Tuesday, March 10, 2009

आज हिन्दू कमजोर और असह्य क्यों ?

कभी कभी सोचता हूँ की हिन्दू कमजोर क्यों है. तो बड़ा ही आश्चर्यजनक विश्लेषण मिला. मेरी नज़र से हिन्दू के कमज़ोर होने मैं उसकी मानसिकता का योगदान ही रहा है. परन्तु इस प्रशन का उत्तर मैं भी नही दूंढ पाया की पिछले १००० वर्षो से हिन्दुओ का इसका शोषण क्यो। परन्तु इन कम्जोरियो को दूर करने मैं कोई भी कोशिश नहीं हुई है. मनीषियों ने हमे हमारी कमियो को बताया है. परन्तु हम लगातार कमज़ोर होते गए और जा रहे है। मेरे मित्र इस चर्चा को आगे बढा सकते है अपनी टिप्न्नियो और सलाह से अपना इस विषय को आगे बढा सकते है। उनका स्वागत है.अब आते है एसे कारणों पर जिन से हम हिंदो कमजोर हुए है.
  • स्वर्पर्थम तो यह है की हम ने अपने नाखून और दांत गिरवी रख दिया है। हम कहेने को तो शेर है परन्तु अपने नाखून और दांत कुंद कर कर बैठे हैं। बस बहादुरी की तारीफ करो परन्तु अपने अन्दर पैदा मत करो. तो फिर यह ही होगा. हिजडे टाइप के बचे पैदा होंगे. नारियो को हमने दुर्गा की जगह टीवी शो मैं डांसर बना दिया. और बड़े ख़ुशी से उसी का हसयापद्ता से सब देख रहे है. और कोई कुचुपुडी या भरतनाट्यम नहीं आइटम सोंग है. तो इस तरह तो हमारे देश मैं उधाहरण बच्चो के सामने रखे जायंगे. मैं कोई दक्यानुसी और कट्टरपंथी नहीं हूँ और कृपया कर के श्री राम सेना जैसा भी न सोचे. क्यिंकि उसने जो किया उसका विरोध तो संसार के एक भी बुधिजीवी ने नहीं किया परन्तु तरीका हमारी मीडिया को पसंद नहीं आया कारन उसका वो भी जानते नहीं अबे मीडिया वालो न तो आप उनको बोलने देते अपने चंनेलो पर, सारे अखबारों, चैनलो पर पोंगा वामपंथियो ने कब्जा कर रखा है. सड़क पर बंद करते हैं तो आप किसी एक एंबुलेंस मैं बीमार आदमी और उसके रिश्तेदारों का रोना हेडलाइन बना देते हो. तो रक्षा करे भी तो कैसे और जोश मैं मीडिया जिनको सेकुलर और शांतिदूत बताती है, नहीं जानती की ये तो हाथ और पैर काट देते हैं सरे आम सड़क पर पत्थर फ़ेंक फ़ेंक कर मार देते है.
  • हम चाणक्य को भूल गए। उसी ने यवनों से लड़ने के तरीके हमे बताये थे. हमने यदि राष्ट्रपिता उसको बनाया होता तो देश उसके जैसा होता. हमने बाप उसको बनाया जिसकी चादर मैं लाखो छेद थे. आज हमे बनाना (केला) रेपुब्लीक क्यों कहा जाता है. उसी बापू के कारण. अंग्रजी मैं कहावत हैं लईक फादर लईक सन. तो बनगे उसके जैसे. चाणक्य जैसे गुरु होते तो देश विश्वगुरु होता.
  • मीडिया ने तो गुरु बना रखा हैं एक पटना का छिछोरा मास्टर माटउक्नाथ उसको बोलते है लव गुरु। तो फिर यह हिजडो की हिंदुस्तान मैं फोज होगी। हमारे सामने जानबुज कर उद्धरण भी असे ही रखा जाता है और उसको जानबूझ कर महिमामंडित किया जाता है.
  • दूसरा हमे परशुराम नामक एक महान देवता से जानबूझ कर दूर रखा। आप सतयुग त्रेता द्वापर देख लो आप को इसी की महिमा मिलेगी परन्तु सारे संसार मैं एक भी मंदिर दुन्धे न मिले. तंत्र मन्त्र मैं एक श्लोक इनसे सम्बंधित नहीं मिलेगा सब के सब पहले से ही उडा दिया गए हैं. अरे भाई एक देवता था जिसने शास्त्र और शस्त्र एक साथ लेने के लिया कहा था.
  • इतिहास मैं मुख्यधारा मैं मुग़ल रखे गए और अतरिक्त पात्र राणा सांगा, पृथ्वीराज, गोबिंद सिंह को रखा गया। जैसे इस भारत की धरती ने तो शूरवीर पैदा ही नहीं किया. गुंडे और लूटेरे पैदा किया है. इन इतिहासकारों ने हमारी मानसिक नसबंदी की हैं इस इतिहास को लिख कर. इन को सरे आम फँसी पर चढाना चाहिय . आखिर क्रांति भी तो किसी चीज का नाम है. हिंदुस्तान की धरती को इन लोगो ने अपने मानसिक विकृति के वीर्य से हिजडेपन पण के घोल से भारत को कलंकित किया है। जिसने आनेवाली नस्लों को अपनी गोर्वव्नित मुख्यायधरा से काटकर एक सार कटे मुर्गे की तरह बीच चोराहाये पर खडा कर दिया.
  • सब से बड़ा पाप तो हमारा गाँधी को बाप बना कर किया। शस्त्र की जगह चरखा दे दिया. शूरवीरता की जगह कायरता पकडा दी और उस झुन्झाने को अहिंसा का नाम देदिया. मैं कोई लड़ने की बात नहीं कहा रह हूँ परन्तु इस देश की पीढी आज साठ साल के बाद यही मानती है की बिना खड़क बिना ढाल के देश आजाद होगया. सावरकर, सुभाष और भगत सिंह तो पागल थे. संजय दत्त आज गांधीगिरी का ब्रांड अम्बेसडर बन गया. और हम बावले पिल्लै की तरह उसको अपना हीरो बना रहे है.
  • हमने तो अपनी जन्मपत्री तभी लिख ली थी जब नेहरु के रूप मैं एक चरित्रहीँ व्यक्ति को हमने अपना मार्गदर्शक बना दिया। मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्य जैसे को छोड दिया. तो जो बोया हैं वो ही काटो.
  • हम ने नाम अपने बच्चो के राम श्याम अर्जुन और भारत की जगह अपने बच्चो के नाम पप्पू, टिक्कू, पिंट्टू और बंटी जैसे रखे। बेटीओ के नाम पिंकी, टिंकी, चिंकी रखे तो बच्चे कहा से राम श्याम और गार्गी बनेगे. जैसे हम खुद बो रहे है वोही काटेंगे.
  • धोती बंधना आता नहीं, औरते साडियो के लिए ब्यूटी पार्लर जाती है। चोट्टा रखने मैं शर्म आती है। तो फिर विश्व गुरु कैसे बनोगे। मित्रो मैं नहीं कहता की अंग्रेज गलत है या उनकी अंग्रेजी गलत है। परन्तु हाथ मैं चुरी कांटे पकड़ कर, जुबान पर अंग्रजी और शारीर पर पैंट शार्ट पहन कर विश्वगुरु नहीं बना जा सकता। हैं कुछ देर के लिया हंसी का पात्र ही बना जा सकता है। अब भविष्य मित्रो आपके हाथ हैं।
  • ज्योतिष को अंध विश्वाश बताते है। और टेरो कार्ड को विज्ञानं। मैं अपने मित्रो को भी कहूँगा की ज्योतिष कोई अन्धविश्वाश नहीं है यह एक साक्षात् विजान है। तंत्र मन्त्र कोई भील और अदि वासी कृत्या नहीं है।
  • सभी लोग हिन्दू ही जबान नहीं थकती की लखनऊ तहजीब का शहर अब इसी ढकोसले को ढो रहे है। उधर पर तो विश्वश्घा का नंगा नाच हुआ था। आज को जो वो शहर है वो तो हमने बनाया है.
  • जिस देश मैं तक्षिला और नालंदा की जगह जेएनयू जैसे विष की बेल बो दी गई है वह तो हिजडे और पोंगे ही होंगे।
  • एक बहदुर कोम नेपाल मैं हुई हैं हिन्दुओ के पास परन्तु अपनी मानसिक सन्निपात से उसको भी चोकीदार और पता नहीं क्या क्या कर के अपने ही पैर पर कुल्हाडी मार रहे है। सिख कोम हुई ही हिन्दू रक्षा के नाम पर उसके नापंसुक भांडगिरी मैं भाड़वो की तरह चुटकलों मैं मजाक का पात्र बना बना कर अपना दुश्मन बना रहे हैं. तो अपनी सुरक्षा अपने आप ही ख़तम कर रहे है. तो देश की रक्षा कोन करेगा. तुम्हारा बाप तालिबान तुम्हारी रक्षा करेगा.
  • अटल जी की धोती का मजाक और मुशरफ की शेरवानी की तारीफ़. अदल जी के हाथ जोड़ अबिनंदन का नोटिस नहीं और मुशर्रफ़ के सलाम करने के अंदाज की तारीफ़. तो आपका मित्रो भगवन ही मालीक है.
मित्रो होली का दिन है देश मैं पानी की एक बूंद नहीं है। नदी नाले सूखे पड़े है. रंग न डालना फैशन हो गया. अपनी भावना कुचलती रहे परन्तु दूसरो की भावना का सम्मान करना एक बहुत बड़ी कायरता है. करो पर प्रथम अपनी तो कर लो। यह घोर नपुंसकता है. मैं इसका विरोध करता हु आज के लिया इतना ही . होली की बहुत बहुत शुभकामनाय. क्रमशे

3 comments:

  1. सब से बडी बात यह है कि अब आप हिंदू है ही नहीं। अब तो आप या तो इंडियन हैं या भारतीय। इसका मतलब यह कि आप अपनी आइडेन्टिटी खो चुके हैं।
    दूसरी बात यह कि हम कहने को तो हिंदू हैं पर सब अपने अपने पथ के राही है- न तो मुसलमान की तरह एक ही मस्जिद में नमाज़ पढते है और न ईसाई की तरह एक ही गिरजे में न सिख की तरह एक ही गुरुद्वारे में; यद्यपि वहां भी जातिभेद है। हर हिंदू का अपना देवता अपना मंदिर या फिर कोई देवता या मंदिर नहीं फिर भी कहलाता हिंदू ही है। तो फिर, कैसे हम एकजुट हों और कैसे दांत, नखशिख और औज़ार की बात करें????

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  2. परशुराम जी आपने अपने श्रीमुख से "हिंदुओं" की तुलना "हिजड़ों" से की है . अल्लाह कसम इतनी घटिया मिसाल तो कोई मुसलमान भी नही देता ! और आप अपने आप को हिंदुओं का हितैषी कहते हैं? भारतीय नारी जो अपने पतिव्रत "धर्म" के लिए दुनिया भर में जानी जाती हैं उनकी तुलना एक नचाय्यों से? हद तो तब हो गयी जब अपने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की चादर में ढेरों फटे छेद गिना दिए . एक बात बताइए , सावरकर , भगत सिंह तथा सुभाष बाबू ने भले ही देश के लिए बड़ी कुर्बानी दी हो , आम जनता को अँग्रेज़ी हुकूमत की मुख़ालफ़त करने को किसने राज़ी किया? दुनिया गाँधीजी की योग्यता और अहिंसा के संदेश की कायल है वहीं भगत सिंह और सुभाष बाबू के क्रांतिकारी होने के बावजूद उनके प्रति विदेश में अच्छी राय नही , सावरकर जी का नाम तो शायद ही विदेशियों ने सुना हो . किंतु इस सब के लिए जे एन यू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के नाम पर कीचड़ उछालने का क्या मतलब? दोषी कहीं न कहीं हम सभी हैं लेकिन इसमे हिंदुओं का मज़ाक उड़ाने की कोई तुक नही बनती.

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  3. tayagi ji ham ko aapse bata karni hai koi number mail karo

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