Friday, July 2, 2010

हिंदुत्व मतलब विरोध ???????????

यह एक शाश्वत सत्य बन गया है की जिसको तुरंत प्रसिद्धी, पैसा और लाइम लाइट में आना चाहता है वो हिंदुत्व का विरोध कर दे या फिर आर एस एस पर थूक दे. घर उसका पैसे से और मुहं उसका प्रेस कांफ्रेस में वैसे ही खुल जाता है जैसे सयुंक्त परिवार में बाप के विरुद्ध बेटे का विरोध करने में पडोसी उसकी सहयता करते है. क्योंकि हमारी फितरत है की किसी सही चीज को सुचारू रूप से या प्रेम से किसी को खाते हम देख ही नहीं सकते तुरंत अलगाव को हवा देते है. जैसे की हिंदुस्तान के विभिन्न प्रदेशो को एकजुटता से कुछ हमारे दुश्मन देश रहेते नहीं देख सकते है. इसी प्रकार मुर्ख लोग जो धर्म और पंथ में अंतर नहीं जानते हिन्दुओ के विभिन्न पन्थो के अंदर विद्वेष पैदा करते ही रहेते है अब वो चाहे सिख हो जैन हो बोध हो कबीर हो प्राक्रतिक पूजक हो या कोई भी हो. यह कुछ कुछ एसा ही ही है जैसे वामपंथी ३० या ४० के दशक में कुभ के मेले में वैष्णवों और शैव भक्त्रो की सपर्धा को चटकारे लेकर लिखते थे. अब चूँकि लड़ाई और बड़ी होगई और हिन्दू धर्म के दुश्मन ज्यादा होगए तो वैष्णवों और शैव वाला मामला इतना बड़ा नहीं रहगया है. परन्तु लोमड़ी के माफिक दुष्ट लोग हिन्दू के बीच में अन्य रूप से जहर घोलने का काम निर्बाध रूप से कर रहे है. अब आप भी पूछ सकते है की जब आपको सब पता है तो फिर कर क्या रहे हो. सही प्रश्न है परन्तु जानकारों को बता दू की हिन्दू धर्म किसी की बपोती नहीं मेरी भी नहीं. यह जीने का कोई एक डंडे द्वारा निर्धारित नियम नहीं जैसा की इस्लाम या ईसाइओ में है. हमारे यह मानसरोवर में बैठ कर साधना हो सकती है तो दूसरी और काशी की शमशान में. चन्नई के मंदिर में भगवन की पूजा हो सकती है तो राजस्थान में किसी यज्ञ से भगवन निकल कर आशीर्वाद दे सकता है. इस से यह ही पता लगता है की हर किसी का भगवान उसके द्वारा किये गई साधना, ताप और भक्ति पर निर्भर है. वैसे कहू तो हिन्दू धर्म शारीर से मतलब ही नहीं रखता धर्म आत्मा से आत्मा पर ही जोर देता है. परन्तु जैसे आज कलयुग में कोलेज में किसी लड़की का बॉयफ्रेंड न होना एक लांछन बनगया, होटल में दारू की जगह दूध या जूस पीना कलंक बनगया. स्त्री का जींस की जगह साडी पेहेनना असभ्यता बनगया. इंग्लिश नहीं हिंदी बोलना पिछड़ापन बन गया. ईमानदारी दिखाना एक मुर्खता बन गई . सच बोलना एक बेवकूफी केहेलाने लगा. सयुंक्त परिवार में न रहेकर घर तोडना एक फेशन बन गया. गुरुओ और सधुवो को ढोंगी कहेना परम्परा बन गई. पत्नी के साथ साथ एक गर्ल फ्रेंड रखना एक सभ्यता बन गई. उसी प्रकार हिन्दू को हिन्दू के चश्मे से न देख कर एक निहाहित ही संकरीं सोच और चश्मे से देखना जैसे की दुसरे पंथ इस्लाम और ईसाई है के ही संधर्भ में हिन्दू धर्म की वियाख्या होने लग गई और देखना भी एक फैशन बन गया.. जो के कुछ कुछ यासे है की अंधे सूर्य और बल्ब की तुलना कर रहे है. और सूर्य को बल्ब के सामान बताने पर उतारू है. और यह वोही दंभी लोग है जिन्होंने गैलालियो को सच बोलने के लिए मार दिया था. वो आज सब अन्धो को इकठा करके हम आँखों (हिन्दू) वालो की आखें निकालने पर उतारू है और हम में से ही हमारे कुछ भाई अपनी आंखे निकाल कर अपने को फैशन का हिसा बना रहे है. अब वो चाहे कोई आदिवासी या दलित अपने को ईसाई बना रहा हो. या जैन अपने को अलाप्संख्यक बनाना चाहते हो. या फिर सिख अपने को एक नया धर्म बताते हो बात एक ही है.
और घर को इकठा रखने का जो पाप आर एस एस कर रही है उसको टोकरा भर गाली और आंखे दिखाई जा रही है. भविष्यवाणी करना चाहता हु जिस आर एस एस को आज गाली दी जा रही है, इस समकालीन भूत के सर से उतरने के बाद न उसके एक एक स्वयमसेवक के चरण धो धो कर पिए गए तो नाम बदल देना मित्रो.
आने वाली नस्सले तुम्हारे इतिहास का पुनर्लेखन करेंगी तब सोनिया गाँधी ईस्ट इंडिया कम्पनी और राहुल गाँधी बहदुर शाह जफ़र होगा. मणि शंकर अय्यर न केवल जैचंद के नाम से परिभाषित होगा बल्कि कुछ एक उत्साहित युवा हर दशहरे पर उसका पुतला भी फूंकेंगे. दो एक दिन पहेले टाइम्स नॉव चैनल पर कश्मीर पर बहस देखने का सोभाग्य प्राप्त हुआ. जिस कश्मीर में मेरे हिंदुस्तान का पैसा और युवा खून बह रहा है वाहं पर मणि शंकर (ब्लड प्रेस्सर का मरीज) बीजेपी प्रवक्ता रवि शंकर प्रशाद को कश्मीर के सन्दर्भ में अप्रासंगिक मानता है. मणि शंकर अय्यर वीर सावरकर की पटी हटा कर कनाट प्लेस का नाम राजीव गाँधी रखने, चोर दरवाजे से राज्यसभा में आने को ही यदि टीवी चैनल पर आकर बीजेपी जैसी राष्ट्रवादी पार्टी को कश्मीर के सन्दर्भ में अप्रासंगिक बता रह है तो . बीजेपी के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रशाद मुखर्जी की मौत भी अप्रासंगिक है. एक बार मरते वक्त 'है राम ' कहेने वाला हिंदुस्तान की मुद्रा पर प्रासंगिक हो सकता है. परन्तु वीर सावरकर जैसा वीर, जिसके नाम लेने भर से ही तेरी अगली १०० पुश्ते पुण्ये के सागर में गोते लगा लेती है. जिसका जर्रा जर्रा हमारे रोम में देशभक्ति का पाठ पढाता हो उसको अप्रासंगिक और आपक चीन भारत युद्ध में इंग्लैंड में भारत विरोधी कृत्ये करते आप लोग कश्मीर पर बोलने के लिए प्रासंगिक है. शर्म आती है की कितनी दुष्टता, कटुता, चप्लुसिता और दंभ आप में भरा है. कल को हिन्दुओ और देशभक्तों को आप तिरंगा फेहराने का हक़ भी छीन सकते है. सावधान मणि शंकर जैसे नेता जिसने बीजेपी के प्रवक्ता को कश्मीर में बोलने के लिए अप्रासंगिक बताया. और जिसने आर एस एस को निक्कर वालो की जमात कहा. हमारी सभ्यता है की आपको इसका जवाब नहीं दिया जा रहा नहीं तो बहुत से किस्से है आपके बारे में और आपकी पार्टी के बारे में. श्री कृष्ण १०० पाप ही तक माफ़ कर पाए थे शिशुपाल को उसके बाद जवाब देना ही पड़ा. जवाब तो ५ जुलाई को भारत बंद पर आपको इस देश की जनता देगी ही जो उदंडता आपक देश की जनता के साथ कर रहे है उसका जवाब तो जनता आपको बंगाल के खाड़ी में दूर ताकि छोड़ कर दम लेगी.
और अप्रासंगिकता के बात पर मणि शंकर अय्यर जी आपको बता दू की हर हिन्दू को जब तक अखंड भारत नहीं मिलजाता तब तक उसका एक एक कतरा माँ भारती का ऋणी है, और वो जर्रा जर्रा न केवल प्रासंगिक है बल्कि अपना हक़ लेकर रहे गा. हिंदुस्तान किसी के बाप की बपोती नहीं की कोई नेता उसको जब चाहे बेच दे और जब चाहे उसका सौदा कर दे. मेरे पुरखो की महेनत की कमाई है और इसके लिए मुझे किसी सरकार, नेता, पार्टी, मीडिया या एन जी ओ की इज्जाजत नहीं चाहिए. सरकार का काम देश चलाना हो सकता है उसको बेचना नहीं. और न ही कोई पार्टी या सरकार हमारा मुहं बंद करा सकती की हिंदुस्तान की सेना, पुलिस के जवानों का खून क्यों बह रहा है. जवाब तो देना होगा. १०० - २०० पत्थरबाज गुंडों के आगे एक सुपर पवार (मणि शंकर के राजीव गाँधी द्वारा बनाई गई) को हौंकते तो कोई भी भारतीय नहीं देख सकता. देश के जवान क्यों छतीसगढ़ में मरे और क्यों ही कश्मीर में. हर जवान का खून देश पर कर्ज है और आप हमे अप्रासंगिक बता रहे हो.
न देश छोड़ेंगे गुंडों के आगे न धर्म. नपुंसकता की और दंभी रविए की हद हो गई की सर्वशक्तिमान १० जनपथ एक बार भी जवानो का श्र्द्नाजली देने नहीं गया और वो राहू सोरी राहुल गाँधी एक शब्द नहीं बोलता इन जवानो की हत्या पर. क्या यह दोनों नेता सिर्फ भोले और भटके मुस्लमान के मुद्दे पर ही प्रासंगिक है. देश का प्रधान मंत्री हर मुद्दे पर मंत्री समहू बना कर अपनी जिमेदारी से बचता है. क्यों नहीं अल्शेख पर पाकिस्तान को जवाब पर, पेट्रोल के दाम पर, राहुल गाँधी के भविष्य के प्रधानमंत्री बनाने की बात के लिए मंत्री समहू बना देता. क्यूँ नहीं ओमर अब्दुल्ला की सरकार भंग कर देते. क्यूँ इन नकाब पोश पत्थर बजो को बेनकाब करते. क्यों नहीं मीडिया के सामने एक को पकड़ कर पाकिस्तान का कच्चा चिटठा खोलते. क्यों नहीं तहलका के जांबाज इनका स्टिंग अप्राशन करते. कहाँ गई साडी बहदुरी या सिर्फ गाल बजने के लिए तरुण तेज पाल को रखा गया है. देश हित में मीडिया क्यूँ नहीं स्टिंग करती.
या कश्मीर के मामले में मीडिया भी अप्रसंग्किक हो गई है. मीडिया केवल मोदी के मामले में ही प्रासंगिक है बाकि मामलो में कांग्रेस के प्रवक्ता की तरह वाय्वाहर करती है.
और यदि प्रासंगिकता की ही बात है तो बता दू यह खाकी निकर वाले जबतक प्रासंगिक है जब तक हिन्दू और भारत पर कोई चोट करता रहेगा और फिर वो अपने घर के जयचंद हो या बहार से आया कोई अलक्जेंडर.
जय भारत जय भारती !!!!!!!!!

3 comments:

  1. हम आपकी बात से सहमत हैं। आपने् बहुत ही जबरदस्त तरीके से सच्चाई को सामने रखकर गद्दारों की पोल खोली व उनको उनका अन्जाम भी बता दियो।

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  2. Good Hinduveer.I appriciate your thoughts.keep it up....jai bharti jai

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