कांग्रेस को यदि लोकतंत्र का पौधा कहा जाये तो गलत बात होगी। देश पर कांग्रेस का राज 60 साल से ऊपर रहा यह सब जानते है पर मुझे कहना यह है की कांग्रेस का राज देश पर 125 साल से है। यदि दिमाग पर जोर दिया जाये तो कांग्रेस का शासन 1947 में जिस वर्ष को कांग्रेस भारत की स्वतंत्रता का वर्ष प्रचारित करती है से भी पहेले है। अंग्रेजो ने 1935 के बाद लगभग सभी फैसले कांग्रेस के अनुकूल किये या फिर उस से पहले कांग्रेस की जानकारी में अंग्रेजो ने फैसले लिए। विश्वास नहीं तो भगत सिंह की फांसी के केस पर ही ले लो।
पाकिस्तान तो अंग्रेजो की मुर्खता की उपज थी। अंग्रेज जिसमे सभी पश्चिमी और अमेरिकी देश शामिल है मुसलमानों को पुचकारते पुचकारते बहुत नजदीक ले गए। और फिर 1980-90 में आते आते पता चला की यह अंग्रेज - मुस्लिम दुरभिसंधि तो अंग्रेजो को बड़ी भरी पड़ी। और इसका खामियाजा ब्रिटेन ने ही सबसे पहले भुगता और अभी भुगतेगा। 1935 आते आते ब्रिटेन मुस्लिम बहुल हो जायेगा। इसलिय अब अंग्रेज हर संभव कौशिश कर रहे है की इस परस्थिति से बचा कैसे जाये। खैर मुस्लिम धर्म की "तालिबानी व्याख्या" या कहलो वहाबी विचारधारा ने सभी अंग्रेज देशो को हलकान किया हुआ है। जो अंग्रेज एक समय कश्मीर के मुसलमानों के रहनुमा हुआ करते थे अब कन्नी काटते दिख रहे है। यूरोप मुस्लिम जनसँख्या के बढ़ते रूप से इस कद्र भयवाह है की जिन मुस्लिम मूल्यों को कुछ समय पहले लोकतंत्र के बजरबट्टू समझ कर मुस्लिमो को अपने देश में लागु करने में गौरवान्वित महसूस करते थे अब एक ही झटके में गैर लोकतान्त्रिक तरीके से ख़ारिज कर दिए। अब पश्चिमी देशो के लोकतंत्र के पैरेकारो को अच्छी तरह से समझ आगया की मुस्लिम और लोकतंत्र एक साथ चलने वाली चीज नहीं है। पश्चिमी देशो को पता चल गया की मुस्लिम धर्म में शांति की बात करना सिवाए धोखे के और कुछ भी नहीं है। खैर देर आये दुरुस्त आय।
अब बात हिंदुस्तान की। हिन्दू धर्म नहीं पद्धति है, हिन्दू कोई धर्म ही नहीं है, हिन्दू नहीं यह चोर शब्द है, हिन्दू अलग हिंदुत्व अलग है, हिन्दू ब्राह्मणों का धर्म है, हिन्दू कोई होता ही नहीं, हिन्दू तो आर्य थे वो द्रविड़ो से लड़ते थे। हिन्दू भारतीय नहीं यूरोपियन है, हिन्दू अलग आदिवासी अलग, भारत हिन्दुओ का देश नहीं यह तो अंडमान के आदिवासियो का है। हिदू मूल निवासी नहीं फलाना ढिकाना है इत्यादि इत्यादि। जिसने हिन्दू के साथ जो चाह जैसा चाह व्याख्या कर गया। कुछ ने वेदों को गड़रियो के गीत कह दिए तो कुछ ने रामायण और महभारत को काल्पनिक बता दिया। कोई राम को सीता के बहन बताता फिरता है कोई रावन की बेटी। मूल बात यह है की हिन्दुओ को लोगो ने अपनी अपनी अपनी तरह से व्याख्या की है। पर मजे की बात यह है की हिन्दुओ ने न तो किसी को रोका और न ही किसी के बारे में विरोध में कुछ कहा। "न कहु से बैर न कहूँ से दोस्ती" की तर्ज पर हर बात को हलाहल भवसागर के शिव शंकर की तरह पीता गया।
हिन्दुओ ने यह मात्र कहा की यह जम्बुद्वीप ही भारत है और हिन्दुओ का मूल स्थान है। पर तथाकथित परम शक्तिओ और हिन्दुद्रोहियो ने यह नहीं माना। हिन्दुओ ने कहा की हिन्दू धरा पर उत्पन सभी सम्प्रदाए हिन्दू ही है और अलग अलग मार्ग से पूजा करते है। पर जो इतिहास पढाया जा रहा है उसमे हिन्दू धर्म होते भी हिन्दू नहीं क्यूंकि वो तो सम्प्रदाए में बंटा है, जातिओ में बंटा है, एक देवता को नहीं पूजता, एक किताब को नहीं मानता। और इस बात को कोमुनिस्ट, कांग्रेसी, हिन्दुद्रोही शक्तिओ ने "हिंदुत्व" शब्द देकर हिन्दुओ को हिंदुत्व से अलग करने की कोशिश की और जो की जारी है।
जबकि हिन्दू धर्म की सनातन व्याख्या के अनुसार मानव धर्म के आलावा कोई और धर्म है ही नहीं। चलो फिर भी कुछ देर के लिए मान लो की जो धर्म हिन्दू कहा जाता है उसको हिन्दू धर्म मान भी लो तो जीने, खाने , रहेने और पूजा करने का अधिकार तो उनको भी है।
नहीं है यह अधिकार ?????????????????????????????????????????????????????????/
करते है बात भारत की वर्तमान परस्थितियो की। गाँधी परिवार जिसका नेत्रत्व करता है उस कांग्रेस का कहना है की हिन्दू आतंकवादी है। और 120 करोड़ तथाकथित आतंकवादी कहे रहे है की हम आतंकवादी नहीं है। कोंग्रेस जबरदस्ती 120 करोड़ लोगो के हलक में यह बात उतरवाना चाहती है और एक बार कोई मूढ़ व्यक्ति इस हिस्टीरिया में कोई गलत कदम उठा भी ले जैसे की श्री नाथूराम गौडसे जी ने उठा लिया था। तब क्या हो। जब गाँधी जी मरे या मारे गए तब से ही पीड़ित हिन्दू को आतंकी में बदल दिया गया। 10 लाख लोगो की हत्या जो बँटवार में हुई उसे श्री गाँधी के वध के शोर में दबा दिया गया। जहाँ तो हिंदुस्तान में देश की मिटटी से जुडी हिन्दू गौरव युक्त सरकार बननी थी और कहाँ लुंज पुंज इतिहास से हारी प्रौड़ सरकार कांग्रेस के नेत्रित्व में बन गई। भारत देश के ही नहीं विश्व भर के हिन्दुओ को सोचना होगा खास कर यहूदी भाइयो से प्रेरणा लेनी होगी की इस विश्व में हिन्दुओ का भी कोई देश होगा या नहीं। यहुदियो ने भी इसराइल नामक देश बनाया और उसमे अपनी मर्जी से रह रहे है, इसाइओ के भी बहुत से देश है पर उन्होंने भी वेटिकन सिटी नामक एक अलग देश अपने लिए बना रखा है, मुस्लिमो को छोड़ो क्यूंकि उन्होंने तो हर जगह को दारुल इस्लाम बना रखा है। यहाँ यह बात का उल्लेख करना जरुरी है की कुछ हिन्दुद्रोही शक्ति को विश्व का एक मात्र देश "नेपाल" भी पचा नहीं और उसे भी विश्व के नक़्शे से हटा कर हिन्दू गौरव विहीन कर दिया। क्या हिन्दुओ की गति इस तरह करने का अधिकार है किसी को ?
क्या भारत जिसे हिन्दू अपना देश मानते है के लिए जरुरी है हर उचित उनुचित अपने ही धर्म के बारे में व्याख्या मानना हिन्दू की मज़बूरी है? क्या सिर्फ कोंग्रेस को ही हिन्दुओ पर शासन करने का नेसर्गिक अधिकार मिला है? क्या 'गाँधी परिवार की तानाशाही" सहना है हिन्दू के नसीब में लिखा है? हिन्दू यदि बहुसंख्य में भारत में है तो क्या यह लोकतंत्र नहीं की उसको सभी जरुरी चीजे मोहिया कराइ जाये? जिस से वो निर्भीकता से अपने धर्म का पालन करे। क्या 1947 से पहेले भारत देश में आये शरणार्थी जो की मुसलमान थे को दो देश देना ही इसकी भलाई रहेगी ? क्या अपनी पीड़ा का इजाहर करना आतंकवाद है? दुनिया का कोई भी धर्म इतना पीड़ित और बेबस नहीं जितना हिन्दू है। और कोई भी धर्म जो बहुसंख्य में हो आतंकवादी नहीं बन सकता। बार बार इसको नकार जा रहा है और बार बार बार कांग्रेस हिन्दुओ को इस पर थोपती जा रही है।
1947 के बंटवारे की पीड़ा से जब भारत हिन्दू गौरव को मुख्यधारा में लाना चाहता था परन्तु कोंग्रेस ने हिन्दू धर्म को गाँधी का हत्त्यारा घोषित कर सत्ता से अलग कर दिया।
1976 में जब कांग्रेस फिर से सत्ता से बहार जाती दिखी तो संविधान में बयालीसवा संशोधन कर के फिर से हिन्दू शक्तिओ को सत्ता से बहार करने की कूटनीति कर दी। और "धर्मनिरपेक्षता" का शब्द जोड़ दिया। जिस से हिन्दू धर्म के प्रति सहानुभूति रखने वाले संघठनो को अछूत बनाया जा सके जो आज भी जारी है।
1992 में जब फिर से हिन्दू हितो की बात करने वाली राष्ट्रवादी शक्तिया सत्ता में आती दिखी तब फिर कांग्रेस ने अपने "मौन" सहमती से बाबरी ढांचा गिरवा कर इन शक्तिओ को सत्ता से बहार कर दिया।
2004 में फिर से अटल जी के सुशासन के रथ पर सवार होकर हिन्दू शक्तिया सत्ता में आती दिखी तो कोमुनिस्ट - कांग्रेस सत्ता की मलाई की खातिर दुश्मन दोस्त बनगए और 2002 के गुजरात दंगो का ढोल पिट दिया।
आज अब 2013 में जब हिन्दू शक्तिया फिर से देश में राष्टवाद की स्थापना के लिए आती प्रतीत हो रही है तो फिर से कांग्रेस ने इन्हें सत्ता से बहार करने के लिए "हिन्दू आतंकवाद" का हव्वा खड़ा कर रही है।
हिन्दू हर बार इन वाहियात आरोपों से घबरा कर "आत्ममंथन" करने कंदराओ में पहुच जाता है और हिन्दू संघटन अपने अन्दर पनपते "गुंडा तत्व" के कारन बदनाम होते है। लम्बे लम्बे भगवा कुर्ते, बड़े बड़े भगवा गमछे और माथे पर तिलक पहले से ही शंकित तथाकथित सेकुलर हिन्दू जनता को डराने का काम करते है। और कांग्रेस की सत्ता फिर बरक़रार रहेती है।
क्या आतंकवाद है क्या नहीं यह सत्ता ही निर्धारित करती है। परन्तु निर्दोष हिन्दू जनता को जबरदस्ती "आतंकवाद" के रंग में रंगना पाप नहीं महापाप है। दुनिया के किसी भी धर्म के देवता शास्त्रों से लेस नहीं है परन्तु हिन्दू धर्म में सभी देवता किसी न किसी शास्त्र से लेस है परन्तु इसके बावजूद हिन्दू हिंसक नहीं है। आक्रमण और रक्षा यह दो तत्व होते है हिंसा के मुख्य रूप से। बिना किसी कारन के हिन्दू धर्म में आक्रमण हिंसा कहलाया है और जिसे हिन्दू पाप कहेते है। किसी के उकसाने पर उत्तर देना हिंसा नहीं रक्षा कहेलाती है। जैसे श्री राम, कृष्ण और परशुराम ने की। किसी के उकसाने, परिताडित करने पर जवाब न देना कायरता कहलाती है जैसे की भारत सरकार भारतीय सैनिको के शीश काट कर लेजाने वाले पाकिस्तानी सैनिको पर कार्यवाही ना करने पर कर रही है। फर्क यह है की जब सत्ता आक्रमण करती है तो इसे देशभक्ति कहा जाता है पर व्यक्ति करे तो गलत। पर क्या हो जब पडोसी देश पाकिस्तान अपने सभी सैनिक ओप्रशन या मिसाइलो का नाम गौरी, बाबर, गजनी रखता हो, क्या है जब वो "भगवा डाकू" अपने सैनिक कार्यवाही का नाम रखता हो। क्या हिन्दू बहुल जनता की सरकार "भारत सरकार" इस का कोई प्रमाणिक उत्तर देती है ? क्या यह उकसावा नहीं ? क्या भारत सरकार को इस कार्यवाही नहीं करनी चाहिए?
हो सकता है की हिन्दू बहुसंख्य उत्तेजित हो पर वो आतंकी कार्यवाही भी अंजाम दे यह हद दर्जे का वाहियात आरोप है।
आतंकवाद क्या होता है और सत्ता का आतंकवाद क्या है!!!!!
- देश के ऊपर 26 जून 1975 को "आपातकाल" लगाना आतंकवाद है !
- देश में तिरंगा जले, 20 करोड़ मुस्लमान 125 करोड़ हिन्दुओ कतल करने की चेतावनी दे, माँ कौशल्या को गाली दे, साधवो संतो का अपमान हो, सेना और पुलिस को देश के नागरिक नपुंसक बोले। तो क्या नागरिको के अन्दर प्रतिक्रिया न हो। सरकार का इन पर कार्यवाही न करना आतंकवाद है।
- देश की राजधानी में 5000 सिखों का कत्ले आम आतंकवाद है !
- सज्जन कुमार, जगदीश टाईटलर को कांग्रेस के बड़े पदों पर बैठना आतंकवाद है।
- जिस बात पर हिंदुस्तान का बंटवारा हुआ उसी बात को जमींदोज करना आतंकवाद है।
- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के गायब करने वाले लोगो का देश की जनता को झूट का पुलिंदा पकडाना आतंकवाद है।
- लाल बाहदुर शास्त्री जी की हत्या पर लाभान्वित हो कर सत्ता का मजा लुटने वालो को अपने हित के लिए देश चलाना आतंकवाद है।
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या करने वालो के अटहास आतंकवाद है।
- पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की हत्या का सच छुपाना आतंकवाद है।
- देश को हिन्दू - मुस्लिम आतंकवाद में झोंकने वाली सत्ता आतंकवादी है।
- अपनी मिटटी कश्मीर से कश्मीरी पंडितो को दरबदर करने वाला कृत्ये आतंकवाद है।
- मथुरा काशी और अयोध्या का सत्य लोगो को न बताना आतंकवाद है।
- हिन्दू धर्म के अराध्ये श्री राम के बनाये सेतु को तोडना आतंकवाद है।
- श्री राम के जन्मस्थल पर शौचालय बनाने की बात कहेना आतंकवाद है।
- देश के खिलाफ अतंकवादियो को सालो जेल में रखना और फांसी न देना आतंकवाद है।
- देश का बड़ा भू-भाग चीन के हाथो सौपना आतंकवाद है।
- देश पर बंगलादेशियो को बसाना और देश के नागरिको के संसाधनों पर कब्ज़ा करने देना और उनके वोट लेना आतंकवाद है।
- न केवल देश के भीतर हिन्दू को आतंकवादी कहेना बल्कि भारत देश का बलूचिस्तान में हाथ बताना आतंकवाद है।
- देश विरोधी ताकतों का पुरलिया में हतियार गिराए जाने के बाद छोड़ना , इटली के लोगो को भारतीय मछुवारो की हत्या के बाद इटली जाने देना आतंकवाद है।
- देश में 10 लाख किसानो को जानबूझ कर आत्महत्या के लिए उकसाना आतंकवाद है।
- देश के गरीब जनता का 400 लाख करोड़ रुपया लुट कर स्विस बैंक में जमा कराना आतंकवाद है।
- भरष्टाचार से देश की संपत्ति को लूटना और सत्ता में बना रहेना आतंकवाद है।
- और सबसे बड़ा आतंकवाद देश की बहुसंख्य को अपनी सत्ता के बरक़रार रखने के लिए आतंकवादी बताना आतंकवाद है।
हिन्दुओ को बदनाम करने के लिए देश का फ़िल्मी सितारा दुनिया भर में बदनाम करता है। देश में मुस्लिम समुदाय अपने हित में जब चाहे जैसे चाहए हिन्दुओ को बदनाम करे। जब तक फिल्मे हिट तो सब ठीक और कहीं भी कानून के हाथो फंसे तो तुरंत एक ही हतियार की "मुस्लिम" होने के कारन हमें परेशान किया जा रहा है। अब वो शाहरुख़ खान हो, सलमान खान हो या फिर अजरुद्दीन हो।
देश की राजधानी दिल्ली में "दंगे" कराने के लिए कोर्ट ने आज ही "कोंग्रेसी" विधायक "मतीन आहमद" को तीन साल की सजा दी है अपने सहियोगियो के साथ, क्या कांग्रेस को इस बात के लिए प्रतिबंधित नहीं कर देना चाहिए। क्या इस मुस्लिम विधायक को किसी ने आतंकवादी घोषित किया ?
सरकार की लाख कोशिशो के बाद भी जबरदस्ती सरकारी जमीन को अकबराबादी मस्जिद घोषित करने वालो को सजा न देना आतंकवाद नहीं है।
असल में तो इस बात की अंतराष्ट्रिये स्तर पर जाँच होनी चाहिए की जब जब कांग्रेस सत्ता में कमजोर होती है तो एसी घटनाये क्यूँ घटने लगती है जिस से शक की सुई हिन्दू जनता के ऊपर जाये। क्यूँ राजनेतिक दल कांग्रेस के 'गाँधी परिवार' आतंकवाद को नजरअंदाज करते है ? पर बीजेपी को 1992 के बाद के सभी जरुरी और गैर जरुरी चीजो के लिए कांग्रेसी जिम्मेदार ठहराते है। आतंकवाद जबरदस्ती अपनी बात मनवाने का ही तो कृत्य है जिसमे हिंसा का सहारा लिया जाये। तो 26 जून 1977 को आपातकाल क्या गाँधी परिवार का आतंकवाद नहीं था। क्या उसमें हिंसा नहीं हुई थी? क्या देश पर एक विशेष विचारधारा थोपना जोकि "कांग्रेसी विचारधारा " थी का थोपना आतंकवाद नहीं है? अलकायदा की लड़ाई क्या है वो भी तो अपनी ही विचारधारा थोपने की लड़ाई लड़ रही है। वो हिंसा से थोपे तभी तो आतंकवादी कहेते है उसे। सभ्यता से अपनी विचारधारा को लागु करना लोकतंत्र कहलाता है।
कुछ लोगो का बड़ी सुविधा से यह कहेना है की आपातकाल लिए भारत की जनता ने इंद्रा गाँधी को लोकसभा चुनावो में हराकर सजा देदी थी। अरे वहा बड़ा भारी तर्क है !! और एक ढांचा गिरने की सजा बीजेपी को अनंतकाल के लिए दी जाये जिसके लिए वो जिम्मेदार थी भी नहीं। बीजेपी 1992 से हार रही है उसकी सजा कब पूरी होगी? यदि कांग्रेस के सभी पाप भूल भी जाओ और उसके गुजरात के दंगो के आरोप को एक मिनट के लिए मान भी लो तो 2002 के लिए जिस बीजेपी को दोषी ठेराया जा रहा है उसकी सजा 2004 या 2009 में पूरी नहीं होती ? 5000 सिखों के कत्ले आम के बाद भी वो धर्मनिरपेक्ष हो गई।
मतलब वो रोये भी तो पाप और आप मारे भी तो चर्चा नहीं। कमाल है भाई।
कुछ लोगो का बड़ी सुविधा से यह कहेना है की आपातकाल लिए भारत की जनता ने इंद्रा गाँधी को लोकसभा चुनावो में हराकर सजा देदी थी। अरे वहा बड़ा भारी तर्क है !! और एक ढांचा गिरने की सजा बीजेपी को अनंतकाल के लिए दी जाये जिसके लिए वो जिम्मेदार थी भी नहीं। बीजेपी 1992 से हार रही है उसकी सजा कब पूरी होगी? यदि कांग्रेस के सभी पाप भूल भी जाओ और उसके गुजरात के दंगो के आरोप को एक मिनट के लिए मान भी लो तो 2002 के लिए जिस बीजेपी को दोषी ठेराया जा रहा है उसकी सजा 2004 या 2009 में पूरी नहीं होती ? 5000 सिखों के कत्ले आम के बाद भी वो धर्मनिरपेक्ष हो गई।
मतलब वो रोये भी तो पाप और आप मारे भी तो चर्चा नहीं। कमाल है भाई।
कांग्रेस के हितेषी जरा बताये तो सही दुनिया के किस देश में बहुसंख्यक आतंकवादी बनते है?
संघ को भी एक बात समझ लेनी चाहिए की बार बार इस तरह के आरोप लगना उसकी कमजोरी को ही इंगित करता है। इस आरोप का न केवल प्रतिकार होना चाहिए बल्कि कांग्रेस को इसकी सजा भी देनी चाहिय।
कांग्रेस का भेड़िया आया भेड़िया आया वाला झूट नहीं बोलना चाहिए और भगवान् न करे कभी वास्तव में भेड़िया आ गया तो ! कांग्रेस जान ले की हिंदुस्तान "हिन्दू आतंकवाद" पीड़ित नहीं बल्कि "गाँधी परिवार" की तानाशाही से पीड़ित है जिसे कुछ लोग आज कल गाँधी आतंकवाद भी कह रहे है। लोगो ने तेलंगाना के झूट पर तो 420 में चिताम्बरम और शिंदे को बुक कर दिया पर इस आतंकवाद की जुबंखार्च पर कोर्ट से तलब होना बाकी है।
संघ को भी एक बात समझ लेनी चाहिए की बार बार इस तरह के आरोप लगना उसकी कमजोरी को ही इंगित करता है। इस आरोप का न केवल प्रतिकार होना चाहिए बल्कि कांग्रेस को इसकी सजा भी देनी चाहिय।
कांग्रेस का भेड़िया आया भेड़िया आया वाला झूट नहीं बोलना चाहिए और भगवान् न करे कभी वास्तव में भेड़िया आ गया तो ! कांग्रेस जान ले की हिंदुस्तान "हिन्दू आतंकवाद" पीड़ित नहीं बल्कि "गाँधी परिवार" की तानाशाही से पीड़ित है जिसे कुछ लोग आज कल गाँधी आतंकवाद भी कह रहे है। लोगो ने तेलंगाना के झूट पर तो 420 में चिताम्बरम और शिंदे को बुक कर दिया पर इस आतंकवाद की जुबंखार्च पर कोर्ट से तलब होना बाकी है।
दुनिया जान ले की भारत गाँधी परिवार की तानाशाही से हलकान है। 600 लाख करोड़ रूपये के घोटालो के बाद भी कांग्रेस "राहुल जी' को प्रधानमंत्री बनता देखना चाहती है अगले 2014 के चुनाव में। सब कुछ कर लो पर "गाँधी तानाशाही " अपने कार्यकाल में हुई श्यामा प्रसाद मुखर्जी , पंडित दिन दयाल उपाध्याय, लाल बाहदुर शास्त्री, नेता जी सुभाष चन्द्र बोस जी के हत्याओ का जरुर खुलासा करे।
ऐसा क्यूँ है की मोहन दास करमचंद गाँधी, इन्द्रा गाँधी, राजीव गाँधी इनकी हत्याओ का सब को पता है कैसे हुई और सब दोषीओ को सजा भी मिल गई। पर उप्रोलिखित नेताओ की हत्या के दोषी तो बहुत दूर की बात है परन्तु लोगो को पता भी नहीं की हत्या हुई कैसे है।
आखिर कांग्रेसी कब तक कहेंगे की उनके नेता ही आतंकवाद के शिकार हुए है क्या विपक्ष के लोग अपने नेताओ के बारे में सच नहीं जानना चाहेंगे। काश कोई 'गाँधी परिवार" की तानाशाही और आतंकवाद का सच भी सामने लाये और दोषीओ को सजा दिलाये। यह ही सच्ची श्रधांजलि होगी आज "शहीद दिवस" पर देश को।
यहां तो लोग अपने स्वार्थों में ही मस्त हैं, देश की कोई नहीं सोचता.
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