Monday, April 15, 2013

नितीश कुमार भ्रम के शिकार और गठबंधन द्रोह !!!!!!!!!!!!!!!


आज थोडा राजनैतिक होने के लिए क्षमा चाहूँगा। नितीश कुमार के लिए लिखना जरुरी इसलिए हो गया क्यूंकि नितीश ने भी वो ही गलती की जो कभी अन्ना हजारे या अरविन्द केजरीवाल ने की थी। मेरा अभिप्राय नितीश कुमार की अन्ना जी से तुलना कतई नहीं है. बात है देश को समझने कि. 

असल में श्री नरेन्द्र मोदी जी कोई बहुत बड़े नेता नहीं है और न ही कोई युग पुरुष है. मुद्दा यह है की जो नरेन्द्र भाई मोदी कर रहे है वो भारत की जनता को अरसे बाद देखने को मिल रहा है. श्री मति इन्दरा गाँधी जी की छवि भी एसी ही थी और आज नरेन्द्र मोदी की भी कुछ कुछ एसी ही छवि है. क्यूंकि नरेन्द्र भाई ढर्रे पर नहीं चलना चाहते और बाकी की नेता देश को वो ही घिसी पिटी लाइन  पर रोके रखना चाहते है और यह ही अगले लोकसभा चुनावो की भी लड़ाई है. 

नितीश कुमार और बाकी के जो नेता नहीं जानते की नरेन्द्र मोदी का वोट बैंक वो ही है जो श्री मति इंदरा गाँधी का थ. जब कांग्रेस एक तरफ थी और इंद्रा गाँधी एक तरफ तब भारत की जनता ने इंद्रा गाँधी एक शक्शियत को जीता कर दूसरी और नेताओ के जमवाड़े को धूल चटा दी थी। वो इंद्रा गाँधी का वोटर आज मोदी के पीछे है. और इसके लिए आपको ज्यादा  नहीं करना पड़ेगा आपको अगले एक साल में पता चल जायेग. 

कुछ लोगो को बुरा जरुर लगेगा परन्तु इस देश ने अटल बिहारी वाजपाई नामक मोडल को पूरी तरह नकार दिया था। जो लोग यह सोचते है की खाली विकास चुनाव में जीत की गारेंटी है तो वो चन्द्र बाबु नायडू और अटल बिहारी के शासन का हाल देख लो. और जो लोग मोदी के टोपी न पहन ने को मुद्दा बना रहे है वो भी जान ले की मोदी जी को पता है की विकास की बाते भी तभी तक लोग सुनेंगे तब तक उसके पीछे हिंदुत्व का सिधांत है. ६ साल से कोमुनिस्ट भारतीय उप महाद्वीप में भटक रहे है पर मिला क्या? कारन है देश की आत्मा से कटना। जो मुर्खता केजरीवाल और अन्ना जी भी कर चुके है. अरे यार आप तो बिलकुल हिंदुत्व के प्रतिकूल कार्य कर रहे हो. यदि हिंदुस्तान में लोग विकास के मुद्दे पर ही जीतते तो हिन्दुओ के मंदिर तिरुपति, वैष्णो देवी पद्मनाभन की तरह धनी न होते. एक सीमा के बाद लोग विकास को पूछते ही नहीं है. अरे नितीश बाबु हिंदुत्व न सही कम से कम "मासलो नीड थेओरी" ही पढ़ लो. 

नितीश कुमार ने जो कल कहा उसको सिर्फ और सिर्फ लल्लू यादव का कथन ही याद आता है की " ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नितीश कुमार ने ठगा नहीं " मित्रो नितीश कुमार की दुर्भावना यहाँ नहीं शुरू होती है शुरू होती है उस दिन से जिस दिन इसने पटना में बीजेपी के साथ रात्रि भोज कैंसिल किया था। क्या हो जो बीजेपी ही नितीश कुमार के मुख्यमंत्री पद पर उमीद्वारी स्वीकार न करे. आज राजग विपक्ष में है जब नितीश कुमार के नखरे और कुप्र्वचन ऐसे है यदि आज सत्ता में होते तो क्या होता।

मुझे सिर्फ यह ही कहना है की नितीश कुमार अपने स्वार्थ के लिए दिल्ली में मोदी जी जो एक सम्मानित नेता है के बारे में एक घटक दल के मुख्यमंत्री होते इतना घटिया बोलना उनकी व्यक्तिगत छवि के लिए हानिकारक है. इतने साफ़ साफ़ शब्दों में नितीश कुमार ने बीजेपी के नेता के बारे में बोल उस से केवल यदि किसी को रहत मिली होगी तो वो कांग्रेस ही है. नितीश कुमार जी आप गटबंधन धर्म का पालन करने से पूरी तरह चुक गए और यह चुक आपको राजनितिक रूप से बहुत भरी पड़ेगी। 

पहले लल्लू और पासवान थे जिनको यह भ्रम था की बिहार की जनता मुस्लिम तुष्टिकरण की हामी है और अब आप भी इस भ्रम का शिकार हो गये. बिहार ने कोई ठेका नहीं उठा रखा देश से अलग चलने का। बिहार भी भारत का अभिन्न अंग है और बिहार को भी बाकी देश की ही तरह सोचने और करने का हक़ है। यदि मुंबई में शिवाजी पार्क में मुस्लिम गुंडे आक्रमण करते है तो क्या एक बिहारी का दिल नहीं दुखता, देश में पाकिस्तान का आक्रमण क्या बिहारिओ को द्रिव्त नहीं करता मंदिर राम का बने इस में बिहारी को क्या आगे बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लेना। ९० के दशक की लल्लू टाइप नौटंकी यदि करनी ही है तो खुल्लम खुल्ला करो. देश आज से नहीं कई दशको से कांग्रेस के एजेंटो से वाकिफ है. लोग नहीं भूले कैसे कांग्रेस के इशारो पर हर बार हिन्दू शक्तिओ को तोडा जाता है. फर्क सिर्फ इतना है की इस बार इनकी पहचान सत्ता आने से पहले हो गई है. परन्तु नितीश कुमार जी प्रशन आप से है की यह शिखंडी का व्यव्हार क्यूँ ?  

3 comments:

  1. धो डाला आपने तो ............बहुत अच्छे .

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  2. देखिये क्या होता है. भारत की जनता का मतदान के समय कोई भरोसा नहीं.

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  3. एकदम सही कहा आपने। न्यूज़ चैनलों पर JDU के नेता आकर पिछले काफी समय से मोदी के खिलाफ तमाम बातें कहते थे, बाद में बस "हम किसी पर व्यक्तिगत आरोप नहीं लगा रहे" , इस एक वाक्य को कहकर समझते हैं, मानो आम जनता मूर्ख है. इनके पीछे सत्ता की लालसा छुपती है ही कहीं। झूठे मक्कार लोगों के मुह से धर्म निरपेक्षता के प्रवचन सुनकर कितना कड़वा हो आता है हमारा अन्तर्मन. बस करो, अब अपने मुखोटे उतारो. मोदी को तुम्हारे जैसे मतलबी लोगों के समर्थन की ज़रुरत नहीं है.

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