दोस्तों मैं वरुण गाँधी को फालतू मैं भाव देने को तो कतई तैयार नहीं. परन्तु वरुण ने वो काम किया है जिसको होना ही था. पिछले १००० वर्षो का गुबार है ये. कांग्रेस ने इसी गुबार को कभी निकल ने नहीं दिया. ऐसा भी नहीं की गाँधी परिवार मैं सभी इसी प्रकार के राहुल बाबा ब्रांड ही पैदा हुए है। नहीं. परन्तु क्या है की वरुण इस स्वतंत्र देश मैं गाँधी परिवार का पहला ग्रेजुअट है. उसकी स्वतंत्र सोच है और उनकी स्वाभाविक अभिवियक्ति है. अभी ये असर तो संघ का है परन्तु एसा बोला तो लोग संघ को कटघरे मैं खडा कर देंगे. संघ ने दुनिया मैं हिन्दुओ को अभिवियक्ति की तमीज़ सिखाई है.
संघ ने कहा है हिन्दू का मतलब गाँधी नहीं हिन्दू का मतलब चाणक्य, शिवाजी, राणा सांगा और परशुराम भी है।
संघ ने कहा है हिन्दू का मतलब गाँधी नहीं हिन्दू का मतलब चाणक्य, शिवाजी, राणा सांगा और परशुराम भी है।
अधिकार मांगने और अत्याचार का प्रतिकार करना गाँधी पर थूकना नहीं है।
बल्कि समय रहेते चेतना है. वरुण ने वोही कहा जो इस हिंदुस्तान का गली गली का बच्चा मुस्लिम अत्याचार से तड़प तड़प कर बोल नहीं पता। डर से हिन्दू होने पर कसमसा कर रहे जाता है। वरुण ने अच्छा बोला किसे है उसने मुस्लिम गुंडों को ललकारा था। जो किसी हिंदुस्तान के सगे नहीं हैं। उस बात को मीडिया ने मुस्लिमो पर हमला प्रचारित किया। अब हलाकि वरुण ने केवल अपने लोगो को डरने ना देनेका होसला ही दिया था परन्तु मीडिया ने उसके गले मैं सम्पूर्ण मुस्लिम पर हमला का ढोल बांध दिया और फिर क्या था अब बंध ही गया तो बजाना तो पड़ेगा ही।
ये वरुण वो ही है जिसने एक बार संघ सभा मैं ध्वज प्रणाम करने पर हाथ नहीं उठाया था जब इसी दो पैसे की मीडिया ने इस को गाँधी परिवार के संस्कार कहा था। परन्तु अब इस को संघ विचारधारा कह रही है. मीडिया के जानकारी के लिया बता दू न तो पहेला वाला सच था और न अब ही है. संघ इस नोटंकी मैं नहीं , नहीं तो प्रथम सरसंघ चालक स्वम्भू बन जाते. परन्तु इस रंगीन बकरी मीडिया को इस बात मैं कोई रूचि नहीं है. रूचि है तो कोई अदाकार गरभवती हुई है की नहीं, अमिताब ने आज दाढ़ी बने है की नहीं, शाहरुख़ ने सलमान को कितनी नीचता से कुता कहा. इसकी तो रूचि इसी मैं है।
एसा भी नहीं वरुण ने कोई नई बात कह दी हो हमारे आदित्य नाथ, बाला साहिब तो कह ते ही रहते है. हा गाँधी परिवार मैं नपुंसकता की परम्परा तोड़ने वाला कोई वीर निकला तो वो वरुण ही है.
और नापुंसको की जमात को येही पसंद नहीं आया. क्योंकि अपनी नपुंसकता छुपानेको गाँधी का असारा ही तो मिलता है. और इसी प्रकार यदि गाँधी परिवार मैं वीर्यवान लोग पैदा होने लगे तो नापुंसको का क्या होगा. बस बस यही एक मात्र चिंता का कारण है जो इस बचारे वरुण को पानी पी पी कर कोस रहे है. कुछ लोगो ने तो इनको सेरे आम फँसी पर चडाने की गुजारिश की है. जितने भी नपुंसक अपनी नपुंसकता को गाँधी का चोल उढा रखे थे अब तो नपुंसकता के साथ साथ नंगापन भी दिखने का खतरा होगया है. इसी कारण से लोग इस वरुण के पीछे है और देखिया जिसकी माँ कुते, बन्दर, और न जाने क्या क्या बचाती फिरती है और मीडिया उसकी इस बात के लिया थर्ड पेज बुक रखती है. मीडिया मैं जय जय कार होती है अब उसीके बेटे नई हिन्दू नामक विलुप्त होती प्रजाति को बचने के लिए कहा तो भैंस की तरफ लठ ले लिया।
ये वरुण वो ही है जिसने एक बार संघ सभा मैं ध्वज प्रणाम करने पर हाथ नहीं उठाया था जब इसी दो पैसे की मीडिया ने इस को गाँधी परिवार के संस्कार कहा था। परन्तु अब इस को संघ विचारधारा कह रही है. मीडिया के जानकारी के लिया बता दू न तो पहेला वाला सच था और न अब ही है. संघ इस नोटंकी मैं नहीं , नहीं तो प्रथम सरसंघ चालक स्वम्भू बन जाते. परन्तु इस रंगीन बकरी मीडिया को इस बात मैं कोई रूचि नहीं है. रूचि है तो कोई अदाकार गरभवती हुई है की नहीं, अमिताब ने आज दाढ़ी बने है की नहीं, शाहरुख़ ने सलमान को कितनी नीचता से कुता कहा. इसकी तो रूचि इसी मैं है।
एसा भी नहीं वरुण ने कोई नई बात कह दी हो हमारे आदित्य नाथ, बाला साहिब तो कह ते ही रहते है. हा गाँधी परिवार मैं नपुंसकता की परम्परा तोड़ने वाला कोई वीर निकला तो वो वरुण ही है.
और नापुंसको की जमात को येही पसंद नहीं आया. क्योंकि अपनी नपुंसकता छुपानेको गाँधी का असारा ही तो मिलता है. और इसी प्रकार यदि गाँधी परिवार मैं वीर्यवान लोग पैदा होने लगे तो नापुंसको का क्या होगा. बस बस यही एक मात्र चिंता का कारण है जो इस बचारे वरुण को पानी पी पी कर कोस रहे है. कुछ लोगो ने तो इनको सेरे आम फँसी पर चडाने की गुजारिश की है. जितने भी नपुंसक अपनी नपुंसकता को गाँधी का चोल उढा रखे थे अब तो नपुंसकता के साथ साथ नंगापन भी दिखने का खतरा होगया है. इसी कारण से लोग इस वरुण के पीछे है और देखिया जिसकी माँ कुते, बन्दर, और न जाने क्या क्या बचाती फिरती है और मीडिया उसकी इस बात के लिया थर्ड पेज बुक रखती है. मीडिया मैं जय जय कार होती है अब उसीके बेटे नई हिन्दू नामक विलुप्त होती प्रजाति को बचने के लिए कहा तो भैंस की तरफ लठ ले लिया।
वरुण ने अपने बाप के ही डीएनए का साबुत दिया है।
बाप आज से तीस साल पहेला ही इन को ललकार चूका था. परन्तु विधि का विधान (जो की संधिअस्पद है) ने कालकलवित होगया. हा वरुण के समकक्ष उसी से १० साल बड़े राहुल बाबा हिंदुस्तान का इतिहास बड़े ही हास्यापद तरीके से बताते है और सिर्फ भारत खोज कर रहे है. जब की प्रियंक अपनी तताकथित छवि (इंद्रा गाँधी जैसी) होने का ढोंग करते हुए गीता पड़ने की धमकाने के अंदाज़ मैं बोलती है. इस प्रियंका को याद नहीं जब स्वर्गीय राजीव जी ने ५००० सिख हिन्दू मरने पर गीता याद नहीं की थी।
वरुण ने जो कहा वो पूरा हिंदुस्तान कहेना चाहता है. वरुण जो बोला वो हिंदुस्तान का हर हिन्दू बोलना चाहता है. वरुण ने सबक सिखाने की बात कही जो पूरा हिंदुस्तान कहना चाहता है. वरुण जो बोला वो संघ ८० साल से कहना चाहता है. परन्तु संघ यह नहीं कहता की सब को मार दो. संघ तो हिन्दुओ के मुह मैं जबान देता है की प्रतिकार कर नहीं तो एक विलुप्त जाती बन जाओगे. यदि प्रतिकार नहीं करोगे तो ये नेस्तनाबूद हो जाओ गे और यदि प्रतिक्रिया करना जो वरुण ने की गलत है तो हिंदुस्तान का हर तरुण गलत है. भारत की राष्ट्रपति जो शिव सेना के सहयोग से राष्तेर्पति बनी है वो भी गलत है. उनेह भी इस्तीफा दे कर अलग हो जाना चाहिय क्योंकि उसी शिव सेना के बाल ठाकरे ने वरुण को सच बोलने के लिया बधाई दी. और यदि भारत की राष्ट्रपति इस्तीफा नहीं देती और वो सही है तो फिर हर वरुण और आदित्य नाथ सही है. तो फिर मुसलमानों का संकरक्षक मनमोहन गलत है. तो फिर उसकी सरकार को उठा कर फेंक देना चाहिय. और यदि यही करना है तो लोकतान्त्रिक तरीके से वरुण, बीजेपी यही तो कर रही है. तो फिर भारत की राष्ट्रपति के नौकर चुनाव आयोग के चावला भारत के राष्ट्रपति की आज्ञा का उलंघन कर रहे है. तो फिर वरुण क्या कर रहा है वो तो राष्ट्रपति जी की ही तरहे उन्ही के पदचिन्हों पर चल कर हिन्दुओ का नेतरेतेव कर रहा है. जो की कदापि भी आस्वेधानिक नहीं है।
वरुण तो एक झलक है हिंदुस्तान की तरुनाई तो अब अंगडाई लेगी ही. तो वीर्यवान भारत की पहेली अंगडाई को मेरी बधाई.
स्टार न्यूज़,इंडिया टीवी और इसतरह के चेनल शायद तालिबान के प्रवक्ता का काम कर रहे है.जो हिन्दुओ को जयादा गालीया देगा वो अपने आप को उतना सफल मानता हे
ReplyDeleteभारत की मिडिया तालिबान के प्रवक्ता का रोल अदा कर रही है.
ReplyDeleteबेबाक पोस्ट के लिए बधाई. इसी तरह बिना डरे लिखते रहें.
ReplyDeleteहाथी अपनी राह चलता रहता है, कुत्ते तो भौंकते ही रहते हैं.
दिया पंथनिरपेक्षता , को इतना सम्मान।
ReplyDeleteबहुसंख्यक की आस्था, कर दी लहूलुहान ॥ ३ ॥