क्या नहीं जो इस बाजार में बिका नहीं ? कांग्रेस पार्टी ने देश की हर चींज को बाजार में खड़ा कर दिया. बड़ा पुराना जुमला है जो मैं इस्तेमाल करता आ रहा हूँ की जब सभी के पास पैसा आजायेगा तो फिर काम कौन करेगा ? और आज तो भ्रष्टाचार से सब के पास पैसा हो गया अब कौन काम करेगा. मैंने पीछे कुछ ब्लॉग में क्रांति की बात की थी और वो सच भी हो रही है, क्रांति को मूर्त रूप दिया जा रहा है और इसबार क्रांति दिल्ली में ही होगी कोई जंगलो और बीहड़ो में नहीं होगी. और क्रांति हो भी क्यूँ न ? मंत्री, नौकरशाह, अफसर, मीडिया, न्यायपालिका, सेना, सांसद, उद्योगपति सभी इसके छिंटो से दागदार है. कल की ही बात है मैं अपनी बेटी के स्कूल में गया. मुझे प्रिंसिपल से मिलने का मन हुआ तो कहा गया की आप यहाँ लोबी में बैठ कर कुछ देर इन्तजार करे मैडम अभी बुला लेंगी. मैंने कहा कोई बात नहीं और बैठ गया. बैठे बैठे नजर सामने बड़े बड़े बच्चो और अध्यापिकाओ द्वारा बनाय गय चार्ट पर पड़ी तो उस पर "मेरे आदर्श" नामक शीर्षक के नीच बरखा दत्त और अरुन्धिता रॉय का फोटो लगा था और साथ में कल्पना चावला भी थी. इतने में और कुछ पढता और देखता मुझे बुला लिया गया. मैंने सीधे बैठते ही प्रिंसिपल मोहद्या से पूछा की "क्या आप अपने स्कूल में बरखा दत्त और अरुन्धिता रॉय जैसे बच्चे बनाना चाहती है". पहेले तो बड़े अकड़ कर मुझे घुरा फिर मेरे हाव भाव और ड्रेस अप को देख कर बोला "क्या गलत है" मेने दोबारा कहा आप कहे रही है क्या गलत है. इस पर थोडा दिमाग पर जोर देदे बोली की लगता है काफी दिनों से अपडेट नहीं किया गया है. इतनी देर में उन मोह्द्या ने अपने सामान्य ज्ञान को दुरुस्त कर लिया. और फिर लगी मेरी बात सुनने, मैं बोला दलाल टाइप के पत्रकार और देशद्रोही लोग मेरे बच्चो के आदर्श बनेगे क्या ? इस पर उनकी भी तियौरिया चढ़ गई और तुरंत सम्बंधित टीचर को बुला कर हड़काना शुरू कर दिया. और माफ़ी के अंदाज में मुझ से बोली की अब हम ही क्या करे इतने जाने माने और राष्ट्रीय पुरूस्कार पाने वाले भी ऐसा करेंगे तो हम अध्यापक ही क्या करे. सरकार इनके पदक क्यूँ नहीं छीन लेती. मैंने कहा आप सही कह रही है और नागरिक समाज को इसकी पहेल करनी चाहिए और मैं ऐसा कहे कर के चला आया.
मेरे दादा जी एक बात कहेते थे की जो सब चमक रहा है वो सच्चाई नहीं उसके तथ्य में जाना चाहिए और मेरे दादा जी के मित्र कहेते थे की हर बात में बाल की खाल नहीं उतारनी चाहिए. अब बात तो दोनों ही सच है परन्तु उसकी मात्रा हमे ही निर्धारित करनी होगी. असल में आज जो चीजे अच्छी बताई जा रही है वो मार्किट के अधीन है और एक फ़िल्मी कलाकार के तरह अपना हँसता चेहरा ही दिखने की बाध्यता सभी पर लागु होती है. शादी में सभी आये नाचा गया और चलते बने, परन्तु उस चका चोंध में पति पत्नी अपने जीवन जीने के आधारभूत तत्वों पर भी चका चौंध हर समय चाहेंगे तो भारी भूल होगी. और यह ही हिंदुस्तान के साथ हो रहा है जो अपनी संस्कृति है उसे तो हिन्दू आतंकवाद कहा जा रहा है और जो हिंदुस्तान की दुर्गति की कारण है उसे धरोहर बता कर पनपाया और पोषित किया जा रहा है. खैर कोई बात नहीं बरखा दत्त, वीर संघवी और अरुन्धिता राय की भांति वो भी असली और नकली नायक की कलाई खोल ही देंगे.
ये हिंदुस्तान एक कांग्रेस नामक मार्केटिंग कंपनी के हाथो है, जहाँ सब कुछ है गाँधी की फोटो लगा कर, ईमानदारी का ढोंग, त्याग की देवी, आतंकवाद के शिकार जनपथ परिवार, घर से बहार निकाली गई छोटी बहु, विरोधियो के हाथ में उसका बेटा, विदेशी और मासूम युवराज, गरीब देश की जनता जो जनपथ परिवार पर टिकटिकी लगाय देख रही है. कुछेक पंडित नुमा, मौलाना नुमा, अदब से खड़े बहरूपिये परिवार को घेरेखड़े, बड़े ही रहस्यनुमा माहोल में जनपथ परिवार की मुखिया, औचक निरक्षण और अचानक प्रकट होने वाले युवराज, अपने पिता की हत्यारन के साथ सहनुभूति, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के डरे - डरे पत्रकार जो सोनिया जी से कुछ नहीं पूछ सकते बस वो ही अपने घर के बहार आकर चार पञ्च लाइन बोलेंगी और बावले पिल्लै की तरह वो दिन भर उसपर प्रतिक्रिया लेते रहेंगे और चर्चा करते रहेंगे. और विरोधियो को घेरते रहेंगे. अब इस माहोल को मीडिया में मेकप करे हुए चिकने चेहरे जनता के मन में इनके प्रति सहानुभूति करते हुए गुहार नुमा तरीके से रिपोर्टिंग करते रहेंगे/
८ साल से मित्रो में तो सिर्फ और सिर्फ गैर जरुरी और गैर राजनेतिक खबरे ही न्यूज़ चैनल पर देख रहा हूँ. मुझे तो कभी कभी लगता था की मीडिया और कांग्रेस में यह गटबंधन १०० साल तक देश पर कांग्रेस का राज करवाएगा. और एक बात जो और खटकती थी कांग्रेस के प्रवक्ताओ की अट्टहास लगाती हंसी (जैसे कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता), विरोधियो को बड़े ही आक्रामक तरीके से खा जाने वाले अंदाज में खासतौर से बीजेपी को घूरते और बोलते, हद तो जब हो जाती थी की बीजेपी वाले सोनिया जी राहुल जी कहते कहते अपनी जीभ में छाले पैदा कर लेते थे और कांग्रेसी बीजेपी के अध्यक्ष श्री गडकरी जी को नेता ही नहीं मानने को तईयार, हद तो जब होगई जब बीजेपी के ९२% सीटो के बिहार में जितने के बाद भी बीजेपी को बधाई नहीं सिर्फ और सिर्फ नितीश को ही शुभकामनाये भेजी गई. अब इसको कम से कम राजनेतिक प्रतिद्वंदता तो नहीं ही कहा जायेगा. इस तरह से तो गली का गुंडा भी व्यहवहार नहीं करता. नरेंद्र मोदी के साथ जो व्यवहार मीडिया, वामदलों और कांग्रेसियो ने किया है उस तरह के घृणित काम करने को दूसरा कोई और उद्धरण इतिहास में नहीं मिलता है. आज जब नरेदर जी मोदी सभी आरोपों से बरी होगये है तो भी कांग्रेस उनसे क्षमा नहीं मांग रही.
पटना में देश के युवराज जाते है और खबर बनती है की लडकिया उनको देख कर चिल्ला रही थी जैसे की कोई माइकल जैक्सन आगया हो. और अंधे बेहेरे पत्रकार उसीको हेडलाइन बनाये घूम रहे है. अब नितीश और सुशील मोदी जी तो ऐसे अपने लिए लडकियों से चिल्ल्वा नहीं सकते सो उन्होंने लोकतंत्र के लिए जो जरुरी वोटो के रूप में समर्थन पाना है वो पा लिए. अब युवराज कभी कार में बैठे मोबाइल पर जबरदस्ती उंगलिया फिराते फिरे या सोनिया जी अपने हलक को साफ़ करती फिरे इन नौटंकियो से कुछ होने वाला नहीं. बिहारी जनता ने बता दिया की हम सो रहे थे परन्तु मरे नहीं थे. हिन्दुस्तान ८ साल से मीडिया, अफसरों, पत्रकारों की नौटंकी देख रही है और बिना यह जाने के नौटंकी बाजो जैसे की लल्लू और पासवान को जो हाल हुआ है इन त्याग की मूर्ति और स्वम्भू युवराज का भी वो ही हश्र होगा.
मित्रो पता नहीं इस दुनिया में सच बोलने वाले और सच सुनने वाले दोनों ही कम क्यूँ होगय. परन्तु सच के लिए दो आदमियो का होना जरुरी है एक सच बोलने वाला और दूसरा उस सच को सुनने वाला. दुर्भाग्य से कांग्रेस कभी सच बोलती तो न थी परन्तु सच सुनती भी नहीं कांग्रेस के मणि शंकर और मनीष तिवारी जैसे प्रवक्ता जिस अंदाज में अपने विरोधियो खासतौर से बीजेपी पर पलट वार कर रहे है वो सिवाए उनको व उनके जनपथ परिवार और उस से जुड़े गैंग को हंसी का पात्र ही बनाने के आलावा और कुछ नहीं.
और जब मैं बात क्रांति की करता हूँ तो उसको रोकना तो किसी के भी बूते के बसकी नहीं, और क्रांति हर बार कोई अनजान और आम आदमी ही करे यह जरुरी नहीं कभी कभी सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम भी कर सकते है. हर कोई इस जमात में लुंज पुंज नहीं है जब राणासांगा और शिवाजी वाला वीर खून रंग दिखता है, चाणक्य जैसी तीक्षण बुद्धि होती है तो समय आने पर उसकी चक्की जब चलती है तो फिर बहुत बारीक पीसती है.
हमारी आँखों ने देखा सच्चाई बताने और जीने वाले पत्रकार इन ८ साल के दौर में जमीं पर सोये आस्मां ओढ़कर, कोई प्लेटफ़ॉर्म नहीं मिला तो ब्लॉग लिख कर ही खाली पेट सच्ची पत्रकारिता की अलख जगाये रखी और आज जब एक एक परत मुख्याधारा के कतिथ पत्रकारों की उतर रही है जब लोगो को पता लग रहा है की मानसिंह, जयचंद और शिव राशियों के धन और वैभव पर जाने से क्या होता है बल्कि जंगल जंगल फिरते, भूखे पेट, अपने परिवारों को अभावो में छोड़कर देश की स्वतंत्रता के लिए वीर सावरकर को यदि सर आँखों पर नहीं बैठाया तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जायेगा. मेरा सलाम उन सभी पत्रकारों और ब्लोगरो को भी है जिसने ताकत और सत्ता के सामने सर नहीं झुकाया, पैसे के लिए नहीं बिके और अपनी कलम और कम्पूटर पर उंगलिया चलाते रहे और जनता को इस बिकी हुई कांग्रेस सरकार की करतूतों से अवगत कराते रहे.
परन्तु अभी तो शुरुवात है देश में भ्रष्टाचार के महल १० जनपथ को अभी भी सभी रिपोर्टो से दूर रखा जा रहा है. क्यूँ नहीं मीडिया उसकी बात की तह में जाती. असल में जब तक इस तिलस्म को नहीं तोडा जायेगा आपको भारत जैसे बड़े राष्ट्र के साथ होने वाले विभ्याचार की जानकारी नहीं मिल पायेगी. इस देशो को "बनाना रिपुब्लिक" कहेने वाले भी आज इसकी आंच तले आगये है परन्तु इसको "बनाना रिबब्लिक" बनाया किसने है. अंतराष्ट्रिये मुद्दों पर देश का प्रधान मंत्री क्यूँ कलाबजिया खाता है क्यूँ कांग्रेस का जिम्मेदार महासचिव रोज संगीन और संदेअस्पद बयां देकर देश की जनता को गुमराह कर रहा है.
आज कुछ शुरुवात होई है परन्तु मुझे इन्तजार है विकिलीक्स के भारतीय संस्करण का जो इस देश को सच बता कर गरीब, गुरबे, स्वाभिमानी भारतीय के सामने सच लाये. और लेले ने दो हिन्दुस्तान की जनता को फैसला. जो होगा देखा जायेगा परन्तु कमसे कम हिंदुस्तान की जनता किसी पिक्चर के महलनुमा कहानी से बहार आकर सच्चाई जाने और सच को जिए. अभी सच बहार आना है. क्यूंकि इनका सच अभी बाकी है.
- बात बात पर सुप्रीम कोर्ट की धौंस देने वाली सरकार की पीछे की मंशा और सम्बंधित न्यायमूर्ति के संबंधो का खुलासा बाकी है.
- नरसिंह राव सरकार में मोल (जासूस) होने वाले का पर्दाफाश बाकी है.
- नरेगा घोटाला , लवासा घोटाला , अनाज घोटाला, चीनी घोटाला, राजमार्ग घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, संसद घोटाला, आदर्श घोटाला, बैंक लोन घोटाला का सच बाकी है.
- प्रधानमंत्री का संसद चलते रहेते हुए विदेशी दौरों के गैर जिम्मेदार और आत्मविश्वाश के पीछे का सच.
- राहुल का अमरीका में एअरपोर्ट का सच, अमेठी का सच.
- तहलका का सलेक्टिवली रिपोर्टिंग का सच.
- चुने हुए पत्रकारों का सरकारी पदको के बाँटने का सच.
- २००५ में अचानक चुनाव औयुक्त श्री राव को बिहार चुनाव के एकदम बाद पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव से हटा लेने का सच.
- नेपाल को मओवादियो के हाथो में सौप देना का सच.
- नरेंद्र भाई मोदी ८ साल तक चरित्रहनन और गुजरात का विश्व भर में अपमान का सच.
- एक मामूली परन्तु तेजतर्रार पत्रकार श्री राजदीप सर दसई जी इतने सारे चैनलों के मालिक कैसे बनगए.
- सी बी आई के दुरुउपयोग पर.
- मायावती जी और मुलायम जी को कोंग्रेस द्वारा सी बी आई पर ब्लेकमेल करने पर.
- अचानक अमर सिंह की सी ड़ी के प्रसारण रोकने पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जब की इस बार उस अमर सिंह से कई लाख गुना और सम्मानिये उध्यौग्पति के सुप्रीम कोर्ट से अपील करने पर अभी भी कोई निर्णय नहीं है. यदि वह अमर सिंह की सी ड़ी उसी समय आ जाती पब्लिक में तो बहुत बड़े बड़े घोटाले होने से बच जाते तो उन सी ड़ी का प्रसारण कब होगा ?
- संसद में नोट कांड के सच पर.
- थोमस के सुचना आयुक्त बनाने के पीछे लोबिस्ट कौन है और उसके क्या उदेश्ये है.
- डॉ. स्वामी की सोनिया गाँधी की बहेनो द्वारा २ जी स्पेक्ट्रम में दलाली खाने पर, राजा और करूणानिधि पर इस घोटाले में दलाली खाने पर.
- सुदर्शन जी द्वारा लगे आरोप की सोनिया के जी बी की एजेंट है और अपनी सास और पति की हत्या करने पर.
- दिग्विजय द्वारा आजमगड के अतंकवादियो के प्रति प्रेम पर्दर्शित करने, घर जाकर मिलने और वाराणसी ब्लास्ट में आरोपी होने वाले आतंकवादी के घर जाने और उस से सम्बंधित होने पर. हम भूले नहीं की कैसे अपनी आजम गड यात्रा पर शहीद हुए मोहन शर्मा की भद्धि नक़ल करते और अपना संद्ये टीवी पर बोलते की शहीद इंस्पेक्टर कैसे उस आतंकवादी को सर के पीछे गोली मार साकते है. आज भी टीवी चैनलों के पास वो आजम गड यात्रा की उनकी सी ड़ी पड़ी होंगी.
- क्यूँ अफजल और कसाब को अभी तक फंसी नहीं लगी.
- आतंकवाद के कथित शिकार गाँधी परिवार को देश के सत्ता और उसी आतंकवाद के शिकार और देश के नेताओ को बचाते हुए संसद पर हुए आक्रमण के दौरान वीरगति पाए सैनिको के प्रति कांग्रेस और सरकार की कोई सहानुभूति नहीं है. इन्द्रा गाँधी के हत्यारों को फंसी और संसद आक्रमण में मरे पुलिस वालो के हत्यारे आनंद में क्यूँ का सच.
- रॉबर्ट वढेरा के सभी परिवार वालो की संधेअस्पद अवस्था में मृत्यु के पीछे का सच.
- तीस्ता सीतलवाड़ के गुजरात सरकार के खिलाफ झूटे आरोपों और उसके पीछे की पैसे का सच.
मित्रो इन सब सवालो का जवाब तो १० जनपथ के रहस्यमय वातावरण में ही छुपा हुआ है. क्या कोई देश का वीर इस तिल्सिम को तोड़ पायेगा.
८ साल से महंगाई और गरीबी देने वाली देशी की क्रूर सरकार अभी भी जे पी सी की जाँच करवाने से घमंड भरे बयान दे रही है जरुर दाल में गंभीर रूप से कुछ काला है.
देश ने भी देख लिया की एक परिवार देश की जनता से ब्लेकमेल कर के, एक व्यक्ति को ईमानदारी की मूर्ति बनाकर प्रधानमंत्री मनोनीत कर के उसके निचे वोही भ्रष्टाचार करना जो गाँधी के सिद्दांतो का आवरण ओढ कर ६० साल से देश और उसके लोगो से छल किया जा रहा है. कांग्रेस नहीं जानती की भरष्टाचार का मतलब क्या होता है. इस का मतलब सीधे सीधे गरीब के हाथो से रोटी छिनना होता है. जो आदमी हाड़ तोड़ महेनत कर के १०० रूपये एक दिन में कमाता है उसी भरष्टाचार की वजह से महंगाई बढ़ जाती है और सौ रूपये में भी वो खाली पेट ही रह जाता है. भरष्टाचार जहाँ ऐयाशी और विकृति बढाता है वहीं वो गरीब को और गरीब बनाता है. सरकार जिस बेशर्मी से भ्रष्टाचार को परवान चढ़ा रही है और सी बी आइ, आयकर विभाग की रेड का जो भ्रम जाल फैला रही है उस से उसकी फजीहत होनी और जनता की नजरो में दोषी होने से नहीं रोका जा सकता. सभी को सी बी आइ की हकीकत पता है की कैसे लल्लू यादव, मायावती जी और मुलायम को इस सरकार ने बचाया और इसी सी बी आइ और आयकर विभाग से. कौन नहीं जनता सोनिया जी के अतरंग मित्रो में स्वर्गीय वाई एस रेड्डी की आकूत धन सम्पदा का राज क्या है क्या वो सोनिया गाँधी राज में नहीं कमाया गया है. कौन नहीं जानता की लल्लू और मुलायम के समर्थन से सरकार चलने के लिए किस तरह देश की संवेधानिक संस्थाओ का दुरुप्युग किया. विपक्ष के जोरदार आपत्ति के बावजूद नविन चावला, और थोमस को बड़े पदों पर बैठाया. और जो गुंडी (है तो क्या करे) सरकार विपक्ष के नेता और विपक्ष की बात नहीं सुनती और उसपर टीवी और मीडिया में ढोंग करती है की संसद में सरकार बेहेस से नहीं भाग रही और इसी लिए जे पी सी की जाँच नहीं करवा रही. क्या कर लेगी बेहेस ही करके, जब बेहेस के नतीजो का पालन उसे करना ही नहीं तब चार पञ्च महीने सी बी आइ जांच का ढोंग क्यूँ. और इसी सी बी आइ ने लल्लू, मुल्लू , मायावती, क़ुओत्रच्चि को बाइजत बरी नहीं करा है. तो क्या नया राजा और उसके साथियो का उखाड़ लेगी. और आज कोंग्रेस बड़ी मासूमियत से २ जी स्पेक्ट्रम के लिए २००२ से जाँच बैठने का ढोंग करती है तो जब पीछे जाना ही है तो रक्षा मंत्री मेनन के जीप घोटाले से ही क्यूँ नहीं जाँच बैठा लेती. सभी मामलो में सरकार को भ्रष्टाचार को एक नजर से देखना होगा. और त्याग की मूर्ति की नैतिकता क्या येही है की उसको के जी बी का एजेंट कहा जा रहा है और उसके बेटे के ऊपर अमेठी के काण्ड का आरोप है और उसपर कोई ध्यान ही नहीं और बड़ी बेशर्मी से १० जनपथ को इन सब अपराधो का अड्डा बनाया हुआ है.
क्या त्याग की मूर्ति की नेतिकता यह ही है. मीडिया का मत पूछो कांग्रेस की भडवा मीडिया अब विपक्ष से पूछ रही है की संसद के एक सत्र न चलने पर उसपर हुए खर्चे का हिसाब कौन देगा. बेशर्म मीडिया यह क्यूँ नहीं पूछती की जो कांग्रेस राज में पत्रकारों को पदक रेवड़ी की तरह बांटे गए है उनपर जो सरकारी खर्च हुआ है या पदक देने के बाद जो सुविधा सरकार इन पदाक्धारियो को दे रही है उन पर इतना खर्च क्यूँ. और सरकार इस मीडिया का मुह बंद करने के लिए जो विज्ञापन देती है वो भी हमारे आम जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे होते है उन पर यह मीडिया वाले जो ऐयाशी करते है उनका हिसाब क्यूँ नहीं लेते. इतना आडम्बर और ढोंग क्यूँ. भाई बेशर्मी की हद है.
पब्लिक डोमेन में कही गई हर बात नेता के लिए और उसके द्वारा कही गई सभी बात महत्वपूर्ण होती है इसी प्रकार सोनिया गाँधी को हत्यारी, भ्रष्टाचारी, देशद्रोही, कहा गया है. उनका जवाब या तो सरकार दे या सोनिया गाँधी दे अन्यथा इस प्रकार इसको भारत की आत्मा से बलात्कार नहीं कहा जाये तो क्या कहा जाये. और यह तब हो रहा है जब १२० करोड़ लोगो की कौम जिन्दा है परन्तु नपुंसक है.........
मुझे इस बात की भी ख़ुशी है के वास्तव में बीजेपी ने मीडिया में अपने विचारो को रखने में बहुत धीरज रखा है और बहुत ही अच्छे तरीके से मीडिया का फोकस भ्रष्टाचार पर रखे है. श्री गडकरी जी आपको मेरी और से बहुत बहुत बधाई.
परन्तु यह सब क्षणिक है जरुरत क्रांति की है क्यूंकि बीजेपी भ्रष्टाचार का मुद्दा बना सकती है परन्तु समाज में इतने विकृत रूप से फ़ैल चूका है इसका समूल विनाश बहुत जरुरी है. मैं नतमस्तक हु परम आदरनिये वर्तमान सुप्रीम कोर्ट के मनानिये मुख्य न्यायधीश जी के आचरण से और उनके जैसे अन्य न्याय के देवताओ के समक्ष. मेरा रोम रोम उनका आभारी की भारत की जनता को जगाने की एक शुरुवात तो की..................................................................................................................................सम्पूर्ण क्रांति बाकि है ..... कुछ बात तो है जो ५००० वर्षो से यह कौम जिन्दा है ............. जलवा बाकी है. जोर देखना है बाजुए कातिल में कितना है ?
जय भारत जय भारती
मुख्य न्यायाधीश महोदय से ही आशायें हैं...
ReplyDeleteright said
ReplyDeletei am sure that u r not an indian.kahi aur ka citizen ship le chuke ho.
ReplyDeleteDear Sir ,
ReplyDeleteMe aap se kahena chahta hu ke jab bharat par british govt. ka shasan tha tab 5 , 10 log jage the aur unhone pure desh ko jagaya bad me puri duniya me british govt thi tab bhi bharat me apna shashan nahi bachha saki.
1857 me sab log british govt. ke against the
lekin jab mangal pandeji ( sahid veer , long live you ) ne saruvat ki tab uske baad kya hua
kaheni ki jarurat nahi hai ,
Aab bhi aisa hai sab log samjate hai lekin kaun chalu karta hai uska intzaar hai aekbar chalu ho gaya bad me rokna muskil hi nahi namunkin hai ,
Aur phir se aap ko salute karta hua,
vande matram
आदरणीय आपने इस लेख के माध्यम से एक ही परिवार की अंध भक्त होने का तिलिस्म खोला हे... और जाग्रति एक से शुरू होती हे और सब में फैलती यही वो ज्वाला हे जिसकी आज जरुरत हे... और लगता हे इस आग की लपटें मेरे अंतर्मन को प्रज्वलित कर चुकी है... आपका सुझाव और सहयोग आमंत्रित हे...आपसे जुडकर रहना मेरा सोभाग्य होगा... आपका
ReplyDeleteप्रदीप आर्य
aryap.aryap@gmail.com