Sunday, January 30, 2011

संघ ! वीर सावरकर ! इस्लामी आतंकवाद ! सोनिया गाँधी और देश विभाजन !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


श्रीमती सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी जैसे नौटंकी बाज मैंने भी नहीं देखे है. और दोनों ही देश को जमूरे और मदारी का खेल दिखाने में मशगूल है और एक बन्दर भी पकड़ रखा है जिसको दिग्भ्रमित होने की न केवल बीमारी है बल्कि और औरो को भी भ्रमित करने की पुडिया बांटता फिर रहा है. जरा इन गुंडों और भांडो को एक एक करके समझे तो सही की इनको ऐसा मैं कह क्यूँ रहा हूँ. वैसे तो मुझे मेरे संस्कार रोक रहे है नहीं तो इनको इनसे भी ऊपर की संज्ञा से नवाजा जा सकता है. पहले आते है श्रीमती सोनिया गाँधी की नौटंकी और फरेब पर. 
  • हमे बहुत अच्छे से याद है की उस २२ जनवरी २००१ को सोनिया गाँधी ने प्रयाग के महाकुम्भ के मेले में कैसे डुबकी लगाईं थी. और कैसे मीडिया के सामने यह बताने का प्रयास किया था की सोनिया गाँधी एक हिन्दू ही है. "हिन्दू" शब्द पर गौर करे की कैसे हिन्दुस्तान के लोगो को बताया गया था की सोनिया गाँधी एक हिन्दू धरम परायण स्त्री है और उनका कितना गहरा लगाव है हिन्दू कर्मकांडो से वैसे हम तो तब भी जानते थे की नौटंकी कर रही है परन्तु उस समय लोगो ने हमे येही ही बताया की तुम बिना मतलब से ही एक "बेचारी" स्त्री पर शक कर रहे हो. परन्तु आज सच्चाई सबके सामने है उस समय नेता प्रतिपक्ष होते हुए श्रीमती सोनिया गाँधी जी प्रयाग जा कर कुम्भ नहा कर आगई परन्तु २०० कि.मी. दूर पिछले साल हरिद्वार नहीं जा पाई कुम्भ के मेले में. सत्ता पाने के लिए नौटंकी कर ली गई थी तब प्रयाग में और जब अब कर ही ली तो कौन गंगा और किसका कुम्भ.
  • दूसरा नेता प्रतिपक्ष होते समय सोनिया गाँधी जी (मतलब अटल जी कि सरकार के समय) कि जो भावभंगिमाए थी उन पर जरा गौर करे जैसे हाथ में मोटी लाल डोरी, बड़ा सा लम्बा भगवा तिलक, सर पर हर समय पल्लू, और सफ़ेद साड़ी. आज अखंड अहंकार कि प्रतिमूर्ति श्रीमती सोनिया गाँधी जी कि यह सभी भावभंगिमाए गायब है. मतलब सध गया १०० करोड़ हिन्दुओ को उल्लू बना दिया अब जो है सो है. वैसे भी हिंदुस्तान कि हिन्दुओ को राजपरिवार - षड्यंत्र टाइप कि पिक्चरे देखने का बड़ा शौंक है सो सोनिया जी का रहस्यमय चरित्र बड़ा भा रहा था. वैसे भी हिन्दुओ में एक बड़ी अनोखी बात है कि जो हिन्दू नहीं है वो यदि हिन्दुओ कि तारीफ कर दे या उनके कर्मकांडो को दोहरा दे तो बस वो इनके लिए साक्षात् भगवान् जाता है. मैं अभी एक एसे ही देश में था जहाँ पर वहां के देशवासी हाथ जोड़ कर ही अभिवादन करते है. तो मेरा साथी बड़े गर्व से उनको कहेता है कि अरे हम हिन्दुस्तानियो ने इसको करना कब का छोड़ दिया आप अब तक इसको कर रहे है. दूसरा वाकया एक देश के राष्ट्राध्यक्ष के सम्मान में समारोह का है, राष्ट्र अध्यक्ष के मंच पर आने से पहेले हमारे ही देश के ५-६ वक्ताओ ने उसी के देश कि भाषा में कभी अभिवादन किया, कभी थैंक्यू किया और कभी कभी कुछ चिर परचित उस देश के वाकये दोहराहे. वो राष्ट्राध्यक्ष बस मंद मंद मुस्कराता रहा परन्तु जब उनका अपना बोलने का नंबर आया तो उसने अपनी ही भाषा को महत्व देकर अभिवादन किया. बस फिर क्या था उन फुर फुर हिन्दुस्तानियो के मुहं देखने लायक थे मानो काटो तो खून नहीं. खैर इस बात से तो स्वामी विवेकानंद जी भी दो चार हुए थे, एक बार वो ही एक नौटंकी टाइप आदमी स्वामी विवेकानंद जी के पास भागा भागा आया कि स्वामी जी यह गीता जो हिन्दुओ का धार्मिक ग्रन्थ है बड़ा ही अच्छा है इसमें तो ज्ञान कि बड़ी बड़ी बातें लिखी है. स्वामी जी ने एक दम पलट कर कहा "क्यूँ किसी विदेशी ने इसकी तरफी करदी ?" उस नौटंकीबाज हिन्दू का चेहरा एक दम तमतमा गया और बोला हाँ कल एक समाहरोह में जाने का अवसार मिला वहां पर एक अंग्रेज गीता के बारे में बहुत अच्छी अच्छी बातें कर रहा था. स्वामी जी बोले तुम लोगो कि यही समस्या है कि जब हिन्दू अपनी बात करता है तो वो कट्टर और पाखंडी हो जाता है परन्तु अंग्रेज जब उन्ही बातों को अच्छा कहेता है तो फिर आप खींस निपोरते फिरते हो. तो मित्रो इन वाक्यों का जिक्र इसलिए किया है कि हम हिन्दू तो इसी बात से संतुष्ट है कि हमारे ऊपर इटली से आई एक गैर हिन्दू अब हिन्दू (हिन्दू दिखकर) बनकर हमारे ऊपर राज कर रही है, और भगवान् शिव के साक्षात अवतार परम आदरनिये गुरु गोबिंद सिंह जी के वंशज वर्तमान प्रधानमंत्री भी एक बहुत बड़ी शोर्य और सच्चाई कि परम्परा पर बट्टा लगा रहे है. उनको कोई हक़ नहीं अपने निज स्वार्थ के लिए देश की एक पूरी गौरवशाली कौम को इस निर्लज व्यवहार से कलंकित होने दे.
  • तीसरा मित्रो यदि आप लोगो को याद हो तो एक समय वर्ष २००० के आस पास सोनिया जी अकेले ही भटकती फिरती थी परन्तु उस समय में सोनिया गाँधी जी का लालू प्रसाद यादव ने ही हाथ थामा और जमीन से जुड़े पहेले नेता बने जिन्होंने सोनिया गाँधी को स्वीकारिता  दिलाने में बड़ा ही अहेम रोल अदा किया. आज लालू जी लल्लू बनकर घूम रहे है और सोनिया जी का परिवार नितीश जी का मुरीद हुआ पड़ा है. चलिए यह तो जस को तस वाली ही बात है परन्तु है तो विश्वासघात ही.
  • चौथा सोनिया गाँधी जी कि नौटंकी थी एक  समय हिन्दुओ के शंकराचार्यों को बड़ा सम्मान दिया जा था. विशेष रूप से शंकराचार्य स्वरूपानंद जी से बिना पूछे तो कदम ही नहीं उठाया जाता था. परन्तु आज शंकराचार्य तो बहुत दूर कि बात है कोई १० जनपथ में हिन्दू मंदिर की  तरफ मुहं करके भी नहीं बैठता. एक समय तो भोपाल में दिग्भर्मित सिंह (ओ दिग्विजय सिंह जी) ने तो हिन्दू धर्मसभा कि थी और सभी शंकराचार्यों को बुला कर सोनिया गाँधी जी को आशीर्वाद दिला दिया था. खैर हम तो मार्केटिंग के इन फिलिप कोटलर वाले तरीको को जानते ही थे फिर जब १०० करोड़ हिन्दुओ को बेवकूफ ही बनाना था तो फिर उचित और अनुचित का विचार ही बेतुका है. परन्तु जो स्त्री विपक्ष में रहेते सर से पल्लू नहीं गिरने देती थी आज सर पर पल्लू रखने की आदत ही भूल गई. कुछ होते है जो सावन की पहली  बारिश में रंग छोड़ देते है और अपने असली रंग में आ जाते है. 
  • एक समय श्री मान भांड नेता (श्री दिग्विजय सिंह जी) जो अपने को मीडिया में बड़े मुखर होकर साहसिक नेता स्थापित करने में लगे है, श्री दिग्भर्मित सिंह जी ने तो मध्ये प्रदेश में नरम हिन्दू कि विचारधारा पर चलाने का ही बीड़ा उठाया लिया था. परन्तु अब रंग बदल कर आज हिन्दुओ के परम शत्रु कि ओढनी ओड रखी है. क्यूंकि अब मुसलमानों को बेवकूफ बनाने कि एक्टिंग का अडवांस ले रखा है. १० साल तो हिन्दुओ को बेवकूफ बनाया अब मुसलमानों के हितेषी बनकर दिखा कर अगले पांच साल पक्के कर लेना चाहते है. अच्छा आप भी पूछोगे कि यार क्या बेफालतू बाते कर रहे है जब इतना साफ़ है तो जनता इनको लात क्यूँ नहीं मारती. अरे मित्रो यह ही तो हिन्दुओ कि परेशानी है, हुमायूँ को एक राखी क्या भेज दी एक हिन्दू रानी ने आज तक उसके कायल है. जिसके हरम में ५००० हिन्दू स्त्रिया भेड बकरियो कि तरह भरी रहेती थी उसे अकबर महान बना लेते है. एक महात्मा गाँधी मर गया आजादी के १५ साल कोंग्रेस को सर पर बैठा लिया. फिर इन्द्रा गाँधी जी ने आपातकाल में एक एक करके लोकतंत्र, प्रगतिशीलता, खुलेपन कि कांग्रेसी शिक्षा दी तो कुछ जनता के समझ में आया परन्तु फिर इन्द्रा जी कि हत्या के बाद ४०० सीटे राजीव जी गाँधी को थमा दी. राजीव जी कि हत्या के बाद फिर कांग्रेस को ५ साल सत्ता थमा दी. बड़े ही स्पष्ट तरीके से लिखता हु कि विदेशी पैसे, षड्यंत्र और मीडिया के भड्वो से मिलकर अटल जी कि सरकार में संघ वर्सेज अटल सरकार करते रहे, फिर इसमें अडवानी जी को शामिल कर दिया और बाद में कुछ एक रूपये लेते देखा दिखा कर बीजेपी के अध्यक्ष को बदनाम किया. अरे भैया जी वो तरुण तेजपाल जी का तेज अब कहाँ है. क्यूँ नहीं ७ साल से इस कांग्रेसी राज का स्टिंग ओप्रशन करते. अरे ऐसा क्या तहलका पत्रिका सिर्फ बीजेपी कि सरकार गिराने के लिए ही रजिस्टर कराई थी. ऊपर से तुरा यह कि वो धर्मनिरपेक्ष पत्रकार है. भैया जी इसे हमारे यहाँ पत्रकारिता नहीं कहेते इसे दलाली कहेते है. लम्बे बालो कि चोटी और दाड़ी रखें, जींस के ऊपर झोलेदार कुरता पहेनने  से पत्रकार नहीं बन जाते हमारे गाँव में तो कुत्ते पीछे पड़ जाते है इस जोकरी ड्रेस पर. तरुण जी तेजपाल पता नहीं आपकी तहलका कहाँ धक्के खा रही है खैर अब क्या काम करने कि जरुरत है जब कई पीडियो का इंतजाम होगया है. भाई वाह अच्छी नौटंकी है तेहेलका और उसके गेंग की.
  • कोंग्रेस के सरकार बनाने से पहेले सोनिया गाँधी जी बड़ी ही समरसता और समग्रता कि राजनीती करने कि नौटंकी करती थी अब कांग्रेस ने अपने दम पर सरकार बना ली है, तो सहयोगिओ को खोज खोज कर निपटा रही है. अब फिर पञ्चमडी अधिवेशन कि एकला चलो राग गाने लगी. जब मुसीबत आती है तो फिर शिमला अधिवेशन आगे कर देती है. भाई वाकई हमारे गाँव कि कहावत ही चिरतार्थ होती है कि कुत्ते को घी हजम नहीं होता. अरे कांग्रेसी मित्रो मुझे श्री गडकरी जी मत बना देना "कुत्ता" शब्द इस्तेमाल करने पर. मैंने एक कहावत बोली है किसी को गाली नहीं दी है. खैर आप को तो अब हिंदी से वास्ता भी कम ही पड़ता है प्रधानमंत्री जी हिंदी - पंजाबी बोलते नहीं, सोनिया गाँधी जी को आती नहीं, राहुल गाँधी जी ने सीखी नहीं और कबिनेट में कोई बोलता नहीं है इसलिए जनार्दन दिवेदी जी से अर्थ पहेले पूछ लिया करो नहीं तो कपिल सिबल और मनीष तिवारी कि अंग्रेजी से न तो जनता के कुछ पल्ले पड़ रहा है और न ही आपकी पार्टी के लोगो के. खैर यदि कुछ एक ऐ वि एम् मशीनों (?)  ने अपना कमाल नहीं दिखाया तो जनता २-४ दशक के लिए तो कांग्रेस नामक प्रजाति से छुटकारा पा ही लेगी.

सोनिया जी ने वो सारे टोटके किये थे हिन्दुओ को लुभाने के लिए जो टोटके आज मुसलमानों के लिए अपनाये जा रहे है. मेरा मतलब हिन्दुओ को समझाया गया कि मैं हिन्दू हूँ (जो कि वो नहीं थी और न ही है) अब कांग्रेस कि सोनिया गाँधी जी के नेत्रित्व में मुसलमानों को यह समझा रही है कि हिन्दू आतंकवादी है (जो कि न वो है और न हो सकते). अच्छा इस के बीच मुझे एक और बात याद आ गाई कि विदेशी अंग्रेज हिन्दू धर्मगुरूओ पर सेम्लेंगिकता के यौन शोषण के आरोप ही क्यूँ लगाते है. जब कि यदि वास्तव में हिंदुस्तान में कुछ इस प्रकार का गलत होता है (दो हिन्दुस्तानियो के बीच) तो वो स्त्री पुरुष के ही यौन शोषण कि बात होती है. भाई कलयुग है हो सकता है. परन्तु यह विदेशियो के साथ सेम्लेंगिकता के यौन शोषण का ही हिन्दू धर्मगुरूओ पर क्यूँ आरोप लगता है. मित्रो असल में अंग्रेज अपने जहन से ही यह आरोप लगाते है क्यूंकि ऐसा वो अपने यहाँ करते है तो उसी जहनियत से आरोप भी उसी प्रकार लगा देते है. इसी प्रकार उसी जहन से वो हिन्दुओ को आतंकवादी बता रहे है. वैसे तो मैं कई बार लिख चूका हूँ और आज फिर लिखता हूँ कि बहुसंख्यक लोग क्यूँ आतंकवादी बनेगे, आतंकवादी तो हर देश में अलाप्संख्यक ही बनेगे. मेरे यह बात ही नहीं पच रही कि ९०% हिन्दुओ के होते हिन्दू अपने ही देश में आतंकवादी क्यूँ बनेगे. अरे हमे जो कहेना है डंके कि चोट पर कहेंगे, यह घर हमारा है, मिटटी हमारी है, देश हमारा है, लोग हमारे है. जो कहेंगे सीना ठोक कर कहेंगे. परन्तु विदेशी सोच यह है कि एक इस्लामी आतंकवाद पिछले १४०० सालो से चला आरहा है उस के सामने एक बेचारी साध्वी प्रज्ञा जिसके बिके हुए टूटे स्कूटर से आतंकवाद के तार जोड़े जा रहे है, झूटे बेहोशी कि हालत में एक स्त्री के सरे आम मीडिया में चरित्र कि धजिया उड़ाई जा रही है. दूसरा स्वम भारत कि गौरवान्वित सेना का सिपाही कर्नल पुरोहित है, तीसरा एक लेपटोप में यू ट्यूब देखने भर से एक धर्मगुरु आतंकवादी हो गया है. चौथा कथित हिंदुत्व के आतंकवाद का पुरोधा असीमानंद (बेचारा) इतना कच्चा निकला जो एक मुसलमान मासूम से जेल में मिलने भर से पिंघलने लगा और अपने जन्म भर के पाप और अतंकवादियो कि घटनाओ को स्वीकार करके प्रायश्चित करने लगा. कांग्रेसियो को नहीं पता कि यह स्विकारिता असीमानंद कि उन्हीके विरोध में जाएगी. कि ऐसा कैसा हिंदुत्व के आतंकवाद का प्रथम आतंकवादी इतना कमजोर और कच्चा निकला जिसने एक छोटे से मुस्लिम बालक के सामने अपने सारे पाप काबुल लिए. वहा देश कि पुलिस! वहा देश कि जागरूक मीडिया! वहा देश कि अदालते! वहा देश कि नौटंकीबाज सरकार! अरे कैसा हिंदुत्व का आतंकवादी पकड़ा जो चार दिन भी आतंकवाद का झंडा नहीं उठा पाया और उस के बयानों के बल पर कांग्रेस कि त्रिमूर्ति नौटंकी सोनिया, राहुल और दिग्भर्मित जी १०० करोड़ हिन्दुओ को आतंकवादी घोषित कर के २० करोड़ मुसलमानों को देश का विभाजन करने के लिए वैचारिक धरा प्रदान कर रहे है. भाई दिन कि रौशनी में कितना काला पाप हो रहा है १२० करोड़ हिन्दुस्तानियो के सामने. अब सोनिया जी इन्ही टोटको के सहारे अपने बजरबट्टू को प्रधानमंत्री बनवाना चाहती है. परन्तु पता नहीं कि हमारे गाँव में भी नौटंकी बाज आते है और जब आते है तो फिर उनको देखने के लिए पूरा गाँव उमड़ता है और एक बार जो वो अपनी भांडगिरी दिखा लेते है फिर गाँव वाले उनका मजाक उड़ाते है और फिर कुछ दिनों में वो नौटंकी बाज अपना तम्बू उखाड़कर दुसरे गाँव चले जाते है.
राहुल - सोनिया नौटंकी का दायरा अपने १० जनपथ तक ही नहीं है उसमे लखनऊ के एक बड़े उर्दू अखबार के संपादक भी आगये. जब वो पाकिस्तान के कराची में थे तब मुंबई पर पाकिस्तानी अतंकवादियो ने हमला किया तो उन्होंने लखनऊ में आकर एक किताब लिखी जिसका नाम है "आर एस एस कि साजिश ९/११" भाई वहा! हिंदुस्तान के ६० साल के नमक में वो ताकत नहीं परन्तु करांची के ४ दिन के नमक कि हलाली इतनी जबरदस्त होगी इसका अंदाजा तो हमे भी नहीं है. खैर इसमें भी एक बार फिर दिग्भर्मित सिंह जी पहुंचे और दिखा दी अपनी जात. जात से ज्यादा जरुरी एक कहानी सुननी है जो लोग गाँव से जुड़े है वो जानते है उत्तर भारत में जेठ कि गर्मी में कोई भी बैल गाडी जाती है तो अमूमन उसके पीछे पीछे एक कुत्ता भी चलता है. और जब गर्मी पड़ती है तो वो कुत्ता उस बैलगाड़ी के नीचे जो छाया पड़ती है तो गाड़ी के नीचे नीचे उसी छाया पर चलता रहेता है. भाई यहाँ तक तो ठीक है परन्तु कभी कभी उस कुत्ते को भी यह गुमान हो जाता है कि उस गाडी का सारा बोझा वो ही ढो रहा है, मतलब सारे वजन को वो ही उठाय हुए है. और वो यह ही सोचता रहता है कि यदि वो गाड़ी के नीचे से निकल जाये तो गाड़ीवान अपने सामान समेत नीचे गिर पड़ेगा. कभी ऐसा ही गुमान श्री नटवर सिंह को अपनी विदेश नीति पर था, १९९४ में कपिल  सिब्बल को अपनी वकालत पर था, शिवराज पाटिल को अपनी शराफत और नफासत पर था, लालू यादव को अपनी लोकप्रियेता पर था, मुलायम सिंह यादव को अपने धरतीपकड़ होने पर था सोनिया सरकार को समर्थन देने से पहेले. उसी प्रकार से श्री मनमोहन सिंह जी को अपनी इमानदारी पर होने वाला है और श्री दिग्भर्मित सिंह जी को अपनी हिन्दुओ को गाली देने पर होगा. क्यूंकि इस पटकथा का लेखक जनपथ में है और उसपर दिग्भर्मित सिंह जी सिर्फ अभिनिये करने के लिए आगे है उनका भी हश्र उसी प्रकार से होगा जब वो जानवर को गाडी रुक जाने पर होता है.
  • अब इस नौटंकी के दायरे को मैं यदि थोडा सा और बड़ा करू तो उसमे सबसे बड़े मोहरे बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री जी बनते दिखाई पड़ते है. हाल ही में मुझे अपने गाव जाना हुआ. खैर कोई बात नहीं जब में गाव पहुंचा तो अपने बहुत पुराने एक नौकर (प्रचिलित संज्ञा) से मिला जो बहुत बरस से हमारे यहाँ काम करता था परन्तु ५-७ साल से कही बहार गया था. मैंने पूछा काका "क्या हुआ बड़े कमजोर हो गए आप तो कहीं बहार चले गए थे." तो बड़ी ही आत्मीयता से बोले बेटा कुछ नहीं एक पुरानी जमीन बिकी थी पैसे आया तो आपकी नौकरी भी छोड़ दी और अब तो वो सारा पैसे ख़तम हो गया. मैंने कहा कोई बात नहीं अब आप यहाँ वापस आ गये सब ठीक हो जायेगा. फिर आगे बोला एक बात बताऊ सर की जब आदमी पर पैसे आजाते है तब सब हाँ में हाँ मिलाते है अपने सारे निर्णय परमज्ञान से भरे प्रवचन लगते है. परन्तु अब जब पैसा नहीं है तो वो ही सारे लोग दुत्कारते है और कोई भी पास नहीं लगता है. मैं बिहार जैसे समृद प्रदेश के लोकप्रिय मुख्मंत्री श्री नितीश कुमार जी से कहूँगा कि नेता के लिए लोकप्रियेता ही एक धन होता है और इसका अंदाजा लगाना है तो अपने मित्र लल्लू जी से इसका स्वाद पूछ लो. इन धर्मनिरपेक्ष पत्रकारों ने उनको इतना ऊँचा उठाया कि अब गिरने पर उनकी हड्डियों के चूरे से अपनी आँखों  में सुरमा लगाये घूम रहे है. श्री नितीश जी एक बात बड़े अदब और अदार से कहूँगा की इसी धर्मनिरपेक्षता कि टोपी को आप १९९४ से लगाये घूम रहे हो परन्तु किसी ने नहीं आपको पूछा परन्तु बीजेपी के सहयोग से ही आप आज यहाँ पहुंचे हो कही ऐसा न हो कि इस लोकप्रियेता के फिर से चले जाने से कहीं लेने के देने न पड़ जाये. और बीजेपी से तो स्पस्ट ही कहूँगा गुलाब के नीचे आप एक कांटा बो रहे हो. जिसका खामियाजा आपको सत्ता में आने के बाद भुगतना है. हर कौर में न कंकर आया मेरा नाम बदल देना. पता नहीं किस बूते श्री नितीश जी मोदी जी (नरेंदर जी) को अपने बिहार नहीं बुलाना चाहते. पता नहीं किस बिहार कि पट्टेदारी ले रखी है, कल यदि श्री नरेंदर जी मोदी जी आपको  गुजरात में न आने दे तो कितना बुरा लगेगा. मैं इस में नहीं जाता कि इसका चुनाव में नफा नुक्सान क्या है. मैं एक तहजीब और संस्कार कि बात करता हूँ, जो नितीश जी में नहीं है, किस बात के लिए उन्होंने गुजरात कि जनता के ५ करोड़ का चेक लौटा दिया था जो मोदी जी ने कोशी बाढ़ पीडितो के लिए दिया था.
  •  क्या श्री नितीश जी पूरे गुजरात से चिड़ते है , क्यां वो पञ्च करोड़ रूपये मोदी जी के अपने थे वो तो गुजरात कि जनता के थे ?
  •  क्या उन पञ्च करोड़ से कोशी बाढ़ पीडितो को लाभ न होता?
  •  क्या अब बिहार में बाढ़ आनी बंद होगई?
  •  क्या गुजरात देश का हिस्सा नहीं है?
  •  क्या गुजरात में बिहारी नहीं रहेते?
  •  क्या नितीश के जवाब में मोदी जी ने कोई प्रतिक्रिया दी,?
  • क्या गुजरात कि जनता ने नितीश कि बात का बुरा माना?
  •  क्या मोदी जी गुजरात में इसको बिहारी - गुजरात विवाद नहीं बना सकते थे जैसे नितीश ने एक बिहारी के मुंबई में इनकाउंटर होने पर बनाया था. क्या राज ठाकरे और नितीश टाइप कि पोल्टिक्स में कोई अंतर है?
  • क्यां नितीश को गुजरात के पैसे लोटाने को देश के संविधान पर चोट नहीं कहेंगे. हमे याद है नितीश जी ने जब समता पार्टी बनाई थी और बिहार में २० सीटे मिली थी तब भी बीजेपी ने नितीश को प्रवचन नहीं दिए थे और अपने विश्वसनिये साथी के तौर पर अपने साथ रखा था, और रेल मंत्रालय जैसा बड़ी जिम्मेदारी सौपी बीजेपी भी कोई दूध से धूलि नहीं परन्तु उसने कभी भी आपका अपमान नहीं किया और न ही कभी आप पर धोंस जमाई परन्तु इसके एवेज में आप और शरद जी उनको हर बात पर महात्मा गाँधी टाइप प्रवचन देना आपके छोटेपन और लल्लू जी कि आपके बारे में राये को ही दर्शाते है कि "ऐसा कोई सगा नहीं जिसको नितीश ने ठगा नहीं" अब आप ही बताये कि आप का सच क्या है. अपनी लोकप्रियेता के शीर्ष पर होने पर भी आप बीजेपी से ज्यादा सीटे नहीं ले पाए, इस से पता चलता है कि आप कितने लोकप्रिय है. सत्ता के शीर्ष पर होने पर भी आपके संघटन का पता नहीं, मुख्यमंत्री रहेते आप छोटे से प्रदेश बिहार में अपनी ही पार्टी के लोगो को अपने साथ नहीं रख पाए, और आप प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते है. थू है उन लोगो पर जो नरेंदर मोदी जी को अहंकारी कहेता है. मोदी जी जैसा विशाल ह्रदये आज कि राजनीति में नहीं ही मिल पायेगा. कितने दुष्ट तीस्ता सीतलवाड़ जैसे लोग है, झूटे आरोप और शपथपत्र भरने पर भी मोदी जी उनके जैसे लोगो को सुरक्षित रखे है. दूसरी और तृणमूल के ऊपर अत्याचार ढोती आपके प्रिये कोमुनिस्ट है. अंतर देख सकते है आप. मुझे नितीश जी इतिहास में एक भी उद्धारण इस प्रकार का नहीं मिलता जो अपनी व्यक्तिगत छवि चमकाने में इतनी निर्लाजता बरते, दूसरा मुझे हंसी भी आती है आप पर कि जिस डाल पर बैठे हो उसी को काट रहे हो और सपने प्रधानमंत्री बनने के देख रहे हो. पहेले तो बिहार में ही आपका पूरा जनाधार नहीं दूसरा आपका कोई संघटन नहीं है, तीसरा कल गुजरात में किस मुहं से वोट मांगने जायेंगे आप जिस गुजरात के पैसे लौटा कर आपने उसके मुहं पर थूका था वो जनता आपको वैसा ही जवाब दे तो पता नहीं बिहार कि २० लोकसभा सीटो पर बहुमत से कैसे आप देश के प्रधानमंत्री बन जायेंगे या तो आप जाने या इस को हातमताई जाने. खैर सोचने पर अभी सोनिया गाँधी जी ने भी कोई आतंकवादी होने का नोटिस नहीं ही जारी किया इसलिए यदि आप ऐसा बीजेपी और संघ विरोध से कर के बनना चाहते हो तो वो भी कर के देख लो. वैसे तो में खुद इस वक्त तिरंगे कि आड़ में अनुराग ठाकुर जैसे नेता को युवा नेता के रूप में देश पर थोपने के सक्त खिलाफ हूँ परन्तु इसके कारण जबरदस्ती युवा नेता देश पर थोपना है ना कि आपके जैसे बिना मतलब तानाशाही जैसे बयान देना. यह मार्केटिंग रणनीति पुरानी होगई है और लल्लू यादव के हश्र से भी नहीं समझे तो फिर तो आपको वक्त का ही इन्तजार करना पड़ेगा. 
  • भाई समझ में नहीं आता, वन्दे मातरम मत गाओ मुसलमानों को बुरा लग जायेगा, भाई झंडा मत फहेराओ वहा पर मुसलमान नाराज हो जायेगा, भाई राष्ट्रगान मत गाओ "सिंध' का जिक्र आने से पाकिस्तानी मुसलमान नाराज हो जायेगा, भाई सरस्वती वंदना मत गाओ मुसलमान नाराज हो जायेगा, भाई होली पर सब पर रंग मत लगाओ मुसलमान नाराज हो जायेगा, अरे मुसलमान न हो गया कोई नौवे महीने कि गर्भवती होगई जिसको हर मूवमेंट पर दिक्कत है. भाई नितीश जी टाइप लोगो मुझे भी बुरा लगता है की तुम्हारे सर पर हरी टोपी ही क्यूँ फेहरते है, पर क्या मेरे कहेने से अपना हरा रंग त्याग दोगे, यहाँ तो  देश कि राष्ट्रपति है कभी भी देखलो हमेशा ही हरे रंग कि साडी पहनेगी, मैं राष्ट्रपति जी और उनके महिला होने और उसपर उनकी अपनी व्यक्तिगत पसंद और नापसंद का पूरा आदर करता हूँ. परन्तु सोनिया गाँधी का खौफ उनपर भी पसरा हुआ है कभी भी हमने भगवा रंग का पेहेरावा उनका भी नहीं देखा परन्तु हरे रंग के साडी हमेशा पहनती है. अब जब राष्टपति जी ने भी रंगों के जरिये अपने विचारो प्रदर्शित करने के लिए ठान ही ली तो बाकीयो से क्या उमीद करे. लोकतंत्र की सबसे बड़ी ठेकेदार लोकसभा और राज्यसभा का कारपेट भी हरा हरा ही है.  भगवा आतंकवाद का खौफ सब पर है. वहा भाई! वहा सोनिया गाँधी मनेजमेंट!. मान गए भाई!
  • अच्छा वापस अजीज बरनी कि पुस्तक पर आते है जिसके उद्घाटन के लिए श्री दिग्भर्मित सिंह जी के पेट में दो दो बार मरोड़ उठी है. मुंबई में विमोचन किया उस किताब का फिर भी तबियत नहीं भरी तो फिर लखनऊ में आकर किया. अब श्री दिग्भर्मित सिंह जी कह रहे है कि हिन्दुस्तान को विभाजन का सिद्दांत जिन्ना जैसे राक्षस ने नहीं बल्कि राष्ट्रवादी और हिंदुत्व के पुरोधा परम पूज्निये श्री सावरकर जी ने दिया था और इसी लिए हिन्दुस्तान का बटवारा हुआ. भाई वाकई नीचता कि हद होगई. आज आजादी को ६० से ऊपर साल होगए परन्तु कश्मीर में भारत के टुकडो पर पल कर पत्थर फेंकने वाले आयकर पाकिस्तान कि सरकार को दे रहे है. अब कोई उनसे पूछे कौनसे वीर सावरकर ने उनको ऐसा करने को कहा है और श्री दिग्विजय सिंह जी इस बात के लिए सावरकर जी को दोषी ठहरा रहे है. 
  • पता नहीं थाईलेंड में मुस्लिम को प्रथक देश के लिए वीर सावरकर कि कौनसी किताब ज्ञान दे रही है
  • पता नहीं साउदी अरब में गैर मुसलमानों को पूजा करने से किस वीर सावरकर ने रोक रखा है. 
  • भाई पता नहीं रूस से मुस्लिम देशो को अलग करने के लिए किस सावरकर ने उनको पढाया है. पता नहीं चीन में मुसलमानों को अपना अलग देश बनाने के लिए किसने वीर सावरकर के ज्ञान से परिचय कराया. 
  • पता नहीं सिंगापूर को मुस्लिम मलेशिया से किस वीर सावरकर ने अलग करवा दिया. 
  • पता नहीं किस वीर सावरकर ने इसाइओ के ईस्ट तिमुर को इंडोनेसिया से अलग देश बनवा दिया
  • पता नहीं अफ्रीका में मुसलमानों और इसाइओ को बीच में सौहार्द को वीर सावरकर के ज्ञान ने कैसे ख़राब कर दिया,
  • पता नहीं मुस्लिम बहुल्य दक्षिण सूडान को बाकी सूडान से किसने अलग करवा दिया. 
  • पता नहीं वीर सावरकर ने इसराइल को क्या शिक्षा दी है कि वो "मासूम" फिलिस्तिनियो के साथ नहीं रह पा रहे है. 
  • पता नहीं फ़्रांस के मुसलमानों को वीर सावरकर का कौनसा ज्ञान भा गया जो विरोध पर उतारू हो गए और वहां फ्रांसीसियो ने सावरकार के कौनसे ज्ञान से प्रभावित होकर बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया,
  • हिन्दुओ ने तो सावरकर जी के ज्ञान से प्रभावित होकर धर्म के आधार पर एक भी देश में अपने अधिकार नहीं मांगे और दुनिया के हर धर्मनिरपेक्ष और गैर मुस्लिम राष्ट्र में मुस्लमान अपने लिए ज्यादा अधिकार और अलग देश और कानून मांगते है. 
  • भाई वहा ! मेरे दिग्भर्मित सिंह जी ऐसी कुबुधि पर वारा जाये. आपने इस ज्ञान से अपनी माँ कि कोख अमर कर दी. आपको हिन्दू कभी भी नहीं भूल पायेगा. जब तक राम रहेगा तभी तक रावन भी याद रखा जायेगा. आप तो जी अमर होगये है.

भाई, सभी संघियो, भारतप्रेमिओ, राष्ट्रप्रेमियो, राष्ट्रवादियो, इस मिटटी के वीरो से एक बात कहेना चाहता हूँ कि एक झूट को एक लाख बार भी बोला जाये तो वो सच नहीं हो जाता है. आप किसी दिग्भर्मित सिंह या किसी राहुल या सोनिया गाँधी से न डरे और न ही झुके. क्यूंकि तुम्हारे बाप दादा भी नहीं झुके थे, जिनके बाप दादा घास कि रोटिया खाकर और राणा सांघा जैसे लोग जिसके शारीर पर एक हजार जखम थे भी अंत तक इस्लामी आतंकवाद से लड़ा था. हम उस गुरुगोबिंद सिंह और सावरकर कि औलाद है जिसने वीरता कि नई गाथाये लिखी थी, हमारा आज का पंजाब जो इस्लामी आतंकवाद के १००० हमले खा कर भी देश का सबसे संपन राज्ये है कि वीर भूमि के सपूत है. हम उस उन्नी कृष्णन के भाई है जो केरला में पैदा हुआ, बेंगलोर में पढ़ा, बिहार रेजिमेंट में भर्ती होकर कश्मीर कि सर्द हवाओ में देश के दुश्मन से टक्कर ली और महाराष्ट्र कि पवित्र भूमि पर देश के अतंकवादियो से लड़ते वीरगति को प्राप्त हुआ. तो मेरे मित्र श्री दिग्भर्मित सिंह जी आपकी त्रिमूर्ति को मेरे देश का बच्चा सबक सिखाने का जज्बा और हौंसला रखता है. इस देश के लोग सो रहे है मरे नहीं है, और टुनिशिया - मिश्र कि जनता से भी गए गुजरे नहीं जो अपनी सत्ता के नशे में अहंकारी और रक्षाशी अट्टहास से देश कि जनता के ऊपर बैठे लोगो को सबक न सीखा सके. क्रांति मूर्त रूप ले रही है यह घोटाले और भ्रष्टाचार का नंगा नाच उसपर महंगाई हर पेट को क्रांति कि जमीन तैयार कर रही है. राम के वनवास जाने से चाहए कितने रावन मारे गए परन्तु हिन्दू ने मन्थरा और केकई को आज भी नहीं बक्शा है. 
जय भारत जय भारती 

9 comments:

  1. हम उस उन्नी कृष्णन के भाई है जो केरला में पैदा हुआ, बेंगलोर में पढ़ा, बिहार रेजिमेंट में भर्ती होकर कश्मीर कि सर्द हवाओ में देश के दुश्मन से टक्कर ली और महाराष्ट्र कि पवित्र भूमि पर देश के अतंकवादियो से लड़ते वीरगति को प्राप्त हुआ.वाह..

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  2. त्यागी जी, नमस्ते
    पूरा लेख ज्ञानवर्धक और उत्साहवर्धक है | विशेषकर नितीश के बारे में जो विचार हैं, १६ आने सही हैं | दो पैसे की बुद्धि और औकात वाला नितीश जब संघ, मोदी, भाजपा, और कश्मीर पर कुछ बोले तो ये हास्यास्पद ही है | अरे ये नितीश तो हर भाषण में रोते रहते हैं कि केन्द्र पैसे नहीं देता | क्यों नहीं दम ठोककर कहते की बिहार अपने पैरों पर खड़ा होगा और मोदी से सीखते की कांग्रेस पर कैसे जूते मारे जाते हैं | वैसे लालू के हालात से कुछ सीखे नहीं तो तैयार रहिये | मोदी की तरह जय जय गर्वी बिहार क्यों नहीं बोलते | शायद जय कहने पर मुसलमान बुरा मान जायेगा | डूब मरो गंगा मैया के दो चुल्लू पानी में | कुँवरसिंह की धरती का अपमान मत करो |

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  3. आपका पूरा लेख पढने के लिए बाध्य करता है.त्यागी जी ये बातें सभी राष्ट्रवादी लोगों को समझना चाहिए,हमेशा चाँद लोग हमें दिग्भ्रमित करते आये हैं,और हमारी भी कुछ गलतिया हैं,वेरना जिस देश की ८०% अधिक जनसँख्या हिन्दू हो,वहां माँ वैष्णो देवी के यात्रा पर जजिया और हज पर सब्सिडी नहीं मिलती.
    आप इस ज्वलंत मुद्दे को लोगों के सामने इतनी सरल भाषा में लेकर आये इसके लिए आभार

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  4. aap kya jante ho bihar ke bare me aur nitish kumar ke bare me........

    if u not know about anything then no comment on that system n any persion. why nitsh call modi............in bihar.... wo jitwate kya nitish kumar ko ya bjp ko?

    yadi modi har jagah ki politics alag hoti hai. modi ji gujrat ke ser hai manta hu but har state me wo bjp ko nahi jitwa sakte hai.

    yadi aap ko aisa lagta hai to modi ji ko tamilnadu, west bangal aur kerla ke election me bhejiye. yedi wo BJP ko jitwa de to bahut achhi baat hogi

    at list wo 2014 me BJP ka sarkar hi banwa de new delhi me.. aur modi ji khud PM bane.

    is se badhi khushi ki baat mere lia koi aur nahi hogi.

    i know very good . ki modi ji ek achhe leader hai. he know how to develop state and people.


    wo ek achhe bakta hai ek achhe netritwa chhemta hai unme.

    i hope 2014 ke lia PM ke lia modi ji ange aayenge.

    but it is possible.

    when BJP won seat in every state. like Tamilnadu. west bangal, kerla , Andhra pradesh, northeast state, Uttar pradesh,maharshtra, Jammu& kasmir and UT like mumbai, newdelhi etc.

    i know BJP is strong in MP, gujrat, chhatisgrah, but also average in jharkhand, panjab hryana, orissa

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  5. Bharat Mata ki jai
    Jaikara veer Bajrangi, Har Har Mahadev

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  6. वन्दे मातरम जय श्री राम ,
    हम न तो किसी से डरे हैं और न ही डरेंगे उत्साह बनाये रखने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद |

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