उतराखंड की त्रासदी में क्या कुछ अजीब आपको नहीं दीखता है। वैसे कहेने वाले तो इसे कांग्रेस माया का एक मायाजाल बता रहे है।
कांग्रेस का षड्यंत्रों का इतिहास है। और कमाल यह है की भारत के लोग इन षड्यंत्रों का समझते हुए भी समझना नहीं चाहते। वैसे इसके कारण है!!! एसा क्यूँ है पर मानने वाले तो मान लेंगे और जो नहीं माने वो भी मुंडी हिलाकर चलते बनते है। असल में २ ० ० साल अंग्रेजो के राज के पीछे भी तो कोई कारण होंगे? चलो गुलाम हुए तो हुए पर कोई भी देश गुलामी के बाद भी गुलाम हो एसा किसी देश के इतिहास में नहीं सिवाए भारत के। पर क्यों ? कारन है "इंडिया इज आइडिया". देश के अधिकारी वर्ग हो, बड़े नेता हो , इतिहासकार हो , शिक्षाविद हो किसी से भी पूछ लो वो भी भारत को एक आइडिया ही कहेंगे। विशेषकर "श्री राम चन्द्र गुहा" जी से पूछ लो तो वो इस पर एक लम्बा लेक्चर दे देंगे। अच्छा यह भारत माता - वाता इन लोगो के लिए कोई मायने नहीं रखती। यह तो बस हम जैसे बुद्धू , अपढ़ और जाहिल भारतियो के "सेंटीमेंट" के कद्र भर है। अब केजरीवाल को ही देखलो भारत माता का अन्ना हजारे के मंच से फोटो ही हटा दिया जब कांग्रेसी और वामपथियो ने आपत्ति की।
एक चाय वाले ने कांग्रेस, वामपंथियो, माओ वादियो, सेकुलर लोगो के पेट में हलकान भर रखा है। और इस चाय वाले का नाम "श्री नरेन्द्र भाई मोदी" है। क्या कभी आपने सुना है की विभिन्न राज्यों की मुख्मंत्री किसी दुसरे राज्ये में जाकर त्रासदी पर लोगो को सीधे बचा रहे है? नहीं !! पर उतरांचल में हुआ है विभिन्न राज्यों के मुख्मंत्री लाइन लगा लोगो को बचा रहे है . क्या श्री नरेन्द्र भाई मोदी को इसका क्रडिट नहीं देंगे ? अरे कांग्रेसी तो छोड़ो तेलगु देशम जैसे दल जो मुस्लिम वोट के घोषित भीखमंगे है वो भी हिन्दू तीर्थ स्थल पर सहयता करने के लिए लड़ रहे है. वाह नरेंदर भाई आपका भी कमाल है . जैसा सोचा उस से ज्यादा नपुंसक है यह सेकुलर भाडू। पर अच्छा है आपकी नक़ल ही सही पर देश का कुछ तो भला हो रहा है।
कई विचार है श्री केदारनाथ के ऊपर प्राकर्तिक आपदा के। कुछ लोग "धरा देवी " की मूर्ति हटाने के बताते है, कुछ गाँधी सरोवर को तोड़ने का कारण बता रहे है , कुछ बादल फटना बता रहे है, कुछ चीन की कलाकारी बता रहे है तो कुछ कांग्रेस का षड्यंत्र बता रहे है . मोटे तौर पर लोग मानते नहीं की कोई दल इतना भी गिर सकता है खैर मानने वाले तो यह भी मानते है की जो लोग अपने आराध्यो भगवान् शिव , राम और कृष्ण की दुर्दशा पर हँसते है और अपने माँ बाप को वृद आश्रम छोड़ देते है वो वोट के लिए क्या श्री केदार नाथ और बद्री नाथ को छोड़ सकते है। जो दिल्ली से ५ ० ० किलोमीटर के दायरे में हिन्दू भगवान् का अस्तित्व नहीं मानते उनको १ ० ० ० किलोमीटर दूर बिहिड़ो में भगवान् से मतलब क्या ? कमाल है दिल्ली में श्री राम भक्तो पर लाठिया चलवाते हो और श्री केदार नाथ के तीर्थ के लिए "विज्ञापन सहयेता ".
दाल में काला नहीं ?
श्री केदारनाथ का निर्माण तो श्री राम जन्मभूमि क्यूँ नहीं, कृष्ण जन्मभूमि का क्यूँ नहीं? बाबा विश्वनाथ का क्यूँ नहीं ? जब अंग्रेज गए तो "कनाट प्लेस " राजीव गाँधी चौक " तो बाबरी ढांचा - श्री राम जन्मभूमि क्यूँ नहीं ? क्यूंकि यह "इंडिया इज आइडिया" में नहीं आता। हा हा हा हा मित्रो आप भारत में नहीं रहेते एक "आइडिये" में रहेते है और उसका नाम इंडिया है जो कांग्रेस जनित है। क्या मजाक है ५ ० ० ० वर्ष की सभ्यता के साथ। और यह ही अंतर है एक चाय वाले की सोच में और त्याग के ठेकेदार गाँधी परिवार में। गाँधी परिवार को यह पता चल जाये की भारत की सत्ता किसी राष्टवादी हिन्दू के हाथ आने वाली है तो वो हर संभव कोशिश करेगे की इस "इंडिया इस आइडिया " को कोई और ले न ले। अरे साक्षात् देश पर आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस तो लोकतान्त्रिक है और ३ बार मुख्मंत्री बनकर राज्ये को विकसित करने वाला तानाशाह। वहा मैं वारी जायुं , बलिहारी जाऊं इन तर्कों पर।
देश की गद्दारों की संताने "चाय वाले " को फेंकू बता रही है। "भारत निर्माण " के फर्जी कार्यक्रम बनाने वाले फ़िल्मी लोग देश के स्वेम्भु शिक्षाविद बने घूम रहे है .
श्री केदार नाथ की त्रासदी की टाइमिंग पर क्या कोई शक नहीं है। कोयला घोटाला से ध्यान हटाने के लिए यह सब तो बाये हाथ का खेल है . अब स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कटघरे में हो तो कुछ एक भारतीयों की मौते इनके लिए क्या मायने रखती है। क्यूंकि इतिहास गवाह है की इंद्रा गाँधी अपनी जिद्द के लिए पुरे भारत को आपातकाल में बंधक बना सकती है। नेहरु भारत माता के दो टुकड़े कर सकता है , गाँधी (जो राष्ट्र पिता नहीं उसे कांग्रेस विज्ञापन के माध्यम से ५ ० ० ० वर्ष की सभ्यता का बाप बना रखा है ) अपने स्वार्थ के चलते पटेल जैसे नेता को प्रधानमंत्री नहीं बनने देता। सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस से धक्के मार कर बहार कर सकते है व्यक्तिगत हितो के लिए। पांच हजार सिखों को दिल्ली की सडको पर जला सकते है। गरीबी हटाने के नाम पर सत्तर करोड़ लोगो को भिखारी बना सकते है. बीस लाख लोगो का बंटवारे के समय कत्ल होने देती है, लाखो के सुहाग उजाड़ सकती है। करोडो को बेघर कर सकती है, अमरीका और चीन को दिया कमिटमेंट की भारत को फिर से १ ९ ९ ० के दशक में लेकर आयेंगे और ग्रोथ रेट ३% पर ला दी। तो क्या कुछ एक षड्यंत्र नहीं रच सकती।
भारत की जनता कांग्रेस के लिए एक "इंडिया आयडिया" से आगे कुछ भी नहीं है और इस एक आइडिये के लिए करोडो के खून से भी कांग्रेस नाहा सकती है . क्यूंकि यह उसकी जिद्द है की भारत उसने बनाया है और कोई नरेन्द्र मोदी इस देश को उस से छीन नहीं सकता . बस जैसे इंद्रा गाँधी की जिद्द थी की भारत उसके बाप का है और यह ही जिद्द सोनिया गाँधी की है की कोई कितना भी बड़ा मानसिक रोगी हो पर भारत का शासक कोई चाय बनाने वाला नहीं बन सकता "एक मानसिक रोगी " ही "कांग्रेस मेड भारत" का नायक होगा।
इस जिद्द को पूरा करने में एक नहीं कितने हिन्दू तीरथ स्थल तबाह हो या कितने लोग मरे इस से गाँधी परिवार और कांग्रेस को कुछ लेना देना नहीं . भारत जैसे सोने की चिड़िया किसी कीमत पर भी भारत के अपने लोगो के पास नहीं जाने चाहिए फिर चाहए एक और आपातकाल ही भले क्यूँ न लगा दिया जाये।
और जो लोग आने वाले २ ० १ ४ के चुनाव को नेताओ की जंग मान रहे हो वो सावधान हो जाये यह कोई नौटंकी नहीं बल्कि हिंदुस्तान की तक़दीर का फैसला होने जा रहा है की भारत "नपुन्सको मान सिंह, जाफर " का राष्ट्र है या राणा संगा, प्रताप और वीर सावरकार का है .
पेट्रोल ७५ रूपये, ग्रोथ रेट ३%, अगले सात महीने के आयात का मात्र विदेशी मुद्रा, ७ ० पर रुपया, चार सिलेंडर पर टिका हिन्दू सयुंक्त परिवार का भारत , कोयले की कालक से काला भारत, एक त्याग की देवी के झूटे फरेब से भूलुन्टित भारत, मानसिक रोगी को देश का शासक बनाने की जिद्द, कांग्रेसी गेंग की जकडन में देश की सरकार और उसका शासन, माया मुलायम की नौटकी की दिल्ली, केदार नाथ को मरघट बनाने वाले कांग्रेसी सरकार, उतराखंड की बर्बादी के चाटुकार नेताओ का भारत राष्ट्र है या उन करोडो लोगो के शाहदत का भारत जो भारत को "मानव सभ्यता का पालना " कहेते है और इसको भारत माता कहेते है। फैसला आपका है क्यूंकि राजनीति के चिम्पू तो अपने स्वार्थ के लिए "गुजरती भारतीयों" की सहयता को भी लौटा रहे है अब चाहए वो मगध के पेट के मरोड़ से पैदा सच्चा सेकुलर मुख्यमंत्री हो या फिर गाँधी परिवार का चाटुकार मुख्यमंत्री हो। हर हाल में देश कांग्रेस के कब्जे में रहेना चाहिए तो लोकतंत्र अन्यथा देश का नेता हिटलर और मुसोलिनी।
टोपी पहना कर और पहन कर देश को लूटो तो लोक्तान्रिक तरीके, टोपी न पेहेन कर दोहरा चरित्र नहीं अपनाओ तो "साम्प्रदायिक "
सच वो जो कांग्रेस बोले बाकी सब "फेंकू, साम्प्रदायिक, तानाशाह और जाहिल" क्या कहेंगे कांग्रेस के इस प्रचार को आप।
क्या श्री दिग्विजेय सिंह, मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, जनार्दन दिवेदी, शकील अहेमद को देखते हुए हिटलर के प्रचार तंत्र के मुखिया गोबल्स की याद नहीं आती।
और कांग्रेस कहेती है बेचारे मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन, सिद्धार्थ सिंह, प्रकाश जावडेकर, सोनकर शास्त्री तथाकथित तानाशाओ के "गोब्ल्स". अँधा भी बता देगा की लोकतंत्र की आड़ में किसके पास कितने बड़े हिटलर के गोब्ल्स है और जो लोग एक वोट से लोकसभा में सत्ता गवाना गए, जोड़ तोड़ न करवा पाने की वजह से झारखण्ड में सत्ता से बहार हो गए। भ्रष्टाचार के झूटे आरोपी यदुरप्पा को भी न बचा पाए और कर्नाटक का दुर्ग गवां दिया। एक झंडू की बाम से पूरा बिहार गवां दिया, अपने समर्थन से मायावती को मुख्यमंत्री बनवा कर अपना उत्तर प्रदेश गवां दिया, देवेगौडा के बेटे को मुख्मंत्री बनवा कर अपनी सरकार गिरवा ली। बाबरी ढांचा "शिव सेना " ने गिराया और पांच राज्यों में सरकार भाजपा ने बर्खास्त करवा ली . वो तो हिटलर के गोब्ल्स है।
परन्तु देश पर आपत्काल लगा कर भी , देश की राजधानी दिल्ली में सिखों के नरसंहार करके भी, अपने धुर विरोधियो (माया, मुलायम , वाम दल ) के साथ केंद्र में सत्ता चलकर नैतिकता को समुन्द्र में फेंककर भी, गाँधी परिवार की तानाशाही और चाटुकारिता के बाद भी, अपने बूढ़े और निसहाये अध्यक्षों (नरसिम्हा राव और सीता राम केसरी ) को धक्के देने के बाद भी, मुम्बई को शंघाई बनाने, १ ० ० दिन में महंगाई समाप्त करने, देश से काला धन वापस लाने के झूटे वादों, गरीबी हटाओ के नौटंकी नारे के बाद भी , बीस लाख किसानो की हत्या करने के पाप के बाद भी, हजारो दंगो को कराने के बाद भी, जगदीश टाइटलर, सज्जन कुमार को बेशर्मी से बचने के बाद भी, नविन जिंदाल जैसे मीडिया की हत्या करने वाले घोटाले बाज के, रॉबर्ट वढेरा के पापो के बाद भी, पकिस्तान बनवाने के बाद भी, सेज के माध्यम से किसानो को घरो से दरबदर करने के बाद भी, घोटालो की लाइन लगाने वाली कांग्रेस सरकार के बाद भी, कोत्रोची को भगाने के बाद भी, सीबीआई को तोता बनाने के बाद भी, राष्ट्र के जासूसी ढांचे को ध्वस्त कर सैनिको और पुलिस को अतंकवादियो और देशद्रोहियो के सामने असाह्ये बनाने के बाद भी, देश के नेताओ (श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय, सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, की षड्यंत्रिक हत्या के बाद भी कांग्रेस भोली, स्वच्छ, पवित्र, त्याग की मूर्ति, लोकतान्त्रिक मूल्यों को मानने वाली, गरीबो की हितेषी, किसानो की पोषक और आम आदमी की पार्टी है।
वाह मित्रो इससे बड़ा "झूट " क्या हो सकता है परन्तु फिर भी और आज भी इस झूट का "निर्माण " जारी है।
कोई शक ??????????????????????????
bahaut sahi
ReplyDeleteये कांग्रेस देश के सबसे बडे गद्दार है
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