Saturday, June 4, 2011

इतिहास बनते देख रहा हूँ !!! हिन्दू भारत का बिगुल और रामलीला मैदान !!!


मित्रो हम देश के साथ होते अन्याय पर कई वर्षो से लिखते आ रहे है की इस बार क्रांति का बिगुल छतीसगड या झारखण्ड के जंगलो में नहीं बजेगा वो बजेगा तो भारत की छाती दिल्ली में. और आज बाबा रामदेव ने वो बिगुल बजा ही दिया. बाबा राम देव देश की गरीबी, ग़ुरबत, अन्याय, त्रस्त, पीड़ित हिन्दू भारत की अभिव्यक्ति के नायक बनकर उभरे है. आज जिस सहजता से देश की जनता को उन्होंने आंदोलित किया है उनकी बातो को स्वर दिए है, बाबा को उसके लिए शत शत प्रणाम, न केवल उनको बल्कि जो संगठन और अनाम चहरे इस आन्दोलन के संचालक, आयोजक, संयोजक और भागी बने है उनको भी कोटि कोटि अभिनन्दन. उन भामाशाह को भी जिन्होंने सार्थक कार्य के लिए अपना योगदान दिया. वो लाखो ब्लोगर और इन्टरनेट पर लोग जो इसके समर्थन में अपनी भावनाए व्यक्त कर रहे है और जो इसका समर्थन कर रहे है उनको भी शत शत प्रणाम. कोटि कोटि प्रणाम उन सभी विद्वानों को जो तर्कों से इस अनशन और आन्दोलन का समर्थन कर रहे है, अभिनन्दन उस मीडिया को जो इस राष्ट्रवादी अन्दोलंद की प्रचंडता को सार्थक बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रहा है.
आज फिर मन भावुक हो रहा है फिर से मन १९९० के दशक में हिन्दू शक्ति का आंदोलित होते चहरे याद कर रहा है. जब हिन्दू (हिन्दू से तात्पर्य मित्रो सुप्रीम कोर्ट की हिंदुत्व की व्याख्या से है) बिना किसी भेदभाव के अपने "राष्ट्र पुरुष" श्री राम के लिए आंदोलित हो गया था. आज फिर से मन उसी राष्ट्रीय चेतना से ओतप्रोत होता जा रहा है. जब "अयोध्या" आन्दोलन में भाग लेने जाते हजारो की संख्या चलती थी और उनके पैरो से धरती पर उठती धूल जो नाक के नथुनों में जाकर एक महक छोडती थी. उस महक का कुछ कुछ अनुभूति आज भी हो रही है. वास्तव में मित्रो यह तो मीडिया और कोंग्रिसियो ने "अयोध्या" आन्दोलन को साम्प्रदायिक रंग दे दिया था अन्यथा तो यह "राष्ट्रीय चेतना" आन्दोलन था. और आज भी मैं उस आन्दोलन को  उसी रूप में देखता हूँ. यह तो मीडिया में और राजनीती में टुच्चे टाईप के लोगो ने इसको अपने निहित स्वार्थ के लिए इसको साम्प्रदायिक रंग दे दिया था अन्यथा उस आन्दोलन के प्रचंडता और सार्थकता को यदि सही उपयोग कर लिया होता तो देश एक दशक पहले ही सुपर पावर बन गया होता . जिस प्रकार आज "बाबा रामदेव " के भ्रष्टाचार के आन्दोलन को "साम्प्रदायिक" रंग देने की कौशिश की जा रही है और मीडिया व राजनीती के कुछ (जयचंदी) लोग बाबा रामदेव के आन्दोलन इसके समाप्त होने के बाद तक भी इसी साम्प्रदायिक रंग ही देते रहेंगे और बाकी का काम कोमुनिस्ट लेखक इतिहास और कुछ एक किताबे लिखकर पूरा कर ही देंगे ?

आज दिल्ली में जाकर ऐसा लगा की देश का बच्चा बच्चा कुछ कर गुजरने के लिए व्याकुल है, वो ढूंढ़ रहा है एक नेत्रित्व (जो बाबा राम देव के रूप में उसे मिल ही गया) जहाँ जा कर अपने मन की पीड़ा व्यक्त करे, देश के समर्थन में हुंकार भरे. चार चार साल के बच्चे और बच्चिया अपनी माँ का पल्लू पकड़कर जेठ के दुपहरी में चले जा रहे है. भूखे प्यासे माँ भारती और भारत माता की जय जयकार हो रही है. भारत माता की जय जयकार सुन कर लग रहा है की मैं सतयुग में पहुँच गया, सारा वातावरण भारतीय लग रहा है. एक बिना पैर के व्यक्ति पहिओ वाली रेडी पर दोनों हाथो से धकेलता जा रहा है, एक गाँधी का बहरूप भर कर तिरंगा लहरहा रहा है. राजस्थान से आया एक सज्जन मीरा के भजनों पर नाचते नाचते बाबा राम देव की जय जय कर रहा है. ऑटो रिक्शावाले (जो मैंने देखे) लोगो को रामलीला मैदान में फ्री में ढोह रहे है. यह वो ही ऑटो वाले है जो आम दिनों में एक एक रूपये के लिए आम जनता को रुला देते है परन्तु आज इनके अन्दर भी भामाशाह की आत्मा विराजमान होगई  मानो कह रही हो की क्या हुआ जो भगत सिंह और सुखदेव फांसी के झूले पर हँसते  हँसते झूल गए हम भी है जो देश के लिए आज भी सर्वस्व दे देंगे. मुझे तरस आ रहा था उन लोगो पर जो एक एक दिन की दहाड़ी से अपने परिवार का पेट पालते है वो भी रेलवे स्टेशन  पर फ्री में सामान उठा रहे है और बाकि जनता जो लोग रामलीला मैदान में शामिल होने जा रहे है के लिए जगह छोडती जा रही है. और रामलीला मैदान में आज जो भी जा रहा है मानो अपने को वी आइ पी ट्रीटमेंट मिलता देख बड़ा ही खुश नजर आ रहा है. बड़े बुजुर्ग समर्थन के नारे लगा रहे है और जब थक जाते है तो अनुलोम विलोम करने लग जाते है. माताए और बेहेने व्यवस्था देख रही है. अरे इतिहासकारों सामने इतिहास बन रहा है, क्रांति हो रही है इसको देखलो और समेट लो इसको. देश का बच्चा बच्चा ६२४ जिलो पर धरना प्रदर्शन कर रहा है और तुम अभी भी ६० साल हुई क्रांतियो और भ्रान्तियो के चक्कर में पड़े हो.
साध्वी ऋतंभरा अपनी हुंकार से माहौल में गर्मी पैदा कर रही है, उनकी आवाज की ओजस्विता भुजाओ को फडफडा रही है. उनकी आवाज की खनक मुझे १९९० के दशक के शरुवाती दौर की यादे ताजा कर देती है. उनकी बातों की गहरहाई, छंद बनती लाइने और दबंगता मन में देशभक्ति की किलकारिया भर देती है. 

परन्तु दुर्भाग्य से देश में हिजड़ो और जयचंदों की फ़ौज "अयोध्या आन्दोलन" की तरह इसमें भी पलीता लगाती नजर आती है. आज ही अखबारों में बोलीवुड के "हिंजड़े और बुढ़ाते" शाहरुख़ खान की उलटबसिया सुनी, नौटंकी के भांड सलमान खान के कुतर्क सुने और बोलीवुड में नक्सलियो की आवाज शबाना आजमी की फ़ालतू बनते सुनी. अब मित्रो शाहरुख़ खान कहता है की "जिसका जो काम है वो वोही करे दुसरे किसी और फिल्ड में हस्तक्षेप न करे" यह हिजड़ा बाबा रामदेव से कहे रहा है की बाबा सिर्फ योग ही कराये देशभक्ति के लिए  काले धन के लिए आन्दोलन न करे. अब इस हिजड़े को हम क्या बताये की "तू" यदि फिल्मो में एक्टिंग कर रहा है तो आइ पी एल में क्रिकेट में क्या कर रहा है ?, तेरा दोस्त २ जी में तिहाड़ में क्या कर रहा है. मित्रो  तर्क पर तो कुछ बोला जा सकता है परन्तु कुतर्क का क्या ?  दूसरा सलमान खान और शबाना आजमी भी बाबा का विरोध ही कर रहे है. और मीडिया भी इसे बाबा रामदेव बनाम बोलीवुड बता रही है इस बीच "अनुपम खेर " ने जो बाबा रामदेव के समर्थन में बाते कही है उनका आज के किसी समाचारपत्र में कोई जिक्र नहीं है. 

आज के खलनायक और देशद्रोहियो के "सरताज" दिग्भ्रमित सिंह (श्री दिग्विजेय सिंह जी) भी बाबा रामदेव से योग छोड़कर राजनीती में आने को कहे रहे है और देश को अपनी गन्दी जबान से वचन बोल रहे है की "या तो बाबा योग ही करा ले या फिर देशभक्ति ही करे" अब यार मुझे तो इस चश्मीश दिग्भर्मित सिंह की बुद्धि पर वाकई तरस आता है, इसकी अपनी नेता सोनिया गाँधी "कोग्रेस की अध्यक्ष भी है, राजीव गाँधी फौण्डएअशन इतने बड़े एन जी ओ की अध्यक्ष भी है फिर, एन ऐ सी की अध्यक्ष भी , आपके कितने ही बोलीवुड के सांसद है फ़िल्मी भी है और राजनीति में भी है, अरे आपका गोविंदा, यह जो आपके वकील "सिबल जी" या अभिषेक मनुसिंघवी या मनीष तिवारी मंत्री या कांग्रेस के प्रवक्ता भी है और मंत्री, नेता और कांग्रेसी भी है. अरे यार यह कौनसा तर्क है की बाबा रामदेव सिर्फ और सिर्फ योग ही सिखा सकते है बाकी कुछ और नहीं. तो इसका मतलब तो यह है की बाकि के समय वो मुह पर टेप लगा कर घुमे, यह तो सीधे सीधे एक नागरिक के अधिकारों पर अतिकर्मण है. दूसरा आप कहेते है की राजनीतिज्ञ ही सिर्फ राजीनीति कर सकते है बाकि सब मूक दर्शक बनकर वोट ही डाले, अब यार दिग्भर्मित सिंह जी अब हम कोई भाड़े के वोटर तो है नहीं की बस हर पांच साल में ही "तुझे" वोट दे और बाकि के दिन तेरे थोप्ड़े के देखते रहे, भगवान् ने बल, विद्या और बुद्धि दी है देश हित में प्रयोग न करे क्या? पता नहीं किस गुमान में दिग्भर्मित सिंह कांग्रेस का महासचिव होने का दम भरते है जिन्हें की रत्ती भर भी नाक पूछने की तमीज नहीं और खी खी करके बत्तीसी ही दिखाने को राजनीति मानते है. हम ने आपकी उल्जुल्लुल राजनीति राहुल गाँधी के जरिये देखली है. आज राहुल गाँधी, सोनिया गाँधी पता नहीं कहाँ पर है, पता नहीं क्यूँ अभी तक इतने बड़े घटनाक्रम पर कोई बयान नहीं आया है. क्या राजनीती सिर्फ महोली के क्रिकेट के मैदान पर ही होती है क्या ? दूसरा दिग्भर्मित जो अपने को किसी हताम्तई से कम नहीं समझता और कांग्रेस की सारी बुद्धिमानी का सोल ठेका ले रखा है. कहता है की साध्वी ऋतंभरा के बाबा के मंच पर आने से आर आर एस का चेहरा सामने आगया. इस पर मैं कहना चाहूँगा चल आगया तो आगया तुझे दिक्कत क्या है? आर एस एस के स्वयम सेवक भी  दो हाथ दो पैर वाले इन्सान ही है न ? या नहीं ? आर एस एस वाले देश के नागरिक और वोटर नहीं है क्या ? देश के आयकर विभाग को आयकर नहीं देते क्या? यह क्या नौटंकी है की आर एस एस है तो क्या भ्रष्टाचार का आन्दोलन नहीं होगा?  यार तेरी पार्टी कर अभिषेक मनुसिंघवी बीजेपी के नेता का बेटा है तो क्या कांग्रेस बीजेपी का एजेंडा चला रही है? माधव राव सिंधिया बीजेपी नेता का बेटा था तो क्या उसका पुत्र अब कांग्रेस की सरकार में मंत्री होकर बीजेपी का एजेंडा चलता है ? २१ वी सदी में हिन्दुस्थान की जनता को क्या बताना चाहता है? यार समझ में ही नहीं आता है. तेरी भाषा और बुद्धि में ही अंतर्द्वंद है. तेरी पार्टी की सरकार में देश का बंटवारा करने वाली मुस्लिम लीग भागीदार है और उसके मंत्री भी है. केरला में तू घोर मुस्लिम साम्प्रदायिक पार्टी का सहयोगी है वो कुछ नहीं परन्तु देश में कोई विरोध भी करे तो आर एस एस से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं होना चाहिए. अरे इतना ही गुमान है तो क्यों नहीं आर एस एस वालो को अछूत बना कर इनको या तो देश से ही निकाल दो या एक अलग से कोई इनका नगर ही बसा दो. क़माल है एक ही रट आर एस एस की है यार साध्वी ऋतंभरा देश की नागरिक है अब नागरिक है तो क्या विरोध न करे और आप में इतनी ही गर्मी है तो उसके प्रश्नों का उत्तर दे पर कम से कम भोंके तो नहीं काट कर दिखाए. दूसरा आप बता रहे है यह कौन सा बाबा है जो जेट से चलता है ५ स्टार में रहता है. अरे यार अब बाबा एक ऋषि है कोई बावला तो है नहीं जो मुंबई से दिल्ली बैलगाड़ी में आयेगा. चल तू ही बता दे हवाई जहाज में न आये तो किस में आये. यार क्या फ़ालतू के तर्क दिए जा रहे है. और वो भी कांग्रेस के महासचिव दे रहा है कमाल है भाई बोल तो ऐसे रहा है जैसे खुद इस माया दुनिया से ऊपर हो, जिन कांग्रेसी बाबाओ और मौलानो के चरण चूमता और कांग्रेस अध्यक्षा जी से भी चुमवता क्या वो बाबा और मौलाना बेलगाडी से चलते है. यार आज की राजनीति को कम से कम इस दिग्भर्मित सिंह से तो बचाओ भ्रष्टाचार तो फिर देख ही लेंगे. 
मित्रो कमाल इतना ही नहीं एक एन डी टीवी है और उसके बड़े तोपची टाइप के पत्रकार है श्री रविश कुमार जी अभी अभी सेकुलर हुए है अपने को बड़ा ही भदेस पत्रकार मानते है वो भी कटाक्ष कर रहे है बाबा राम देव के अनशन पर. एक पत्रकार चार साल की बच्ची से जो अपनी माता के साथ ही है और आन्दोलन में शामिल है उस से आज पूछता है की "आपने बेटा यह बेच (उसने एक पीला रंग का बेच लगाया हुआ था) क्या लगा रखा है? वो तुतलाते तुतलाते कुछ ज्यादा नहीं बोल पाती और उसके इस व्यहवहार पर वो पत्रकार टीवी दर्शको की तरफ मुखातिब होकर बोलता है. आप देखले की किस प्रकार के लोग शामिल है जिनको यह भी नहीं मालूम की बाबा की मांगे क्या है. अब में बलिहारी जाऊ इस पत्रकार की बुद्धि पर जिसने अन्ना हजारे का जूस पिला कर अनशन तुड्वाती चार साल की बच्ची से भी क्या पूछा था की अन्ना हजारे का अनशन किस बात का है. अरे यार मीडिया वाले भी नहीं जानते की इतिहास उनके सामने बन रहा है और वो देसी पत्रकार "अयोध्या " आन्दोलन के बी बी सी वालो की तर्ज पर राष्ट्रवादी सोच का मजाक उड़ा रहे है.
उनको मालूम नहीं इस प्रकार के प्रशन कितने महंगे पड़ते है. तमिलनाडू में करुना निधि ने कुछ समय पहले राम सेतु प्रकरण पर बड़े ही व्यंग्य से पूछा था की "राम ने यदि राम सेतु बनाया था तो बताओ तो सही की उसने इंजिनयरिंग किस कोलेज से की थी" शायद उसको उत्तर अब तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने पर मिल गया है. अभी उनकी जो बेटी तिहाड़ में है वो रिसर्च करले की क्यूंकि काफी खाली टाइम भी है. पुरे पार्टी के परखच्चे तो उड़े ही परिवार भी सड़क पर आगया और दिल्ली में औकात जूते तले आगई. और अभी तो देखना के बुढ़ापे में क्या का और किस कोलेज के नज़ारे देखने को मिलेंगे अगली बारी मारन जी की है. अभी भी कोई और प्रशन "श्री राम" के बारे में है तो उसका जवाब उनको अगले १० साल तक जयललिता देती ही रहेगी. 

फिर प्रशन पूछा था भूषण सीडी कांड के नायक प्रशांत भूषण के पिताजी श्री शांति भूषण जी ने जो की बिलकुल "जिनुआन" प्रशन था की लोकपाल कमिटी में बाबा का क्या काम? अब पसीने छुट गए रामलीला मैदान में बाबा का रोल देख कर जब चार चार कांग्रेसी मंत्री बाबा के सामने शीर्षासन कर रहे है. और शांति भूषण बिलकुल अमर सिंह की तर्ज पर "जिनुआन" तरीके से सीडी देख रहे है. शायद उनको भी उत्तर मिलगया होगा की बाबा लोकपाल कमिटी में क्या करेंगे? अरे तेरी लोकपाल कमेटी तो बाबा के राष्ट्रीय आन्दोलन के आगे कुछ भी नहीं. अभी तो पहला दिन है और ट्रेलर ही देखा है फिल्म तो बाकी है शांति भूषण जी.

अंत में मित्रो बाबा से भी निवेदन करूँगा की इस राष्ट्रवादी आन्दोलन में जब आप गाँधीवादी बनने की इतनी होड़ दिखा तो रहे हो परन्तु बाकि के राष्ट्र नायको मत ही भूल जाना. क्यूंकि वीर सावरकर और डॉ. हेडगेवार जी का जिक्र आपके मुह से रामलीला मैदान पर आना बाकी है. सनद रहे बाबा रामदेव वक्त आज आपके साथ है और वक्त कभी लौट कर वापस नहीं आता. "गाँधी" जी को तो जो मिलना था वो मिल ही गया उसके कर्म से जनित कमाई "गाँधी-नेहरु" परिवार आज तक खा रहा है. आप देखना जो देश के नायक कोंग्रेस ने परदे के पीछे धकेल दिए थे कही आप भी उनको न धकेल दे. क्यूंकि कांग्रेस एक संगठन नहीं एक बीमारी का नाम है. आज आप भी लोकप्रियेता के शिखर पर है आपका भी कर्तव्य बनता है जो सच है उसी को बोला जाये. और सफलता से एक राष्ट्रवादी क्रांति करे हम सब आपके साथ है. कंधे कम नहीं पड़ने देंगे. यह हमारा आपको आश्वासन है.

बड़ा ही सकून मिल रहा है आत्मा की तृप्ति हो रही है "भारत माता" की जय जयकार सुनकर इस दिल्ली में.

भारत माता की जय.

जय भारत जय भारती !!!!!!!!!!!!!!!!!! 

2 comments:

  1. बाबा लम्पटों से बचकर रहना... लम्पट आपको घेरने की कोशिश कर रहे हैं...

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  2. त्यागी जी, बहुत दिन के बाद आपने लेख लिखा है | आत्मा को संतुष्टि मिली |
    हँसी आती है डीडी न्यूज देखकर | उसे तो चमचों ने बिजनेस चैनल बना दिया है | समाचार के नाम पर भांड चीज़ें और सेंसेक्स के लगातार अपडेट्स |
    मैं एक स्वयंसेवक हूँ और इस आन्दोलन में रामदेव जी के साथ हूँ | आवश्कता पड़ने पर जान की भी बाजी लगा दूंगा |

    आज आत्मिक आनन्द आया जब स्वामी जी से पत्रकार ने पूछा की सिविल सोसाइटी आपके साथ नहीं दिखती है, क्यों ? तो स्वामी जी ने कहा की ये जो लाख से अधिक लोग हैं वो क्या मिलिट्री के हैं |

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