मित्रो हम भारत से "भ्रष्टाचार" मिटाने के लिये इतने ही कटिबद्ध है जितने की एक माँ अपने बच्चे के मुह से गंदगी साफ़ करने के लिए होती है. भ्रष्टाचार देश के ऊपर लगा वो कलंक है जिस से देश के तिरंगे का रंग भी धूमिल हो रहा है. यह भारत माता के दुपट्टे पर वो गन्दा दाग है जिस से भारत माता भी शर्मिंदा है. परन्तु क्या श्री अन्ना हज्जारे जी वास्तव में इस दाग को हटाना चाहते है या सिर्फ चंद लोगो के मोहरे बनकर देश को एक अँधेरी खाई में गर्त करना चाहते है. उनके इस गैर जिम्मेदार रवैये और अदुर्दार्शिता के कारण "मैं" उनके आन्दोलन का समर्थन नहीं करता. परन्तु कांग्रेस सरकार का विरोध करता हूँ इस बात के लिए की देश में विरोध करने का अधिकार वो देश के नागरिको से नहीं छीन सकती है.
मैं अन्ना हज्जारे के आन्दोलन का विरोधी हूँ क्योंकि -
- श्री अन्ना हज्जारे एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था को ख़तम करने की साजिश में शामिल है. हो सकता है की भारत की वर्तमान लोकतान्त्रिक व्यवस्था में कई खामिया हो परन्तु न तो श्री अन्ना हज्जारे और न ही उनकी टीम किसी वैकल्पिक व्यवस्था का खाका देश के सामने रख पाई और न ही दुनिए के १२० करोड़ लोगो के लिए ही कोई आस ही जगा पाई सिवाए उनको भरमाने के. यह सच है की हम देश में हिन्दू गौरव से ओतप्रोत शासन पद्दति चाहते हो परन्तु वो तभी लागु होगी जब देश का एक-एक नागरिक उसकी सहमती देता हो जो लोकतान्त्रिक पद्दति पर वजूद हो. देश के जनमानस को किसी वैकैल्पिक व्यवस्था के खाके के बिना भरमाना देश को "गृहयुद्ध" में झोकना है.
- श्री अन्ना हज्जारे एक बहुत ही इमानदार, सादगी और विनम्रता वाले शख्स है परन्तु देखना यह है की क्या इतने बड़े आन्दोलन जिसको की वो "आजादी की दूसरी लड़ाई" कहेते है के लिए अनुभवी है? देश पहेले से ही एक इमानदार, सादगी, विनम्रता वाले प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के प्रताप से भयानक संताप में है. कारण उनके भोले चहरे के पीछे सत्ता के सञ्चालन करने वाले "घाघ" है. तो क्या मैं यह न मान लू की इन अन्ना जी के पीछे इन्ही को संचालित करती शक्तिया भी बहुत बड़ी "घाघ" है. इन घाघो की भविष्य की रणनीति मुझे नहीं पता इसलिए मैं आपका विरोध करता हूँ.
- श्री अन्ना हज्जारे जी की जो वर्तमान टीम है उसकी पृष्टभूमि भी "संदिघ्ध" है. श्री प्रशांत भूषण जी का पी.आई.एल. वाले इशु पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया जो अमर सिंह जी ने मुद्दा उठाया था. जब आप किसी बड़े आन्दोलन को उठाते है तो आपका व्यक्तित्व और संचालको का चरित्र बहुत ही पारदर्शी होना चाहिए. जब श्री अन्ना जी अपने को दूसरा गाँधी कहलवाने में "मन्त्र मुग्ध" होते है तो गाँधी जी के जीवन भी जीये. खाली मीठा मीठा गल्प गल्प और कडवा कडवा थू थू क्यूँ? जब तक महात्मा गाँधी भाए तब तक ठीक और जब वो सूट न करे तब छत्रपति शिवाजी. वहा! क्या दोहरे माप दंड है. जब राजनेता उनके पास आये जैसे की साध्वी उमा भारती आई थी तो उनको भगाया गया की वो नेता है और बाद में नेताओ के घर जा जा कर फोटो खिचवाये श्री अन्ना जी ने. तो क्या यह दोहरा माप दंड नहीं है. श्री अन्ना हज्जारे जी और उनकी टीम से मेरी गुजारिश है की देश में तथाकथित "आजादी की दूसरी लड़ाई " की हुंकार भरने वालो का दोहरा चरित्र स्वीकार्य नहीं है. यह कोई खो खो नहीं हो रहा की आप जब मर्जी जिस मर्जी को आगे कर दे और जब मर्जी भाग खड़े होए. आप ने देश के नोजवानो को घर से बहार निकालने का कृत्ये किया है परन्तु आप नहीं जानते इस जिन्न को बहार निकालना आसान है परन्तु वापस भेजने का चरित्र आपका है ही नहीं. इस दोहरे मापदंड से मैं डरता हूँ इसलिए मैं आपका विरोध करता हूँ.
- श्री अन्ना जी मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ और आपकी बुजुर्गता का सम्मान करता हूँ इसलिए में आपके उपवास और अनशन का भी विरोध करता हूँ. आप न तो बाबा श्री राम देव की तरह योगी है और न ही आप का स्वास्थ्य आपको शाररिक पीड़ा देने की इजाजत ही देता तो क्यूँ नहीं आपके आस पास मंडराते "हट्टे कट्टे" नोजवान अनशन और उपवास रख लेते है. आपके अगल बगल वाले संधिग्ध चरित्र के लोग जो स्वयं अनशन न करके सिर्फ आपकी जय जय कार करना ही इतिश्री मानते है उनके संधिग्ध आचरण के समझ में न आने के कारण मैं आपका विरोध करता हूँ.
- मैं बड़े दावे के साथ कह सकता हूँ की श्री अन्ना हज्जारे जी आप स्वयं भी अपने तथाकथित "जन लोकपाल" बिल की बारीकिय भी नहीं जानते और बिना अपने सहायक केजरीवाल जी के सहयता के आप इस पर "बहस" भी नहीं कर पाते. क्यूंकि आप अपने पथ से स्वयम अनजान है इसलिए मैं आपका विरोध करता हूँ.
- श्री अन्ना जी आपके और आपके हजारो समर्थको में "मुद्दे" पर भटकाव है. मुझे आपके चारो और घिरे चंद समर्थको के अलावो कोई भी "लोकपाल" के विरोध और पक्ष में नहीं लगा सभी भ्रष्टाचार का मुद्दा मान कर आपके साथ है. परन्तु न तो आपने आज तक "भ्रष्टाचार" कैसे हटाया जाये और "काला धन" देश के बहार से कैसे लाया जाये पर आपने अपनी बात रखी सिर्फ और सिर्फ "जन लोकपाल" की तोता रट ही लगा रखी है. आपके और आपके समर्थको के बीच की इस गहेरे "भ्रम" को मीडिया ने अपने शोर से दबा रखा है. अचानक आपके प्रति मीडिया के इस प्रेम ने मुझे शंका में डाल रखा है. मीडिया का आपको जरुरत से ज्यादा या यूँ कहे की आपके आन्दोलन का सञ्चालन मीडिया ही कर रहा है ने मुझे शंकित किया है. इस घोर शंका के कारण मैं आपका समर्थन नहीं करता.
- श्री अन्ना हज्जारे जी देश अब बहुत समझदार होगया है. १९८४ में देश ने एक मासूम चहरे "श्री राजीव गाँधी" जी को देख कर आंखे मूंद कर ४०० से भी ज्यादा लोकसभा की सीटे दे दी थी. लोग जानते है उस मासूम ने देश को "कुत्रच्ची और एंडरसन" के हाथो बेच दिया था. फिर देश ने "एक त्याग की देवी" श्री मति सोनिया गाँधी जी के चहरे पर जाकर सप्रंग को सत्ता में बैठाया था जिसका कुपरिणाम देश आज तक भुगत रहा है. तो अन्ना जी में आपकी मासूमियत से भ्रमित होकर आपका समर्थन नहीं कर पा रहा हूँ.
- श्री अन्ना जी आप स्वयं राजनितिज्ञो के विरोधी है और अपने मंच पर उनके आने को भी पसंद नहीं करते है. देश पहले से ही वर्तमान प्रधानमंत्री के गैर राजनितिक होने का खामियाजा भुगत रहा है. वो चाहए आपका आन्दोलन हो, महंगाई हो, तेलंगाना हो, नक्सलवाद हो, कश्मीर हो या फिर लोकपाल बिल सब पर श्री मनमोहन सिंह जी की राजनितिक अपरिपक्वता की छाप है. हमें मालुम है १२० करोड़ के लोगो को कोई इन्द्रा गाँधी, जवाहरलाल नेहेरू, अटल बिहारी या लाल बहदुर शास्त्री ही संभाल सकता है. कोई खाली टोपी लगा कर चार एन.जी.ओ., वकील बाप बेटा और एक नोकरशाह से देश में महात्मा गाँधी और जय प्रकाश नारयण नहीं बन सकता. देश अब किचेन केबनेट या एन जी ओ टाइप नुकड़ नाटको पर भरोसा नहीं कर सकता. मैं देश के "राजनितिक" लोगो को समर्थन करता हूँ और उन्ही के नेत्रित्व में देश के बागडोर देखना चाहता हूँ क्यूंकि पिछले ६५ वर्षो से में देश को बढ़ते देख रहा हूँ चाहे गति धीरे ही क्यूँ न हो. उनको पसंद करता हूँ क्यूंकि कम से कम उन में कुछ हद तक पारदर्शिता तो है. उनको आज नहीं पर पांच साल बाद हटाने का सपना तो देख ही सकता हूँ परन्तु क्या मैं आपको हटा सकता हूँ? आप आन्दोलन का दम भी भर रहे हो और अपनी टोली के पारदर्शिता भी नहीं चाहते हो. इस सच्चाई को स्वीकार न करने वाले शख्स के साथ मैं नहीं खड़ा हो सकता इसलिए मैं आपका विरोध करता हूँ.
- क्या यह सच नहीं की आप १६ अगस्त को मीडिया का सहारा लेकर देश की संसद को अपमानित नहीं करना चाहते थे. क्या द्रश्य होता वो जब एक तरफ संसद में शोरशराबा हो रहा होता और दूसरी और आप "ध्यान" मुद्रा में अनशन कर रहे होते. देश के मानस पटल पर क्या सन्देश जाता. क्या आप नहीं जानते? क्या आप १२० करोड़ लोगो के लोकतंत्र को अपनी तानाशाही से झुकाना नहीं चाहते थे. ६५ साल के लोकतंत्र और देश के लाखो शहीदों के बलिदान से मिली आजादी के भारत को अपमानित होने से बचाने के लिए मैं आपका विरोध करता हूँ.
- यह कौन झुठला सकता है की १५ अगस्त भारत का स्वतंत्रता दिवस है. है कोई जो अपने स्वतंत्रता दिवस को काला दिवस मनाता है. जो आपने ८से ९ बजे १५ अगस्त को लोगो को अँधेरे में धकेलने के कृत्ये किया है क्या वो नक्सलियों के आन्दोलन से मेल नहीं खाता जो हर स्वतंत्रता दिवस पर बंद की घोषणा करते है. क्यूँ आपने १५ अगस्त का दिन चुना इस अन्धकार करने के लिए लोगो को लाइट बंद करने के लिए. क्या आपके आन्दोलन पर देश विरोधी और नक्सलियो के प्रभाव की छाया नहीं है. क्या पुलिस को यह ही काफी नहीं आपको गिरफ्तार करने के लिए की आप लोगो को देश विरोधी कृत्यों के लिए उकसा रहे है. १५ अगस्त १९४७ को जहाँ देश का चप्पा चप्पा रौशनी से नहा रहा था. उस समय लोगो की लालटेनो में तेल नहीं था तो भी देश का हर वर्ग उन टिमटिमाती लालटेनो से ही गाँव शहर जगमगा रहा था. और आज २१ वी सदी की सुपर पॉवर भारत "एक महाशक्ति" को आप अन्धकार में झोकने का कुकर्त्ये कर रहे है. आप लाख अच्छे आन्दोलन कर रहे है परन्तु इस कृत्ये को माफ़ नहीं किया जा सकता है. आप को मालूम भी है १५ अगस्त के दिन अन्धकार करने का "सांकेतिक" कृत्ये का दूरगामी प्रभाव क्या पड़ता है. क्या आपने एक मिनट के लिए भी सोचा है की देश की राजधानी दिल्ली में १९२ देशो के राजदूतो और अन्य नागरिको ने भारत और उसके नागरिको के बारे में क्या धारणा बनी होगी. आप की इसी अदुर्दार्शिता का मैं समर्थन नहीं करता हूँ.
- यह कौन सा मापदंड है की आपके आन्दोलन को भ्रष्ट वकील चला सकते है, संदिघ्द नौकरशाह चला सकते है, बहरूपिये भगवा स्वामी चला सकते है परन्तु देश को "संसद ' नहीं चला सकती.
- यह कौन सा माप दंड है बिना किसी सबूत के देश के प्रधानमंत्री को आप गाली दे परन्तु अपने को "तुम" कहेने भर से बवाल पैदा कर दे.
- यह कौन सा मापदंड है के अपने "विरोध" करने के अधिकार पर संविधान की दुहाई दे परन्तु देश के सम्मानिये प्रधानमंत्री पद (पर बैठे व्यक्ति) के लाल किले पर झंड फेहराने पर कटाक्ष करे. हम भी श्री मनमोहन सिंह जी का विरोध करते है परन्तु उनके लाल किले पर झंडा फेहराने के संवेधानिक अधिकार पर कुठाराघात नहीं कर सकते.
- यह कौन सा मापदंड है बाबा राम देव के देशभक्त नोजवानो को इकठा करने पर विरोध और स्वम आपके लोगो को नोकरियो और स्कुलो से छुट्टी लेने का स्वयंभू आगाज. की मेरे आन्दोलन को छुट्टी लेकर आन्दोलन में साथ दो.
- यह कौन सा मापदंड है की मैं सही और सरकार गलत. सरकार लाख गलत है परन्तु है तो वो १२० करोड़ लोगो की प्रतिनिधि. आप किसका परतिनिधित्व करते है. दो वकील और एक पूर्व नौकरशाह जिसमें से एक स्वामी "अग्निवेश" भी गायब है. जो काले धन और भ्रष्टाचार के आन्दोलन की रुपरेखा खीचने वाले पुरोधा और जनक बाबा रामदेव को भी अपने साथ नहीं रख सका. जो अग्निवेश को भी साथ न रख सका. आप पांच लोगो को साथ नहीं रख पा रहे है तो १२० करोड़ लोगो को उकसा कर उनकी आकांक्षा से न्याय कर पाएंगे?
- श्री अन्ना हज्जारे जी में आपके जज्बे को सलाम करता हूँ, आपकी भावनाओ का भी आदर करता हूँ, परन्तु मैं आप पर आरोप लगाता हूँ की आपने चंद लोगो के हाथो का मोहरा बनकर देश में होने वाली व्यवस्था परिवर्तन की एक विराट क्रांति की पीठ में छुरा घोपा है. आपने देश के नोजवानो के हाथो में क्रांति की मशाल की जगह हिजड़ो वाली मोमबती पकडवा दी है. आपने काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे से ध्यान बटा कर "एक जन लोकपाल " बिल पर सुई अटका दी है. देश की आने वाली नसले आपको क्रांति की समय अवधि बढाने का कसूरवार जरुर मानेगी क्यूंकि क्रांति तो होगी पर अब थोडा समय और लगेगा. और इस बात के लिए मैं आपका समर्थन नहीं करता.
- श्री अन्ना जी मैं आपको लाख विरोधी हूँ परन्तु आपके "विरोध" करने के संवेधानिक हक़ और हकूक का समर्थन करता हूँ. क्यूंकि "विरोध" करने के अधिकार की रक्षा करना ही किसी भी लोकतंत्र के टिके होने की गारेंटी है.
जय भारत जय भारती.
आपके विचार भी पढे, कुछ अलग मिले।
ReplyDeleteहर व्यक्ति अपने आप में प्रकाश का एक नया पुंज है..साहब आपकी बातों में उतना ही दम है जितना किसी भी सशक्त विचारक में. आपके विनम्र विरोध के प्रति बड़ा आदर उत्पन्न हुआ. निसंदेह आप गहराई वाली दूरदर्शिता वाली बातें सामने लाये. मैं जज्बाती और अपने अल्प अनुभव के तौर पे अन्ना की इस मुहिम का समर्थन करता हूँ. पर क्यूंकि आप तमाम विरोध के बाद भी उनकी बात का सम्मान करते हैं, आप से विनती है कि अन्ना जी के मुख्या मुद्दे को अपनी कलम से सशक्त करें और हो सके तो यह सुझाएँ कि मुख्या मुद्दा कायम रखते हुए खुद को सशक्त कैसे किया जाए हर तरह से. उम्मीद है मेरे शब्दों के जाल में न उलझते हुए आप सार समझेंगे. मेरा शत शत प्रणाम!
ReplyDeleteshri Sabr jabalpuri ji
ReplyDeletePoint noted, will revert soon.
regards
kuchh binduon par asahmati, lekin hindi type nahi kar pa raha isliye likh nahi paaoonga...
ReplyDeleteसाधूवाद,
ReplyDeleteमुझे ऐसा लगा जैसे मेरे विचारो को शब्द मिल गये हो |
आभार
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ReplyDelete@--श्री अन्ना जी मैं आपको लाख विरोधी हूँ परन्तु आपके "विरोध" करने के संवेधानिक हक़ और हकूक का समर्थन करता हूँ. क्यूंकि "विरोध" करने के अधिकार की रक्षा करना ही किसी भी लोकतंत्र के टिके होने की गारेंटी है....
This is more important . Let's unite for the sake of our country.
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nice, very nice
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर त्यागी जी
ReplyDeleteअंत भला तो सब भला …
आपने अपने तर्कों से बहुत कुछ कहने-समझाने का यत्न किया , कई जगह विरोधाभास भी लगा ।
बहरहाल अंत में "विरोध" करने के संवेधानिक हक़ और हकूक का समर्थन करके आपने अनजाने मार्ग पर धूप में पैदल सफ़र करने वाले के लिए एक गिलास ठंडे पानी का इंतज़ाम किया … :)आभार !
कांग्रेस सरकार का विरोध करता हूँ इस बात के लिए कि देश में विरोध करने का अधिकार वो देश के नागरिको से नहीं छीन सकती आपके इस विचार से भी सहमति है ।
…लेकिन मैं सरकार के लिए अपनी रचना द्वारा कहता हूं -
काग़जी था शेर कल , अब भेड़िया ख़ूंख़्वार है
मेरी ग़लती का नतीज़ा ; ये मेरी सरकार है
पूरी रचना के लिए आइएगा …
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित
-राजेन्द्र स्वर्णकार
aap jo bhi batate hai o sach ho lekin hame abi aana ke samerthan me rahna jaruri hai kyu ki abi ki system galat hai
ReplyDeleteकोई और बेहतर तर्क ले कर आइये... कोई बेहतर विकल्प सुझाये... हमारे लिए अन्ना गौण हो सकते हैं... मुद्दा सर्वोपरि है...
ReplyDeleteJab MP aur MLA ki salary badani ho to kaise 5 minute me bina discussion ke ye log pass kar dete hain ? Jab bat aai Anti corruption bill ki to sale harami pana dikha rahe hain
ReplyDeletekyu ? kyu ? kyu ?
Aur Jab Lokpal Bill Pass karne waali baat aatee hai to Din laga raha hai Ye parliyament , Mujhe kon jabaab dega ???
om
ReplyDeleteaapki yah baat bilkul sahi hai ki kaledhan aur byavastha parivartan ke mudde ko inhone piche kar diya ab ismen adhik samaya lagega
Tyagi jee ..rastra heet sabse upper he ...aur anna jee wahi kar rahe he ho rastra ke hit me he....rastra heet ke liya koi bhi kadam uthaya ja sakta he...aapne jo bhi logic diya he wo theek he lakin agar door drasthi se aap aadayan karange to aap ko pata lagega ki jo bhi aana ji aur unki team kar rahi he wo galat nahi he...In bharst netaon se niptana ke liya expert logon ki team chahiiya ..jo aana jee ke sath he..hume in sab logon ke atit se koi matalb nahi he...lakin agar wo ab accha kaam kar rahe hein to hame wo he dekhan padega.....
ReplyDeleteApp se nivedan he ki aap Janlokpal bill pade na ki anna aur unki team ki masumiyat dekah ya unka charitra par kuch likhan...
Tyagi jee ..rastra heet sabse upper he ...aur anna jee wahi kar rahe he ho rastra ke hit me he....rastra heet ke liya koi bhi kadam uthaya ja sakta he...aapne jo bhi logic diya he wo theek he lakin agar door drasthi se aap aadayan karange to aap ko pata lagega ki jo bhi aana ji aur unki team kar rahi he wo galat nahi he...In bharst netaon se niptana ke liya expert logon ki team chahiiya ..jo aana jee ke sath he..hume in sab logon ke atit se koi matalb nahi he...lakin agar wo ab accha kaam kar rahe hein to hame wo he dekhan padega.....
ReplyDeleteApp se nivedan he ki aap Janlokpal bill pade na ki anna aur unki team ki masumiyat dekah ya unka charitra par kuch likhan...
kai logo ki aadat hai ki koi bada kaam kare or sab uske saath ho jaye to wo bina matlab uska virodh karenge .matlab galat aadmi ko sab maaf or sahi aadmi jara chooke to gunaah . sare niyam anna ke liye hi hain ?? anna ke andolan se janta ki awaj samne aayi hai bhrasht sansado ke khilaf na ki sansad ya loktantra ke khilaf ... ahinsak tarah se sashakt virodh loktantra ko majboot karega koi grahyuddha nahin hoga.
ReplyDeleteAnna ji ka virodh karne wale..aapke paas kya hai aapne kya kiya hai desh ke liye ab tak kisi pe ungali uthana bahut aasaan hai bt baki 3 ungaliya aap par hai... iss desh ki janata mei yadi hodi bhi samajh hoti to woh doosri baar congress ko chun kar laane ki galati nahi karte...khair hume kyu aap se bahas karna..jiski jitni samajh woh utna hi dekh sakega na...
ReplyDeletevery sad and very bad aap is note se india ka manobal tor rahe hai // maine kabhi nahi dekha aur kabhi nahi suna ki koi desh se bharshtachar mitane ke liye koi ek admi is tarah se nihattha khara ho jaye // aur aap kiran bedi ko naukarsah kah rahe hai // ye baat mujhe ekdam bura laga // and aap hai koun is tarah se bolne wale // apne gyan ko sahi disa me istemaal kare // thanx thats all
ReplyDeleteTyagi ji jab Subhash chandra bosh, Bhagat singh jaise logo ne aazadi ka bigul phooka tha jab bhi bahut logon ne ise galat batya tha, aaj is sarkar ne to angrejo ko bhi 500 saal phechey chor diya hai ,janta ki haq ki baat karo to galat or MP or MLA ki baat ho to sab theek aap Ana ji ko mat dekho muddey ko dekho, agar aap main dum hain to aap bhi koi aandolan is desh ke haq main kar kay dikhao India ki sari jaanch agencies aap ke ghar par hongi, kunki aap ne is sonia sarkar ke khilaf kaha hain. Main aap ka blog padta hoon or main aap ka smarthak bhi hoon, mujhey likhna nahin aata koi galti ho to maaf karna
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