१० साले के नियुनतम स्तर पर पहुची भारत की अर्थव्यवस्था कम से कम एक बात का तो अह्सहास दिला ही देती है की सोनिया गाँधी के त्याग की आखिर कीमत क्या है. झूट की हांड़ी में झूट पकाने से देश की हालत एक दम जर्जर हो चुकी है. कथित इमानदार अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री सिवाए घोटालो और मनुह्सियत के आलावा दे ही क्या पाया है. देश का बंटाधार और खजाना खाली कर के ही दम लिया राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह तीन तिलंगो ने.
सिवाए सरकार सत्ता में बनांये के एक भी एसा काम नहीं किया गया जिस से भारत गर्व से सीना चौड़ा कर दुनिया के सामने गर्जना कर सके. कांग्रेस के प्रपंच छत्तीसगड में सबके सामने है की मुगलों के तरह आज भी सत्ता के लिए एक दुसरो के गर्दने उतारी जा रही है. शर्म आनी चाहिए कांग्रेस के रहेनुमाओ को देश को इस गर्त में धकेलने के लिये. अच्छा जुमला कुछ कांग्रेसी उछाल रहे है की सोनिया गाँधी "लड़ाकू" है. वहा क्या बात है १० साले पहले त्याग की देवी और अब लड़ाकू। मुझे तो डर लगता है की अभी और कितनी नफासत इस देवी के अन्दर है जो एक एक करके जनता को भरमाने की कुव्वत रखती है. क्या २०१४ का चुनाव देवी जी की लड़ाकू प्रवृत्ति पर लड़ा जायेगा या राहुल गाँधी की माचो मैन की छवि पर। खैर कांग्रेस का भारतीयों को बेवकूफ बनाने का होलसोल ठेका जो है.
आज जब १ ० साल पीछे देखते है तो पाते है की हर व्यापारी में उर्जा थी दुनिया फतह करने की लोगो के सामने २ ० २ ० का विजन थ. देश की अर्थव्यवस्था हिलोरे मार रही थी। परमाणु बम के विस्फोट के प्रतिबंधो के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत थी। दुनिया मजबूर थी भारत की शक्ति के आगे झुकने को परन्तु आज दुनिया भारत पर तरस कर रही है. कांग्रेस और वाम दलों की दुरभिसंधि देश को अन्धकार में धकेल चुकी है. कोई शक नहीं सप्रंग १ में राजग की मेहनत का दोहन किया थ. सप्रंग २ में तो देश का बट्टा ही बैठ गया। कुछ लोगो ने तो २ ० ० ४ में और २ ० ० ९ में कांग्रेस को आने को विदेशी षड्यंत्र तक कह दिया। कोई कारण नहीं देश की अर्थव्यवस्था को इतना निचे गिरने का। देश पूछना चाहता है की देश की सरकार देश की अर्थव्यवस्था की लिए कर क्या रही है. हो क्या रहा है सिवाए अंधेर नगरी और चौपट राजा के पांचवी बार राज्यसभा के सिंहनाथ के. किसका प्रधानमंत्री और कौन प्रधानमंत्री? शर्म के मार सर झुक जाता है जब मीडिया भी सरकार हलक की आवाज बन कर आई पि एल जैसे घटिया और दोयम दर्जो को पहुँचाने के माध्यम भर बन जाती है. आप देखलो हर न्यूज़ चैनल पर क्रिकेट की न्यूज़ मिलेंगी। अरे जो होआ वो हुआ पर वो क्या देश को लूटने और बर्बाद करने से भी बुरा है. सार चैनल श्री निवास से इस्तीफा एसे मांग रहे है जैसे कोई देश का राष्ट्रपति हो. एक तरफ आई पि एल के मैचो का निर्बाध प्रसारण और दूसरी और प्राइम टाइम में क्रिकेट के सट्टे की खबरे। वाह मीडिया की क्या नौटंकी है सरकार का हुकम भी बजाओ और बाजार में संतुलन भी बैठाओ। पहले मीडिया सरकार के विपक्ष में लिखती थी जिस से देश के नागरिक सरकार पर लगाम लगा पाते थे . अब तो मीडिया सरकार की गोद में बैठा है. कोई उम्मीद नहीं है. सरकार देश को अँधेरे में सरकारा रही है और भारत निर्माण नहीं बल्कि भारत की रात का निर्माण इस सरकार न किया है. सोचो मित्रो यदि २ ० १ ४ में भी कांग्रेस होगी तो देश का क्या होगा ??????????????????????
हो रहा भारत निर्माण. सबको हक मिल ही जायेगा बस दो टेन्योर और मिल जायें.
ReplyDeleteसही कहा है !!
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