Wednesday, July 7, 2010

हा हा हा !!! आप क्यों नहीं हंसते ?????

भाई आपका तो पता नहीं परन्तु मुझे तो बहुत ही हंसी आती है. हंसी इसलिए नहीं के देश और हम ठीक ठाक है परन्तु इसलिए के देश पर जोकरों का राज है. अभी आप अपने प्रधानमंत्री जी को देख लो की १०० दिन में महंगाई कम कर देंगे अरे जब कोई आप से कुछ पूछ नहीं रहा तब आप बिना मतलब १०० दिन में मेह्नागाई कम करने के वादे कर क्यूँ रहे है और कसमे क्यूँ खा रहे है. फिर अपने ही आप बिना किसी बात के एक दिन उतेजित हो कर प्रेस कांफ्रेंस करी अगले दो महीने में महंगाई कम करने का वादा कर देते हो. खैर हुआ कुछ भी नहीं और महंगाई आपने और बढ़ा दी. उस पर जब सारा विपक्ष आप से महंगाई पर कारन पूछ रहा है तो होठ सिल लिए आपने. सबसे बड़ा ताजुब सर्वशक्तिमान १० जनपथ और उनके तथकथित युवराज मनानिये रहू सोरी राहुल जी से है की भैया ये नौटंकी है क्या? कश्मीर पर आपकी माम और आप नहीं बोलते, नक्सलवाद से पिटते मरते सेना के जवानों के बारे में आप कुछ नहीं बोलते, महंगाई पर आप कुछ नहीं बोलते तो भैया राजनीती क्या कौओ और कबूतरों की कर रहे हो. इस देश की सबसे बड़ी पार्टी और उसके सर्वशक्तिमान होने और केंद्र सरकार की सत्ता में बैठी पार्टी नहीं बोलेगी तो क्या प्रियंका वाड्रा के ड्राईवर से उमीद करे की देश की जवलंत समस्या पर बोलो. या किस मुस्लिम गुमराह, भटके, मासूम, नौजवान के भारत के संविधान के चीथड़े उड़ाने की इन्तजार है जब ही अपने बंद मुहं खोलोगे. इतनी बड़ी नौटंकी क्यों? न तो कोई कोत्रच्ची के बारे में पूछ रहा है और न ही कोई राहुल के महिला मित्र के बारे में पूछ रहा है. यह सौ करोड़ गरीब जनता देश की सत्ता में बैठी पार्टी की अध्यक्षा से भारत बंद कर कर के उत्तर चाह रहे और आप हैं की कुछ भी बोलने को तैयार नहीं. और यहं बेचारा बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष है जिसका किसी भी बड़े चैनल ने भारत बंद के दौरान इंटरविउ भी नहीं लिया. वास्तव में मुझे बड़ा ही तरस आया गडकरी जी जैसे वियक्ति पर की छोटे छोटे चैनल वाले उन जैसे वियक्ति को इंटर विउ ले रहे है. अब उन चैनल के दर्शक जब सांप सपेरे और धोनी की शादी के बावर्ची, नाइ, सहेलियों के ही इंटरविएऊ ही देखते हो तो गडकरी जैसे विद्वान की बाते क्या समझ आयंगी. बड़े टीवी वाले या तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से डरते है या उनके खिलाफ कोई साजिश है की छुट भैया तो बड़े चैनलों पर थे और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष छोले बेचने वाले जैसे पत्रकारों को बहुत ही गंभीर बाते बता रहे थे. और दूसरी तरफ सत्ताधरी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद्मश्री पाने वालो को अपने लेखको द्वारा लिखी एक लाइन नहीं बोल सकती. आप की गलतफहमी भी दूर कर दू रहू सोरी राहुल गाँधी जी से भी कोई अमेठी काण्ड पर प्रतिक्रिया नहीं ली जा रही थी जो वो बोले नही परन्तु देश की प्रगति के इतने बड़े चिन्तक, कलावती के अविष्कारक महंगाई पर एक लाइन भी नहीं बोलते. उनकी बहेन प्रियंका वाड्रा जी भी वहा नलनी के लिये तो चिंतित दिखती है परन्तु १०० करोड़ लोगो की सबसे बड़ी चिंता से अपने को मुक्त ही पाती है. क्यों मित्रो इतने बड़े अन्तेर्विरोध और तमाशे पर आप को हंसी नहीं आती है मुझे तो आती है.
अच्छा मीडिया सोरी कुछ छोले बेचने वाले पत्रकार बावले पिल्लै की तरह भारत बंद पर एसे कर रहे थे जैसे इनकी मयीयत उठने ही वाली है. एक अमबुलंस को पकड़ लेते है या किसी की मृत देह को बस सियापा शुरू मीडिया का कांव कांव शुरू. अरे हमे भी पता है सब गलत है बीमार को दवाई चाहिए, मृत देह को शमशान परन्तु करे तो करे क्या. क्यूँ नहीं सरकार से ही कह्देते की इन सब बंद को रोकने के लिए महंगाई कम करे. परन्तु उसमे आपकी पेंट घुटनों पर आजाती है और पेट में मरोड़. तो क्या करे अब सब कुछ छोड़ कर सारे आपकी तरह माइक पकड़ कर पत्रकार तो बन नहीं सकते और सारे पत्रकार पद्मश्री भी तो नहीं पा सकते.
हंसी इसी पर नहीं रूकती आगे भी आती है. महंगाई बढ़ाने वाले और जिमेदार मंत्रियो और सत्ता के ठेखेदारो को मीडिया भी जानती है परन्तु उन से बात कर ने से पहेले यासे यासे चेहरे बनाये जाते है और ऐ इज्जत से बात करते है की कहीं आवाज में ऐंठन न आजाये उसको इतनी नाजाकताता से बात करेंगे की बस सारे घर की रोटी जैसे इसी के घर से आरही हो.
और बाकी पार्टियों के प्रवक्ता से तो बोलते भी एअसे है जैसे जूता मार रहे हो अब बताओ लोकतंत्र का चौथा खम्बा और कितना बड़ा ढकोसला. कुछ एक चैंनल तो एअसे है जैसे की सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी का बावर्ची या कार का ड्राईवर ही चला रहा हो. उसको इस से कुछ मतलब ही नहीं की देश में कौन मर रहा है और क्या हो रह है. सिंगल अजेंडा की कांग्रेस अध्यक्षा और उसके परिवार के चप्पलो के निचे लगी मलाई कैसे चाटी जाये उसकी नहीं तो १० जनपथ से होकर आने वाले उन्ही जैसे लोगो के जूते के तलवे में लगी चाशनी कैसे चाटी जाये.
अब आप ही बताओ जब यह ही सब करना था तो अंग्रेजो को क्यूँ भगाया और क्यूँ आपातकाल में इन्द्रा जी को भगाया गया.
अब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को माइक पकडे इस नौटंकी को देखते है तो हंसी तो आती ही है. अब क्या करे कुछ कर नहीं सकते तो हंस तो सकते ही है. क्या पता इस हंसी हंसी में बाबा रामदेव को कोई योग ही होजये. नहीं तो इस सरकार ने १०० करोड़ लोगो को टपकाने का हुनर तो पाल ही लिया और उसपर रक्षाशी अट्टहास जारी है. और इसको पूरा पूरा क्रेडिट नपुंसक मीडिया को भी. और मीडिया के जो भाई इसमें शामिल नहीं है उनके घर में चूल्हे नहीं अरमान जल रहे है.
बाकि बचे आप और में तो हंसो और हंसो तब तक की दशम अवतार भगवान् कल्कि जन्म न लेले.
माननीय सोनिया जी राहुल जी को सादर प्रणाम और धन्यवाद की हंसने के लिए कुछ तो दिया. तो हंसो और हंसो तब तक की अगले महीने का वेतन न मिलजाए क्योंकि सात तारीख को ही सब समाप्त होगया. तो बाकी दिन हंसो हंसो और हंसो.!!

4 comments:

  1. हंस रहे हैं सर...और तो रास्ता भी क्या है.

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  2. भाई जी,
    रथ के घोड़े और अधिकारी (यानि जो प्रसाशन में है )उनको खुल्ला छोड दोगे तो वो अपनी मनमानी करेंगे ही,
    दुर्भाग्य से अपने देश की सबसे निक्कमी सरकार के विपक्ष के पास अपने अन्दुरुनी मामले सुलझाने एवं एक अच्छा नेता चुनने की छमता न हो तो आप उससे देश के भविष्य के बारे में सचेत रहने की आशा नहीं कर सकते है.
    पर नर हो न निराश करो मन को

    भगवन इस देश की जनता को आंखे दे

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  3. please put a facebook sharing option with this blog...!!! bahut jaroori he

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