इस प्रशन को यदि युधिष्ठर से पूछे यक्ष पर्श्नों में भी शामिल कर लिया जाए तो प्रशन शीघ्र नही मिलने वाला। और इस प्रशन को शीर्षक बानाने का उदेश्ये भी पिछले कुछ दशको के भारतीये और वैश्विक इतिहास के गेहेरे परन्तु भयंकर अश्चार्जनक खूंखार समुन्द्र में गोता लगाना भी है।
मुझे यह एक बात बहुत ज्यादा कचोटती भी और दिग्भ्रमित भी करती है की हिंदुस्तान की वो कौनसी शक्ति है जो हिंदुस्तान से जुड़े इन अतिमहत्वपूर्ण चीजो का निर्धारण करती है. और कौन मेरे इन कुछ एक घोर आश्चर्यजनक तथ्यों के उत्तर दे सकता है।
- हिंदुस्तान की संसद को पता नही की भारत की विदेशनीति क्या है?
- हिंदुस्तान की सरकार को पता नही की विदेश नीति के नाम पर किसका बंटाधार किया जा रहा है?
- हिंदुस्तान के विदेश मंत्री को पता नही की उसके मंत्रालय में क्या हो रहा है।
- वो क्या मिश्र देश में अदभुत शेक (जूस) का रसपान होगया की हिंदुस्तान का प्रधान मंत्री एक महीने पहेले जरदारी के सामने राजा रंजित सिंह की दहाड़ से विसरित हो कर अनारकली के घुंघुरू की भांति रसिकता का श्रृगांर करके हिंदुस्तान की नाक को अरब के घोडो के नीचे रुन्दवा आया।
और इस भारत की विदेश नीति को विध्वंस नीति को कौन बना रहा है। उसको सामने लाया जाए और सम्मानित किया जाए की भारत को इस कद्र बेचोगे तो तुम हो ही परन्तु रद्दी के भाव क्यों?
- दूसरा मेरा प्रशन था की क्यों भारत सरकार ने प्रियंका वढेरा और उसका वढेरा परिवारू, राहुल गाँधी को ताउम्र के लिए सुरक्षा से छूट दे रखी? अब इस प्रशन को मेरे गाँधी परिवार से कोई इर्ष्या को न माना जाए। बल्कि एक बहुत ही गंभीर बात है की एसा क्या है जो इनको अति अति विशिष्ट व्यक्ति का तमगा दे कर संविधान में संशोधन तक की हद तक चले गए। यह कोई छोटी बात नही है की की भारत जैसे देश इनको उस अति विशिष्ट और वो भी ताउम्र के लिया इन को खासुल खास बनाया गया है। मैं सोचता हूँ जहाँ शंकराचार्य भी अपने २००० वर्ष पुराने ध्वज को चेक कराते है। जहाँ पूर्व राष्ट्रपति के जूते खुलवा लिए जाते है वहां एसा क्या अलाद्दीन के चिराग का तेल है की इनको अपने एलिजाअबेत ब्रिटिश महारानी की समान विशेष अधिकार देकर हिंदुस्तान के नागरिको का राज परिवार अघोषित रूप से बना दिया। वो गायत्री देवी भी आज स्वर्ग चली गई जो इन ही की दादी इंदरा जी के राज परिवार के विशेषा अधिकार ख़त्म करने के विरूद्व लडाई करती रही। परन्तु अब कुछ कुछ वैसे ही अधिकार उसके पोते और पोतीया एन्जोये कर रही है।
- तीसरा प्रश्न मेरा दो प्रतिशत कोट पैंट और टाई पहेने ९८ प्रतिशत धोती वाले लोगो पर रौब गाठने पर है। यह टाई पहने जो अंग्रेजी के हर वाक्य के पीछे न (जैसे वी आर गोइंग न ) जैसे अद्भुत वाक्य विन्यास करते नजर आते है। मैं दावे के साथ कहेता हूँ जिस अंग्रेजियत पर भारत के ये दो प्रतिशत लोग अकड़ते फिरते है इन में से ९८ % लोग अंग्रेजी में एअसे है जैसे तरबुजो के बीच आलू बुखारे. अंग्रेजी का एक वाक्य बिना (न) के सहारे पूरा नहीं कर सकते. मित्रो अभी विदेश में था मैं तो एअसे ही कुछ हिन्दुस्तानी अंग्रेजो से पाला पड़ा तो मुझे हँसे बिना न रहा गया। अंग्रेजी एअसे बोलते जैसे की अब यह वाक्य न समझ आया तो अपना बल प्रयोग भी करेंगे और जिस (न) का मैंने ऊपर जिक्र किया उसका इस्तेमाल तो वाक्यों में एअसे करते है जैसे मुहं में टुकडा देकर उसको ठूंस कर हलक में उतरने का प्रयास करते हो. चलो थोडा से मैंने इसी बात पर ज्यादा जोर दे दिया परन्तु उदेश्य यह बताने का है की यह १०० करोड़ लोगो के दो प्रतिशत और उसमे भी ९८ % अंग्रेजी भाषा में अल्प अंग्रेज भाषी (हर अन्ग्रेजी वाक्य के पीछे 'न' पर जोर देने वाले) मीडिया और हिंदुस्तान की नीतियो के करता धरता है.
- चौथा प्रशन मुझे हिंदी मीडिया के सभी मुर्धन्यो और पत्रकारों से पूछना है जो की संसार के सबसे बड़े, सबसे ज्यादा बिकने वाले और सबसे अधिक विस्तृत किसी भी भाषा के अखबारों से ज्यादा यह हिंदी के अखबार मुख्य धारा की राजनेतिक खबरे क्यों नहीं छापते। अंग्रजी अख़बार ही सारे स्टिंग ओपरेशन करता है। अंग्रेजी अखबार ही सरकार की आलोचना करता है। सारे विवादित और प्रमुख पत्रकार और मुख्य लोग अंग्रेजी अख़बार में ही लिखते है और हिंदी के अखबार हमे कभी मुख्य समाचार दिल्ली में हुई चार हत्या, भोपाल में हुई सड़क दुर्घटना, और पटना में हुई बारिश की ही खबर पढाता रहता है। खैर टीवी की तो मैं बात ही नहीं करना चाहता। और उसी दिन अंग्रेजी के अख़बार भारत सरकार की सभी नीति निर्धारण और सरकार की संसद में हुई या केबनेट में हुई मुख्य बातो पर कई पन्ने छाप देता है। अब दोबारा यह ही प्रशन उठता है की यह अंग्रेजी मीडिया ही देश की गंभीर मुद्दे पर चर्चा क्यों करता है क्यों ९८% हिन्दुस्तानियो के अखबार के पाठक गंभीर बातो को जानने से वंचित रहे। इस बात के लिए सारे हिंदी मीडिया पर मेरी तरफ से थू थू है। यह हिंदी मीडिया के लोग अपने प्रोफेशन से खिलवाड़ और देश के साथ देशद्रोह कर रहे है। आप उदहारण के तौर पर आज ही के अख़बार देख लो अंग्रेजी अखबारों में विपक्ष के मुख्य बिंदु है और हिंदी अखबारों में प्रधानमंत्री का ओपचारिक भाषण और विपक्ष के यशवंत सिन्हा की अति महत्वपूर्ण बाते अंदर के किसी पन्ने के कोने में है. क्योंकि हिंदुस्तान के लोकतंत्र की ताकत का दम भरने वाले यह अख़बार वाले बड़ी चालाकी से उसी लोकतंत्र के रक्षक और वोटरों को महत्वपूर्ण नीतियो की जानकारी न देने का महापाप करते है और उनसे वोट डलवाते प्याज के मुद्दे पर, खरबुजो के बीजो पर, सड़क के स्पीड ब्रेकरों पर, नालियो के बंद होने पर, रोडवेज की बसों के किराये बढ़ने पर और मित्रो बाद में हमे ही और विदेशियो को भी बताते है की इस बार हिंदुस्तान के वोटरों ने बड़े जज्बे और जागरूकता से प्रधानमंत्री की विनवेश नीति/ विदेश नीति/ और वगैरह वगैरह पर स्पष्ट बहुमत दिया. अरे भइये उस वोटर को तो पता ही नहीं की किस चिडिया की नीति के बात कर रहे हो. और उसको तो आपने अँधेरे में रखा उसको तो अपने इंडिया गेट की बारिश से भीगती युगल जोडियो और कार्टून कोने में ही व्यस्त रखा और अब अपने स्वार्थ के लिए उसका मन चाह विश्लेषण कर रहे हो मतलब की गधे की गलती और धोभी की धुनाई.
- तो भाई सबसे ताक़तवर वोटर तो नहीं है वो तो २ % चाटुकार है जिसने हिंदुस्तान के लोगो को मुर्ख बनाने की तनखाह लेनी है। एअसे ही अपने स्वार्थो के लिए इ वी एम् मशीनों को बना दिया। भारत के वैज्ञानिको का कमाल, विदेशो में ख्याति प्राप्त मशीन और न जाने क्या क्या भारत के आदमियो को भरमा दिया. क्योंकि अब उसको गौरवशाली मशीन और भारत के गौरव से जोड़ दिया अब उसपर तो प्रशन लग ही नहीं सकता यदि लगा तो भारत के गौरव से खिलवाड़ है।
- इस तेरहे से भारतीय लोकतंत्र का आम भारतीये को मुखोटा पहेना दिया। अब उसकी आड़ में कुछ भी कर लो जो की आज कल भारत सरकार कर रही है. ऊपर से तुर्रा यह की भारत के जागरूक मतदाता ने इस (नीति ढकोसले) को भारी मतों और भरोसे से जीताया है. अरे शिखंडी टाइप नौटंकी बंद करो और भारत के लोगो को कबूतरी लीला मत करवाओ. जो करना है करो परन्तु इस भारत ने न तो सरदार मनमोहन सिंह को चुना और न उसके बलूचिस्तान की प्रेम कथा की नाटक मंचन प्रस्तुति को.
- इस के आगे इन शिखंडियो ने संविधान के साथ भी यह ही किया है अपने आप और अपनी कलंदरी कलाओ के लिए ४२ संसोधन कर लिए परन्तु कांग्रेस के आलावा उसमे कोई और पार्टी कुछ करे तो अम्बेडकरवादी दलितों को सामने कर देते है की महान विचारक, चिन्तक और दलित चेतना के पुरोधा के मानसिक विचार जो उन्होंने भारत के संविधान के रूप में कागज के रूप में उकेरकर किताब की शकल में हमारे ऊपर ठोक दिए को कांग्रेस के आलावा कोई भी बदलने की गुस्ताखी नहीं कर सकता।
- अब मित्रो ऊपर की सभी बातो के बाद मुझे बता दो की इस देश में सर्वशक्तिमान है कौन? अरे तुम तो भेड़ हो और गडरिया तुम्हे हांक रहा है.और गले में मारा सांप लटकाए घूम रहे हो की दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का लंगूर तुम ही हो.भाई मना नहीं करता की तुम नहीं हो परन्तु देखो तो और खास तौर पर क्षत्रिये और हिंदी भाषी अख़बार वाले की संसद में क्यों अंग्रेजी अखबार की प्रतिया ही लहराई जाती है? क्यों तुमको इतना सम्मान भी नहीं मिलता? इसका जवाब भी मित्र तुम ही हो क्योंकि तुम हिंदुस्तान की असली ताकत और उसके लोगो को समाचार और सुचना न देकर उसको अँधेरे में रखने का महापाप कर रहे हो. और यह अंग्रेजी के २% लोग ही देश के सर्शक्तिमान है और इनके ही नेता प्रियंका और राहुल है इसलिये वो भी विशेष अधिकार के पात्र है.
- बाकि मेरे और आपके जैसे है जो इंडिया टीवी पर "एअ सी पी अर्जुन" और चटकारे लेकर "वारदात" देख रहे है और देश के २% लोग भविष्य की भारत की विदेश नीति का सौदा कर रहे है. और बाद में हम लोग ही भारी बहुमत से उसको वोट देकर मोहर लगायेंगे अब यह इतर बात है की हम मोहर तो अपने मोहल्ले में सड़क चौडी करने और नगर का सौन्दर्यकरण न होने पर उतेजित होकर वोट देने गए थे. और रातो रात इन ही पत्रकार मोहदय ने हमे देशी की विदेश नीति पर वोट देने वाला जागरूक वोटर करार देकर इतिहास के पन्नो पर महान घोषित कर दिया. और हमे पता भी नहीं की हम इतने बड़े जागरूक है की विदेशो के लोग हमारी जागरूकता पर शोध कर रहे है. इसी को ही तो कहेते है की माँ मर गई अँधेरे में और धी (बेटी) का नाम लालटेन .
- देखा नहीं अपने अभी कांग्रेस को सत्ता में लाने का हमारे सभी मीडिया भाइओ ने क्या वियाख्या दी है के भारत के नागरिको ने साम्प्रदायिक बीजेपी को नकार दिया. और इटली की महान नेता और दिव्ये गुणों से ओतप्रोत, मानवता और त्याग की प्रतिमूर्ति और उनके टोपीधारी देशभक्त संघठन कांग्रेस को भरी बहुमत देकर सरकार बनाने (देश बिगाड़ने) का अवसर दिया. अब यह अलग बात की जो ११६ सीट बीजेपी ने जीती है उसके सभी मतदाता एका एक साम्पर्दायिक होगए. सुन रहे है चुनाव आयोग वाले की नहीं।
धन्य हो प्रभु ९८% लोगो की भावनाओ को अभिवियक्ति देने के लिया। इतिहास आपके कारनामो को याद रखेगा. और देश के इन सर्वशक्तिमान लोग को भी.
मुग़लों की गुलामी, फिर अंग्रेजों की गुलामी, अब कांग्रेस पार्टी तथा सादा चमरी-काली आत्मा वाली अन्तोनिया की गुलामी. आपने बहुत ही गुरुत्व की बात उठाई है. क्यूँ ठगा जाता है जनता को, यह बताते हुए की कांग्रेस पार्टी को ही अनुभव (हक) है देश चलाने का.. देश की हालत किसी से छुपी नहीं.हम ढिंढोरा पिटते रहते हैं कि हम fastest growing economy हैं, जबकि सच्चाई है कि विदेशियों को Slumdogs पर चलचित्र बनाने के लिए हमारा देश नज़र आता है.
ReplyDeleteहम जनता को बताते हैं कि Global recession के वक़्त भी सरकार ने हमे बचा लिया.सच्चाई ये है कि कृषि प्रधान देश में मंदी का असर इस सरकार कि भेट है, और वो भी देश के रिज़र्व से पैसा खर्च करने के बाद. मनमोहन सिंह जी संसद में बोलते हैं कि ये कुटनीतिक विजय है कि पाकिस्तान ने पहली बार अपनी धरा से terror प्लाट की बात मान ली. क्या ये आपके लिए शर्म की बात नहीं की आपके वरिष्ठ नेता(राशिद अल्वी) ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को आजाद कश्मीर बोल कर हमें झुका दिया.कारगिल विजय को नकार कर हमारे जवानों का मनोबल तोडा. आधिकारिक तौर पर जब आप पूरे कश्मीर को अपना अभिन्न अंग मानते हो तो क्यूँ नहीं चीन द्वारा POK से गुजरते हुए प्रस्तावित सड़क मार्ग का विरोध जताते हो.
भाजपा को साम्प्रदायिकता की गाली देकर स्वयं तुष्टिकरण में लिप्त हो जाते हो. भाजपा ने तो हिन्दुओं के लिए स्पेशल Budgetary allocation नहीं रखा लेकिन आपने तो हद कर दी जनाब.
वैसे कोई अगर इस भ्रम में है की इटली की देवी उत्थान करने आई हैं तो इसके इतिहास को जानो.
इसके बाप ने युध्हबंदी होने के बाद दुश्मन देश के लिए काम किया. वैसे इस चुडैल का भारत लूटो मिशन पूरा होने के बाद सब जान जायेंगे.. दुर्भाग्य ये है की हम भारतवासियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता.
Absolutely True......
ReplyDeletewell said
Wipe out all the Congressians........
परफ़ेक्ट लताड़ लगाई आपने। भारत के लोग गु्लाम और नपुंसक हैं यह विश्वास मजबूत होता जा रहा है…
ReplyDeleteइसीलिये तो भारतीयों को शिक्षा नहीं दी गयी और जो दी भी वो मुगलों और अंग्रेजों द्वारा रचित. स्वाभिमान नाम की कोई चीज है भारतीयों में.
ReplyDeleteAgreed.... but you didn't give any solution. many ppl like you and me can write a blog entry like this, but who will give solution, who will implement it.
ReplyDelete@ Vineet Gaurav: Do you have any proof that Sonia is anti-nation...... just for being foreigner never imply that anyone can't love that country. take example of Mother Teresa. This foreigner issue is improper. You don't have right to call a woman "Chulaid" in public
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