Saturday, August 20, 2011

श्री अन्ना हजारे जी का आन्दोलन !!! पर फायेदा किसका - किसका ?????


मित्रो अपने पिछले ब्लॉग में मैंने कौशिश की थी यह बतलाने की श्री अन्ना हजारे जी के आन्दोलन का समर्थन क्यूँ नहीं किया जा सकता. मेरे कुछ मित्रो ने यह पूछा की आन्दोलन को बड़ी ही सफलता मिल रही है आप इस आन्दोलन का समर्थन करे विरोध नहीं और यह भी बताये की इस आन्दोलन को सही दिशा में कैसे लेजाया जा सकता है. तो मित्रो मेरी इतनी हैसियत नहीं की मैं इतने " बड़े बुद्धिजीवी अन्ना समर्थको" के होते "दुसरे गाँधी" जो की अन्ना नहीं यह आंधी है और कोई नहीं दूसरा गाँधी है जैसे संत को ज्ञान दे संकू. अन्ना जी के अपने ही इतने शुभचिंतक है जो उनको हिन्दुस्थान की आत्मा से दूर रखने का साहस कर सकते है. मित्रो श्री अन्ना जी कुछ वर्ग विशेष के लिएकुछ वर्ग विशेष से प्रेरित होकुछ वर्ग विशेष का "मनोरंजन" कर रहे है. क्षमा करे "मनोरंजन" शब्द के लिए. इसके निहतार्थ जानने के लिए आपको पूरा ब्लॉग शांति से पढना होगा.

यदि आन्दोलन की टाइमिंग पर विचार किया जाये तो बहुत से तथ्य स्वम ही स्पष्ट हो जायेंगे. सर्वप्रथम आते है की इस आन्दोलन से लाभान्वित कौन कौन होगा.

  • प्रथम आते है कांग्रेस पर. इस में कोई दो मत नहीं है की कांग्रेस डॉ. मनमोहन सिंह जी से छक चुकी है. कांग्रेस से मेरा अभिप्राय श्री मति सोनिया गाँधी जी से हैउनकी कौशिश किसी तरीके से सरदार मनमोहन सिंह जी से छुट्टी पाने की है. वो चाहती है की यह शख्स हटे और अपने पुत्र को राजगद्दी पर बैठाये. अब अन्ना जी जैसे व्यक्ति की आड़ में अर्थात उनकी सहानुभूति प्राप्त करके प्रधानमंत्री बदल दिया जाए तो जनता बहुत खुश होगी. जिस प्रकार अमर सिंह जी समाजवादी पार्टी के स्वाभाविक सदस्य नहीं थेसतीश मिश्र जी बसपा के नहीं थे और हैसंजय निरुपम जी शिव सेना के नहीं थे उसी प्रकार सरदार मनमोहन सिंह जी भी कांग्रेस के स्वाभाविक सदस्य नहीं है. यह एक मनुष्य के प्राकर्तिक रूप से किसी विचारधारा के नजदीक होने की बात है. यह तो कुछ कम्पल्शन थे जो किसी कारण से लोगो को अपने से विपरीत विचारधारा की पार्टियों से जुड़ना पड़ जाता है. अब चूँकि यह एक चमत्कार ही था की सरदार मनमोहन सिंह के नेत्रित्व में यू पी ऐ (२) आ गई. यहाँ  सरदार मनमोहन सिंह जी की दिक्कत शुरू हो जाती है. और कोंग्रेस में दो फाड़ होने शुरू हो जाते है. जिसकी झलक आपको श्री मणि शंकर अय्यर जी की हाव भाव से पता चल जायगी. खैर मुद्दे पर आते और इस आन्दोलन के प्रणेता से पूछते है की क्या कभी आपने सोनिया जी से कोई आश्वासन लिया है यदि लिया है तो उसको सार्वजानिक क्यूँ नहीं करते. यह वो ही लोग है मीडिया के जो स्वामी राम देव जी से पारदर्शी होने के लिए तो कहेते थे और अन्ना जी की हर शंका वाली बात को गोल कर रहे है. प्रथम सोनिया जी सरदार मनमोहन सिंह जी को हटाना चाहती है इसलिए स्वम जानबुझ कर अमेरिका जा बैठी जहाँ से अमेरिका को भी सेट कर सके की "श्री राहुल गाँधी" सही चोइस है. इस आन्दोलन से श्री मति गाँधी का बड़ा लाभ होगा.
  • दूसरा अमेरिका है. भाई मनमोहन सिंह जी ने अपना असली काम कर दिया. परमाणु डील करवा दी. अब अमेरिका के किस काम का. इस लिए उनका अब पद पर बैठे रहेना सिवाए लाइबिलिटी के और कुछ नहीं है.
  • तीसरा भला भ्रष्टाचारियो का होगाजो मीडिया रोज एक - एक नेता और अधिकारी को पकड़ कर नंगा कर रही थीवो प्रक्रिया इस आन्दोलन के शोर में "जानबूझ" कर दबा दी गई. अब भ्रष्टाचारियो के कुकृत्यो की बात तो हो ही नहीं रही बस अंधाधुंध जय जय कार श्री अन्ना जी की हो रही है. देखो न शीला दीक्षित, अशोक गेहेलोत और उसके बेटे, संदीप दीक्षित के एन जी ओ, नवीन   चावला के कांग्रेस संबध, राष्ट्रमंडल की अन्य कंपनिया, २ जी की भारी भ्रष्टाचार में डूबी कंपनिया, आदर्श घोटाले के नेता और सेना अधिकारी, सोनिया-प्रियंका-राहुल गाँधी के हरियाणा में राजीव गाँधी ट्रस्ट की जमीन घोटाला. सभी कुछ तो दब गया एक अन्ना हजारे जी की "हुंकार" में. 
  • चौथा भला उन एन जी ओ का जो कितने दिनों से पैसा तो खा रहे थे देश के बहार से परन्तु रिजल्ट कुछ दे नहीं रहे थे अब देश में अराजक माहोल फैला कर अपने "आकाओं को खुश" कर रहे है. अरे यार टुनेशिया में हो गया, यमन में हो गया, मिश्र में हो गया, चीन में भी कुछ हो गया. तो इन इन्टरनेटी फितुरो को लगा की यार कहीं इस फेस बुक टाइप की क्रांति में भारत न पीछे रह जाये. सारे जलवे तुम भी दिखाओ, मीडिया का भी मंदी से ध्यान हटेगा और प्रणव मुखर्जी को भी रहत मिलेगी नहीं तो अर्थव्यवस्था का ही बंटाधार हो जाता रोज शेयर मार्केट पर ब्यान दे दे कर. तो भारत देश को क्रांति जरुरी है, नहीं तो देश के "युवा" शक्ति की विश्व में खिल्ली नहीं उड़ेगी क्या ?  
  • पांचवा भला उन अतिवादी वामपंथियो को है जो समाज की मुख्यधारा से बहार होते जा रहे थे अपने कुत्सित आन्दोलनों के चलते इसमें बहुत से गुजरात से भी है जो लेजीटीमेट होना चाहते थे. यह आन्दोलन उनको श्री अन्ना हजारे की पाकीजा जल से पवित्र कर देगा.
  • छठा मीडिया स्वम है. भाई इतना बड़ा और आसान कवरेज और कैसे मिल सकता है. दिन रात टी आर पी बढ़ रही है. एक बहुत ही अच्छेवक्पुटविद्वान एंकर है एक अंग्रेजी चैनल केवो इतने उत्साहित है की ३००० की भीड़ ( तिहाड़ जेल ) को ५०-६० हजार की भीड़ बता रहे है. पता नही उनकी कौन सी फ्रस्ट्रेशन यह आन्दोलन मिटा रहा है जो इतनी बढचढ कर संख्या बताई जा रही है. उधर कांग्रेस की सरकार भी मीडिया को अपने पक्ष में करने के लिए थोक में विज्ञापन पर विज्ञापन जारी कर रही है. अच्छा मित्रो लोग पूछते है की महंगाई क्यूँ बढ़ रही हैक्या कभी किसी ने ध्यान दिया है की यह सरकार मीडिया पर इतना अनाप शनाप जो खर्च कर रही है उस से जनता के टेक्स का पैसा कुछ एक मीडिया चैनल की जेब में ठूस कर कोनसा जनता का भला किया जा रहा है. जो हिन्दुस्थान की मीडिया रात दिन अमेरिकेन मीडिया या ब्रिटिश मीडिया के गुणगान करती है और उनके जैसे ही खुद बनने की दिन रात कौशिश करती है क्या वो मुझे बताएँगे की वो मीडिया "आन्दोलन" की रिपोर्टिंग कर रही है या पब्लिसिटी. मुझे कल चैनल देख कर हंसी भी आ रही थी और रोना भी. हंसी इसलिए की क्लिपिंग आन्दोलन की थी परन्तु बेकग्राउंड वन्दे मातरम का गाना बजा रखा था टीवी चैनल ने. जब भी अन्ना जी टीवी पर आते तुरंत बेकग्राउंड शंख बजा दिया जाता जैसे की भगवान् श्री कृष्ण आ रहे है. और मुझे इन चाटुकारों और भोंडे लोगो पर आश्चर्ये नहीं जो कल वो लोगो को जन्माष्टमी पर अन्ना जी की झांकी मंदिरों में लगाने के लिए प्रेरित कर दे और लोग कृष्ण भगवान् के साथ अन्ना की झांकी के आगे भी माथा टेक देंगे. हिन्दुस्थान ऐसे ही थोड़े ही ८०० साल गुलाम रहा है कोई तो कमी हम में भी होगी.  
  • सातवा लाभ शहरी माध्यम वर्ग उठा रहा है. भाई अब न तो शेयर  बाजार बचान नौकरी बची और न ही इतना पैसा जो घर पर ही आराम किया जाए. इस महंगाई ने ऐसी कमर तोड़ी की मध्यमवर्ग इस सरकार से पिंड छुटाना चाहता है. 
  • आठवा लाभ उन नवोदित    "बुद्धिजीवियो " का है जिनको अपनी प्रखरता दिखानी है. जब से इन्टरनेट आया है ज्ञान बहुत आसान होगया लेना. तो जो बुद्धिजीवी सरकार की सेवा में नहीं उपस्थित हो सकेमीडिया में भर्ती नहीं हो पाएएन जी ओ नहीं खोल पाएअखबार में नहीं लिख पातेवो बुद्धिजीवी इस आन्दोलन के बहाने अपना लोहा मनवा रहे है.
  • नौवा लाभ श्री केजरीवाल जी को होगा (भूषण एंड संस इसलिए नहीं ले रह वो लाभ ले चुके है ). अन्ना जी तो फिर भी कुछ एक दशक संघर्ष करके यहाँ पौहुंचे है परन्तु श्री केजरीवाल तो रातो रात "स्टार" "सेलिब्रेटी" बन गए. खैर वो अलग बात है की नाइ रे नाइ बाल कितने, बैठ तो सही पता अभी चल जाएगा. तो कल उनका सरकार को धमकी देने का अंदाज ऐसा लगा की सरकार न हुई कोई कपडे नहीं सही धो कर लाइ धोब्बन हो गई. कल कह रहे थे की सरकार यदि "मेरा" लोकपाल बिल नहीं लाती और उसमे जुडीशियारी से संबधित "मैं" एक और बिल लाऊंगा तो उसको सरकार को पास करवाना ही होगा. अरे ओ केजरीवाल भैये कल किसी जाति के २-४ लाख लोग लाल किले पर धरना दे दे और अपनी ही जाति के दस बीस बुजुर्गो को आमरण अनशन पर बैठा दे क्या २४ घंटे के अन्दर सरकार उनको आरक्षण देने की घोषणा कर देगी क्या? तो केजरीवाल जी आप तो एक तानाशाह से भी आगे चले गए हो. परन्तु आप लीडर तो बन ही गए हो. जिस कोंफिड़ेंस से केजरीवाल कांग्रेस की सरकार को हडका रहे थे उस से अंदाजा लगता है की कांग्रेस की सरकार उनके प्रति कितनी सोफ्ट है. जिस प्रकार श्री अन्ना जी को गिरफ्तार किया था उस से भी पता लगता है कांग्रेस की सरकार उनके लिए कितनी कोपरेटिव है. क्या बाबा राम देव जी को भी इतने ही कोपरेटिव तरीके से पकड़ा था.  अभी कल रात ही एन डी टी वी के पत्रकार श्री रविश कुमार जी राम लीला से लाइव दिखा रहे थे आन्दोलन को तो उनको भी कहेना पड़ा की इतनी बदबू (शराब की) को वो भी सहन नहीं कर पा रहे है. क्या बाबा राम देव के आन्दोलन में शराबी थे और यदि एक भी मिल जाता तो क्या गत मीडिया वाले उस आन्दोलन की बनाते उसका राम ही मालिक है.
  • दसवा लाभ मित्र श्री अन्ना हजारे जी को है. मित्रो तिहाड़ जेल में अन्ना जी के चहरे पर आत्मविश्वाश और पुलिस के हाथ लगे बाबा राम देव जी के चहरे पर उडती हवाइया स्वयं बहुत कुछ ब्यान कर देती है की किस की खातिर हो रही है और किस की खताए निकाली जा रही है. श्री अन्ना जी के आन्दोलन को कांग्रेस सरकार ने कुछ "शक्तियों" के कहेने से किस प्रकार "सनसनीखेज" बनाया यह समझने का विषये है. अन्ना जी अभी जिन्दा है (भगवन उन्हें लम्बी आयु दे) परन्तु उनको जिन्दा ही "पीर" बनाया जा रहा है. उनके बिस्तर, टोपी, चप्पल को हिदुस्थान की विरासत बताया और घोषित किया जा रहा है. यार कमाल है इस देश के चाटुकारों का. एक गायक तो सिर्फ स्टेज पर अन्ना अन्ना और अन्ना ही गा रहा था. अन्ना जी को गाँधी बताने वाले क्या यह बताएँगे की कौन गाँधी, कौन जेपी अपने स्टेज से अपने ही नाम के कसीदे पढवाता था. भारत माता की जय और वन्दे मातरम तो समझ आता है परन्तु यह अन्ना अन्ना और अन्ना (गाने के रूप में) समझ के बहार है.
  • ग्यारवा काले धन वालो को जिनका अकाउंट स्विस बेंक में है, जिनका पैसा देश से बहार है आप ही देखलो क्या इस आन्दोलन में किसी ने काले धन का मुद्दा उठाया है?


कुछ लोगो के दिमाग में है की विपक्ष भी तो लाभान्वित है तो मैं नहीं मानता की विपक्ष को कोई लाभ मिलेगा. यार जहाँ पर लोग कल क्या खाया वो भूल जाते है तो उनको २०१४ में थोड़े ही याद रहेगा की कौन अन्ना था और कौन आन्दोलन. मेरा विश्वास नहीं तो अभी उत्तर प्रदेश के ही चुनावो में देख लेना. 

अंत में मित्रो मैं किसी भी प्रकार के आन्दोलन का विरोधी नहीं परन्तु शर्त है समग्रता की. देश में मीडिया को भी समझना होगा की ग्रामीण लोगो के प्रति उनकी प्रतिक्रिया क्या होती है ठीक इसी प्रकार के आन्दोलनों के बारे में, हिन्दू अपने हितो की बात करे तो क्या उनकी (मीडिया) की अभिव्यक्ति ऐसी ही होती है. बल्कि मीडिया के अंग्रेजी चैनल के पत्रकार तो हिन्दुओ (रामदेव के आन्दोलन में भी) से हिंदी में प्रशन भी हड्काने के अंदाज में पूछते है. मीडिया का यह दोहरा माप दंड देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा है. खैर किसी आन्दोलन की तुलना करना मेरा मकसद नहीं है. और न ही में देश हित में आन्दोलनों का विरोधी हूँ परन्तु जिस प्रकार मीडिया, अन्ना और सरकार का सहयोग दीखता है उस से इस आन्दोलन का लाभ किसी खास "व्यक्ति" को जाते दीखता है. जिस प्रकार से "पैसा" दिख रहा है उस से भी शंका होती है. जिस प्रकार से अन्ना समर्थक संसद को तो ख़ारिज का दे रहे है परन्तु जो लोग उनके चार आदमियो की बनाई गई जनसंसद के बारे में प्रशन करता है उसको तो सिरे से "देशद्रोही" ही घोषित किया जा रहा है. मित्रो इसमें तानाशाही की बू आ रही है.

श्री अन्ना हजारे जी जब तक देश की आत्मा को साथ नहीं लोगे तब तक आपकी सफलता संदेह के घेरे में रहेगी. जो दुसाहस एक बहुत बड़े जनसमर्थन (आप से तो बहुत बड़ा था) के होते महात्मा गाँधी और जय प्रकाश नारायण भी नहीं कर पाए वो आप कर रहे है. आपने अपने आन्दोलन से नक्सलियो के चेह्तो को वैचारिक विस्तार दिया है जिस की गूंज कल हमने बीजापुर में १० हिन्दुस्थानियो के शहीद होने में सुनी. आपने देश के नौजवानों को दिल्ली की सडको पर कानून तोड़ते हुए को मना नहीं किया, आपने अपने आन्दोलन में राष्ट्रवादियो को आने को तो मना किया परन्तु शराबियो को आने को नहीं रोका. क्या गाँधी की फोटो लगाने वाले गाँधी की "शराब नीति" से अनिभीज्ञये है.

देश एक बहुत बड़ी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है. लोगो का मनोरंजन बंद करे और यह अनशन का तमाशा न ही करे, दृढ़ता से सरकार से आप और आपकी टीम एक स्वर में बात करे. अपनी फुर्ती (जिसका मैं व्यक्तिगत रूप से प्रशंसक हूँ और चाहता हूँ की परमात्मा बनाये रखे) ग्राउंड में नहीं सरकार से भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी बात मनवा कर दिखाए और देश के ऊपर एक उपकार करे. तब तो मैं और मेरा भारत आप का प्रणाम करेगा अन्यथा यह सात दिन, इकीस दिन और तीस दिन के (क्षमा करे परन्तु इस) ड्रामे को बंद करे अन्यथा देश में युवा वर्ग अनुशासनहीन हो जायेगा.


कोई इस लोकतान्त्रिक देश में श्री
अन्ना हजारे जी से कोई नहीं पूछ सकता की (न ही मीडिया भी) की आप काले धन को देश के बहार से लाने के लिए एक लाइन भी नहीं बोलते आखिर क्यूँ? मित्रो इसी काले धन जो के भ्रष्टाचार की माँ है के चलते ही तो स्वामी राम देव जी को मीडिया का प्यार नहीं मिला. श्री अन्ना जी इतनी बड़ी बड़ी बाते करते है इन्कलाब और क्रांतियो की परन्तु "काले धन" पर घोर चुप्पी. क्या दाल में कुछ काला नहीं लगता आपको?
बाकी आप मालिक है क्यूंकि यह आन्दोलन आपका है.

जय भारत जय भारती. 

19 comments:

  1. आप का ये लेख आज तक लिखे गये (अन्ना पर) लेखों में सबसे बेहतरीन है, इसमें सच बताया गया है, किसी का पक्ष नहीं लिया गया है,
    सबसे बडी बात जो आपने बतायी है उस लाईन को मैं नीचे कोपी कर रहा हूँ। आपसे भविष्य में भी ऐसे ही लेख की आशा रहेगी, लगे रहो, जय हिन्द, जय भारत, बंदे मातरम..........

    कुछ लोगो के दिमाग में है की विपक्ष भी तो लाभान्वित है तो मैं नहीं मानता की विपक्ष को कोई लाभ मिलेगा. यार जहाँ पर लोग कल क्या खाया वो भूल जाते है तो उनको २०१४ में थोड़े ही याद रहेगा की कौन अन्ना था और कौन आन्दोलन. मेरा विश्वास नहीं तो अभी उत्तर प्रदेश के ही चुनावो में देख लेना.

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  2. गज़ब...

    बिंदास

    सत्य नग्न होता है...
    और नगता किसी को अच्छी नहीं लगी..

    हमार विद्वजन क्या जवाब देंगे...
    श्याद नहीं देंगे... कन्नी काट जायेंगे.

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  3. आपकी लेखनी को मै नमन करता हू, इतने अच्छे और तर्क पूर्ण सत्ये अवगत करने के लिए धन्यवाद, क्या हम आपके इस लेख का इस्तमाल कर सकते है.

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  4. त्यागी जी,

    आपको फोल्लो कर रहे हैं.... बढिया लगा आपका ब्लॉग..

    ऐसे बिंदास निर्भय हो भीड़ से कुछ अलग लिखते रहेंगे ... ऐसी आशा है.

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  5. apne kuch to likha sahi hai
    mujhe bhi is bat ki chubhan hai ki anna ji kale dhan par kuch nhi kah rahe

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  6. बस इंतजार है नोटो पर भी अन्ना की फोटो छपने का.

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  7. वाह आंदोलन के फ़ायदे नुकसान का ज़ायज़ा आपने कितनी आसानी से लगा लिया , मुझे एक बात बताइए सिर्फ़ , आप या हम , आपको कभी याद है कि देश के लिए कभी आपने या मैंने एक दिन का भी व्रत रखा हो , अजी घर वालों के मनुहार पर कई नहीं रख पाते , अब दूसरी बात ये कि इतिहास में और भी वो आंदोलन बता दें जब अगुआ लोगों ने सरे आम सबके सवालों के उत्तर दिए , और बार बार दिए .

    रही बात पूछने की कि अन्ना टीम से ये क्यों नहीं पूछते वो क्यों नहीं पूछते तो फ़िर पहले उनसे ही क्यों न पूछा जाए जिन्होंने इसे शुरू किया था , ये लडाई आखिरी लडाई नहीं है

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  8. main aapki kuchh baaton se to sehmat hun per ye is ladai mein anna ji ke sath hun or media ka dhanyavad karta hun ,aaj pehli baar desh ko bhrashtachar ke khilaaf khada dekh raha hun ,apko lagta hai ki bahot thode log is muhim se jude hain to aap jara ghar se baher nikal kar dekhiye or fir is baare mein blog likhiye

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  9. कोरी बकवास। pls post my comment...

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  10. kuchh samay baad pata chal jaega ki kiski dal kali hai .

    mai aapka virodh to nhi kar rha par samarthan bhi nhi karta.

    sanshay ki isthiti bani hui hai kisi par bharosa nhi kiya ja sakta.

    agar anna ne gaddari ki to fir is desh me koi bhi andolan safal nhi ho paega .........

    har andolankari ko lat mar ke manch se neeche utar diya jayega.

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  11. @ ravi... aap gour kijiye.. bharastchaar ke khilaaf.. bharstachaar ke khilaaf.. Bus ye naam diya jaa raha h... Bholi bhaali jana to khadi hogi hi.. ye kutmiti itni complicated hoti h ki padha likha shahari insaan b nahi samjh pata....

    Bhed chaal si chal rahi h.. gahraai se nahi samjhaa raha h....

    Swayam ki prasidhdhi ka nsha anna ki team ke chehro pe dekhaa jaa sakta h..arstachaar ke khilaaf.. Bus ye naam diya jaa raha h... Bholi bhaali jana to khadi hogi hi.. ye kutmiti itni complicated hoti h ki padha likha shahari insaan b nahi samjh pata....

    Bhed chaal si chal rahi h.. gahraai se nahi samjhaa raha h....

    Swayam ki prasidhdhi ka nsha anna ki team ke chehro pe dekhaa jaa sakta h..

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  12. Comments of my frnds Sameer Shakya : Kejriwal k liye kahi gayi baatein to itni bhaddi h k gale nai utarti.
    Kejriwal bhrashtachar se tang aakar incmtx cmsnr ki nokri chhod k aaya h.
    Aur shayad hi koi aisa aadmi ho jiske paas aisi post ho aur woh sirf 2 jodi kapde aur ek jodi chappl mai jee rha ho

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  13. लो मशालों को जला डाला किसी ने
    भोले थे,अब कर दिया भाला किसी ने
    आग वेवजह कभी घर से निकलती नहीं
    टोलियाँ जत्थे बना,चीख यू चलती नहीं
    रात को भी देखने दो,आज तुम सूरज का जलवा
    जब तपेगी ईट,तभी होश में आएगा तलवा
    तोड़ डाला मौन का ताला किसी ने
    लो मशालों को जला डाला किसी ने.

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  14. भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आन्दोलन को समर्थन देना है, कैसे दिया जाता है? भांड़ की तरह मात्र जय बोलकर या बस इतना भर कहना है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूँ? या दूसरों को हडका कर कि पहले अन्ना की तरह भूखे रहकर दिखाओ?
    मुझे तो कोई एक समर्थक नज़र नहीं आता जो छोटे ही सही प्रण कर के समर्थन करे कि भ्रष्टाचार को समर्थन नहीं दुंगा। नारे लगा दिए कुछ थूक उडा दिया और हो गए अन्ना समर्थक।
    यह समर्थक समझते है भ्रष्टाचार केवल राजनीति और सरकार में ही फैला है। बाक़ी समर्थक तो पूरे नैतिक है। इतना विशाल जनसमर्थन नैतिक है तो भ्रष्टाचार कहां छुपा बैठा है?

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  15. आगे आगे देखिये होता है क्या, इब्दिता-ए-इश्क है.. अभी तो..

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  16. शत प्रतिशत सही लिखा है आपने, निष्पक्ष |
    क्या वो मुझे बताएँगे की वो मीडिया "आन्दोलन" की रिपोर्टिंग कर रही है या पब्लिसिटी.

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  17. you are here man
    http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/kharee-kharee/entry/%E0%A4%85%E0%A4%A8-%E0%A4%A8-%E0%A4%B9%E0%A4%9C-%E0%A4%B0-%E0%A4%9C-%E0%A4%95-%E0%A4%86%E0%A4%A8-%E0%A4%A6-%E0%A4%B2%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AB-%E0%A4%AF-%E0%A4%A6-%E0%A4%95-%E0%A4%B8-%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A4%951

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  18. अति-उत्तम लेख है. राजनीति में सभी कुछ संभव है पर मोहरा सदैव जनता ही बनती है.

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  19. anna ji thik hai jo log aisi likh rahe hai unko sirf ek chulu bhar pani m dub kar mar jana chaiye

    is lekh ko likhne wala bika hua insan hai

    pawan tyagi

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