- देखो मित्रो न तो मुझे किसी की तारीफ में कसीदे पढने का शौंक है और न ही किसी को भरमाने का. परन्तु समकालीन राजनीती में बड़ा प्रशन है की ऐसी क्या बात है जो नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए और क्यूँ उनका बनना जरुरी है.
इस प्रशन का उत्तर जानने से पहेले कुछ और भी जान लेते है.
- देश के ऊपर महाभ्रष्टाचारी सुप्रीम कोर्ट का जज बालकृष्णन जैसा व्यक्ति थोपने का क्या अर्थ है ? इस एक व्यक्ति की वजेह से देश के कितने लोग पीड़ित हुए, इस व्यक्ति के द्वारा कितने गंम्भीर निर्णय हुए और आज जब सच सबके सामने है तो क्यूँ नहीं उनके द्वारा किये गए निर्णयों पर मीडिया भी टेडी नजर नहीं कर रहा है. बहुत से एसे कानून इस दागदार व्यक्ति की अध्यक्षता में हुए है इसका भी संज्ञान लेना जरुरी है.
- हमे मालूम है की इस देश और उसकी सरकार को पिछले ६ सालो से एक अंतरराष्ट्रीय गेंग अपने स्वार्थो के लिए चला रहा है. और इस देश का हर वासी एक बात अपने कान खोल कर सुन ले की तुम्हारा भी कब पकिस्तान बन जाये कोई भरोसा नहीं. इस देश को वो लोग चला रहे है जिसे आम आदमी से कोई वास्ता नहीं है, मुझे इस सरकार की पिछले ६ साल की हरकत देख कर "मर्द" (अमिताभ बच्चन फेम) पिक्चर की याद आ रही है जब अमिताभ बच्चन का हमशकल दारा सिंह के सामने बेचारे गरीब हिन्दुस्तानियो के शरीर में से इंजेक्शन से खून निकालते हुए कहता है की जब इन लोगो से हम पूरा काम ले चुके होते है और जब यह किसी भी काम के नहीं रहेते तो हम इनके शारीर से तब तक इंजेक्शन से खून निकालते है जब तो वो मर न जाये और फिर इस खून का व्यापार करते है.
- बस यह सरकार भी यह ही कर रही है, किसानो की जमीने जबरदस्ती बिकवाई, उनको एक अँधेरी खाई में गिरा दिया, आम शहरी इस बढती महंगाई में तड़प तड़प कर दम तोड़ रहा है, हस्पतालो में इलाज इतना महंगा हो गया की किसीके बसकी ही नहीं है उसे कराना, किसान खेती नहीं कर सकता - बीज, मशीन, खाद इतने महंगे हो चुके है ऊपर से फसल का समर्थन मूल्य नगण्य है, इतने पर भी सरकार का पेट नहीं भर रहा उस पर टेक्स की मार. तकलीफ येही पर नहीं रूकती यह टेक्स के रूप में जो पैसा हम हिन्दुस्तानियो से लिया जा रहा है उस को या तो भ्रष्टाचार में लुटाया जा रहा है या फिर नेता, नौकरशाह अपने ही बेटो बेटियो को सरकारी काम दिला रहे है या दलाली का पैसा उनको बाँट रहे है. हमारे खून पसीने के पैसे से इन लोगो के कुत्ते खा खा उलटी कर रहे है है और हम लोग अपने पेट पर कपडा बाँध घूम रहे है ताकि भूख न लगे.
- वैसे तो पिछले ६० सालो में सरकार ने हिन्दू देश के हिन्दुस्तानियो की जमीर की नसबंदी ही की है, इस देश में जो लोग १-२ करोड़ की कारो में घूम रहे है उनके द्वारा पैसा कैसे कमाया जाता है यह देश जानना चाहता है. जानना चाहता है की हसन अली कैसे बना जाता है, जानना चाहता है की हिंदुस्तान में हजारो सोनिया गाँधी जी की तरह स्त्री है परन्तु ऐसा क्या है जो सोनिया जी की तरह वो सर्वशक्तिमान नहीं बन पाती है.
- मित्रो, कल का दिन (२३ मार्च, २०११) इतिहास में दर्ज होने वाला दिन था. इस दिन हिंदुस्तान की राजनीती के वो समकालीन चेहरे तार तार हुए जिनको अभी कुछ महीने पहले सर्वशक्तिमान मान लिया गया था. कल राजनीती का जोकर अमर सिंह बड़ा ही दया का पात्र नजर आया, टाइम्स नाऊ पर लडखडाती जुबान, कांपते हाथ, लरजती टांगे, लाल चेहरा अमर सिंह की स्थिति को बयां कर रही थी. मुझे बड़े अच्छे से याद है जब सप्रंग(१) की सरकार ने संसद में विश्वाश मत प्राप्त किया था तो इंडिया टुडे के अगले अंक में अमर सिंह को देश का सर्वशक्तिमान व्यक्ति बता कर (लिंक) तारीफ वो कसीदे पढ़े गए थे जिनको पढ़कर बड़े से बड़ा राजनीतिज्ञ भी अश अश कर उठे. परन्तु ऐसा आज क्या होगया की चेहरे की वो कुटिल मुस्कान गायब थी हर किसी को चित कर देने वाली भाषा टीवी पर नदारद थी अंग्रेजी के शब्द भी पाताल में से निकालने पड़ रहे थे. मित्रो इसी को कहते है औकात, समय ने अपना चक्र चला तो कहाँ से कहाँ बिना किसी वजूद के पौहुंच गया था. अब वापस धरातल पर है, परन्तु जिसे यूज करना था कर लिया और वो आज भी दो ऊँगली उठाये सिंह इस किंग बन कर नाच रहा है. परन्तु उसको भी कहे देता हु की जो हालत अमर सिंह जी की आज है और जिसका जिमेदार मनानिये प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह जी भी उसी हालत में बहुत जल्द आने वाले है (पाठक इसे नोट कर ले) बिना वजूद के यदि आप को सब कुछ मिल रहा है तो समझ लो की कुछ गलत जरुर है, अरे न तो तुम्हारे बाप दादा राजनीतिज्ञ थे, न तुमने कोई ऐसे पढाई पढ़ी है न ही कोई तुम्हे अनुभव है और तुम भारत जैसे विशाल देश के भाग्यविधाता बनने का दावा करते हो. मित्रो यदि इस भावना का कोई भी आदमी है तो उसका अंत निकट है क्यूंकि वो स्वार्थी ताकते कब हाथ खीच ले कुछ नहीं पता. सरदार मनमोहन सिंह जी आपको निश्चित रूप से आप के शासन काल में घटित सभी पापो का जवाब देना होगा और जैसे आज अमर सिंह जी के पास कोई नहीं खड़ा कल आपके पास कोई नहीं होगा.
- राजीनीतिक लोगो से हट कर ऐसे दुसरे शख्स का जिक्र करते है जो कल (२३ मार्च) को अमर सिंह जी ही की अवस्था में था वो थे श्री राजदीप सरदेसाई जी. वास्तव में तो मैं उनके टेलेंट का बहुत ही बड़ा प्रसंशक हु. उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा वास्तव में काबिलेतारीफ है. परन्तु उनको भी कांग्रेसियो ने मोहरा बनाया जैसे की अमर सिंह जी को और अकेले दुःख भोगने को छोड़ दिया. राजदीप जी भी इस लोकतंत्र के ढोंग में फंस गए. एक पत्रकार के रोल में नोट फॉर वोट का स्टिंग ओपरेशन कर तो दिया परन्तु एक बिजिनेसमेन होने के नाते गच्चा खागए, और न तीन में न तेरह में रहे. न माया ही मिली न राम ही, न पत्रकार ही रहे और न बिजनेस मेन ही. अरे मित्रो आपको भी सोचना चाहिए जिस विदेशी शक्ति ने सरकार के लिए सांसद खरीदने में कोताही नहीं बरती, जिसने हर संभव कोशिश की सप्रंग (प्रथम) की सरकार बचाने की तो क्या वो मीडिया को नहीं मेनेज कर लेगी, और वो भी उस सी. एन. एन. आइ. बी. एन. जैसे को जिसके की तार सीधे ही अमरीका की अपनी न्यूज़ चैनल सी एन एन से जुढ़े हो. यार आप भी कमाल करते हो. अच्छा भाई थोड़ी सी हंसी तो बीजेपी के भोले नेताओ पर भी आती है जो अपनी भलेमनासता और नई नई दोस्ती के चक्कर में एक नए नए बिजनेस मेन जो अभी पत्रकार से बना है के चक्कर में फंस गए, अब अमेरिका इतना भी बेवकूफ नहीं जो इस छोटे से स्टिंग को न पकड़ सके और इसका न रोक्सकने का मद्दा रखता हो. मनमोहन सिंह जी को बेवकूफ और मुर्ख मानने वालो की इस देश में कमी नहीं है परन्तु जो मनमोहन सिंह जी को ऐसा सोचता है वो खुद भी भ्रम में है, जो आदमी बिना पावर के १० साल तक भारत जैसे देश का राज संभाल रहा हो (दोनों टर्म का) उसके तो कहेने ही क्या. राजदीप जी पर बड़ा ही तरस आ रहा था क्यूंकि उनकी और उनके चेनल की संसद के दोनों सदनों में मनानिये श्री कपिल सिबल जी ने लोकसभा और मनानिये श्री चिताम्बरम जी ने राज्य सभा में जो बखिया उधेडी उससे तो केवल यह ही साबित होता है की मनमोहन सिंह जी और उनके गैंग के सामने आज जो भी आएगा उसको तो हर हालत में निपटना ही होगा.
- राजदीप जी सायं अपने चैनल पर खुद को छला हुआ ही मान रहे थे उसपर भी अभिषेक सिंघवी मजे ले ले कर नमक रगड़ रहे थे. आज राजदीप को पता चल गया होगा की राजनीती की गंदगी किस स्तर की होती है. आज एक ही बात को याद कर कर के खुंदक निकल रही होगी की काश उसने कांग्रेस के भेडियो की बात न मान कर संसद वंसद की चक्कर में न पड़कर यदि टीवी पर वो टेप चला दी होती तो कम से कम पत्रकार बिरादरी में नाक तो न कटती, टाइम्स नाऊ का एक पत्रकार श्री अर्नभ गोस्वामी उसके मजे तो न ले रहा होता. खैर राजदीप जी आज से एक सबक तो सीख ही लो की ये कांग्रेसी अपने बाप के नहीं तो तुम्हारे कैसे होंगे, दूसरा सबक आज तक वालो के लिए है, बड़ी ही विडंबना है की अपने को नम्बर वन कहेते कहेते उसके जीभ में छाले पड़ जाते है परन्तु देश की संसद में इतनी बड़ी बेहेस चल रही है और उसके प्राइम टाइम में देश के राजनीती के बारे में कोई न्यूज़ ही नहीं है, हमने सोचा था की एम् जे अकबर जी के आने पर यह चैनल कम से कम पोलिटिकल करेक्ट तो हो ही जायेगा क्यूंकि प्रभु चावला जी ने सीधी बात ऐसे ऐसे भांड और फ़िल्मी लोगो से की, की लोग ही पूछने लगे की आजतक न्यूज़ चैनल है की भांड चैनल, पता नहीं अकबर जी कांग्रेस सरकार से क्यूँ डरे डरे से घूम रहे है जो मैन स्ट्रीम के चैनल को क्रिकिटिया चैनल बनने पर तुले है, कम से कम अपने पत्रकार होने का धर्म तो वो भी निभा सकते है.
- तीसरे आते है पूर्व जन्म के पाप टैप एन डी टीवी चैनल पर, खैर थोडा सा प्रणव रॉय ने पाला बदलने या कहे की पत्रकारिता की गहरी छिपी ललक ने असान्जे का इंटरविउ करने के लिए प्ररित किया या कुछ और हुआ परन्तु अपनी कांग्रेस-वाम-सरकार (त्रिमूर्ति गैंग) से अल्हेदा जा कर कुछ ठीक करने की कौशिश की. राजदीप जी प्रणय रॉय से चाल बदलना सीख सकते है. परन्तु यहाँ एन डी टीवी पर भी एक अपने ही किसम का वामपंथी भांड बैठा है जिसने कम से कम इस जनम में तो बीजेपी व् संघ परिवार के विरुद्ध ख़म ठोखने की सुपारी ले ही रखी है, इस विनोद दुआ को हम नॅशनल चैनल के १० बजे वाले "परख" प्रोग्राम से लेकर सहारा वन से धकियाने से लेकर एन डी टीवी तक देख ही रहे है, खबर कोई भी हो उसने एक ही चश्मा पेहेन रखा है की कैसे संघ या बीजेपी के विरुद्ध दिखाना है. मेरी नजर में इस से ज्यादा दोयम दर्जे का, स्वार्थी और एक पक्षिये पत्रकारिता मेने भी नहीं देखी है. अच्छा कांग्रेसी अंधी रेवेडी "पदम् श्री" मिलने के बाद तो सरकार-कांग्रेसी-वाम पिपनी निर्विरोध बज ही रही है.
- मीडिया में अंत में लेते है तरुण भाई तेजपाल को और इसकी तहलका पत्रिका को इस दुनिया में जब जब भांड पत्रिकारिता और नीच प्रवर्ती के येल्लो जर्नलिजम की बात होगी तब तब तरुण जी भाई तेजपाल का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा. कांग्रेस का हाथ किसी के साथ हो न हो पर तरुण तेजपाल की तेहेल्का का हाथ कांग्रेस के साथ हर बार, बार बार जरुर होगा. यह पत्रिका खड़ी ही कांग्रेस सरकार के हर पाप को धोने के लिए है. कल टीवी पर तरुण तेजपाल जी स्वम नहीं आये एक निचले पत्रकार को टीवी पर कल आगे किया अपनी करतूत छुपाने के लिए, खैर हमे पता है तरुण तेजपाल जी का ब्लड प्रेशर सामान्य जो नहीं रहे पता इसिलिय वो टीवी पर नहीं आये नहीं तो कल ही उनकी मक्कारी और झूट की पोल खुल जाती, वैसे हमारी अलोक भाई महेता जी ने भी अपना कांग्रेसी धर्म निभानी की पूरी कोशिश करते हुए ठीक प्रधानमंत्री के विशेष हनन प्रस्ताव के दिन उनकी पत्रिका ने भी टाटा के साथ अरुण शौरी जी के समय की एक डील को खड़ा करने की नाकाम कौशिश की थी. परन्तु टाटा से डर कर किसी भी कांग्रसी वक्ता ने संसद के दोनों सदनों में इस पर कुछ नहीं बोला. आखिर भाई टाटा को बीजेपी में जाने से भी तो कांग्रेस को रोकना होगा वैसे ही पिछले टेप काण्ड में कांग्रेस के अपने ही कुछ आदमी थे.
- तो मित्रो यह तो थी मीडिया की बाते जो बीजेपी की समझ में भी कम ही आती है, बीजेपी से मेरा बड़ा नम्र निवेदन है जब मुकाबला करना है तो ढंग से कर कम से कम टीवी पर प्रवक्ता जरा मजबूत बिठाओ, मैं श्री राजीव प्रताप रूडी जी का पूरा आदर करता हूँ परन्तु अभी उन्हें बहुत प्रेक्टिस करने है इसलिए कल तो कम से कम रवि शंकर जी, सीता रमण जी, शेषाद्री जी या स्वम जेटली जी को ही आना था. मेरा बड़े विनम्रता से बीजेपी से निवेदन ही कृपया करके प्रवक्ता का चयन दुबारा से किया जाये और ठीक के मीडिया हॉउस में ट्रेनिंग भी दिलवाई जाये, उमीद है मेरे बीजेपी के वर्तमान प्रवक्ता मेरी इस बात को अन्यथा नहीं लेंगे. इस सरकारी, संसदिये और दिल्ली के बोझिले वातावरण ने हमसे राष्ट्रीय मामलो के प्रखर पत्रकार श्री तरुण विजय जी को भी ढांप लिया अन्यथा वो है जो कांग्रेसी और मीडिया के कुतर्को की कल धजिया उड़ा देते.