Thursday, March 4, 2010

मुसलमानों के भागने की शुरुवात !!!!!!!!!!!

मानो न मानो परन्तु एम् ऍफ़ हुसैन के जाने से जो सदीओ से मुस्लमान भारत ही आ रहे थे के वापस जाने की शुरुवात तो हो ही गई. मित्रो मैं यह नहीं कहता यह संविधान के विरुद्ध है या नहीं परन्तु माँ सरस्वती और भारत माता की नग्न तस्वीर बनाने वाले को सजा तो नहीं ही मिल पाई परन्तु उसने हिन्दुओ के शांति से रहेने की जाने अनजाने राहे बना दी उसके लिए धन्यवाद.
अब जरा सेकुलरो को देखो की तसलीमा के बुर्के के विरुद्ध लिखने की तुलना भारत माता और माँ सरस्वती की नग्न तस्वीर बनाने की घिनोनी हरकत से कर रहे है. अरे एक तरफ तुम्हरी माँ को नंगा किया जा रहा है और दूसरी और समाज की कुरूतियो को दूर करने के लिया आपकी ही धरम की नारी अलख जगा रही है इसमें हिन्दू और मुस्लिम कट्टरपन्थियो का तो कोई सवाल भी नहीं है. भाई मेरी माँ के कपडे एक एम् ऍफ़ हुसैन नामक राक्षश उतार रहा है और मैं रक्षा भी नहीं कर प् रहा हु. तो इसमें क्या में कट्टरपंथी हु और हा जो कहेते है वो अपनी माँ के लिया यह सब चन्हंगे. अवश्य ही नहीं.
अरे कतार जाओ अरब जाओ हमे क्या परन्तु एक तरह से कतार देश ने भी हिन्दुओ के मुह पर तमाचा ही मारा है. परन्तु करे क्या जब बबियान की बुद्ध की मूर्ति ही नहीं बचा पाए अपने ही देश में ३० हजार मंदिर नहीं बचा पाय तो किसी दुसरे को दोष क्या दे. अरे कांग्रेसी जो हुसैन को वापसी की मांग और उसकी सुरक्षा की गारेंटी ले रहे है वो सोनिया गाँधी जी के बारे में सचाई भी नहीं सुन सकते और हमे माँ सरस्वती की नग्न तस्वीर देखने के लिए ज्ञान चक्षु खोल कर कलाकारों की संवेदनाओ की बात करते हो. अरे ओ सभी मीडिया वालो गली के कुत्ते भी तुम से बढ़िया है जो भोंक तो देते है तुम ने तो राहुल गाँधी के अमेठी काण्ड पर जिस पर की कांग्रेस के मनु संघवी ने अमेरिका में एक ई आर भी की हुई है पर हिन्दुस्तान के एक अखबार में एक लाइन भी नहीं लिखी. हो सकता है राहुल गाँधी जी पर गलत आरोप हप परन्तु आर अखबार में उस बारे में एक लाइन तो लिख दो. और संजय जोशी जैसे के बारे में आप अखबार वालो विशेष कॉवेरज दे ते हो. शर्म करो शर्म कर. इतना नंगे मत हो की स्वयं भगवन कृषण भी तुम्ह वस्त्र न दे पाए.
कल बड़े बड़े टीवी चैनल हुसैन के जाने पर बड़ी लानत मलानत कर रहे थे. पता नहीं की हर बात की हद होती है.
आइ बी एन ७ पर श्री तरुण विजय जी बधाई के पात्र है की राजेन्दर यादव जैसे दो पैसे के साहित्यकार को उसकी औकात दिखा दी.
यह हिन्दू ही है जिसने इतने बड़े पाप पर भी किसी हुसैन का सर नहीं माँगा और उसे अभयदान देदिया.
अब कतार के कुछ करो परन्तु एक बात याद रखो की नेहरु के लेडी माउन्टबैटन से सम्बन्ध बताने पर सरकार कदम उठा देती है और में अपनी माँ की नग्न तस्वीर पर रो भी न सकू या कहाँ का न्याय है. और इसमें कौनसे कलाकार की संवेदनाय है कृपया बताये तो सही. इन्टरनेट पर गलत और किसी की नग्न तस्वीर लगाना तो कानूनन अपराध हो सकता है परन्तु सरे आम १२५ करोड़ लोगो की माँ की नग्न तस्वीर बनाकर उन ही को भाषण पिलाना कहँ का न्याय है.
.
मैं यह नहीं कहता की कोई गलत नहीं हो सकता. हो सकता है की कुछ भी हो जाये परन्तु किसी के सामने उसकी माँ को नग्न करना और उसमे कला की संवेदनाय सूंघना कहँ की मानवता है. यह तो निरी पशुता है और आज से हिंदुस्तान से पशु भागने की शुरुवात हो गई है. देखना यह है की कितने पशु और कब तक इस सात्विक देश छोड़ेंगे.
भगवान् के घर में देर है परन्तु अंधेर नहीं. जिस प्रकार हर पशु की प्रक्रति होती है वो उसी रूप में वयवहार करता है और जब मानवता पर पशुता हावी होती है तो वेह भी व्ही करता है जो उसकी प्रक्रति होती है. मित्रो लड़ाई मानव और पशुओ में है. आप देखलो किस तरफ हो.

No comments:

Post a Comment