देखते है श्री राहुल गाँधी कब / कैसे हिन्दू नरसंहार की नई दास्ताँ लिखने वाला कश्मीर के किश्तवाड़ का दौरा करते है। आखिर उन्हीं ने बयान दिया था की वो एक कश्मीरी ब्राह्मण है। तो बेचारे ब्रह्मिनो की हालात का जायजा तो जा कर ले लिया जाये।
पता नहीं क्यूँ श्री मनमोहन सिंह को अब रात का नींद आती है हलाकि एक मुस्लिम के ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ पुलिस द्वारा पकडे जाने पर माननीय प्रधानमंत्री को रात भर नींद नहीं आई थी।
पता नहीं कब श्री सलमान खुर्शीद साहिब श्री मति सोनिया गाँधी से मीलेंगे और हमें बताएँगे की बाटला हाउस की मुठभेड़ की बात पर सोनिया गाँधी जी के आंसू थामे नहीं थामे थे की आज फिर वो किश्तवाड़ की हिन्दुओ को जिन्दा जलाने पर भी रोई।
वैसे लोग बिहार की बेटी इशरत के पिताजी को भी तलाश रहे है की शहीदों की सलामी में सलूट देते बिहार पुलिस की बन्दुक आखिर चली क्यूँ नहीं। क्या पकिस्तान परस्ती से फारिग हो कर किश्तवाड़ को भी देखेंगे। क्या धर्मनिरपेक्षता की पजामे का नाडा खुल गया जो शब्द नहीं रहे जिहा पर।
खैर बिके हुए टीवी वालो का तो जिक्र ही बेकार है पहेले प्रिंट मीडिया के इसी दोगले पन के चलते अखबार बंद हुए थे और टीवी आये थे अब टीवी मीडिया के दोगलेपन के चलते टीवी बंद होकर सोशल मीडिया आ गया।
नौटंकी वाले सिनिमाई कलाकार से उमीद करना ही मुर्खता की परकाष्ठा है उनको तो पाकिस्तानी मुस्लिमो के बुर्को से बहार सोचने का माद्दा ही नहीं और जिन में है वो अभी हलक्वा कर रहे है।
अरे यार वो मार्कन्ड काटजू साहिब , अमर्त्य सेन, केजरीवाल, श्री अन्ना हजारे जी से भी पूछ लेना की किस प्रसन्ता से चुप्पी लगाईं हुई है .
कश्मीर में यह तो होना ही था "स्टेट स्पोंसर टेरिरिसम" क्यूंकि श्री ओमर अब्दुल्ला को कश्मीरी कलाकार को क्रिकेट में खिलाने की राजनीति और ट्विट से फुर्सत हो तो पता चले की बुर्के में उन्ही का ग्रह मंत्री हिन्दुओ को मारने किस साजिश रच रहा है।
सोशल मीडिया को धन्यवाद देना चाहिए पता नहीं यूपी के दंगे कब सोशल मीडिया के फलक पर आयेंगे और दुनिया जहाँ को पता चलेगा की हिन्दू न सरहद पर सुरक्षित , न कश्मीर में और न ही भारत के हृदय स्थल उत्तर प्रदेश में।
अब कांग्रेस की केंद्र सरकार ने एक बड़ी ही सुविचारित सी चाल चली है की कश्मीर में जो मरे है वो हिन्दू नहीं "भारतीय " थे। वहा श्री चिताम्बरम जी वहा तो फिर गुजरात में जो मरे थे वो क्या तुम्हारे बाप थे उनको हाथ जोड़े अंसारी का फोटो दिखा कर मुसलमान मानते हो।
जो हो सो हो पर कल की मोदी की हैदराबाद रैली का किसी पर असर पड़ा है तो वो श्री चिताम्बरम जी है "इंडिया फर्स्ट' सो हिन्दू नहीं मरा "भारतीय" मरा है। और जो चार दिन से मीडिया में सरकार प्रवचन कर रही थी की 'दो गुटों " में झगडा है तो क्या सरकार बताएगी की दो गुट किश्तवाड़ में भारतीय और पाकिस्तानी लड़ रहे थे या हिन्दू और मुसलमान। बेचारे निरह हिन्दुओ को जिन्दा जला दिया गया और आप अंतराष्ट्रीय बाते हिन्दुओ और पाकिस्तानियो की करते है .
सरकार नपुंसक नहीं बल्कि बर्बाद है असली पाकिस्तानी सेना को तो आतंकवादी कहेती है जब सीमा पर भारतीय मरते है और जब हिंसक जल्लाद मुस्लिम भीड़ बेचारे निरही हिन्दुओ को जिन्दा जलाती है तो भारतीय बताती है। मतलब देश के लोगो को बिलकुल झंडू समझा है। जहाँ आतंकवादी नहीं पाकिस्तानी सेना बोलना है उसको उल्टा बोलती है, जहाँ मुस्लिम जल्लाद बोलना है वहां पाकिस्तानी होने का आभास देते शब्द बोले जाते है।
क्या अरुण जेटली जी सरकार की इस बदनीयती को उजागर करेंगे जैसे ए . के एंटनी जी की बदनीयती को पकड़ा गया था।
यदि हिन्दू नहीं भारतीय ही मरे है तो फिर बेचारे नरेन्द्र मोदी के पीछे १ ० साल से सरकार क्यूँ पड़ी है?
वहाँ मेरे नाना पाटेकर "हिन्दू का खून और मुस्लिमो के खून" में तो कुछ अंतर नहीं, पूरी दुनिया में हिन्दू ही मिले "बलि " पर चढाने को चिताम्बरम जी !!!! कहीं तो रुको या सब को खाला का घर समझा है ?????
पता नहीं क्यूँ श्री मनमोहन सिंह को अब रात का नींद आती है हलाकि एक मुस्लिम के ऑस्ट्रेलिया में सिर्फ पुलिस द्वारा पकडे जाने पर माननीय प्रधानमंत्री को रात भर नींद नहीं आई थी।
पता नहीं कब श्री सलमान खुर्शीद साहिब श्री मति सोनिया गाँधी से मीलेंगे और हमें बताएँगे की बाटला हाउस की मुठभेड़ की बात पर सोनिया गाँधी जी के आंसू थामे नहीं थामे थे की आज फिर वो किश्तवाड़ की हिन्दुओ को जिन्दा जलाने पर भी रोई।
वैसे लोग बिहार की बेटी इशरत के पिताजी को भी तलाश रहे है की शहीदों की सलामी में सलूट देते बिहार पुलिस की बन्दुक आखिर चली क्यूँ नहीं। क्या पकिस्तान परस्ती से फारिग हो कर किश्तवाड़ को भी देखेंगे। क्या धर्मनिरपेक्षता की पजामे का नाडा खुल गया जो शब्द नहीं रहे जिहा पर।
खैर बिके हुए टीवी वालो का तो जिक्र ही बेकार है पहेले प्रिंट मीडिया के इसी दोगले पन के चलते अखबार बंद हुए थे और टीवी आये थे अब टीवी मीडिया के दोगलेपन के चलते टीवी बंद होकर सोशल मीडिया आ गया।
नौटंकी वाले सिनिमाई कलाकार से उमीद करना ही मुर्खता की परकाष्ठा है उनको तो पाकिस्तानी मुस्लिमो के बुर्को से बहार सोचने का माद्दा ही नहीं और जिन में है वो अभी हलक्वा कर रहे है।
अरे यार वो मार्कन्ड काटजू साहिब , अमर्त्य सेन, केजरीवाल, श्री अन्ना हजारे जी से भी पूछ लेना की किस प्रसन्ता से चुप्पी लगाईं हुई है .
कश्मीर में यह तो होना ही था "स्टेट स्पोंसर टेरिरिसम" क्यूंकि श्री ओमर अब्दुल्ला को कश्मीरी कलाकार को क्रिकेट में खिलाने की राजनीति और ट्विट से फुर्सत हो तो पता चले की बुर्के में उन्ही का ग्रह मंत्री हिन्दुओ को मारने किस साजिश रच रहा है।
सोशल मीडिया को धन्यवाद देना चाहिए पता नहीं यूपी के दंगे कब सोशल मीडिया के फलक पर आयेंगे और दुनिया जहाँ को पता चलेगा की हिन्दू न सरहद पर सुरक्षित , न कश्मीर में और न ही भारत के हृदय स्थल उत्तर प्रदेश में।
अब कांग्रेस की केंद्र सरकार ने एक बड़ी ही सुविचारित सी चाल चली है की कश्मीर में जो मरे है वो हिन्दू नहीं "भारतीय " थे। वहा श्री चिताम्बरम जी वहा तो फिर गुजरात में जो मरे थे वो क्या तुम्हारे बाप थे उनको हाथ जोड़े अंसारी का फोटो दिखा कर मुसलमान मानते हो।
जो हो सो हो पर कल की मोदी की हैदराबाद रैली का किसी पर असर पड़ा है तो वो श्री चिताम्बरम जी है "इंडिया फर्स्ट' सो हिन्दू नहीं मरा "भारतीय" मरा है। और जो चार दिन से मीडिया में सरकार प्रवचन कर रही थी की 'दो गुटों " में झगडा है तो क्या सरकार बताएगी की दो गुट किश्तवाड़ में भारतीय और पाकिस्तानी लड़ रहे थे या हिन्दू और मुसलमान। बेचारे निरह हिन्दुओ को जिन्दा जला दिया गया और आप अंतराष्ट्रीय बाते हिन्दुओ और पाकिस्तानियो की करते है .
सरकार नपुंसक नहीं बल्कि बर्बाद है असली पाकिस्तानी सेना को तो आतंकवादी कहेती है जब सीमा पर भारतीय मरते है और जब हिंसक जल्लाद मुस्लिम भीड़ बेचारे निरही हिन्दुओ को जिन्दा जलाती है तो भारतीय बताती है। मतलब देश के लोगो को बिलकुल झंडू समझा है। जहाँ आतंकवादी नहीं पाकिस्तानी सेना बोलना है उसको उल्टा बोलती है, जहाँ मुस्लिम जल्लाद बोलना है वहां पाकिस्तानी होने का आभास देते शब्द बोले जाते है।
क्या अरुण जेटली जी सरकार की इस बदनीयती को उजागर करेंगे जैसे ए . के एंटनी जी की बदनीयती को पकड़ा गया था।
यदि हिन्दू नहीं भारतीय ही मरे है तो फिर बेचारे नरेन्द्र मोदी के पीछे १ ० साल से सरकार क्यूँ पड़ी है?
वहाँ मेरे नाना पाटेकर "हिन्दू का खून और मुस्लिमो के खून" में तो कुछ अंतर नहीं, पूरी दुनिया में हिन्दू ही मिले "बलि " पर चढाने को चिताम्बरम जी !!!! कहीं तो रुको या सब को खाला का घर समझा है ?????
ये छद्म सेक्युलरवादी है जो केवल नौटंकी करना जानते हैं !
ReplyDeleteसब चोर हैं साले.. सब अपनी रोटी सेंक रहे हैं..
ReplyDelete@ कैसे हिन्दू नरसंहार की नई दास्ताँ लिखने वाला कश्मीर के किश्तवाड़ का दौरा करते है।
ReplyDeletetin logo ki mout ko नरसंहार kaha rahe hai usame bhi tino ek samuday ke nahi hai apni baat kariye afawah mat udaiye baat ko badha chadha kar mat kahiye or apani hindi ko thik kar lijiye taki pata rahe ki kab dangaa likhana hai or kab नरसंहार |
anonymous ji
ReplyDeleteवैसे इतना उत्तजित होने की जरुरत नहीं, जब मरे ही तीन है तो मीडिया को जाने से क्यूँ रोक हुआ है। क्यूँ विपक्ष को नहीं जाने देते सच्चाई जानने के लिए। दाल में काला तो कुछ है अन्यथा इतने सारे जिलो में कर्फ्यू लगाने की जरुरत क्या पड़ी। वैसे तीन "भारतीय " मरे संख्या कम तो कतई नहीं है? यदि थोड़ी देर के लिए आप की ही संख्या मान ले तो, तो किसी को जिन्दा जला दिन किसी नरसंहार से कम तो नहीं है? जो मरे है उनके परिवार से भी पूछ लो जरा की मरने का दुःख क्या होता है।