बनाने में लगे है वो जान ले की क्यूँ नहीं डॉ. फाई ने किसी बीजेपी, संघ, शिव सेना से जुड़े किसी पत्रकार या बुद्धिजीवी को नहीं बुलाया.

मित्रो ध्यान तो जे एन यू पर भी देना होगा की सारे "पटबीजने" यहीं क्यूँ पैदा होते है. वैसे बहन उमा भारती ने तो यहाँ तक कह दिया था की यदि देश बचाना नहीं तो इस जे एन यू को बंद करना होगा. खैर विषये दूसरा है परन्तु है तो गंभीर.

सप्रंग (एक) की सरकार ने तो कोमुनिस्टओ के कहने पर नेपाल को ही हिन्दू विहीन कर दिया. क्या इनके कहेने पर सप्रंग (दो) कश्मीर को भी पकिस्तान को देने की तो कहीं तयारी नहीं कर रही. सप्रंग सरकार में इन "भोले" बुद्धिजीविओ की पहुँच देखकर शंका तो होती है. हंसी भी आती है इस दुसहास पर और रोना भी आता है. कल टाइम्स नाउ पर सच्चर कह रहा था की "आजाद कश्मीर" में एसा नहीं है. मतलब भाषा भी पाकिस्तानी बोली जा रही है. जब सारा देश उसे पकिस्तान अधिकृत कश्मीर बोलता है तो यह जनाब उसे "आजाद कश्मीर" बता रहे है. खैर यह तो शुरुवात है अब सुरक्षा एजेंसिओ को इन लकड़ी के हत्थों को ख़तम ही करना होगा. नहीं तो  इन लकडियो ने तो भारत माता की चिता में सजने की तयारी कर ली थी.

5 comments:

  1. यह तो हद है कि फाई ने क्या कहा लोगों को पता ही नहीं चला और ऊपर से हमारे यहां के बुद्धिजीवी फाई की गिरफ्तारी को लेकर चिल्ला रहे हैं>

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  2. ऐसे बुद्धिजीवियों को बुद्धिजीवी नहीं बेईमानजीवी कहना चाहिये। इन का कोई ईमान नहीं जहाँ हड्डी दिखे लार टपकाते चले जायेंगे।

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  3. bahut hi chinta jamnk stheeti he

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  4. वो लोग जो खुद को बुद्धिजीवी कहते हैं,
    उनसे ए पूछो - औरते माँ ,बहन ,बेटी , बीबी क्यों होती है
    जब की सभी औरतें है ?

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  5. These so called intellectuals are nothing but parasites..

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