Thursday, July 30, 2009

भारत का आउटसोर्स्ड प्रधानमंत्री और उसकी निर्लाजता !!!!!!!!!!!!!!!

सवर्प्रथम बड़े आदर और सम्मान के साथ मैं आदरनिये प्रधानमंत्री सरदार श्री मनमोहनसिंह जी से उनकी देश को विगत में की गई सेवा और उनकी अद्व्भुत कार्यशैली के लिए साधुवाद देना चाहूँगा।

  • श्री मनमोहन सिंह जी बड़े विन्रम, सौम्य, सरल, निष्ठावान, कुशाग्र, विद्वान, वफादार (किस के पता नही), इमानदार, स्पष्ट, नेक, साफ़ छवि वाले, बेदाग, समर्पित, अध्ययनशील, विकास उन्मुखी, प्रगतिशील, आधुनिक, खुले विचारो के, धार्मिक, अराजनैतिक वियक्ति है। बस पिछले १० - १२ सालो में मैंने इतना ही इस महान शक्सियत के बारे में सुना है। कभी नही सुना की देशभक्त भी है की नही, कभी नही सुना की जिस आम आदमी का कचूमर निकाल दिया उसके प्रति भी कुछ सोच है की नही।

बस बड़े ही डरावने तरीके से कही परदे के पीछे से एक हाथ हिलाते हुए आते है और पता नही फ़िर कहाँ आझोल हो जाते है। यह उस लोकतान्त्रिक और आधुनिक युग की बात कर रहा हूँ जब की आपको यह भी पता होगा की अमिताभ के पोते का नाम क्या होगा या धोनी की गिर्ल्फ्रैंड कौन है परन्तु है कोई माई का लाल जो बता दे की १२० करोड़ लोगो के देश के प्रधानमंत्री के घर के कौन सदस्य है। खैर मेरा आज का मुद्दा यह है ही नही। यह तो इस शख्स की रहस्यमय और अबूझ शक्सियत के बारे में हमारी उत्कंठा है।

  • ऐसे कई मुद्दे है जो मनमोहन सिंह जी के वियाक्तित्व को सुलझा सकते है जैसे की एक मुद्दा परमाणु समझोते से सम्बंधित है आप याद करे की श्री मनमोहन सिंह जी ने समझौता करते हुए एक बार भी यह तर्क नही दिया की देश के हित में है की नही बहुत से तर्क दिए कोमुनिस्ट को रूडीवादी और अंधी अमरीकी विरोध के बारे में, यह भी बताया गया की अब भारत अंधेरे से मुक्त हो जाएगा, यह भी की अब हम प्रगति करेंगे परन्तु हौले से भी यह नही बताया गया की किस कीमत पर। क्या भारत कोई राष्ट्र है भी की नही या अन्धो की जमात भर ही है जिनको परमाणु समझोते के बल्बों की सुर्ख रौशनी से अपनी आंखे चौन्ध्वानी भर है। नही बताया गया की प्रधानमंत्री की राष्ट्र की निष्ठां से कोई सरोकार है भी की नही। परन्तु प्रधानमंत्री की घोर वियाक्तिवादी और एकपक्षीय (अमरीकी) सोच इस ५००० साल के भारत राष्ट्र की प्रतिब्द्ताओ पर भारी पड़ने की निर्लाजता तो की ही है।

  • आज तक सरदार मनमोहन सिंह यह नही बता पाए की रौशनी के लट्टू इस समझोते से चलने के आलावा भारत की प्रतिष्ट के कितने लट्टू फियूज किए है। हमे बताया जाए की मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री है या अमेरिका के हिंदुस्तान में लट्टू मंत्री?

  • दूसरा हमे मनमोहन सिंह जी ये बताये की पाकिस्तान सम्बन्धी नीति पर फन्ने खा बनने का फितूर कहाँ सवार हुआ? न तो पाकिस्तान पर निर्णय करने की आपकी नैतिकता है, न आप हिंदुस्तान के चुने हुए सांसद है (लोगो द्वारा) , न आप बहुमत के प्रधान मंत्री है, न आपका कोई जनाधार है , न आप कोई राजनैतिक व्यक्ति है, आप तो एक परिवार विशेष द्वारा चुने हुए एक मनोनीत व्यक्ति मात्र है। फ़िर किस इकबाल पर आप और किस नैतिकता पर आप पाकिस्तान जैसे गंभीर विषय पर अपने अल्प ज्ञान का परचम लहराए। मैं फ़िर कहेता हु की आप व्यक्ति बहुत अच्छे हो सकते हो परन्तु प्रधानमन्त्री के नाते तो आप बुहुत ही कुरूप और निकृष्ट हो।

मैं आज आप को एक कहानी भी सुनाता हु, जरा ध्यान से सुनना फ़िर जाकर अइना देखना की खड़े कहाँ है। टीवी चैनलों के सिंह इस किंग वाले गाने से आप मत भरमा जाना। नही तो आपमें और बारहा मन की धोबन देखने वाले मेलो के बच्चो में कोई अन्तर मुझे नही दीखता है।

राजा विक्रमादित्य के समय में एक द्वारपाल था। एक दिन महाराज के पास आकर राजा को बताता ही की राजा आप कल शिकार पर अकेले मत जाना नहीं तो वहा पर आपको विश्राम करते समय वृक्ष के नीच एक बहुत विषैला सर्प दंस मार देगा जिस से आपकी मृत्यु हो जायेगी। राजा कहेते है ठीक है एसा नहीं होगा में अपने साथ तुम्हारे कहेने से कुछ सैनिक भी लेता जाऊंगा. परन्तु उस जंगल में पिछले कई वर्षो से जाता हूँ। मुझे नहीं लगता की वहा पर किसी विषेले सर्प का वास है. अगले दिन राजा जंगल जाता है. उसको आराम करने की आवश्यकता होती है. परन्तु अपने सैनिको को पेहेरेदार की बात याद कर अपनी सुरक्षा के जिम्मेदारी छोड़ कर सो जाता है. फिर स्वपन के हिसाब से सर्प आता है परन्तु जैसे ही फन फैलाकर राजा को डसता है तभी चौकस सैनिक उसको मार गिराते है. राजा की जान बच जाती है. राजा तुंरत महल वापस आकार उस पेहेरेदार को बुलावा भेजता है. और उस से पूछा की आप तो बिलकुल सही थे परन्तु आप बताये की आपको पता कैसे चला इस घटना का. तो पेहेरेदार राजा को बताता है की जिस समय मेरा रात के पहेरा होता है मुझे उस समय नींद आती है और उस समय में मैं जो स्वपन देखता हूँ वो निश्चित रूप से सच होते है. राजा सुन कर उसे कल दरबार में आने के लिए कहेता है. पेहेरेदार सोचता है अब राजा को मेरी कीमत का पता चला है. अगले दिन वो राजदरबार में पहुचता है राजा उसे इनाम देता है और अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के लिए कहेता है. सभी लोग यह सुन कर आश्चर्यचकित होजाते है. तभी राजा कहेता है हे पेहेरेदार तुमने हमारी जान बचाई इस के लिए हम तुम्हारे आभारी है उसके लिए हमने आपको अपने व्यक्तिगत कोष में से इनाम देदिया है परन्तु आप ने अपनी नौकरी के वक्त अपने कर्त्तव्य का पालन न कर कर सोकर दंड का कार्य किया है. इसलिए आपको पद मुक्त किया जाता है. आपका जो काम रात को राज्य की रक्षा करना था वो आप करने में असमर्थ रहे और किसी भी वक्त दुर्घटना के समय आपका सोते रहेना राज्ये पर आक्रमण के समय हार का कारण बन सकता है. हो सकता है आप व्यक्तिगत रूप से मुझे अच्छे लगते हो और मेरी जान भी बचाई है परन्तु आपने अपनी पहरेदारी की पात्रता से अन्याय किया है इसलिय उस से आपका पदमुक्त होना ही शासन के लिए सही होगा.

  • तो मित्रो इस कहानी के जरिए मीडिया में बैठे भोपूओ को मैं बता देना चाहता हूँ की हो सकता है मैं सरदार मनमोहन सिंह के व्यक्तिगत गुणों से प्रभावित हु और वो अच्छे भी हो परन्तु जरुरी नहीं की उनके यह गुण उनकी प्रधानमंत्री की पात्रता के उपयुक्त ही हो. इसलिए जो आपने प्रधानमंत्री काल के दौरान अपने कार्य के नमूने दिए है उनसे आपकी प्रधानमंत्री की पात्रता पर गंभीर प्रशनचिंह लगते है. उचित होगा आप आपने कार्य से इस्तीफा देकर आपने अध्भुत गुणों से कोई रिलेशनशिप फर्म चलाये प्रधानमंत्री कार्यालय नहीं. परन्तु आप न राजा हरिश्चंद्र है जो स्वम सिंहासन छोडेंगे और न वो कांग्रेसी विशेष परिवार राजा विक्रमादित्य है जो आपको पदमुक्त करेगा. और न हम ही मगध की प्रजा जो लोकतंत्र की ताकत को समझ सके.

  • चलिए अब बात करते है आपके तथकथित गुणों के बारे में एक एक करके सब से पहेले प्रशन आता है आपके अर्थशास्त्री होने के लाभ का. तो बता दू वो दावा भी एक दम झूठा है. हमे आपके अर्थशास्त्री होने का एक भी लाभ नहीं मिला। क्योंकि यदि कांग्रेस दावा करती है की नरेगा उसकी देन है तो कतई भी आप उसको लागु करने के पक्ष में नहीं थे. दूसरा आज जो महंगाई है वो आपके गुणों की चाट है जिसको आपका आम आदमी अपनी खाली उंगलियों से चटखारे ले ले कर चाट रहा है. संसेक्स आप के प्रधानमंत्री काल में पाताल में चला गया है. होम लोन मिल नहीं रहे है.

  • प्रगतिशील भी आप कभी नहीं थे और न आप चाहते होना। आप ढोंगी है और दम्बी है जिसने अटल सरकार की स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क निर्माण को ही ठेंगा दिखादिया। उसी सरकार की देन गावों को शहरो से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री सड़क योजना का आपने गला घोंट दिया। इसलिए न तो आप हमारी प्रगति ही चाहते और न ही आप प्रगतिशील है.

  • तीसरा आप सभ्य और सोम्य भी नहीं है यदि होते तो रूस में पीछे राष्ट्रपति जरदारी से मिलते वक्त शिष्टता बरतते. आपने व्यक्तिगत संबंधो के प्रोटोकाल को तोडा बड़ी ही असभ्यता से व्यक्तिगत बातो को आपने मीडिया को बड़े उचे स्वर में कहा जिसको कोई भी सोम्य और सभ्य नहीं कहेगा. इसलिए यह दावा भी आपके बारे में खोखला है.

  • चोथा लोग आपको वफादार कहेते है जोकि बिलकुल ही गलत है. आप सबसे पहेल प्रणव मुखर्जी के निचे काम करते थे. आज आप उनसे चिड़ते है. फिर नार्सिम्म्हा राव ने गुमनामी के अँधेरे से निकाल कर वितमंत्री बनाया. वो बेचारा जिन्दा रहेते आपके सहयोग से महरूम रहा. मरने के बाद उसके नाम से एक स्मारक दिल्ली में नहीं बन सका. उसके बच्चे आप से मिलने को आज भी तड़फते है. पर मजाल है जो आप कभी उनसे मिलने का समय दिया हो. तो इसकी क्या गारंटी है की कल अमरीका की गोद में बैठ कर आप सोनिया गाँधी और कांग्रेस को उसकी औकात नहीं दिखा देंगे. अरे औकात तो आपने साढे चार साल आपकी पालकी ढोने वाले कोमुनिस्ट को भी दिखा दी. तो सहभ आप इस्तिमाल करो और फैंको की नीति के दक्ष खिलाडी है. इसलिए ये गुण भी आपका परचित मात्र एक ढकोसला भर है।

  • अब आता है आपके विनम्रता के भावः की बात तो मैं बता दू वो भी एक दम गलत है. आप न कभी विनम्र थे और न है। आप को याद दिला दूँ की आपकी पहेली बार सरकार बनाने के तुंरत बाद आपने अपने संसद भवन के कमरे में प्रतिनिधि मंडल लाये अडवाणी जी के मुहं पर सरे आम कागज फैंके थे. और अभी हाल फिलाल आपने चुनावो के समय अडवाणी जी पर आरोप लगाते हुए अपनी असभ्यता का परिचय दिया था. जब अडवाणी जी ने शिष्टाचार वश हाथ जोड़े थे और आपने उनका अभिवादन भी स्वीकार नहीं किया था. इसलिए आप की विनम्रता का वो असली और नंगा सच था.

  • रही बात आपके स्पष्ट व्यक्ति होने की बात तो संसद में अभी चलते आपके बयान से पता चल जाती है की आप कितने स्पष्ट है। आप की घोर अस्पष्टता के कारण ही आपकी कांग्रेस पार्टी, आपके संरक्षक गाँधीपरिवार, भारतीये संसद, विदेशमंत्रालय और विपक्ष में अनिश्चता का माहोल है. तो आप ही बता दे की आप कितने स्पष्ट है. और फिर इस घोर अनिश्चिता का कारण आपकी स्पष्टता की ही विफलता नहीं है.

  • खैर अब बात आती है आपकी विद्वता की तो आपने जो साँझा बयान पाकिस्तान के साथ अभी दिया है और उस लिखित बयान में जो त्रुटी जिसका की आपके शंकर मेनन जी दावा करते है। तो अपने समझ के बहार है की एक घोषित रूप से हिंदुस्तान का विद्वान जो की उसके प्रधानमंत्री की पात्रता का मुख्य स्तम्भ है और जो रिजर्व बैंक का गवर्नर रहा है और सयुंक्त राष्ट्र की मोटी पेंशन लेता है. उसकी ड्राफ्टिंग में भी त्रुटी है वो भी अंग्रेजी में. तो भाई इसका मतलब आपने इंग्लॅण्ड की ऑक्सफोर्ड पर भी कालक मल दी. जब आप क्लर्की का काम भी नहीं कर पा रहे हो तो कहाँ की विद्वता. और जिसके पीछे हिंदुस्तान संसारभर में हंसी का पात्र बने उस की विद्वता पर फिर हम क्यों खिल्ली उडवाय.

  • हाँ इन सब गुणों में आप खुले विचारो के तो है वो मैंने स्वीकार कर लिया। आप की ही सरकार में सेम्लेगिकता का विचार इस भारत को मिला है जिस से पता चलता है. की वाकई इस गुण की पात्रता तो आप में है ही. जिस से मैं तो कम से कम सहमत हूँ ही.

  • अब में कुछ आपके चाटुकारों पर भी आता हूँ जो आपके सिख होने की वजह से काफी दम भरते है। जो सिख भाई है उनको बता दू की हिन्दुओ के रक्षक परम पूजनिय प्रात समरनीय आदरनिये श्री गुरु गोबिंद सिंह जी जिनकी एक सिंह दहाड़ से मुसलमानों के अंतडियो में पानी सूख जाता था. या वो महाराजा रंजित सिंह जो पंजाब का शेर था. क्या सिख भाई देखते है की श्री मनमोहन सिंह जी उस परम्परा के वाहक है. यह में उन ही पर छोड़ता हु. मुझे कोई शक शुबहा नहीं की वो भी रंजित सिंह जैसा ही हिंद शासक पसंद करेंगे।

अंत में प्रधानमंत्री जी अनुरोध करूँगा की आपकी नोबल पुरस्कार की चाहत पर इस ५००० वर्ष के राष्ट्र को बलि न चढाया जाय. और कांग्रेस से अनुरोध करूँगा की भारत सुपर पावर बनेगा जब चीन के नेताओ से राष्ट्र प्रतिबधता सीखोगे. किसी राष्ट्र पर रीड विहीन राष्ट्राध्यक्ष थोप कर और उसकी कलाबजिया देखकर नहीं. निर्णय आपका है तब तक सिंह (परन्तु जंगल का नहीं) इस किंग.

5 comments:

  1. अपने मन मोहन जी पे एक बात फिट बैठती है - मणिना भूषित सर्पः किमसो ना भयंकरः . मणि से आभूषित शर्प क्या खतरनाक नहीं होता ?

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  2. मुझे भी अपना जीमेल पता भेजें और जयराम विप्लव जी आप भी…

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  3. chiplunkar jee ! aapne to hamre man ki baat kah dee ! neki aur puchh-puchh .........

    ye lijiye jay.choudhary16@gmail.com
    9718108845.

    dhanywaad

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  4. जयराम जी मैंने आपका इ-मेल अपने list मैं जोड़ कर लिया है |

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