Friday, October 1, 2010

न्यायालय की तार तार हुई इज्जत !!!!!!!!!!!!!!!!!!!


हम हिन्दुओ ने हर हालत में न्यायालय को मंदिर और न्याय को प्रसाद माना है. हमने हमेशा न्यायालय में बैठे न्यायमूर्ति को न्याय को देवता और पञ्च परमेश्वर माना है. 
१७ लाख सालो से श्री राम की अस्तित्व को भी न्याय की कसोटी पर खरा उतरने दिया. क्यूंकि जब स्वयम राम अग्नि परीक्षा में सीता जी को उतरने देते है तो हम भी अग्नि परीक्षा में उतरे और कंचन की तरह राम जन्भूमि का न्याय पाया. सबसे बड़ी बात है हिन्दू और मुसलमानों दोनों ने इस निर्णय को सहर्ष स्वीकार किया.
हम हिन्दुओ ने भी मानलिया की चलो जो हुआ सो हुआ, श्री राम जन्मभूमि के साथ मुसलमानों को भी जमीन मिलगई उनके टाइटल सुइट के ख़ारिज होने के बाद भी, कोई बात नहीं हम ही मुसलमानों से झुक कर वो जमीन राष्ट्र प्रतीक, राष्ट्र गौरव श्री राम के लिए मांग लेंगे. परन्तु न न न यह होना न था और मुझे लगता होगा भी  नही. 
परन्तु क्यूँ ?
इस क्यूँ को समझने से पहेले देखते है की भेड़ की शक्ल में हमारे सामने भेडिये कौन बैठे है. और बड़े ही साफ़ सुथरे तरीके से उनके चेहरे दिखाई भी दे रहे है. यह वो भेडिये है जो अपने माँ बेहें बेटी का सौदा करने में देरी नहीं करते और उसी कसोटी पर हिन्दू और मुसलमान दोनों को लगा रहे है.
  1. मेने सबसे पहेले एक खच्चर सहाभ को सुना, यह खच्चर सहाभ टीवी पर अयोध्या मामले पर पहेली प्रतिकिर्या दे रहे थे. पत्रकार ने पूछा खच्चर सहाभ कैसा फैसला है, उत्तर मिला फैसला बेतुका और बेकार है. अब मुझे समझ नहीं आता की हम न्यायालय के लिए मनानिये और सम्मानिये लगा लगा कर बोलते है और इसने पुरे फैसले को बेतुका और अर्थहीन  ही कह दिया. अब कोई मुझे बताये जब इस खच्चर सहाभ ने सरे आम टीवी पर न्यायमूर्तियो की मूर्ति तोड़ दी हो और न्याय के प्रसाद को पैरो तले रौंद दिया हो तो देश में न्याय का सम्मान करेगा कौन. और खच्चर सहाभ है भी पूर्व न्यायधीश. इस खच्चर सहाभ ने उन न्यायमूर्तियो को शर्मा और अग्रवाल संबोधित कर कर के बोला न की  न्यायधीश, न माननिये बस उनका अपमान किया. अब मुझे बताओ की इस खच्चर सहाभ जिसके पैर  कब्र में पड़े है, न्यायालय को सरे आम गाली और उसके न्याय का मजाक उड़ा रहा है, मुझे तो यासा लगा की न्यायालय इस के पैर की जूती  है और माननीय न्यायमूर्ति इसके चाकर, जो इसने इतनी बड़ी हिम्मत की और न्याय का अपमान कर दिया. यह तो हुई पूर्व न्यायधीश खच्चर सहाभ की बात.
    1. दूसरा नेताओ खासकर मुल्ला मुलायम का बयान आया. अपनी पुत्रवधू को सरे आम फिरोजाबाद में राजबब्बर के हाथो जलील करवा कर अपने ही यादव भैओ से पीट कर, जलील होकर, इनकम टैक्स अधिकारिओ के पैरो में लोटा लोटा फिरने वाला, भी न्यायालय को गलत और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहा है. 
  2. अपने को राष्ट्रवादी कहने वाला एक और दो पैसे की हैसियत रखने वाला मुस्लिम नेता शाहिद सिदाक्की भी न्यायालय को गाली दे रहा था सरे आम टीवी पर. 
  3. एक और सुप्रीम कोर्ट का वकील अपने को हाई कोर्ट से भी ऊपर मानते है और हाई कोर्ट को चुनोती देते हुए इसके निर्णय की विरुद्ध पब्लिक टिका टिपणी कर रहे है. अब मुझे समझ नहीं आता की देश में वकील बड़े है, नेता बड़े है, पत्रकार बड़े है या न्यायालय के जज, तब तो तुम्हारी माँ बेहें को भी कोई छेड़ दे तो तुम उसका कर क्या लोगे, न्यायालय की ऐसी की तेसी तो पहेले ही कर दी. पुलिस तो तेर बाप की है भी नहीं है. तब क्या करोगे. 
खैर कोई बात नहीं हिन्दुओ को इस तरह अपनी जीत को हार में बदलते लाखो बार देखा है, और एक बार सही, हिन्दुस्तान का बटवारा किसके बाप से पूछ कर कर दिया था. और कहाँ पर मुकदमा चल रहा है. जब ५०० साल के बाद न्यायालय ने एक फैसला कर दिया था तो उस पर मुसलमानों को भड़काने की जरुरत क्या है. खच्चर सहाभ आप दो बातें  अच्छे से सुन लो, एक यह सरकार जिस की की आप गोद में बैठे हो, सारी उम्र नहीं रहेगी, दूसरी आपके भी औलाद होगी जिसको इस देश के न्यायालय और संविधान की जरुरत पड़ेगी क्यूंकि ताकत में तो कोई आप अपने पास खाप पंचयत नहीं रखते, जाओगे तो कोर्ट और पुलिस के ही पास, कभी न कभी तो तब कोर्ट आपके जूते मारकर पूछेगा की येहाँ लेने क्या आये है. हम तो आपसे भी ज्यादा बुद्दू है तमीजदार, जानकार और होशिआर तो आप ही है तो दे दो अपनी औलादों को न्याय. 

अरे भडवे नेताओ, पत्रकारों, अधिकारिओ, बुधुजिवियो जब तुमको न्यायालय का फैसला मानना ही नहीं था तो फिर यह ६० साल का ढोंग क्यूँ, नरेंद्र मोदी को तो कोर्ट से फांसी चढ़वाना चाहते हो परन्तु कोर्ट की सरे आम अवमानना और अपमान भी तुम ही कर रहे हो. पता नहीं कोर्ट में इन भड्वो की कोई सजा भी है यह नहीं या सारी सजा हिन्दुओ के ही खातो मैं है. सरे आम कश्मीरी मुसलमान भारत और उसके संविधान की पैंट उतार रहे है पता नहीं वहा पर जाकर मुसलमानों से क्यूँ नहीं कुछ कहेते. 

  • और तो और स्वम्भू बुद्धिजीवी एवं पत्रकार श्री राम चन्द्र गुहा, कोर्ट का निर्णय आने के बाद भी श्री राम जन्भूमि पर हस्पताल या पार्क बनवाने का सुझाव दे रहा है, अरे गुहा जी श्री राम लल्ला की वो जमीन खुद की है कोर्ट के निर्णय के हिसाब से तेरे बाप या मेरे बाप की नहीं है. और पार्क में घूम घूम कर डाईबीटिज ठीक करने का इतना ही शौक है तो अपने बाप के और अपने रिश्तेदारों के घर को पार्क क्यूँ नहीं बनवा देता. राजघाट, वीरभूमि, शक्ति स्थल पर हस्पताल क्यूँ नहीं खुलवा देता. बड़े ही गुमान में यह स्वम्भू बुद्धिजीवी अपने को अघोषित रूप से बुद्धिजीवी मानते हुए कोर्ट को ही हडकाते फिर रहे है, मानो कोर्ट न हो गरीब की जोरू हो कभी भी भाभी जी कह दो. यह भडवे जब भी एअसे ही कोर्ट को गाली देते जब वो यदि मस्जिद के पक्ष में निर्णय देदेता तो. गुजरात के दंगो का गुजरात से बहार कोर्ट में फैसला करवाने में बड़ा इंटरेस्ट लेते है. बड़ा कोर्ट कोर्ट करते फिरते हो. तीस्ता सीतलवाड़ और हर्ष मानन्धर क्या कूड़ा बीनते फिर रहे है वहां पर  और जब हिन्दुओ के फेवर में कोर्ट निर्णय करता है तो कोर्ट को ही लेक्चर पिलाते है.
इस बार मिडिया बधाई के पात्र है, देश की जनता, भारत का न्यायालय और कांग्रेस की सधी हुई प्रतिक्रिया भी बधाई की पात्र है, रशीद अल्वी, एम् जे अकबर, हामिद अंसारी, यह तक की जफ्फ्र्याब जिलानी जैसे लोग भी अपने सयम और अच्छी प्रतिकिया के लिए बधाई के पात्र है. परन्तु सहाबुद्दीन, औवासी जैसे लोग आज भी देश के दुश्मन और हिन्दू मुल्सिम भाईचारे के शत्रु है.
इस से राहुल गाँधी के देश की जानकारी के भी पोल खुल गई, जो चार दिन पहेले कहेता था की देश को मंदिर मस्जिद से कोई फर्क नहीं पड़ता, जब देश और उसके वासिओ ने दम साध कर निर्णय सुना और सड़के सूनी होगई , और समाज के हर तबके ने इसका स्वागत किया तो राहुल गाँधी को पता लग गया होगा की यह हिंदुस्तान जींस की जेब में नहीं रहेता, कर्म के लिए धर्म का सूत्र न छोड़ने वालो का देश है. उन भड्वो के लिए करार तमाचा है जो चार दिन पहेले घोषणा करते फिर रहे थे की मंदिर बने या मस्जिद बने हमारी बाला से. देश की जनता ने बता दिया की राम इस देश के हृदय में है.
संघ ने हमेशा से देश की भलाई चाही है, देश को और उसके नागरिको को सही दिशा दी परन्तु मुस्लिमो के तलवे चाटने वाले, देशद्रोही, पत्रकारों और नेताओ ने देशो को  कभी भी एक नहीं होने दिया और न ही आज होने देना चाह रहे है. आज जब निर्णय राम लल्ला के पक्ष में आगया है, बाकि जमीन मुसलमानों से निवेदन कर मांग लेंगे तो क्यूँ न राष्ट्र के गौरव का प्रतीक श्री राम का भव्य मंदिर बने जिस से अयोध्या के लोगो का भी विकास होगा और उनको भी बड़ा रोजगार मिलेगा. 
जब हिन्दुओ ने दो देश दे दिए थे, एक पूरा प्रदेश आज भी मुस्लिम आतंकवाद से पीड़ित है इसे में भी हिन्दू ५०० साल के धेर्य के बाद भी अपने राम लल्ला की जमीन पर मुसलमानों को टाइटल सुइट ख़ारिज होने के बाद भी उनके १/३ कब्जे पर स्वागत कर रहे है. इसको कहेते है हिन्दू सहिशुनता और दूसरी तरफ मुसलमान है जो  इतने संवेदनशील मुद्दे पर भी भारत जैसे देश में खुले आम इसकी मुखालफत कर कर सुप्रीम कोर्ट जा रहे है, यह है हिन्दुओ की दी हुई इनको आजादी, और जो पत्रकार और नेता आज मुलसमानो को भड़का रहे है और हिन्दुओ को गीरिया रहे है वो कल भी भडवे थे और आज भी भडवे है, देश में माँ, बहेनो, और उनके वासिओ की दलाली यह ही कर रहे है.
हमे इस बात का संतोष है की राम लल्ला को क़ानूनी रूप मिला और उनका भी अस्तित्व कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. यह इस देश और विश्व के लिए बहुत शुभ है. इस से आम मुस्लमान भी प्रसन्न होगा, हिन्दुस्तान के हिन्दुओ में भी संविधान और देश के कानून के प्रति इज्जत बढ़ेगी.
सभी पार्टियो, मुसलमानों, और हिन्दुओ से नम्र निवेदन करूँगा आज जब मानानिये हाई कोर्ट का निर्णय आगया है. इस बात और विवाद को ख़त्म करकर श्री राम के भव्य और विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अपना योगदान दे और एक जुट हो जाये.
यह उन लाखो अमर शाहिद कारसेवको की आत्मा को शांति देगा जिन्होंने श्री राम जन्मभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, परम आदरनिये श्री परमहंस जी महाराज के कार्यो के लिए कोटि कोटि धन्यवाद, जिनके कटिबद्ध निर्णय से श्री राम लल्ला अपने स्थान को कानूनन पा  सके. सारे विश्व के लिए कोर्ट का निर्णय उधाहरण होगा और याद किया जायेगा, की हिन्दुओ का लोकतंत्र में कितना बड़ा विश्वाश है और कितना महान धेर्य है. मानानिये हाई कोर्ट न्यायमूर्तियो को शत शत प्रणाम और कोटि कोटि धन्यवाद.
सभी को मेरी शुभकामनाय और बधाई.
लो नमस्कार भूगोलो के, पद्बंदन लो इतिहासों के, लो सात सागरों के प्रणाम, अभिनन्दन लो इतिहासों के, अयोध्या की खोई गरिमा तुमने ही लोटाई है,वीर बांकुरो राघव के तुमको सौ सौ बार बधाई है.

5 comments:

  1. लेख अच्छा लिखा है , पर इन साहब का नजरिया भी देखे , हमें तो पसंद आया ..... आप पत्रकार लोग भी सोचे इस बारे में ..
    http://www.pravakta.com/?p=13876

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  2. अभी तो शुरूआत हुई है..धीरे धीरे बहुत से भेडिये अपने दडबों से निकलकर हुव्वाँ हुव्वाँ मचाने वाले हैं....
    जय श्री राम!

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  3. इस फैसले का सम्मान किया जाना चाहिये. चोर की बात पर ध्यान देना आवश्यक है क्या...

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  4. सभी बंधुओं से आग्रह है की फैसले के लिए न्यायाधीश श्री धर्मवीर शर्मा जी को धन्यवाद दें | उनका ईमेल आईडी है- dvsharma@allhabadcourt.in |

    रही बात न्यायालय के इज्ज़त की, तो उसका घंटा काँग्रेस द्वारा कितनी ही बार बज चूका है | कुछ, जो मुझे याद है, यहाँ लिख रहा हूँ:-
    १. शाहबानो मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को राजीव गाँधी ने संविधान संशोधन करके बदल दिया | उस समय दो-तिहाई तो क्या ८० प्रतिशत सीटें उनकी बपौती (माफ़ कीजिये- ममौती) थी |
    २. अभी सड़ते अनाज को गरीबों में बाँट देने के आदेश को पहले सुझाव कहकर छिपाया, जब माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि यह आदेश है तो मनमोहन जी ने उन्हें सरकारी कार्यों में दखल न देने कि सलाह दे डाली |
    ३. एक बार इंडिया-टुडे के आमने-सामने कोलम में श्रीमती शीला जी ने कहा था कि न्यायलय को ज़मीनी हकीकत का पता नहीं है | इसीलिए सभी मामले में वे न बोलें |
    ४. एक बार एक कांग्रेसी नेता (नाम याद नहीं) द्वारा न्याय पर टिप्पणी करने पर न्यायाधीश को कहना पड़ा कि न्याय वे नहीं करते, न्याय भारत का संविधान करता है |

    मित्रों ! ऊपर के चौथे बिंदु पर गौर करें तो न्यायालय पर टिप्पणी करने वाले संविधान के विरुद्ध हैं और सब पर संविधान की अवमानना का मुक़दमा चलाना चाहिए |

    भला हो सुब्रह्मण्यम स्वामी का जो ईवीएम गड़बड़ी उजागर करने के लिए जी जान से लड़ रहे हैं |
    मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था "डेमोक्रेसी एट रिस्क", उसमे बताया गया है कि किस प्रकार जर्मनी में न्यायलय के आदेश पर ईवीएम को प्रतिबंधित कर दिया गया | यदि भारत में उच्चतम न्यायालय ने सारे पहलुओं को देखते हुए उसे प्रतिबंधित किया तो ये कांग्रेस उसे भी नज़रंदाज़ कर देगी |

    बाकि राम भरोसे |

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  5. मेरे विचार भी कुछ ऐसे ही हैं
    यदि आप लोग कुछ समय मेरे ब्लॉग को पढने में दे सकें तो मैं आपका आभारी रहूँगा

    "विशेष कर यदि कोई धर्म निरपेक्ष व्यक्ति आ सके तो "


    http://nationalizm.blogspot.com/2010/10/blog-post.html

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