जी हाँ यह सत्य है। परन्तु इसका कारण क्या है। इसके लाखो कारण हैं पर सही कुछ इस प्रकार हैं। हिन्दुओ ने रूस के शासन को इन्द्रा और नेहरु के माध्यम से चलाया था।
हिन्दू कभी भी समाजवादी य वामपंथी न रहा और न रेह्सकता। हिन्दू को आप अच्छा माने या बुरा परन्तु सच यह ही है के हिन्दू अच्छा और बुरे कर्म में विश्वाश रखता है। बाइबल और कुरान जो की कुछ हद तक समाजवाद की तरफ इंगित करते हैं और जैसे की में पहेले भी लिख चूका की यह दो नो पंथ हिन्दू धर्म की प्रतिक्रियवश या अज्ञानता वश बने हैं। हिन्दू हमेशा से अच्छा और बुरे कर्म के फल भोगने और देने में विश्वाश करता है। तो जब संसार से रूस के रूप मैं समाजवाद और वामपंथ का युग ख़तम हुआ तो हिन्दू धर्म अपने नेसर्गिक दौर मैं आगया। और नार्सिम्म्हा सरकार का आर्थिक उदारवाद अपनाना कोई आकास्मक घटना नहीं है। यह हिन्दुओ की स्वाभिक शैली है आज अमरीका जो कुछ भी कर रहा हैं वो हिन्दू धरम शैली ही है। हाँ यह जरूर है की समय और स्थान के साथ साथ निति भी बदलती है जो की अमेरिका के हितों को जांचे वोही वह करे। रही बात हिन्दुस्थान की तो हिन्दुओ का समाजवाद में कभी कोई रुझान रहा ही नहीं। तब समाजवाद गया हिंदुस्तान का औसत हिन्दू तरकी करने लगा।
हिन्दू पैसा: आज विश्व मैं हिन्दू और येहुदी ही पैसे वाले है बाकि सब तो परिस्थितिवश बने हैं। न तेल के कुँए होते न अमीर शेख होते, न पिछली शताब्दी में अफ्रीका और एशिया का कच्चा मॉल जाता न यूरोप और अमेरिका आज पैसे वाले होते। परन्तु हिन्दू क्यों पैसे वाला हैं पिछेले १००० वर्षो से गुलाम होने के बाद भी उसपर पैसा है तो कारण क्या? उसे पैसा न तो अमेरिका ने दिया और न रूस के समाजवाद ने फिर क्यों अमीर है वो। क्योंकि उसके पास उसके पूर्वजो की निति है इसिलिया ६० साल के हिंदुस्तान के भीखमंगो के राज में भी उसके पास पैसा हैं। पाकिस्तान और उसके बांग्लादेश में ही स्वतंत्रता के पहेले हिन्दू पैसे वाला था वहा से उनको लात मारकर उसको भिखारी बनाकर मुसलमानों ने भेजा था परन्तु उन होने ही हिंदुस्तान में आकर फिर से दौलत का अम्बार लगा दिया क्यों? उसके पाकिस्तान का कराची उसके लाहौर, बांग्लादेश का सिलेट उसके ढाका व्यापर के बड़े बड़े केंद्र भी भिखमंगो के गड कैसे बन गए आज ? दोस्तों नियत, उसके मेहनत इसका कारण हैं इसके बीच। आज मुसलमानों से पुछो तेल के कुँए सूख जायंगे तो क्या होगा? मैं बताता हूँ फिर से घोडो पर आकर हिंदुस्तान की इज्ज़त लूटी जायेगी उस से उसकी दौलत। तो मित्रो यह तो अपनी नीति ही चलायंगे परन्तु आपका क्या?
दो कौम एक साथ येहुदी उसके हिन्दू: हलाकि इसका अभी कोई भी प्रमाणिक तथ्य नहीं की यह दोनों कौम एक साथ हैं परन्तु कुछ जगह समझदारी को देख कर लगता हैं की यह दोनों कौमे एक साथ आ जायंगी। क्योंकि दोनों ही इसलाम की सताई है। दोनों ही सबसे होशियार और तकनीक पसंद हैं। दोनों में ही कोई भी विरोधाभास नहीं हैं। और आज के युग में दोनों ही एक दुसरे की पूरक हो सकती हैं। हाँ लोग तो यह तक कहते हैं की क्रिस्चेन भी इनके साथ आ सकते हैं। यदि एसा होता हैं तो अपने आप हिन्दुस्थान विश्व गुरु हो जायगा। क्योंकि न येहुदियो के पास और न क्रिस्चेन के पास भौतिकतावाद के बाद का ज्ञान हैं। हैं तो वो बस हिन्दुओ के पास उसके आप मित्रो को पता ही हैं के भौतिकतावाद की एक सीमा होती है उसके बाद बस शांति ही शांति होती हैं। तो स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी कहा सब सत्य होने वाला हैं। इंतजार करो इस समाजवाद के अंत का। हाँ मैं समाजवाद पर भी अपनी राय प्रकट करना चाहूँगा। आज जो समाजवाद और वामपंत विश्व मैं है वो एक ठुसी हुई सी जद्दोजहद है। हिन्दुओ में समाजवाद नहीं है परन्तु समरसता उसके समानता कही गई है उसके में इसका समर्थक हूँ।
हिन्दू पाक साफ हैं: हिन्दुओ का पाक साफ होना ग्लोबल इकोनोमी में भी लाभ देगा। आज हिन्दू पुरे संसार में जहा भी चला जाये उसका स्वागत ही होगा क्यूंकि उसने संसार के किसी भी कोने मैं कभी भी अत्याचार नहीं किया। न क्रिस्चन, ना मुस्लिम और ना ही यहूदी यह बात नही कह सकते। इन होने समय समय पर किसी न किसी कारण यह सब किया हैं। परन्तु हिन्दुओ ने अपने स्वर्णिम काल मैं भी एसा कोई कुकर्त्य नहीं किया सो हिन्दुओ को सबका मान और सहयोग मिलना ही हैं।
हिन्दुओ का भाग्य किसी एक हाथ मैं बंद नहीं: हिन्दू किसी एक राजा या तानाशाह की बपौती या जागीर नहीं हैं। हिन्दू एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था का पालन करने वाला धरम हैं। सो अपने लोकतान्त्रिक व्यवस्था की वेजहे से उसका तरक्की करना ही हैं। जब उसने तानाशाह राज और समाजवाद की प्रतिकूलता में भी तरक्की की तो फिर अब तो कहेने ही क्या।
पुर्वजनम मैं विश्वाश: यह एक इसी धारणा हैं जो मनुष्य को अँधेरे में भी गलत नहीं करने देती और सही माने तो हिन्दुओ के चरित्र हनन होने से इसी ने रोका है। इस का कहेना यह हैं की भाई जिसका लिया है उसका तो सूद समेत आज नहीं तो कल, इस नहीं तो अगले जनम में देना ही है। अब देखो येदी अमेरिका में इस धारण की मजबूती होती तो मंदी इस संसार मैं आज न होती। सो मित्रो हिन्दुओ का स्वर्णिम युग तो आने वाला हैं और कोई दस बीस सालो में नहीं बस एक दो साल की ही बात है।
जो आज हिंदुस्तान सोचता है कल पूरा विश्व सोचेगा: और यह बात कोई मैं मजाक में नहीं कहे रहा हूँ। इसलाम के अत्याचारों और वामपंत के कुकृत्य को हिंदुस्तान ने कई दशक पहेले बता दिया था इसलिय इसलाम के १००० वर्ष मैं के अत्याचारों के आगे हिन्दुओ न झुका और न इसे माना। रूस के हिंदुस्तान पर हज़ार अहेसन करने या दिखने या डराने या ६० साल शासन के बाद भी हिन्दुओ ने समाजवाद या वामपंत नहीं अपनाया। क्योंकि हमारे खून में यह नहीं था।
इसिलिया मित्रो बुरा समय गया और अच्छा समय बस आनेवाला हैं। देख नहीं रहे अपने बुरे समय मैं लालू भी वरुण पर बुलडोज़र चलने की बात करता हैं। कोई उसे समझाओ के उस प्रकार की राजनीति का समय गया। अब तो कृष्ण ने कंस का वध ही कर दिया।
इसिलिया मित्रो बुरा समय गया और अच्छा समय बस आनेवाला हैं। देख नहीं रहे अपने बुरे समय मैं लालू भी वरुण पर बुलडोज़र चलने की बात करता हैं। कोई उसे समझाओ के उस प्रकार की राजनीति का समय गया। अब तो कृष्ण ने कंस का वध ही कर दिया।
एक बात समझलो हिन्दुओ के विरोध में राजनीती करने वालो की यह देश तुम्हारे बाप का नहीं है। और न ही तुम ऊपर से लिखा कर लाये की राज करना तुम्हारा अधिकार ही है। वो तो समय एसा था और जो की कुछ बीत गया और कुछ बीत रहा हैं। इस धरती को मेरे बाप दादाओ ने अपने खून से सींचा था ये किसी समाजवादियों, इस्लामियों और गांधियो के लिया नहीं था. मेरे पूर्वज सावरकर जी, गुरु गोबिंद सिंह जी, भगत सिंह जी, राणा सांगा तिल तिल कर अपने आसुओ से इन लोगो के लिया हिन्दुस्थान नहीं देकर गए। इसी धरती पर करूक्षेत्र का युद्ध हुआ था. एक देश माँगा था दो देदिया १९४७ में। परन्तु भारत तो हिन्दू ने अपने ही रहेने के लिया था। और इन पांच गांव रुपी भारत मैं भी मेरे भाई वरुण की छाती पर बुलडोज़र चालाओगे। तो फिर समझो अंत आगया हैं। अब पांच गांव नहीं पुरे भारत (अखंड) पर बात होगी और जिसे यह बात स्वीकार नहीं की भारत हिन्दुओ का नहीं वो १९४७ के अपने बाप दादाओ से पूछे और नहीं तो बाला साहिब ठाकरे एक सीडी लिए हैं उसमे नेहरु की सचाई हैं। उनसे पता करे की mulsalmano को pakistan और bangladesh क्यो मिला था । विश्वाश नहीं होता तो बाला shaib से पुछ ले । यह हैं समाजवादियों, गांधियो, इस्लामियों और वाम्पन्तियो नामक खरपतवार की कटाई की शुरुवात।
और हिन्दुओ के स्वर्णिम भारत का उदय.
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