Monday, October 28, 2013

मोदी, कोंग्रेस, हिंसा, अमेरिका और २ ० १ ४ के लोकसभा के चुनाव !!!!!!!!!!!!


मोदी कि पटना रैली बम विस्फोटो, भाषण का साहस और भाजपा के प्रबंधन कि वजह से अब इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखेगी, इस रैली के प्रभाव और कुप्रभाव लम्बे समय तक भारतीये राजनीती को प्रभावित करते रहेंगे। २७ अक्टूबर २०१३ कि पटना रैली से कई प्रकार के अमृत और विष निकले। यह रैली कुछ-कुछ समुन्द्र मंथन कि तरह थी जिसमे नाना प्रकार के तत्व निकले। अपना विश्लेषण कुछ एक बिन्दुओ पर सिलसिलेवार निम्न प्रकार से है ~~~ 

  1. भाजपा का सामूहिक नेतृत्व क्षमता 
  2. नरेंदर भाई मोदी का व्यक्तित्व 
  3. मौजूदा भारतीये राजनीती का चरित्र 
  4. भारत कि राजनीति में हिंसा का पुट 


भाजपा का सामूहिक नेतृत्व क्षमता - भाजपा वैसे तो पिछले कुछ वर्षो से सामूहिक नेतृत्व का बखान भर करती रही है परन्तु अब इसका प्रदर्शन करने में कामयाब हुई है. हाँ सामूहिक नेत्रित्व कि बड़ी बड़ी बाते जरुर होती थी पर वास्तविकता कुछ और ही थी, नई पीढ़ी के सत्ता हस्तांतरण के बाद इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिए कि अब भाजपा में बेहतर संवाद है, आंतरिक लोकतंत्र है और पारम्परिक अनुभव और ज्ञान का सुन्दर समावेश है और इसकी आभा सावर्जनिक रूप से परिलिक्षित भी हुई.  जैसा के मैंने ऊपर लिखा है कि पटना रैली एक मील का पत्थर साबित होने वाली घटना है। जिस समय बम धमाका हुआ उस समय भाजपा का नेतृत्व पटना में पहुंचा ही था और जिस प्रकार भाजपा के राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नेतृत्व ने सामूहिकता, साहस , स्पष्ट नेतृत्व और सूझबूझता से घटना का सामना किया वो अभूतपूर्व था। यह कोई एक बम विस्फोट नहीं था यह एक सिलसिलेवार बम विस्फोट थे, नेतृत्व तारीफ के काबिल इसलिए भी है कि उसने न केवल केंद्रीय और बिहार सरकार के असहयोगात्मक रविये का सामना किया बल्कि एक प्रकार कि विपरीत परस्थितियों में सफल नियोजन किया। सफलता का विशेष रूप से जिक्र इसलिए करना है कि भाजपा ने न केवल उस रैली को सफल बनाया , बल्कि इस घटना को राजनितिक रूप से भी सही परिपेक्ष में जनता और मीडिया के सामने रखने में सफल हुई.  इस घटना से भविष्ये का तानाबाना भी बखूबी बुना, न केवल राजनितिक स्तर पर बल्कि न्यायिक दृष्टि से भी केस को मजबूती प्रदान करते हुए जिस प्रकार के शब्दो कि रचना कि जैसे "अपराधिक लापरवाही " उस से विपक्षी खेमा एक दम बेहोश हो गया । भाजपा ने न केवल राजनेतिक बढ़त ली बल्कि न्यायलए के लिए भी अपना केस को सक्षम किया। यह एकजुटता भाजपा कि दिल्ली से पटना तक दिखाई दी.  बहुत दिनों बाद सामूहिक नेतृत्व का आभास भाजपा ने कराया अन्यथा कोंग्रेस के सामने भाजपा सिर्फ सामूहिक नेतृत्व को        यू एस पी कि तरह प्रयोग ही करती थी वास्तविकता में तो यह नदारद ही थी.  हाँ संसदीय बोर्ड में कुछ होता हो तो हो। एक ही समय में रैली और मीडिया में साहस और धर्य का प्रदर्शन भाजपा कि शक्ति को न केवल बढ़एगा बल्कि देश पर लम्बे समय तक शासन करने का आत्मविश्वास भी देगा। यह घटना और इस से उपजा आत्मविश्वास आने वाले समय में केंद्र में भाजपा कि सरकार कि धुरी और शक्ति साबित होगा। यह नेतृत्व असल में गांधी - नेहरू - पटेल के स्व्तंत्रता से पूर्व अंग्रेजी राज में नेतृत्व का आभास देता है. जहा पर वर्त्तमान कोंग्रेसी केंद्र सरकार और बिहार शासको ने वैसा ही रूप दिखाया जैसे कि अंग्रेज शासन में अंग्रेज करते थे। 

नरेंदर भाई मोदी का व्यक्तित्व ~~~~~~~~~~~~ अब आते है श्री नरेंदर भाई के व्यक्तित्व पर। उनका क्या व्यक्तित्व है और कैसा वो स्वयं और विपक्षी प्रोजेक्ट करते है, यह आज के युग में बहुत कुछ मार्केटिंग कम्पनियो के सहयोग से कम या ज्यादा प्रचारित किया जा सकता है परन्तु पटना रैली में जो कुछ घटा वो जीवन कि वास्तविक घटनाओ और सामने घटित सिलसिलेवार घटनाक्रम पर आधारित है जिसको न तो प्रायोजित किया जा सकता और न ही नाटकीयता से प्रभावित किया जा सकता। जो सच है वो ही आगे आया। इस में कोई संदेहे नहीं कि यह बम विस्फोट श्री नरेंदर भाई मोदी को मारने के लिए ही किया गए थे. अब देश का इतना भी दुर्भाग्य नहीं है अन्यथा अनहोनी करने में आतंकवादीओ और शासको ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी जब बम १ ५ ० फुट स्टेज से दूर फट सकता है तो किसी भी अनहोनी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। नरेंदर भाई मोदी का यह एसिड टेस्ट था (मेनेजमेंट कि भाषा में ) जिसको साबित करने में सोचने और विचारने का समय नहीं  होता है. जो साहस कि बड़ी - बड़ी बाते करता है जब स्वयं पर बीतती है तो क्या होता है? भाषण देना और उसको वास्तविकता में प्रदर्शित करना किसी घुटे हुए नेतृत्व और व्यक्तित्व के ही बूते कि बात है नहीं तो बड़े - बड़े नेता गोबर कर देते है। हो सकता है यह एसिड टेस्ट देश के बहार बैठी शक्तिया भी चेक कर रही हो कि यदि वास्तव में मोदी भारत के प्रधानमंत्री बन गए तो इनके साथ संवाद किस रूप में करना होगा, हो सकता है देश विरोधी इंटेलिजेंसी एजेंसी आगे कि रणनीति बनाने में इस घटना का इस्तिमाल करे। कुछ भी हो सकता है परन्तु कुछ भी हो वो एक बात सिद्ध करता है कि भाजपा और आर. एस. एस. ने नरेंदर भाई मोदी पर दाव खेल कर कोई गलत नहीं किया। श्री नरेंद्र भाई मोदी भट्टी में से कुंदन होकर निकले है। जिस दबंगई, धैर्य और साहस से आपने भाषण दिया उस कि जितनी तारीफ कि जाये कम है। नेतत्व कि परीक्षा प्रधानमंत्री बनकर ही नहीं होती वो देश के हित में समयंकुल क्या कृत्य करता है और कैसे करता है यह भी उतना ही बड़ा काम है जितना प्रधानमंत्री बन कर किया जाता है। आपने जो निर्णय लिया और जो जनता से संवाद किया वो न केवल आपको राजनेतिक रूप से उच्चतम कोटि का नेता साबित करेगा बल्कि लीडरशिप कि किताबो में भी स्थान दिलाएगा। मैं विशेषरूप से जो कायल हुआ वो हुआ भाषण के कंटेंट (सार ) को लेकर। आपके भाषण कि शैली, शब्द, सार वाकई उम्दा था। जिस प्रकार आपने भाषण कि समयानुकूल विषय सूची बनायी और सही समय पर देश में एकता कि बात कि वो सर्वश्रेष्ट था। हो सकता है विपक्षी और जनूनी पत्रकार इसे बम से डरकर सेकुलर होना और आदि - आदि कुछ बोले पर उनके बोलने से आपका कद बढ़ेगा ही घटेगा नहीं। आज यदि वास्तव में आप मुस्लमानो से जाकर पूछो तो वो वकाई आपके कायल मिलेंगे। टुटा, थका, भ्रमित, अनुभवहीन, अपरिपक्क, अविश्वसनीय तथाकथित सेकुलर नेतृत्व से लाख बेहतर तो जोशपूर्ण   १००  % राष्टवादी नेतृत्व है। 

खैर अब अमेरिका को भी अपनी बचकाना हट छोड़कर मोदी के लिए सुलभ संवाद का रास्ता बना लेना चाहिए। अन्यथा अमेरिका अपनी जिद्द और बेवकूफी से  भारत देश जैसा एक मित्र खो देगा। अमेरका मोदी को वीजा न देकर अपनी शेखी सोच रहा है परन्तु उसकी इस मूर्खता से वो १०० करोड़ लोगो को अपना शत्रु बनाने का खतरा उठा रहा है। अमेरिका को इस बात को चुपचाप ख़तम कर देनी चाहिए अन्यथा अमेरिका के लिए यह एक छोटी से गलती उसकी अपनी अर्थव्यवस्था और उसके नेतृत्व को सिवाए नुक्सान के कुछ और नहीं देगी। ज्यादा देरी से उठाया गया कदम अमेरिका को लाभ कि जगह अवसरवादी कि छवि निर्मित करेगा। पिछले कुछ वर्षो से भारत और अमरीका के सम्बन्ध सही दिशा में जा रहे है, छुटपुट घटनाओ को छोड़ दे तो. अमेरिका को इतना रिस्क नहीं उठाना चाहिए को भारत कि जनता में उसकी किरकिरी होने का खतरा हो जाये। 

वैसे पटना कि रैली में विपक्ष को सिवाय हताशा और निराशा के कुछ नहीं लगा उनके  अरमानो पर पानी फिर गया। कोमुनिस्ट, राजद , कोंग्रेस का तो हलक अभी तक सुखा हुआ है उनको शब्द नहीं मिल रहे कि मोदी कि सफलता और रैली में दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर कौन सा रुख अपनाय। इसको केहेते है नेतृत्व कि इबारत जो मोदी ने पटना में लिख दी। मोदी को आश्वस्त होना चाहिए जो साहस और ज्ञान विशेष रूप से मिथला, मगही और भोजपुरी बोलने में दिखाया उसके लिए बिहार कि जनता उनको आशीर्वाद अवश्ये देगी और बिहार कि जनता में मोदी का स्थान बहुत बड़ा हो गया इस को हर बिहारी ने समझा और देशवासिओ ने सराहा। 
      
मौजूदा भारतीये राजनीती का चरित्र ~~~~~~~~~~~ क्या बात है कि बिहार के तथाकथित सेकुलर और प्रगतिशील वीर अभी तक पटना रैली में हुए दुर्भाग्यपूर्ण घटना कि आलोचना के लिए ७२ घंटे बाद भी घटना कि निंदा करने का सहास नहीं जुटा पाये। वाकई कितना बड़ा पाप यह लोग कर रहे है, आखिर कब तक झूठ खायेंगे, झूठ जीयेंगे और झूठ बोलेंगे। क्या भारतीये राजनेता इतने नंगे हो गए कि सच का सामना भी न कर सकते। क्या सांप सूंघ गया इनको जो अपने ही प्रदेश और देश के लोगो के मरने पर एक शब्द हलक से नहीं निकाल रहे। इस घटियापन कि जितनी निंदा कि जाए कम है. मुझे यह केहेने में कोई आपत्ति नहीं कि जो लोग देश कि एकजुटता का ढोंग करते है उनका यह ढोंग आज सड़क पर आ गया, उनकी अवसरवादिता कि राजनीती के पजामे का नाडा खुल गया। जिनकी तालु ने काम करना बंद कर दिया हो, जिनके हलक सूख गए हो, जो नीम बावले हो गए हो, जो उनको घटना कि भर्त्सना करने में भी इतना समय लगा रहे हो वो क्या तो देश को नेतृत्व देंगे और क्या देश कि सेवा करेंगे ? इन जैसो को आतंकवादी तो आतंकवादी एक साधारण इंसान का दबाव भी मार देगा। वकाई देश के मौजूदा चरित्र से दुर्गन्ध आती है, घिन होती है इनकी संकीर्ण सोच से.  इसमें वो लोग भी शामिल है जो अपने को प्रगतिशील और नए नेतृत्व का दम्ब भरते है और नौटंकी करते है वो चाहे केजरीवाल हो, कोंग्रेस के युवा नेतृत्व हो जो नेगटिव राजनीति न करने का दम भरते हो। कोंग्रेस को भी इस बात पर रौशनी डालनी चाहिए कि जो "शहजादा " शब्द से आहत थे और दो दिन में ही इसका जवाब देने कि धमकी दे रहे थे . क्या आतंकवादी कोंग्रेस कि भाषा समझ रहे थे? या इस गलतफैमी में थे कि उनको कोंग्रेस कि ओर से इस कुकृत्य पर शह मिलेगी। अब इस बात का जवाब तो कोंग्रेस को ही देना है और आतंकवादीओ को स्पष्ट सन्देश देना होगा कि कोई भी हो, कोंग्रेस हिंसा के खिलाफ है तब तक कोंग्रेस के जवाब का इन्तजार रहेगा। 

 मैं तो अपील करूँगा देश के महामहीम राष्ट्रपति जी से कि आगे आकर इस घटना कि भर्त्सना करे क्यूंकि जो काम देश प्रधानमंत्री से अपेक्षित है वो देश के राष्ट्रपति कर रहे है।  वैसे तो देश कि सरकार को तत्काल एकता परिषद कि बैठक आहूत करनी चाहिए और एक मत से इस घटना कि निंदा करनी चाहिए। देश में मोदी के विपक्षी माने या न माने परन्तु आज मोदी देश के एक मात्र लोकप्रिय और सक्षम नेता है। क्या हो यदि कल सरकार में आकार मोदी भी विपक्ष से यह ही रविया अपनाये आज जो बाकी के सेकुलर नेता अपना रहे है। फिर यह ही लोग मोदी को हटी और अधिनायकवादी कि टोपी पहना देंगे। मुझे न केवल उमीद है बल्कि अपेक्षा भी है कि एक दो दिन बाद ही सही परन्तु कुछ एक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष नेता पटना रैली के धमाको कि निंदा का सहास जरुर उठाएंगे। अन्यथा यह मान लिया जाये कि जो लोग देश के नेताओ पर नपुंसकता का आरोप लगाते है वो गलत नहीं है। 

भारत कि राजनीति में हिंसा का पुट ~~~~~~~~अब यह संयोग मात्र है या कोई बड़ी साजिश कि भारतीये राजनीति को हिंसक बनाया जा रहा है. छत्तीसगड़ के कोंग्रेसी नेताओ के नरसंहार के बाद एक और राजनेतिक साजिश पटना रैली में रची गई । न्यायिक दृष्टि से जो सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाला होता है वो ही मुख्य रूप से साजिशकर्ता के रूप में निरूपित होता है। खैर देखना तो यह है कि क्या वाकई कोई तत्व भारतीये राजनीति में घुस गया है जो अति महत्वकांक्षा से या हार के डर से इस हिंसक राजनीति को बढ़ावा दे रहा है। यह एक बड़ी बात है जिसको लाभ हानि के चश्मे से नहीं देखना चाहिए बल्कि एकता परिषद कि बैठक बुलाकर एकजुटता से इस हिंसक राजनीती से दूर रहने का प्रण लेना चाहिए और  इसको रोकने के लिए जरुरी कदम उठाने होंगे। देश के प्रधानमंत्री को यह दोनों बाते पटना रैली के बम विस्फोट और राहुल गांधी का अपनी हत्या का डर, इन दोनों बातो को संज्ञान में लेना होगा। देश राजीव गांधी और इन्दरा जी के बाद एक और राजनितिक हत्या सहने के लिए तैयार नहीं है। बात कि गम्भीरता समझकर उसके ऊपर कार्यवाही करने से देश कि मजबूती होगी और दुनिया कि नजर में हम अपनी हैसियत बढ़ा पाएंगे अन्यथा यदि कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गई तो देश कि इज्जत और भरोसा दोनों रसातल में चला जायेगा जो देश को बहुत बड़ी हानि के लिए जिम्मेदार होगा।
   
देश के नागरिको, सरकारो, राजनेतिक दलो, मीडिया को भी बड़े ही सयम और कुशलता से लोकसभा चुनाव तक अपने धैर्य और कुशलता का परिचय देना होगा। देश के प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग के लिए यह अलार्म है इसको ध्यान से सुनना और कार्यवाही करनी होगी क्यूंकि कल जवाबदेही आपकी ही होगी।

यह उन राजनितिक दलो के लिए भी चेतावनी है जो साम्प्रदायिकता और आतंकवाद का फर्क नहीं समझ रहे या जान बुझ कर समझना नहीं चाहते क्यूंकि भस्मासुर तैयार तो कर लिया फिर उससे बच पाना इनके बस कि नहीं होगा। बेहतर होगा समझदारी से निर्णय करे और वोट बैंक कि राजनीति को इस स्तर तक न ले जाये कि देश दुर्भाग्य के कुचक्र में फंस जाये।  

जय भारत जय भारती !!!

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