Sunday, July 26, 2009

एक बहुत ही गंभीर प्रशन ?????????????

आज सब कुछ एसे घटित हो रहा है जैसे संजय धृतराष्ट्र को सब कुछ सच सच बता रहा है और धृतराष्ट्र बस संजय आगे चलो के आलावा कुछ भी नही बोल रहा है। आज हम कुछ कुछ धृतराष्ट्र के समान ही व्यवहार कर रहे है। हिंदू राष्ट्र के बारे में कल्पना तो बहुत ही दूर की बात है अब तो अपनी असिमिता बचानी ही भारी हो गई है।

आज समय आगया कुछ कडियो को जोड़ कर देखने का ताकि कुछ तो हिंदुस्तान के लोग अपनी झुकी आंखे ऊपर उठा कर द्रौपदी चीरहरण को रोकने का साहस करे। एक सज्जन थे जसवंत सिंह जी जिन्होंने राव सरकार में एक भेदिया होने की बात कही थी और परमाणु परिक्षण इसी के सूचना लीक करने पर बाद में रोक दिए गए। दूसरा हवाला डोभाल साहब की किताब से मिलता है। इन घटनाओ के बाद भारत में आकास्मक सप्रंग की सरकार बन गई। फ़िर सारे जनमत के खिलाफ होने के बावजूद अमरीका से परमाणु करार होगया। और लाखो किसानो की आत्महत्या, शेयर बाजार की औंधे मुह गिरे होने, लाखो बेरोजगारों , लाखो नौकरियो के छुटने, महंगाई के आसमान छूने और पिछली सरकार के घोर नैतिक पतन होने, आम जनता के एक व्यापक दिखने वाले विरोध के बावजूद कांग्रेस पहेले से भी अधिक बहुमत से सरकार बनने में कामयाब हो गई। उस बीच मीडिया ने चुनाव में सभी म्हेत्व्पूर्ण घटनाओं और चर्चाओं पर से ध्यान हटाकर वरुण गाँधी पर ही फोकस कर दिया इसमे एक नही सभी चैनल थे। कांग्रेस ने इस से पहेले विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद चुनाव आयोग में चावला साह्भ को फिट किया। और भी बहुत से समवैधानिक पदों पर कांग्रेस ने जनमत विरोधी और परम्परा विरोधी कृत्य किए। प्रधानमंत्री के एक राज्यसभा उमीदवार को लोकसभा में चुनाव में न उतारकर एक गैर लोकसभाई व्यक्ति को नहेरु के बराबर इतिहास में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनवा दिया। सबसे बड़ा और घनघोर आश्चर्य मुझे उस समय के कांग्रेसी लोगो पर था जो चुनाव में कांग्रेस की वापसी की बात कुछ एसे कहे रहे थे जैसे की सूरज पूर्व से निकलता है तो अगली सरकार कांग्रेस की ही बनेगी। और भी बड़ा अचरज नम्बर दो स्थान रखने वाले सरकार में मंत्री प्रणव मुखर्जी का बिहार में लालू को अगली सरकार में न रखने का खुले आम निर्णय सुनना एक बहुत ही बड़े गुप्त रहस्ये को खोलता है। मीडिया का बाद में बीजेपी का बैंड बजाना भी इसी साजिश का एक हिस्सा है। कुरैशी जो की चुनाव आयोग के मेंबर है अकेले ही लन्दन में बैठे बैठे ही भारत में आम चुनावो की तारीखों की घोषणा कर देते है। और अब तो इलेक्ट्रोनिक मशीन का चुनाव में किसी एक विशेष दल को जिताने का आरोप इन सभी कडियो को आपस में जोड़ कर एक बड़ी तस्वीर बनाता नजर आता है।

अब आते है आज के हिंदुस्तान की बदलती तस्वीर पर पहेली बात बिना किसी बात के भारत पर बलूचिस्तान शरारत का आरोप पाकिस्तान के साँझा बयान पर स्थापित कर दिया गया है। हिंदुस्तान को जी ८ में मुह की खानी पड़ी। हिंदुस्तान को इसी पाकिस्तान से मुंबई के अपराधियों को सजा दिलाये बिना बात शुरू कर दी है।

मित्रो पश्चिमी देश हिंदुस्तान मैं २०० साल शासन कर के और ८०० साल की गुलामी से त्रस्त हिन्दुओ को नही झुका पाए। नही जान पाए की यह हिंदुस्तान इतना गरीब असहाए होते हुए भी अपने पर अभिमान क्यो करता है। कहेते है यूनान मिश्र रोमन सब मिट गए जहाँ से परन्तु हस्ती हिन्दुओ की नही मिटती जहां से। क्योंकि हिन्दुओ में नैतिकता थी और उसी नैतिकता की थाती पर वो अभीमान करता था। उसकी बहु बेटी नाचती जरुर थी पुरातन काल से क्योंकि संगीत और नृत्य हिन्दुओ की शोभा थी परन्तु उसे आईटम गर्ल बना कर उसने नही नचाया था। आज हिन्दुओ की नैतिकता उनसे छिनी जा रही है। कभी सेम्लिंगिकता के नाम पर तो कभी स्टार प्लस के सच के नाम पर। अरे हिंदुस्तान में जो बातें कभी घर से बहार नही आई वो आज सरे आम टीवी पर दिखाई और बोली जा रही है। और कैसे कैसे कुतर्क दिए जा रहे है ओ चार पैसे के राजीव खंडेलवाल (इस शो का एंकर) क्या बताना चाहता है हमे तू स्टार प्लस के चार पैसे में बीके हुए भाड़े के हमे बाताना चाहता है क्या तू की सच बोलना और बुलवाना तुझे आता है। इतना ही सच का पुजारी है तो क्यों नही अपनी जनम की पुरी कहानी हिंदुस्तान को बता देता एक एक क्षण के साथ। फिर देखते है की सच कैसे सामने आता है। आज हिंदुस्तान में जो रिश्तो की गरिमा थी उसको तार तार किया जा रहा है और हम सब टीवी पर पालतू पिल्लै की तरह देख रहे है। आज शब्दों से आपकी इज्जत उतारी जा रही है कल हाथो से उतारी जायेगी। धीरे धीरे तुम्हे नंगा किया जा रहा है। नही याद तो करो याद जब इसी स्टार प्लस पर बे वॉच दिखाया गया था तो कितना बवाल हुआ था परन्तु अब तो बे वॉच एक आम बात हो गई अब तो बे वॉच छोड़ो अपनी हिन्दी फिल्मो में गे वॉच कर लो। कुछ कुतर्की जिन्हें गोबर में भी विटामिन ढूंडने में महारथ है वो कहे भी सकते की देखो आप विरोध कर रहे थे अब तो सब नोर्मल है। भाई नोर्मल तो है परन्तु नंगा होने में एक दम से अंतर्वस्त्र नही गिरता पहेले पगड़ी गिरती है जो की गिर चुकी फ़िर कमीज़ उतरती है वो भी उतर गई अब पैंट उतर रही है अभी नही संभले तो फ़िर इसी का नंबर है। और बिगाड़ने का क्या है बिगडेगा तो नंगा होने भी कुछ नही बस बात तो समझने की है। की इन्सान ही बना रहेना चाहते हो या जानवर। कुत्ते बिल्ली भी नंगे ही घूमते है परन्तु हम नही। इस क्यों को जानने और समझने वाला इन्सान ही है और उसी नंगाई को गले लगना चाहते हो तो कुत्तो को आप पर फक्र होगा परन्तु इंसानों को नही। अब हर कुतर्क का उत्तर तो मेरे भी पास नही।

हाँ जहा तक मेरी बात है मुझे कोई भी ओब्जेक्शन नही है परन्तु इसको एक रणनीति के तहेत हिंदुस्तान को अनैतिक बनने की चतुराई पर क्रोध है। क्योंकि राम, रामायण, मन्दिर, वेद, देश छीन ही लिया ले देकर परिवार नामक इकाई थी जिसको १००० वर्षो से गुलामी में भी नही गवई परन्तु ये टीवी के भेडिये उसी पर नजर टिकाये है। हाँ इस बार आक्रमण अपनों से ही है। आजकल टीवी में छोटे शहरों के लड़के लड़किया है। इस बार इस वार से बचना मुश्किल है क्योंकि वार कमर के निचे है। यह कम पढ़े लिखे पैसे और नाम के लालच में बिल्कुल भदेस भाषा में टीवी पर बैठ कर नंगाई पर भाषण झाड़ रहे है। और हमे बता रहे है प्रगतिशीलता क्या है ओ दस दस पैसे में अपनी बेचने वालो याद रखो तुम्हारा इस्तेमाल हो रहा है। तुम्हे नही पता की लोहे की कुल्हाडी में लगा लकड़ी का दस्ता न होता तो लकड़ी के कटने का रास्ता न होता।

और याद रखो नही सुधरे तो फ़िर डंडे के आगे नंगे और भूत दोनों ही भागते है। संभल जाओ नही तो इस बार देश माफ़ नही करने वाला।

अंत में मित्रो ऊपर की दोनों लाल और नीली घटनाओं को जोडो तो पता चले गा की एक में नीति बन रही है और दूसरी में परिणाम है। अब देखना यह है कीयह नीति हिन्दुओ और उसके देश को कितना अनैतिक बनाएगी. इस अनैतिकता का दाम क्या है? और लाभ क्या है? परन्तु जितना सरल लगता है और उतना है नही क्योंकि यह पुरी एक नसल को ही ख़तम कर देगी।

और फ़िर कहेते रहेना की किसी एक समय में एक हिन्दू होता था. जैसे की तिब्बती अपने बच्चो को कहेते है की किसी एक समय उनका एक देश तिब्बत होता था. आज बता दू हिन्दू की नैतिकता ही उसकी सबसे बड़ी पूंजी है जो उसे आज तक जिन्दा रखे है. और अब निशाना उसीको बनाया जा रहा है. देखना यह है की हिन्दू फिर से एक घनघोर संकट से कैसे बहार निकलता है. मित्रो याद रखना हम कर्म के लिए धर्म का धागा नहीं छोड़ते. और धर्म नैतिकता है.

7 comments:

  1. प्रयास जारी रखिये भाई, जागरुकता फ़ैलाना ही तो हमारा काम है… हम लोग अपने काम में लगे रहेंगे तो शायद कुछ लोगों को तो शर्म आयेगी… हिन्दू अपना आत्मसम्मान खो चुका है, अब उसे किसी भी डण्डे से हाँका जा सकता है… धीरे-धीरे यह एक मुर्दा कौम बनती जा रही है, सेकुलरिज़्म का गन्दा खून अपना असर तेजी से कर रहा है…

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  2. मूर्ख व मृतक कभी अपने विचार नहीं बदलते.

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  3. @ Incitizen
    जैसा की मित्र मैंने पहेले भी कहा था की तर्क का तो उत्तर दिया जा सकता है परन्तु कुतर्क का क्या. वैसे ही ऊपर उधृत महाश्ये ने विचार बदलने को प्रगतिशीलता का पर्याय बताया है. तो मित्र आप अपने दोस्त बदल सकते हो अपने पडोसी बदल सकते हो आप तो अपनी पत्नी भी बदल सकते हो परन्तु अपना बाप नहीं बदल सकते इसी प्रकार मित्र कुछ विचार ऐसे भी है जिनको बदलना नहीं चाहिए उन में से नैतिकता एक है. अब उसको बदलना हो तो कुछ कहे नहीं सकता अब खाने को तो लोग गोबर भी खाते है अब आप खाना ही चाहते तो कोई रोकेगा तो है नहीं हाँ कहेना अपने काम था. सो कह दिया.
    हाँ दोस्त मृतक और मुर्ख बनाने के डर से कहीं अपने पिता मत बदल देना. उस से अच्छा है की मृत हो जाओ या मुर्ख ही कहलाओ. अब फैसला आपका है.

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  4. मैं आपकी सभी बातों से सहमत हूँ. मगर मुझे लगता है की आप बेहद व्यथित और क्रोधी है. हमारी संस्कृति में सबसे पहले विनम्रता और प्रेम का ही स्थान है तभी तो हम हजारों सालों की गुलामी के बाद भी कमजोर नहीं हुए, गिरे भी नहीं. प्रतिकार जरुरी है बॉस मगर उसका भी एक तरीका है ना...आओ मिलकर अपने हिंदुस्तान को आगे ले चलें...इस विश्वास के साथ हम प्रेम बाँटेंगे तो दूसरे भी हमारे साथ कदम बढाएंगे. में माफ़ी चाहूँगा अगर आपको इसमें कुतर्क लगे तो...क्रोध और अहिंसा से कुछ हासिल नहीं होता.

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  5. @ रवि धवन जी
    देखो मित्र अब चुल्ह में से रोटी निकालने के लिए किसी को तो हाथ जलाना पड़ेगा ही. और ये विष भवसागर का किसी को तो पीना पड़ेगा ही और फिर बिना रोया तो माँ भी अपने बच्चे को दुध नहीं पिलाती और फिर भगवान् परशुराम यदि क्रोधी न होते तो असुरो का संहार न होता. राम को क्रोध न आता तो समुद्र लंका के लिए रास्ता नहीं छोड़ता. कृष्ण को क्रोध न आता तो शिशुपाल का वध न होता. और आपके गाँधी को दक्षिण अफ्रीका में क्रोध न आता तो वो भी भारत न आता. तो मित्र बात तो समझने के फेर की है. इसको आप क्रोध कहेते है और में समझोता न करने की प्रवर्ति. आप अपनी जगह सही हो सकते है परन्तु हम भी तो पीड़ित है. अभी तो कश्मीरी ब्राह्मणों को क्रोध नहीं आया अभी तिब्बिती भाइओ को क्रोध नहीं आया और जिनको आया उसके सामने सब सजदा कर रहे है.
    मित्रो सभी कहेते है आगे आओ आगे आओ परन्तु आता
    कोई नहीं. परन्तु यह कोई नई बात नहीं वीर सावरकर आये थे कितने मर गए उनके साथ, हेडगेवार जी आये थे कितने जुड़ गए संघ के साथ. साध्वी प्रज्ञा जेल में सड रही है कितने चले गए उसके साथ. सो दोस्तों हिन्दू की फितरत है चलो चलो बोलो और चुपके से निकल लो. यदि ऐसा नहीं था तो राजा दाहिर सिंध में न हारता. हम १००० वर्ष गुलामी न झेलते खैर गुलामी तो अभी भी है.
    मित्रो में हतौत्साहित नहीं कर रहा हूँ. परन्तु इस का यह इलाज नहीं हमे १००० वर्ष का अनुभव है इसलिए आगे आने से कुछ नहीं होगा.
    मित्रो हर हिन्दू को अपने आप उठाना होगा. एक वर्ड है अंडर करंट हो सब कुछ. हर हिन्दू इस तपिश में जले और अपनी चारो और की हवा को अहेसास दिला दे की गलत हो रहा है. १२० करोड़ लोगो के शारीर से लिपटी हवा जब तप जायेगी हिन्दू अपने आप उस आग में जल कर क्रांति कर देगा. तब तक में तो तपिश बढाता रहूँगा आप क्या करोगे यदि उस आग को बढाओगे तो दो आहुति और करो वायुमंडल को प्रजवलित परन्तु एक साथ और अंडर करंट. क्योंकि अकेला हिन्दू अभिमानी और स्वार्थी हो जाया करता है. और इतिहास इसका गवाह है. तो रगडो शारीर से शारीर, कागज से कलम, जबान से होठ, और करो चिंगारी पैदा बाकि तो दीपक से दीपक जलता ही रहेगा.

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  6. बहुत बढ़िया...मेरा भाव नहीं समझ सके आप...जुलम हो रहा हो और चुपचाप बैठें हो तो वो पशु से भी गया गुजरा है....आप लिखते रहियें...हम आपके साथ हैं.अपना अपना योगदान देंगे तो कामयाबी जरुर कदाब चूमेगी.

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  7. बुलबुलो बताओ कंहा जाओगे जब तुम्हारा जहाने चमन लूट जायेगा | Be unite against Reservation -- Reservation is the biggest threat to Hindu Unity.

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