क्षमा करे एसे शब्द के इस्तेमाल का। परन्तु बड़े दुःख के साथ मुझे बीजेपी के लिया इन शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ा हैं। अब आप ही बतायं की बीजेपी का टारगेट हे १७० सीट लेना है इन लोकसभा चुनावो मैं। मुझे समझ नहीं आता की इन सीटो के साथ और नीतिश जैसे पार्टनर के साथ बीजेपी कौनसा राष्ट्रवादी चिंतन स्थापित कर देगी। इसका मतलब यह भी नहीं की मैं बीजेपी के घोषणापत्र या उसकी नीतियो से सहमत नहीं हूँ। मैं हूँ। और विशष रूप से अडवाणी जी और जेटली जी के रणनीतियो से भी, परन्तु यह अधूरी हैं। आज मुझे समझ नहीं आता की वरुण जी जेल मैं सड रहे है उस से यु पी मैं बीजेपी की क्या फायेदा लेलेगी। विनय जी, आदित्य नाथ योगी, मनोहर जोशी जी, ऋतंभरा जी को कुछ बोलने नहीं दिया जा रहा है। आज मान भी लो की अडवाणी जी प्रधानमंत्री बन भी जायंगे तो कोनसा सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी कदम नीतिश जैसे पार्टनर के साथ होते उठालेंगे। पहेले मैं भी नीतिश के कामो की सरहना करता था परन्तु अब तो कांग्रेस की हवा देने से और लालू व पासवान के कमजोर होने से अपने को ही एक मात्र धरमनिर्पेक्षता का मसीहा मान रहा है।
नीतिश का भी में पहेली बार विरोध कर रहा हूँ उसका दुस्सहास देख कर। अरे भाई तेरी हसियत क्या थी तुझे तो बीजेपी ने मुखमत्री बना दिया और तुने दिग्विजय और जॉर्ज जैसे नेता जो बीजेपी से सहानुभूति रखते थे बहार भेज दिया। और मुझे नीतिश बबुआ एक बात तो बताओ की तुम धारा ३७० का क्यों विरोध कर रहे हो हटाने का। तुम्हे क्या कश्मीरी मुस्लमान का वोट चाहिय या कश्मीर मैं कोई उमीदवार खडा कर रखा हैं। ये तो बीजेपी संविधान की ही बात कर रही है और देश हित की। इसमे मुस्लमान तो कही भी नही है।और जो मुस्लमान आपको यहे बिहार में वोटो से तौल रहे हैं उनको तो धार ३७० हटाने से कोई भी फर्क नही पड़ेगा फिर विरोध क्यो। क्योंकि आप बीजेपी के कंधे पर ही बैठ कर बीजेपी को ही नापना चाहते हो और धर्मनिपेक्षता का एक और ढोंग शुरू करना चाहते हो। आपकी जानकारी के लिया बता दू की उस प्रकार के ढकोसले का समय समाप्त हैं और आप समय जाया करके अपने को समाप्त न करे। अबतो आप सिर्फ और सिर्फ लालू जैसे नौटंकी शुरू कर रहे हैं जैसे की रिक्शा पर स्लम डॉग देखने गए थे आप। इसी तरह से राजनीती करेंगे आप?
दूसरा क्या बिहार ने ही देश भर में धरमनिर्पेक्षता का ठेका ले रखा हैं की जिसे देखो बीजेपी को नसीहत देने लगता हैं तमिल नाडू या महाराह्ष्ट्र या किसी और राज्य में तो यह ढकोसला नहीं है फिर बिहार के नेता ही इसको क्यों ढो रहे हैं। बाला साहिब ने तो प्रतिभा पाटिल को वोट देदिया था। नीतिश जी इस बीमारी से जल्दी बहार आजाओ । मुलाम्यम ने तो जन्नत की हकीकत देख ली अब आप भी देख लो। हाँ सच भी तो हैं नया नया मुल्ला अजान जरा जोर से देता हैं। अब बात वापस बीजेपी की जब तक बीजेपी यु पी मैं ३० से ४० सीट कम से कम नहीं जीत लेती बीजेपी की जीत का कोई मायने नहीं है। और यह सीट यु पी जैसे राज्य मैं मायावती और मुलायम जैसे घोर संप्रदायिकता निति और अमर जैसे घाघ के होते संभव नहीं हैं। यदि वरुण जी जैसे नवयुवक जोकि संस्कृतिक राष्ट्रवाद पर आँख खोलो बयान देकर मतदाताओ की आंख खोल सकता था उसे जेल में सडा कर पता नहीं बीजेपी क्या पाना चाहती हैं। उस षड़यंत्र के शिकार व्यक्ति को और अन्य राष्ट्रभक्तों लोगो को जब तक स्वत्रन्त्र होकर नहीं बोलने दिया जायगा तो बीजेपी १७० सीट जीत कर भी नीतिश जी जैसे व्यक्ति के आगे पानी भारती रहेगी। और प्रज्ञा बहेन और वरुण भाई जैसे लोग जेल मैं गीता पढ़ते रहेंगे। १७० सीट से कुछ नहीं होगा। बीजेपी से अनुरोध हैं कृपया समय रहेते रणनीति बदले नहीं तो अगले पांच साल पछताने के आलावा कुछ हाथ नहीं लगे गा। सबसे बड़ा दल बनकर भी कुछ नहीं मिलेगा बल्कि आपके विरुद्ध यह सब सेकुलर दल नीतिश के पीछे खड़े होकर अगले एक या दो साल में सरकार गिराकर (यदि बन गई तो ) आपको धूल चटा देंगे फिर न आप तीन में होंगे न तेरा में। क्योंकि फिर राम मंदिर, ३७० के बिना आप लोगो से वोट मांगने जाओगे तो चिताम्बरम और जिंदल वाला जुता ही मिलेगा। इसलिय दोस्तों जागो। महाभारत में अर्जुन भी अंत मैं जाग गया था कृष्ण के कहेने से यहाँ तो कृष्ण को ही जागना है पूरा भारत जगाने के लिया। खाली गुंजरत और कर्नाटका से सरकार नहीं बन जयागी केन्द्र में । अभी भी समय है जागो और यु पी में विनय जी जैसे राष्ट्रभक्तों को सत्य बोलने दो। नहीं तो कम से कम हम तो वामपंथियों और कांग्रेस की अगले पांच साल सरकार ढ़ोने से रहे । फैसला आपका हैं क्योंकि निर्णायक और मजबूत नेता आप ही हैं। हाँ इंतना जरूर हैं की इस घोर अंधकार मैं बीजेपी ही एक आस है आज। - निवेदक धर्मनिपेक्षता के डंक से पीड़ित भारत देश का एक नागरिक।
त्यागी जी चूक तो दोनों राष्ट्रीय दल [ भाजपा और कांग्रेस }से पांच वर्ष पहले हो गई . पब्लिक अब किसी को बिना बोए फसल काटने नहीं देगी . बिहार में भाजपा के सहयोग से नीतिश गद्दी लिया . कोई मारा मारी नहीं लेकिन भाजपा के काबिल उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी अपनी सहयोगिता सहभागिता का अहसास तक न करा पाए .
ReplyDeleteसता के विरोध में रहकर भी लालू के करीबी मित्र के रूप में जाने जाने के बावजूद कुछ हद तक वजूद था मोदी का लेकिन सता हथियाते सुशील जी सुशील बच्चा की तरह कोने में रहे .
मंदिर से क्या मिलता है ये कोई कल्याण सिंह ,उमा भारती ,और गोविन्दाचार्य से पूछे .
एक बात और मंदिर के मुद्दे पर जब बाजपेयी जी पूर्ण बहुमत को प्राप्त नहीं कर पाए .इस लिए आडमानी जी सरकार बना लेंगे इसमें मुझे संदेह दीखता है .
गुजरात में मोदी विकास के लिए जाने जाते है .बाहर के लोग उन्हें हिंदुत्व का पताका समझते हैं ,मिडिया भी.
विकास की धारा बहने दीजिये इसमें धारा ३७० बाधा बनेगी तो खुद बह जायेगी