Friday, July 15, 2011

हिंदुस्तान की रीड में अफीम का इंजेक्शन देती कांग्रेस !!!!!!!

वो दिन आखिर आ ही गया जब अपनी रक्षा करने को भी आतंकवाद बताया जाने लगा. वो दिन भी आ गया जब कोई भी बड़ी आतंकवाद की घटना अपनी "खबर की ताजगी" (मिडियाआई शब्द) सिर्फ तीन या चार घंटे (प्राइम टाइम) में रखती है. उसके बाद सरकार का या मीडिया का उसकी न कोई प्रतिकिया और न ही कोई फोलोअप होता है. केंद्र की कांग्रेस सरकार ने वाकई हर क्षेत्र में न केवल काहिलता का परिचय दिया बल्कि अपनी नपुंसकता का साक्षात दर्शन करवाया है. पिछले दो दिन में नेताओ के जो भी बयान आये उन सब का जवाब दिया जा सकता है परन्तु  प्रशन यह है की "देश का आम हिन्दू नागरिक" क्या कुछ कर सकता है? आम हिन्दू नागरिक इसलिए कहा है की सरासर नुक्सान "हिन्दुओ का ही है. मेरी बात को कृपया करके साम्प्रदायिक दृष्टि से न देख परन्तु कभी कभी आँखों पर से भ्रम का जाल हटा कर भी सच्चाई का दर्शन कर लेना चाहिए. आज ८ साल से मुसलमानों को देश की सरकार ने अपना "दामाद" बना कर सुसराल की तरह सेवा की है परन्तु रिजल्ट क्या है? बात हिन्दू मुस्लिम की करके बिना मतलब का फितूर खड़ा करना मेरा मकसद नहीं है परन्तु देखना यह है की सरकार का इसे सुलझाने का रवैया है भी है या नहीं. क्यूंकि सरकार ने कश्मीर से लेकर गुजरात तक हर तरफ से "हीलिंग टच" देने की हर मुमकिन कौशिश की है परन्तु वाकई क्या इसका इलाज हुआ है. दूसरी तरफ अमेरिका है उसने अपने देश को बचाने के लिए इनकी छाती पर बैठ कर इनकी कई पीढियों के खून को पानी बना दिया. और रिजल्ट सबके सामने है. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद कोई हमला हुआ ही नहीं. और एक दूसरी और हमारे "श्री मान राहुल गाँधी जी" है जो अभी हमें १% का तर्क देकर इन हमलो को झेलने के लिए प्रेरित कर रहे है. अब जरा सिलसिलेवार चीजो को देखे तो पाएंगे की मीडिया में "इस्लामिक आतंकवाद" की भारत में शुरुवात १९९२ में "बब्बरी ढांचा" गिरने के बाद मानी जाती है. और श्री अडवानी जी की रथ यात्रा को दोषी ठेराहाया जाता है. अब इसका सीधा सीधा मतलब है की मीडिया स्वयं "मुसलमानों" को परोक्ष रूप से प्रेरित करती है की पहल आपने नहीं बल्कि हिन्दुओ ने की है. क्या मीडिया को मालूम नहीं की "इस आतंकवाद" की शुरुवात कहाँ से हुई है. काश मीडिया और देश के सेकुलर नेता देश के मुसलमानों को यह कहते की १९४७ में हिन्दुओ ने अपने बड़प्पन से आपको दो देश देदिए अब आप उनके बड़प्पन का सम्मान करते हुए उसके बदले में यदि कुछ नहीं दे सकते कम से कम शांति से देश के बहुसंख्यको के साथ रह तो सकते है. परन्तु दुर्भाग्य यह है को वो नहीं हो पाया. आज जब मुम्बई की १३ जुलाई २०११ को हुए बम धमाको में तीनो संदिग्त मुसलमान मिलते है और उनमे से एक डाक्टर मिलता है (खबर यहाँ देखे) तो क्या आपको लगता है की "इस्लामिक आतंकवाद" के पीछे गरीबी ही मुख्य कारण है. यह मानना अपने को मुर्ख बनाना होगा. क्यूंकि अमेरिका में भी, लन्दन में भी और हिंदुस्तान में भी पढ़े लिखे मुसलमान इस आतंकवाद के सरगना रहे है. जो लोग हिन्दू का और उनके मंदिरों के पैसे से इन कथित अलाप्संख्यको का विकास करने की वकालत करते है या वो लोग जो इनको आरक्षण दे कर ऊपर पहुचना चाहते है क्या वो १०० करोड़ हिन्दुओ का पैसा अभी भी लुटा कर १% आतंकवाद भारत में करने की छुट देना चाहते है. फिर तो ऐसी छुट आपको नक्सलियो को भी देनी होगी, एक डॉ. जो हॉस्पिटल में ओप्रशन करते हुए गलती करता है तो उसे भी १% की छुट दी जा सकती है लोगो की जान लेने की, ट्रेन अक्सिडेंट में १% की छुट का मतलब भी आप समझ सकते है. अन्तरिक्ष में भारतीयों के पैसे पर भेजे जाने वाले रोकेट की केलकुलेशन पर १% का मतलब. देश के "बड़े" नेताओ की हत्या पर भी १% की ही चुक हुई थी. तो क्या अब १% की छुट को मानक बनाया जा रहा है. हजूर १२० करोड़ के एक परसेंट को यदि आतंक का ग्रास बनाना ही तो जान ले की १.२० करोड़ लोगो की जान की कीमत लगा रहे है आप. खैर यह विचार तो उसके है जो देश का "भावी प्रधानमंत्री" बनना चाह रहा है.
दूसरा आते है उन लोगो पर जो हिन्दुस्तान को पकिस्तान बनाने के चाह पाले हुए है. क्या उन नेताओ को जो लोग हिंदुस्तान को पकिस्तान के समक्ष खड़ा करते है को शर्म नहीं आती ऐसा करने पर. क्या उनको मालूम है पाकिस्तान की कारोबारी राजधानी करांची में पिछले महीने ही १४०० लोग मारे गए है. तो क्या हम हिन्दुस्तानियो को अपनी मुबई में इतने लोगो को मरने का इन्तजार करना है. पाकिस्तान पिछले ६० साल से मुस्लिम कट्टरवादियो का गढ़ बना हुआ है. तो क्या हिन्दुस्तान भी बना हुआ है. पाकिस्तानियो के ६० साल से सत्ता के प्रतिष्ठानों से तालिबानों को ताकत मिली है जब जाकर वो इतने काबिल हुए है की पकिस्तान में इस हद तक आतंकवाद फैला सके. तो क्या गुपचुप तरीके से हिंदुस्तान में भी तालिबान इतने काबिल होगये जो वो ६० साल के आतंक के खुदा पाकिस्तान की बराबरी कर सके. सरकार ने कभी देश को बताया ही नहीं की हम भी इतने बड़े बड़े खतरे से जूझ रहे है. अब कुछ नेताओ ने हमें यह बताया की (याद रखे यह सब कांग्रेसी है जो पिछले ६० बरस से मुसलमानों को "हीलिंग टच" दे रहे है) की हमारे पड़ोस में कुछ ऐसे देश (मतलब पाकिस्तान) है जिसकी वजह से हिंदुस्तान में आतंकवाद तो होना ही है. अरे थू है कांग्रेसी नेताओ ऐसे कहने पर अरे पाकिस्तान के साथ सीमा तो चीन की भी है तो क्या वहां यह सब हो रहा है ? ग़ालिब बहेलाने के लिए ख्याल अच्छा है. कांग्रेसी नेताओ ने २००९ के लोकसभा चुनाव से पहेले ऐसे ऐसे वादे किये थे की देश के भ्रष्टतम सरकारे भी दहल जाये, कुछेक है देश को आतंकवाद से मुक्त कर देंगे, १०० दिन में काला धन देश में वापस लायेंगे, मुंबई को शंघाई बना देंगे, बेरोजगारी ख़त्म करदेंगे, महंगाई का नामनिशा मिटा देंगे. पर आज अब हमें इरान और ईराक के दहशत वाले माहोल में रहेने की धमकी दे रहे है. इन नेताओ के कानो में एक बात हम कहेना चाहते है की इन देशो  की दुर्गाति इन्ही देशो के बहुसंख्यको के द्वारा बनाई गई है और वहा पर यह ही ९८-९९% रहेते है. हमारे देश में ८५% हिन्दू है और वो आतंकवाद में शामिल नहीं तो किस बिना पर यह नेता हमें इस्लामिक आतंकवाद की धमकी दे रहे है. हम हिन्दू हिन्दुस्तान की तुलना अमेरिका, इंग्लेंड,चीन, रूस से करे तो समझ आती है और उनके ही तरह इस्लामिक आतंकवाद को ख़त्म करने के संकल्प करे तो समझ में बात आती भी है परन्तु हम अपने देश की तुलना इराक, इरान और पाकिस्तान से करे तो क्यूँ करे यह समझ के बहार है. यह तो सरासर इन कांग्रेसियो की हम हिन्दुस्तानियो को धमकी है की मारेंगे भी और रोने भी नहीं देंगे. यार यह तो गलत है. हिन्दू जब कहता है की देश में मुस्लिम तुष्टिकरण मत करो देश में आतंकवाद फैलेगा, इन इस्लामिक आतंकियो को रोको तब आप सेकुलरिस्ट कहेते हो देश के २० करोड़ मुस्लिमो को आप गलत द्रष्टि से मत देखो, उन पर नाहक शक मत करो. और आज आप किस जुबान से फिर इस शांतिप्रिये देश को इरान और ईराक बनाने की धमकी देते हो. 
तीसरा मुझे उन लोगो से पूछना है जो लोग हिंदुस्तान को हर दम पाकिस्तान के समकक्ष रखने की कौशिश करते है. पकिस्तान के ही रंग में हिंदुस्तान को रंगने की चेष्टा करते है.उन्ही लोगो ने "हिन्दू आतंकवाद" या "भगवा आतंकवाद" शब्द गढा था.और अब कुछ शक्तिया इसी को स्थापित करने में सारी ताकत लगाती प्रतीत होती है. अरे मूर्खो जहाँ जहाँ भी इस्लामिक आतंकवाद बढ़ रहा है यदि वो देश मुस्लिमो का है तो जो पाप उन्होंने किये है उनको वो भर रहे है है और जहाँ पर मुस्लिम देश या सरकारे नहीं जैसे की इसाई है उन्होंने अब तक इसको खदेड़ने के उपाए भी कर लिए अब वो अमेरिका हो या इंग्लेंड या फ़्रांस परन्तु हिंदुस्तान का क्या कसूर है फिर क्यूँ इसको पाकिस्तान या इराक या इरान बनाने दिया जाये. यह मेरा प्रशन है इन सेकुलर और कोंग्रेसी गुंडों से.

चौथा अब आते है देश के ग्रहमंत्री और प्रधानमंत्री के पास. श्री चिताम्बरम जी या प्रधानमंत्री जी ने क्या कभी "इस्लामिक अतंकवादियो" का जिक्र किया है तो क्या वो बताएँगे देश को की जब आप देश में "हिन्दू या भगवा आतंकवाद " का हव्वा खड़ा कर रहे थे तो यह फिर घटना किसने कर दी. अब इस नपुंसक सरकार को थूक कर ही चाटना है तो उसकी मर्जी. मुर्ख मंत्री पाकिस्तान को दोष दे नहीं सकते फिर उनको डॉ. मनमोहन सिंह को दण्डित करना पड़ेगा उनके बिना मतलब के पाकिस्तान प्रेम के लिए, मुसलमानों को मुंबई की इस घटना को दोषी इसलिए नहीं ठहरा सकते की उप्र में चुनाव है. इसलिए बड़ी ही अच्छी तरकीब निकाली है की सीधा बोल दो यह घटनाये तो होती ही रहेंगी, हम रोक ही नहीं सकते और ज्यादा चू चपड करोगे तो इरान, इराक या बेरुत बना देंगे. यार देश के साथ क्या मजाक हो रहा है. वाकई यार अंधी पीस रही है और कुत्ता चाट रहा है. यार ग्रहमंत्री यह बयान क्या दे रहे है? देश के सभी शहरो पर आतंक का खतरा है, देश की ख़ुफ़िया एजेंसी की गलती नहीं है. क्या फालतू के बयान दे रहे है. तुम कांग्रेसियो ने पहेले महंगाई से मारा, फिर आतंक से मार रहे हो फिर उनको आगे मरने देने की चेतावनी भी दे रहे हो. अरे भैया तो मैं तो ऐसी सरकार को मानता ही नहीं. जो कहती है जो हुआ उसे भूल जाओ, जो हो रहा है उसमे सरकार की गलती नहीं और जो होगा उसको स्वीकार करो क्यूंकि पडोसी देश में भी ऐसा हो रहा है. तो तुम फिर अपनी लुंगी को भी धुप में सुखा कर घर बैठो. क्यूँ फिर अमूल चोकलेट के तरह मुह बना बना कर अंग्रेजी बोलकर लोगो का मनोरंजन करते हो. यह तुम लोगो की इन्टरनल पोलटिक्स नहीं तो क्या है की आर. आर . पाटिल जो महाराष्ट्र का ग्रहमंत्री है उसका कुछ पता ही नहीं है और देश कर प्रधानमंत्री मुंबई हो भी आया.
अब समय आगया की कांग्रेस यह बताय देश को की बीजेपी के पोटा ने आतंकवाद बढाया, गुजरात ने बढाया या रथ यात्रा ने बढाया. इस झूट की मलाई कब तक खाते रहोगे. आज ८ साल से देश में सबसे बड़ी सेकुलर सरकार है देश में और प्रदेश दोनों में, यह उस पार्टी की सरकार है जिसके प्रधानमंत्री ने पद सँभालते ही भारत देश पर मुसलमानों का प्रथम हक़ बताया था. यह उस सरकार की सत्ता है जिसके प्रधानमंत्री को एक मुस्लिम व्यक्ति के ऑस्ट्रेलिया में पकडे जाने पर रात को नींद नहीं आई थी. यह उस सरकार का शासन है जो देश में एक दुसरे विभाजन का बीज "मुस्लिम आरक्षण" दे रही है. जब इतने रहनुमा इस सरकार में है अलग से मुसलमानों को फंड भी बाँट कर दे दिया, इज्जत भी दे दी, सत्ता भी दे दी. तो भी यह इस्लामिक आतंकवाद भारत देश में क्यूँ लोगो को मार रहा है.
और जो लोग १% की चूक का तर्क दे रहे है उनको मैं बताना चाहूँगा की ८ साल के शासन में सुरक्षा बलों के मनोबल का क्या हुआ, कारगिल शहीदों का इस सरकार ने अपमान किया, पार्लियमेंट हमले के शहीदों को इसने ठोकरे मारी है, बटाला काण्ड के शहीद मोहन शर्मा का  इस कांग्रेस पार्टी के महासचिव ने कितना मखौल उड़ाया है. आपने सर को आगे कर कर के लोगो को बताया है की "बेचारे" मुस्लिम लड़के को गोली सर में आगे से नहीं पीछे से मारी गई है. जबकि उसी की सरकार उसके परिवार को "शहीद" का दर्जा देकर अपनी झेप मिटा रही है. दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं होता जहाँ पर बहुसंख्यक का मजाक उड़ाया जाये. देश के धर्माचार्यो के कपडे उतार दिए जाते है. जेल में डाला जाता है, हिन्दुओ के आराध्य देवो के साथ मजाक होती है, उनके राम सेतु बनाने को हास्यप्रद बताया जाता है. सुरक्षा बलों को असहाए बनाया जाता हो. बड़े बड़े इस्लामिक आतंकवादी सुप्रीम कोर्ट से एक नहीं दो दो बार निर्देश दिए जाने पर भी "कसाब" जैसे दुर्दांत आतंकवादी की सेवा की जाती है. 

तो मित्रो सरकार करना क्या चाहती है. असल में सरकार भारत को ही तोड़ कर अपने ६० साल के पाप धोना चाहती है. सरकार "सम्प्रदायकता" पर एक बिल लाना चाहती है. और चाहती है की देश के सम्पूर्ण हिन्दू समाज की एक ही साथ "नसबंदी" कर दी जाये. आज इस्लामिक आतंकवाद के सर उठाते दौर में क्या आप ऐसा बिल ला सकते है जिस में हर बात का दोष बहुसंख्यक पर ही लगाया जाये. आज हिन्दू अपनी जान की रक्षा का प्रदर्शन भी सरकार के समुख नहीं कर सकता तो बिल लाने के बाद क्या होगा. 
पंजाब का आतंकवाद इसलिए ख़त्म होगया था की उसको सिख समाज ने ख़त्म किया था. क्यूंकि सिख समाज ने भारत देश को अपने अन्दर आत्मसात किया है और किया था. जो नौजवान भटक गए थे वो वापस मुख्यधारा में लौट आये थे. परन्तु इस इस्लामिक आतंकवाद का क्या करे ८०० साल होगये हर चीज देकर देख ली सिवाए "धक्के" के तो क्या हिन्दू और भारत देश शांति से बैठ पाया.भारत देश का ६०० साल राजपाट देकर देख लिया बाबर से लेकर औरंगजेब देख लिया, देश लुटवा कर देख लिया तैमुर लंग, गजनवी, गौरी सब देख लिया, मंदिर लुटवा लिए, दो देश और एक प्रदेश भी दे दिया, ३० हजार मंदिरों पर से हिन्दुओ ने अपना हक़ भी छोड़ दिया, तीन हिन्दुओ के मुख्य धार्मिक स्थल का कोम्प्रोमाईस भी कर लिया, देश पर प्रथम अधिकार भी देकर देख लिया. परन्तु यक्ष प्रशन अभी भी बना हुआ है "क्या भारत देश में शांति आएगी"? तो सरकार हिन्दुओ को यह बताये की यह करने से देश में शांति आ पायेगी हिन्दू वो भी करके देख लेगा. परन्तु सच्चाई तो बताई जाये की यह बम फट क्यूँ रहे है. और इनका निदान क्या है. कोई तो कारण होगा. और मुझे लगता है कारण पूछना कोई गुनाह तो नहीं है. हम मान लेते है कुछ समय के लिए की १% बम विस्फोट नहीं रुक सकते ठीक है परन्तु इन बम विस्फोट का कारण तो देश की जनता को बताया जाये. नक्सली हिंसा और उसके कारण सब को पता है, पंजाब के आतंकवाद का कारण सब को पता था.  उतर पूर्व में हिंसा का कारण सबको पता है, परन्तु इस देश में क्या सरकार हमें कारण बताएगी इन बम विस्फोट का भले ही वो मुजरिम को सजा दे या न दे, घायलों और मृतकों को मुआवजा दे या न दे. परन्तु देश के १२० करोड़ लोगो को उनकी गलती तो सरकार बतएगी ही.  या भारत देश की रीड में अफीम का इंजेक्शन ही देती रहेगी. 

आज दुनिया की महाशक्ति अमेरिका हमें शांति बनाये रखने और सयम बरतने के लिए प्रशंसा के पुल बाँध रही है और खुद पकिस्तान में घुसकर अपने दुश्मन ओसामा को मार गिराकर उसके शव को समुन्द्र में फैक देती है. मित्रो देखना तो यह है की सारी जिन्दागी महात्मा गाँधी को तुमसे चिपका दिया और कायरता के कीटाणु से शारीर और आत्मा दोनों भर दी अब ढोल पीटे जायेंगे तुम्हारी कायरता को सयम बता बता कर. मैंने पहेले ही कहा है मारेंगे भी और तुम्ह रोने भी नहीं देंगे .    

कब तक सरकार झूट बोल बोल कर देश की निरीह जनता को काल का ग्रास बनाती रहेगी. संसार के इस भूभाग "जम्बू द्वीप" पर कब तक मासूम जनता अपना खून बहाती रहेगी.  क्या जनता को सच जानने का भी अधिकार नहीं स्वतंत्र भारत की लोकतंत्री व्यवस्था में.

कब तक हम झूट को जीयेंगे. हर चीज का अंत होता है परन्तु इस झूट का तो कोई अंत मुझे नजर नहीं आता.  

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