Saturday, June 13, 2009

एक हिंदू की मांग। क्या हिंदू हितों की बात करना गुनहा है?

क्या अब तमाम हिंदू संघटनों का एजेंडा यह नही होना चाहिय की हिन्दुओ का पैसा उसी के पास हो।

आज मैं भारत सरकार से मांग करता हूँ की हिंदुस्तान के अरबो रुपया के मन्दिर में चढावे के हक़ भी उसी हिंदू को मिलना चाहिय जो मन्दिर में चढावा चढाता है । 

यदि भारत सरकार ऐसा नही कर सकती तो मैं राष्ट्रवादी और देशभक्त संगठनों से अनुरोध करूँगा की अपने राजनितिक एजंडे और चुनावी घोषणा पत्र में इसे शामिल करे। बहुत हो गया हिन्दुओ का शोषण इस देश में। भारत सरकार सभी राज्य सरकारों को आदेश दे और इसे राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाले काले कानून को हटाये। या जहाँ पर भी राष्ट्रवादी ताकते राज्य सरकार में हो इस कानून को अपने राज्य में निरस्त करे।

यदि देश का मंत्री देश में आतंकवादी घटनाओ के जिम्मेदार आदमी को कानूनी सहयता दे सकता है। मस्जिद बनाने का वादा कर सकता है। हज और मदरसों के लिया अरबो रुपया दे सकता है। दो देश और एक पुरे प्रदेश की मालिकियत देने के बाद आरक्षण दे सकता है। अपने ही देश में अपने देश और अपने ही समाज को बचाने के लिए जेल भेजा जा सकता है। एक साध्वी को जेल मैं अपने ही देश में दुर्दांत आतंकवादी घोषित करकर उसको भोजन में मांस परोसा जा सकता है। देश की सेना का देशभक्त कर्नल आतंकवादी घोषित हो सकता है। तो मैं गरीब हिंदू तो अपने ही मन्दिर में अपना ही चढावा वापस मांग रहा हु। मुझे मेरी वैदिकता को अक्षुण बनाए रखने में कोई सरकारी सहायता नही चाहिय मुझे मेरे चढावे का पैसा वापस दे दो हाँ टैक्स के रूप में मुझ से जो लेकर मस्जिदों और चर्च को दे रहे हो उसके लिया मना नही कर रहा हूँभाई ८०० साल से जजिया दे रहा हूँआज अपने ही देश में अपने ही जेब से दिए गए टैक्स से हज और मदरसे ठीक होते देख रहा हूँ तो कोई भी अचरज की बात नही होनी चाहिय

वहां मानसरोवर में मेरे भाई और बहेन चीन सरकार को अपनी जेब से टैक्स भर कर जा रहे है। अभी मौसम ख़राब है १०-१२ लोग मर भी गए है उनको बचाने के लिया भी नही कह रहा हूँ। अरे हज में खुदा न खस्ता इस प्रकार की घटना हो जाती तो यह मीडिया रात दिन एक कर देती। परन्तु मानसरोवर के मृतकों का कुछ भी नही। अरे यह जम्मू कश्मीर की ही सरकार अमरनाथ यात्रा के दौरान हिन्दुओ द्वारा फ्री यात्रियो के लिए टेंट और खाना पीना करने पर इन्ही दानी श्रदालो से २५००० हजार रुपया मांगती हैं तब प्रबंध की इजाजत देती हैतो भाई हमे तो जजिया देने की आदत हैपाकिस्तान में यदि सिख भाइयो से जजिया कर के रूप में वसूला जा रहा है जो की १००० रुपया प्रति महिना है कोई चौकाने वाली बात नही बस नाम का ही फरक हैयहाँ किसी दुसरे रूप में लिया जा रहा है

तो राज्य सरकार द्वारा जबरन मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने और इसके चढावे के पैसे को अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बने इसी काले कानून को सबसे पहेले हटाना चाहिए फिर उसके बाद ही कोई और बात होगी। हमने देख लिया किस तरीके से हमारी गंगा नदी की सफाई हो रही हैकिस तरीके से भारत और दिल्ली सरकार यमुना को मरते हुए देख रही हैहमने देख लिया की यदि सरकार चाहए तो सरस्वती नदी को भी फिर से पाया जा सकता है।

हिन्दुओ की सभी मांगे एक तरफ़ पहेले इस काले कानून को वापस लेकर हिन्दुओ को उन्ही के खून पसीने की कमाई पर अधिकार दिया जाए।
  • इस काले कानून की भयावता आप जान सकते हैं। २००२ में कर्णाटक के २,०७,००० मंदिरों से सरकार को ७६ करोड़ रूपये मिले थे जिसमे से सिर्फ़ १० करोड़ रूपये वापस कर्णाटक सरकार ने हिन्दुओ के मन्दिर के रख रखाव के लिए दिए और उनमे से ५० करोड़ रुपया मदरसों के लिया और १० करोड़ रुपया चर्च के लिया दिया गया। क्या सेकुलर सरकार ऐसे ही करती है। हिन्दुओ के पेट पर लात मार मार कर दुसरे धर्मो को पल्लवित किया जा रहा है। क्यूंकि सेकुलरिज़म को वाम और कांग्रेस हमे पढ़ा रहे है। क्या इसी को न्याय कहेते है ? क्या इसी को प्रगतिशीलता कहेते है? क्या देश की ८५% जनसँख्या के साथ लोकतंत्र में एसा ही होता है? जो मन्दिर में पुजारी होता है उसी की दयिनीय स्थिति पर ठाठे मार मार कर हंसा जाए।
  • १९८१ में मुंबई के सबसे प्रतिष्ठित और पूजनीय मन्दिर सिद्धि विनायक जी के मन्दिर में रातो रात राज्य सरकार ने इसी काले कानून से मन्दिर का स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया। कितना पैसा सरकार द्वारा मनोनीत ट्रस्टयो ने गायब कर दिया इसका तो राज्य सरकार के पास हिसाब ही नही। इन लोगो ने 2005-०६ में सात सितारा होटलों में ५० लाख रूपये मन्दिर के प्रमोशन के लिया मीटिंग करने में दो चार दिन में ही उडा दिया। महाराष्ट्र सरकार ने अपना वित्तीय घटा जो की अपनी अयाशियोसे हुआ था उसे पुरा करने के लिए मंदिरों कास्वामित्व हाथ में ले लेने की योजना बनाई।
  • हिन्दुओ के पैसे को ऐयाशी से उडाता इसाई मुख्मंत्री वाई सेम्युल राजशेखर रेड्डी हिन्दुओ के पैसे से हिन्दुओ का ही विनाश कर रहा है। संसार का सबसे बड़ा और विराट मंदिरों में से एक बालाजी भगवन, तिरुपति जिसका की एक साल का चढावा ही ३१०० करोड़ है। इस आदमी ने इसी मन्दिर के परिसर के १००० खंभे तुड़वा दिया जबरदस्ती ट्रस्ट के आदमीयों को बदल कर गैर हिन्दुओ को बनाने की कोशिश की। क्या मुझे कोई वैटिकन सिटी में यह सेम्युअल रेड्डी पधादिकारी बनवा देगा? हिन्दुओ के पैसे को हराम का समझ उसे लुटा रहा है। इसी मन्दिर के पैसे से अपने पिता के नाम हाकी का टूर्नामेंट करा रहा है। इसी मन्दिर के फंड से ७.६ करोड़ रुपया मदरसों की मरमत के लिया दिया गया। इसी आदमी ने सात में से पञ्च पहाडिया जो की भगवन वेंकटेश्वर से सम्बंधित है चर्च को देने की नाकाम कोशिश की गई। इसी मन्दिर को १५०० करोड़ रुपया आंध्र सरकार ने सिचाई परियोजना के लिया खर्च कर दिया क्या किसी जामा मस्जिद या किसी चर्च का पैसा सरकार इस प्रकार से खर्च कर सकती है?
  • इसी आंध्र सरकार में इतना हिन्दुओ का पैसा डकारने के बाद जो भू माफिया ने विभिन् हिंदू मंदिरों की ६० हजार एकड़ से भी ऊपर पर कब्जा जमा रखा है हिन्दुओ के बार बार कहेने पर खाली नही कराती। अगस्त २००५ में इसी सरकार ने हिंदू मन्दिर श्री नरसिम्हा स्वामी की १ लाख एकड़ से ऊपर जमीन नीलम कर दी।
  • यही नही केरला सरकार ने सबरीमाला में भगवन अयप्पा की २५०० एकड़ जमीन कोमुनिस्ट बोर्ड को दे दी । इसी मन्दिर से २५० करोड़ की सालाना आमदनी में से २५ करोड़ चर्च और मदरसों के पानी के प्रबंधन पर दे दी। हिंदू बोर्ड को खारिज कर दिया। क्या हिन्दुओ ने इसी दिन के लिए या चर्चो और मस्जिदों की मरमत के लिया ही मंदिरों में दान दिया जाते है?
यदि वोटो के अंधे लाकतंत्र के ठेकेदार अमेरिका के लोकतेंत्र से थोड़ा सा भी सीख ले तो पायंगे जहाँ अमरीका चर्चो की संख्या बढ़ा रहा है उनकी मदद कर रहा है हम उसके विपरीत अपने मंदिरों को तोड़कर ऊपर सुंदर सा पार्क बना कर सायं को अपने बच्चो को झुला झुला रहे हैऔर गर्व से ४२ इंच का सीना चौडा कर कर दुनिया को अपनी झूठी प्रगति की शेखी बघारते है

भाई आप कुछ भी बघारते रहो हमे हमारा चढावा वापस दोनही तो वो दिन दूर नही जब हिन्दुओ को सचमुच में यरोप से आया आर्य बता कर विदेशी घोषित कर के देश में यवनों और मलेछो का शासन होगा तब यह शेयर बाजार होगा, पिज्जा और बर्गर होंगे और यह मॉल होंगेहोगा तो बस फिर भगवन कलकी का इंतजारपर जानकारी के लिया बता दू वो भी आज से ३५००० वर्ष के बाद आएंगेअब देख लो की यह ३५००० वर्ष अपने शासन में गुजारने हैया आज से ही कुछ आंखे खोल कर इस अंधी गूंगी और बहेरी सरकार से अपने अधिकार मांगने हैनही तो तैयार हो जाओ फिर से द्वापर के यादवी रार के बाद एक और अंधकार युग देखने को

14 comments:

  1. say Bhagwan Kalki , not Kalpi. i respect ur concerns and support ur ideas.

    ReplyDelete
  2. बन्धु, हिन्दू हित में जो लोग लिख रहे हैं\उनकी जिम्मेदारी बनती है कि जो भी कहें प्रमाण के साथ कहें\ आप ने एक बहुत बड़े षड़्यंत्र का खुलासा किया है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    pls. सोर्स का भी नाम और लिंक दें\

    ReplyDelete
  3. आरोप गम्भीर हैं। 'कलपी' नहीं 'कल्कि'। उबाल में संयम न खोएँ. इससे जो आप कहना चाह रहे हैं, उसका प्रभाव कम हो जाता है।

    वैसे धर्म स्थलों की परिसम्पत्तियों पर एक बोर्ड बनाने की आवश्यकता है। आने वाली रकम का उस सम्प्रदाय के विकास हेतु व्यय हो। साथ ही इससे हज वगैरह पर बँटने वाली खैरात की भी जरूरत नहीं रह जाएगी।

    ReplyDelete
  4. इस देश मैं हिंदु होना सब से बङा गुनाह है बंधु...ऐसी बातें मत करो नहीं तो सांप्रदायिक करार दे दिये जाओगे.और एक बात और बताउं अंदर की बात है ये हिंदु नाम सुनते ही लोग आपका ब्लोग पढना और बंद कर देते हैं.....इसलिए पंगा न ले

    ReplyDelete
  5. पहली बार आपके ब्लाग पर आया। नई जानकारी मिली है यंहा ये बात सच है दुनिया को झूठी तरककी की शेखी बघारना छोड़ इस मामल्ले मे गंभीरता से सोचना पड़ेगा।धर्मनिरपेक्षता का मायने बहुसंख्यको की उपेक्षा कर के अल्पसंख्यको को बढावा देना कतई नही होता।आपसे सहम्त हूं हमे हमारे मंदिरो का रूपया वापस चाहिये।

    ReplyDelete
  6. एकदम सही फ़रमाया आपने, इधर मप्र में भाजपा की सरकार के होते हुए भी मठ-मन्दिरों की भूमि पर बाहरी तत्व अतिक्रमण कर रहे हैं… अब क्या कहियेगा… अपना ही सिक्का खोटा है तो दूसरों को दोष कैसे दें? वे तो आये ही हैं हिन्दुओं पर "चढ़ बैठने" के लिये…

    ReplyDelete
  7. Main ek hindu brahmin hoon. Lekin aapka lekh padhkar mujhe bilkul bhi accha nahi laga.
    dharm ka paalan karna ham hinduoon ka kartavya hai.
    Lekin, kya hum desh ko bhool jaayein?
    Hamein dharm chhood maanavta ke baare mein sochna chaahiye. hamare puraan bhi yahi kahtein hain.
    aaj bhi hum usi yug mein jee rahe hain jab dharm ke naam par hazaaron ghar jala diye jaate hai ?
    Dharm hamein jeene ka tareeka batata hain na ki maarne ka

    ReplyDelete
  8. आपकी इस मांग का पूरा समर्थन करता हूँ और मैं स्वयं भी अपना चढावा वापस मांगता हूँ.......

    ReplyDelete
  9. इसी लिए तो मेरा भारत महान है!!

    ReplyDelete
  10. ऐसा और किसी भी देश में नहीं है. केवल भारत में ही बहुसंख्यक हिन्दू अपनी बात कहने को स्वतंत्र नहीं है. अगर मुसलमान अपनी बात कहे तो उसे उसका हक़ करार दिया जाता है और अगर हिन्दू अपनी बात करे तो इसे सांप्रदायिक करार दिया जाता है. हमारे देश में वोट के खेल में लगे राजनेताओं ने ही ऐसी स्थिति पैदा की है. अगर हज यात्रा के दौरान कोई घटना हो जाती तो हमारी मीडिया से लेकर राजनेता और फिर सरकार तक सब खाना-पीना छोड़ कर इसी काम में लग जाते और मानसरोवर यात्रा के दौरान कौन किस हालत में है इसे देखने की फुर्सत किसी के पास नहीं है.

    ReplyDelete
  11. ऐसा और किसी भी देश में नहीं है. केवल भारत में ही बहुसंख्यक हिन्दू अपनी बात कहने को स्वतंत्र नहीं है. अगर मुसलमान अपनी बात कहे तो उसे उसका हक़ करार दिया जाता है और अगर हिन्दू अपनी बात करे तो इसे सांप्रदायिक करार दिया जाता है. हमारे देश में वोट के खेल में लगे राजनेताओं ने ही ऐसी स्थिति पैदा की है. अगर हज यात्रा के दौरान कोई घटना हो जाती तो हमारी मीडिया से लेकर राजनेता और फिर सरकार तक सब खाना-पीना छोड़ कर इसी काम में लग जाते और मानसरोवर यात्रा के दौरान कौन किस हालत में है इसे देखने की फुर्सत किसी के पास नहीं है.

    ReplyDelete
  12. आपकी बात च माँग दोनो सार्थक है।

    ReplyDelete
  13. सभी विद्वानों का टिप्पणिया करने का बहुत बहुत धन्यवाद. आपके सुझाव भी सर माथे पर प्रमाण के तौर पर में यह लिंक दे रहा हूँ. http://www.vhp-america.org/dynamic_includesdownloadsThe%20Plight%20of%20Hindu%20Temples%20in%20Bharat.pdf
    दूसरा अच्छा होता कुछ विद्वान् व्याकरण की त्रुटी में न पड़कर कुछ उत्पादक विचार प्रस्तुत करते.
    मेरी उपरोक्त मांग किसी सरकार से भीख मांगना नहीं है मुझे तो सरकार से अपना अधिकार चाहिय वो भी वो जो मेने धरम के नाम पर अपने धार्मिक कर्तव्यो के तहेत अपने आराध्य देव और धर्म के लिया चढाया है. देश के नागरिक के तहेत में सरकार को कर दे रहा हूँ और में देश के संविधान से बंधा हूँ सरकार मेरी कमाई में से टैक्स के रूप में किसी को भी दे मुझे कोई ओब्जेक्शन नहीं है. परन्तु धर्म के बीच में बाधा सरकार न बने. और उन पेट्रो डॉलर वालो को भी बता देना चाहता हूँ की हिन्दू कितना भव्य और धनवान है. जब लोहे के कुल्हाडे में लगा लकडी का दस्ता न होता तो लकडी के काटने का रास्ता न होता. तो हम तो लकडी के दस्ते से त्रस्त हैं अन्यथा हिन्दू आज भी भारत को विश्वगुरु बनाने की कुव्वत रखता है.

    ReplyDelete
  14. 'हिंदू' शब्द की परिभाषा
    भारत वर्ष में रह कर अगर हम कहें की हिंदू शब्द की परिभाषा क्या हो सकती है? हिंदू शब्द के उद्भव का इतिहास क्या है? आख़िर क्या है हिंदू? तो यह एक अजीब सा सवाल होगा | लेकिन यह एक सवाल ही है कि जिस हिन्दू शब्द का इस्तेमाल वर्तमान में जिस अर्थ के लिए किया जा रहा है क्या वह सही है ?

    मैंने हाल ही में पीस टीवी पर डॉ ज़ाकिर नाइक का एक स्पीच देखा, उन्होंने किस तरह से हिंदू शब्द की व्याख्या की मुझे कुछ कुछ समझ में आ गया मगर पुरी संतुष्टि के लिए मैंने अंतरजाल पर कई वेबसाइट पर इस शब्द को खोजा तो पाया हाँ डॉ ज़ाकिर नाइक वाकई सही कह रहे हैं. हिंदू शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई, कब हुई और किसके द्वारा हुई? इन सवालों के जवाब में ही हिंदू शब्द की परिभाषा निहित है|


    यह बहुत ही मजेदार बात होगी अगर आप ये जानेंगे कि हिंदू शब्द न ही द्रविडियन न ही संस्कृत भाषा का शब्द है. इस तरह से यह हिन्दी भाषा का शब्द तो बिल्कुल भी नही हुआ. मैं आप को बता दूँ यह शब्द हमारे भारतवर्ष में 17वीं शताब्दी तक इस्तेमाल में नही था. अगर हम वास्तविक रूप से हिंदू शब्द की परिभाषा करें तो कह सकते है कि भारतीय (उपमहाद्वीप) में रहने वाले सभी हिंदू है चाहे वो किसी धर्म के हों. हिंदू शब्द धर्म निरपेक्ष शब्द है यह किसी धर्म से सम्बंधित नही है बल्कि यह एक भौगोलिक शब्द है. हिंदू शब्द संस्कृत भाषा के शब्द सिन्धु का ग़लत उच्चारण का नतीजा है जो कई हज़ार साल पहले पर्सियन वालों ने इस्तेमाल किया था. उनके उच्चारण में 'स' अक्षर का उच्चारण 'ह' होता था|


    हाँ....मैं, सलीम खान हिन्दू हूँ !!!
    हिंदू शब्द अपने आप में एक भौगोलिक पहचान लिए हुए है, यह सिन्धु नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया था या शायेद इन्दुस नदी से घिरे स्थल पर रहने वालों के लिए इस्तेमाल किया गया था। बहुत से इतिहासविद्दों का मानना है कि 'हिंदू' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरब्स द्वारा प्रयोग किया गया था मगर कुछ इतिहासविद्दों का यह भी मानना है कि यह पारसी थे जिन्होंने हिमालय के उत्तर पश्चिम रस्ते से भारत में आकर वहां के बाशिंदों के लिए इस्तेमाल किया था।

    धर्म और ग्रन्थ के शब्दकोष के वोल्यूम # 6,सन्दर्भ # 699 के अनुसार हिंदू शब्द का प्रादुर्भाव/प्रयोग भारतीय साहित्य या ग्रन्थों में मुसलमानों के भारत आने के बाद हुआ था।


    भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक 'द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' में पेज नम्बर 74 और 75 पर लिखा है कि "the word Hindu can be earliest traced to a source a tantrik in 8th century and it was used initially to describe the people, it was never used to describe religion..." पंडित जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक हिंदू शब्द तो बहुत बाद में प्रयोग में लाया गया। हिन्दुज्म शब्द कि उत्पत्ति हिंदू शब्द से हुई और यह शब्द सर्वप्रथम 19वीं सदी में अंग्रेज़ी साहित्कारों द्वारा यहाँ के बाशिंदों के धार्मिक विश्वास हेतु प्रयोग में लाया गया।

    नई शब्दकोष ब्रिटानिका के अनुसार, जिसके वोल्यूम# 20 सन्दर्भ # 581 में लिखा है कि भारत के बाशिंदों के धार्मिक विश्वास हेतु (ईसाई, जो धर्म परिवर्तन करके बने को छोड़ कर) हिन्दुज्म शब्द सर्वप्रथम अंग्रेज़ी साहित्यकारों द्वारा सन् 1830 में इस्ल्तेमल किया गया था|

    इसी कारण भारत के कई विद्वानों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि हिन्दुज्म शब्द के इस्तेमाल को धर्म के लिए प्रयोग करने के बजाये इसे सनातन या वैदिक धर्म कहना चाहिए. स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्ति का कहना है कि "यह वेदंटिस्ट धर्म" होना चाहिए|

    इस प्रकार भारतवर्ष में रहने वाले सभी बाशिंदे हिन्दू हैं, भौगोलिक रूप से! चाहे वो मैं हूँ या सुरेश चिपलूनकर या कोई अन्य |

    ReplyDelete