अरे नहीं डाला नहीं डाला पर पप्पू फिर भी बार- बार, हर बार जीत ही रहा है. भारतवर्ष के प्रधानमंत्री ने अभी हाल में संपन्न असम के चुनावो में वोट नहीं डाला, खैर कोई बड़ी बात तो है नहीं एक पूर्व नौकरशाह यदि भारत के लोकतंत्र को जूते की नोक पर रखता हो तो कोई बड़ी बात मानना और उसको बतंगड़ बनाना ठीक भी नहीं है, और सबसे बड़ी बात है उनकी अपनी पार्टी कांग्रेस भी ऐसा ही मानती भी है. परन्तु हम जैसे आम भारतीयों जिनके हाथ में लोकतंत्र का झुनझुना पकड़ा दिया गया है को तो कोफ़्त होती ही है. परन्तु सरदार मनमोहन सिंह को आखिर जरुरत भी क्या है इस ढकोसला करने की सो पप्पू ने वोट नहीं डाली, भाई मैं तो पहले से ही कह रहा हूँ एक अन्तराष्ट्रीय गेंग ने भारत सरकार चलाने का ठेका ले ही रखा है और वो ही चला रहा है.
सोनिया गाँधी का (हिन्दू ) ग्रहणी के रूप में मेकप कर दिया और पकड़ा दी एक रोमन लिपि में लिखी हिंदी भाषण की चार लाइने. अब उसको पता ही नहीं की "गधे मल्ल" को वोट देनी की अपील करवानी है या "गेंदे मल्ल" की, जैसे की केरल में यू डी ऍफ़ को वोट डालने की अपील करनी है या एल डी ऍफ़ को. और यह गलती एक बार नहीं चार बार की है, गलती हो भी क्यूँ न जब उसको मालूम ही नहीं की वो बोल क्या रही है, वास्तव में मेरे जैसे लोगो की बहुत ही बड़ी पीड़ा यह है की हिंदुस्तान की मीडिया अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की स्पेल्लिंग गलती पकडती फिरती थी, टोनी ब्लयेर की पोटेटो (अंग्रेजी शब्द) की भी स्पेल्लिंग मिस्टेक पकडती फिरती रही है. अब पता नहीं क्यूँ सोनिया गाँधी की पहाड़ जैसी गलती को भी नजरअंदाज करती फिर रही है. आप यदि राहुल गाँधी के अच्युतानंद (केरला के मुख्मंत्री) के उम्र सम्बन्धी बयान की क्लिपिंग बड़े ध्यान से देखे तो पाएंगे की वो बयान भी फ्लो में नहीं है. उस वाक्य (क्यूंकि वो भी किसी का लिखा ही था) को भी अटक अटक कर बोलते है. चलिए में बाल की खाल उतारने जैसी फालतू कवायद नहीं करता तो भी इतना तो काफी है ही देश के लोगो के लिए की देश का लोकतंत्र (ढकोसला) खतरनाक होने की हद तक को भी पार कर गया है. अरे इसको लोकतंत्र भी क्या कहे सीधे सीधे देश पर विदेशी कब्ज़ा है यह. सिंह इज किंग (मनमोहन सिंह) जब जब अपने जीतने पर दो दो (विक्ट्री का निशान) ऊँगली उठाय नाचता है तो बस यह ही लगता है की वो दो ऊँगली हमारी आँख में घुसा कर आंखे फोड़ने की पुरजोर कौशिश करता है, और बार बार लोकतंत्र को अँधा करता और उसको धुल धूसरित कर अपनी ताकत का ही बोध करता सा प्रतीत होता है.
मैंने जो अन्तराष्ट्रीय गेंग की बात की तो वो सत्य भी है, आप ही देख लो की देश का प्रधानमंत्री चीन की विदेशी यात्रा पर जा रहा है और देश के प्राइवेट चेनल पर कोई चर्चा ही नहीं, चर्चा इसलिए नहीं की इधर चुनाव चल रहे है और देश का प्रधानमंत्री विदेश दौरे पर है. अरे कमाल तो यह है की दूरदर्शन और डी डी न्यूज़ इस दौरे को अपने चेनल पर दिखा रहा है परन्तु प्राइवेट चेनल इस खबर से बेखबर है. हमारे देश के यह चेनल स्वयं ही बता सकते है की इस सरकार को चलाने के लिए उनकी कितनी- कितनी भागीदारी है. मित्रो कई चेनल और अखबारों के संपादक तो इतने बेशर्म है की सरकार की तरफदारी इस कदर करते है की एक बार तो इतनी वफादारी करने के लिए कुत्ते भी शर्मा जाये.
कुछ एन जी ओ, पत्रकार, विदेशी सरकार, भ्रष्टाचारी नेता और पूर्व नौकरशाह ही इस सरकार को चला रहे है. अरे चलाये भी क्यूँ न जब विदेशी सरकारे भारत पर कब्ज़ा करने के लिए देश के सांसद खरीद सकती है (वोट फॉर नोट प्रकरण) तो फिर मीडिया तो बिकने वालो में सबसे आगे है. और होशियार इतने के बीजेपी और संघ तक को इतना उलझा रखा है की वो भी बेनकाब करने में असमर्थ है, वास्तव में इतनी कोफ़्त है की कभी कभी तो लगता है की वामपंथी ही इस सरकार का भांडा फोड़ने में सक्षम होंगे. परन्तु है तो वो भी लाल बंदर उस्तरा तो उनके भी हाथ में खतरनाक है.
तो मित्रो रास्ता क्या है. क्यूंकि बेशर्म मीडिया, स्वार्थी एन जी ओ और खीं खीं करते आड़े तिरछे मुहं के भ्रष्ट नेता तो कभी भी विदा होते नहीं दीखते बल्कि अपने बचाव में एक "अन्ना हजारे" और खड़ा कर दिया. और पप्पू को तो वोट पर ही भरोसा नहीं अपने धर्मपत्नी को लेकर देश से ही बहार चला गया. अब अन्ना हजारे के आने के लाभ देख लो "क्या मित्रो अन्ना के पिक्चर में आने से विकिलीक्स का जिक्र भी सुना आपने" नहीं न ! भाई यह अंतराष्ट्रीय गैंग जो की यू पी ऐ की सरकार चला रहा है इस को एक चार्ट के माध्यम से समझते है.
पप्पू (क्षमा करे मित्र, सरदार मनमोहन सिंह को पप्पू कहेने की हिम्मत उनके खुद सरकार के वोट डालने के अभियान चलाने और वोट न देने वालो को पप्पू कहने पर ऐसा कहे पा रहा हूँ) न वोट डालता, न खुद लोकसभा का चुनाव लड़ता और न ही जीत पाता, न ही लोकसभा का सदस्य है, और न ही बनाना चाहता. हाँ परन्तु हर बार, बार- बार प्रधानमंत्री जरुर बनता है, और देश की संसद में अकेले दम पर विश्वास मत भी जीत लेता है. अब पप्पू बिना वोट डाले यह सब कर लेता है तो किस गधे को जरुरत "किसी संविधान को मानने की". और जहमत उठाने की असम जाकर वोट डाल कर आये. सारा हिन्दुस्थान देख रहा है बिगाड़ सको तो कुछ बिगाड़ लो. क्यूंकि सिंह इज किंग है.
अब श्री नरेंदर भाई मोदी याद भी दिला रहे है वो भी "आंबेडकर का संविधान" कहकर और कांग्रेसी फरेब में थोडा सा उलझ कर. पता नहीं यह भारत का संविधान है या दलित नेता आंबेडकर का. कांग्रेस ने हर पाप को आंबेडकर के संविधान के पीछे छुपा कर किया है. और ४२ संसोधन कर भी लिए परन्तु आंबेडकर के नाम की दादागिरी से कुछ लोग अनुपम खेर को ही धकिया रहे है. जो लोग अनुपम खेर का विरोध कर रहे है वो जान ले यह भारत का संविधान किसी के बाप का नहीं है , पुरे हिन्दुस्थान का, हिन्दुस्थानियो के लिए, हिन्दुस्थानियो ने बनाया है. जब तक लगेगा इस से हम सुरक्षित है इसके दाएरे में तब तक ठीक, नहीं तो इसे भी बदले या संसोधित करेंगे ही. देश जब रामायण, महभारत, मनुसमृति, गीता, रामराज्य, वैदिकता के दायरे से बहार जाकर कोई नए संविधान बना सकता है तो फिर "एसे इस में कौनसे सुरखाब के पंख लगे है". औषधि मनुष्य के लिए बनती है, आदमी औषधि के लिए नहीं. जिनको यह बात समझ आती है उनको मेरी सदाशयता और जिनको नहीं वो पप्पू से पूछे की उसने वोट क्यूँ नहीं दी, बिना बात के एक शरीफ इंसान अनुपम खेर पर क्यूँ धोंस जमाते हो.
दम है तो इस संविधान के स्वम्भू ठेकेदार देश के प्रधानमंत्री से सवाल जवाब तलब करे और उनके घर के सामने प्रदर्शन करे तो पता भी चले की इन तिलों में तेल कितना है.
अब देखना यह है की सिंह इस किंग हिंदुस्तान की वोट को ठोकर मारकर, उसी देश के साथ पींगे बढ़ा रहे है जो खुद लोगो के वोट (लोकतंत्र) को तरजीह नहीं देता, कही ऐसा तो नहीं की चीन जाने के लिए पहले से प्रेक्टिस कर रहे हो. शुक्र है चीन जा रहे है लीबिया या पाकिस्तान नहीं!!!!!!!!!!!!!!!!!
इसीलिये संविधान में संशोधन कर मतदान को अनिवार्य करना चाहिये. आज डा०अम्बेडकर जीवित होते तो पथराव करने वालों को बाहर का रास्ता दिखा चुके होते..
ReplyDeleteWah Bhai Wah.....
ReplyDeleteAb Bhi Sharm Nahi Ayee inko to.......
kab ayegi??????????
bharat me aisa tab tak hota rahega jab tak ek nayi kranti nhi hogi..punah swatantrta ki.....jab tak ye kameene congeressi aur gandhi nehru parivaar ki haalat hosni mubarak jaisi nhi ki jaati......
ReplyDeleteJise daan men p. M ki kursi mil jaye use kya jarurat hai vote dalne ki wo kya jane vote ki ahmiayat jo andheron se nikal kar ata hai use ho roshni ki talash hoti hai jise sab kuch kherat men mila ho use mehnat karne ki kya jarurat hai jo bhi hai koi singh hone se sher nahi ban jata hai singh is kingh nahi singh is a pappu
ReplyDeleteप्रिय त्यागी जी ,
ReplyDeleteमें आपसे संपर्क करना चाहता हूँ पर आपका कोई इ मेल पता नहीं मिला चूँकि में आपके लेखो से प्रभावित हूँ और आपसे बात भी करना चाहता हूँ . हिंदी लिखने में बहुत समय लगता है .
अशोक गुप्ता, दिल्ली,
९८१०८ ९०७४३
Shree Ashok Gupta ji
ReplyDeleteyou can mail me on my ID parshuram27@hotmail.com.
Regards
Tyagi
Pappu can't vote sala
ReplyDeletetyagi jee bahut hi sahi bat kahi hai apane...Pappu Eda ban kar Peda khha raha hai
ReplyDelete