Monday, August 13, 2012

भयभीत हिन्दू , खंड - खंड हिंदुत्व और लज्जित भारत !!!!!!!



१५ अगस्त को भारत किस बात का जश्न मनाये यह बड़ा ही सोचनिये प्रशन हैभारतवासी कौन है किसके साथ जश्न मनाया जाये यह समझ के बहार का विषय बनता जा रहा हैअसल में पिछले १५-२० दिनों में कुछ एक घटना ऐसी हुई है जिसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया की क्या में अपनी आने वाली पीढ़ी को भारत में बसने लायक छोड़ पाउँगा या नहींकोई ऐसा कारण नहीं दीखता की भारत के हिन्दू अगले ५० साल में अपना खतना  करा ले या इनको कलमा  पढवा दिया जाये

!!!हिन्दू एक बहुत बड़े संकट का सामना करने को तैयार रहेयह बात मित्रो लिख लोहिन्दू अपनी करनी और शत्मुर्गो की तरह रेत में गर्दन छुपाने की प्रवर्ती के कारण एक बार फिर अपने इस्लामीकरण को तैयार हो जाएमित्रो जैसा की पिछले ८०० सालो से होता आया है की इसके लिए कोई और भी जिम्मेदार नहीं बल्कि हम स्वम है

घनघोर आश्चर्य होता है की यह देश हिन्दुस्तान है या पाकिस्तानयह हिन्दुस्तान है तो कदापि हिन्दुओ का तो है नहीं यह कांग्रेसी हिन्दुस्तान हैघिन आती है मुझे अपने हिन्दू होने पर इसलिए नहीं की कोई अत्याचार हो रहा है बल्कि इस बात पर की अत्याचार होने पर उस पर रोने के अधिकार का हनन हो रह हैक्या १९४७ में भारत इसलिए आजाद हुआ था की आसाम में हिन्दू लूटेपिटेबलात्कार करवाए? और उसपर भी हम अपनी पीड़ा बयां  कर पाए.

खैर असाम तो एक बहाना है पीड़ा कितनी गहरी है इसको बोध तो किसी को भी नहीं है

शरू करते है मुंबई से मुम्बई में जिस प्रकार बाबर के पूतो ने उत्पात मचाया उसे देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गएरोंगटे इसलिए खड़े होगये की मैं अभी तक यह ही सोचता था की मुसलमानों को मीडिया और कांग्रेस  अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने बरगला रखा है जिससे यह अनपढ़ और जाहिल कौम अपना हिंसक प्रदर्शन करती है और हिन्दुओ का यदा कदा सताती हैपरन्तु जिस प्रकार मुंबई में "अमर जवान ज्योति " को धुलधूसरित किया और उसको जला का मीटिया मेट किया उस से इरादे बिलकुल साफ़ हो गए हैकी जो भस्मासुर अब तक पला बड़ा किया था अब वो साक्षात् रूप में नरसंहार करने के लिए तैयार हैअब वो देश की पुलिस - वुलिस से नहीं बल्कि इतना शक्तिशाली हो चूका है की देश की सेना को चुनौती दे रहा है 

परन्तु मित्रो यह यकायक नहीं हुआ इसका एक लम्बा सिलसिला है जिनका मैं यह जिक्र करना चाहूँगाअब बात भारत या तिरंगे या संसद या नेता के मान अपमान की नहीं है बल्कि अब बात अस्तित्व की हैबात  भाजपा या कांग्रेस की, बात संविधान या प्रवधान की भी नहींबात चुनाव या विकास की भी नहींबात सीधे सीधे अपने अस्तित्व की हैमेरे और आपके परिवार की हैबात गली और मोहल्ले की हैलड़ाई सरहद पर नहीं घर तक  चुकी हैहिन्दुओ को अपनी आँखे खोल लेनी चाहिए की महत्मा गाँधी कहेते रहे की 'पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगाइसी प्रकार आज की कांग्रेस कहेती रहेगी की "हालत काबू में है और नागरिक सुरक्षित हैक्या खाक सुरक्षित है नागरिक

क्यां मीडिया के पक्षपात करने के बावजूद हमें मुम्बई में भारतीय सेना का अपमान नहीं दिखाअमर जवान ज्योति को खंडित करते मुस्लिम आताताई को नहीं देखा?

क्यों हम नहीं जानते की किस भड़काऊ भाषण से मुम्बई की मुस्लिम भीड़ हिंसक हुई थी? क्यूँ नहीं मीडिया उस भाषण की टेप देखा देती? क्यूँ सी सी टीवी की वो फुटेज देखती नहीं जिसमे हिन्दू विरोधी - देश विरोधी नारे लगाये गए? दुनिया जाने तो सही की इनके अन्दर देश के प्रति कितना जहर भरा है। दुनिया देखे तो सही की शांति का धर्म इस्लाम अपने पवित्र रमजान के महीने में कितना मासूम है।

किस बात की आग मुम्बई में लगाई गई इस बात की की आसाम में हिन्दुओ को क्यों बचाया जा रहा है. क्यों मुस्लिम आतंकवादियो के हाथो मरने नहीं दिया जा रहा है? या इसलिए की हिन्दुस्तान को पकिस्तान बनाने देने के लिए सेना रोड़ा बन रही है या इसलिए की रमजान की आड़ में असम को इस्लामिक राष्ट्र नहीं बनाने दिया जा रहा है.

बरेली में हिन्दुओ का नरसंहार किया जा रहा है.

पकिस्तान से हिन्दू भाग कर क्यों  रहे है? क्या यह पूरी दुनिया के लिए शर्मनाक नहीं की पकिस्तान के राष्ट्रीय चैनल पर एक मासूम हिन्दू को जबरदस्ती मुस्लिम बनाया जा रहा हैअमेरिका से लेकर चीन तक सब सुनलोजिस प्रकार बामयान (अफगानिस्तानमें बुद्ध की मुर्तिया उड़ाई गई थी और बाकी राष्ट्रों ने हिन्दुओ का मसला मान कर छोड़ दिया था परन्तु उस से प्राप्त साहस से तालिबान और मुसलमानों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर उड़ा दिया था उसी प्रकार पाकिस्तान में हिन्दू को जिस जोश और खरोश से राष्ट्रीय स्तर पर जश्न के साथ  मुस्लमान बनाया गया अब अंतर राष्ट्रीय स्तर पर  तो इसकी भर्त्सना की गई और इसे भी हिन्दू का मामला समझ कर छोड़ दिया इसी प्रकार फिर से मुस्लिम आतंकवादी इस से साहस पाकर फिर अमेरिका और दुसरे राष्ट्र को एक नवीन हमले के लिए तैयार रहना चाहिएइसको असल में मुसलमानों की एक चेतावनी समझा जाए.
कश्मीर में भारतीय सेना को आतंकी निशाना बना रहे है और मुम्बई में भारतीय सेना के स्मारक स्थल को तोडा जा रहा हैयह एक बड़ी चेतावनी है

दिल्ली में कांग्रेस "अकबरी मस्जिदऔर "नूर मस्जिदबनवा रही हैसुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बावजूद दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी "अकबरी मस्जिद " तोड़ने से मना कर दिया.

पकिस्तान से हिन्दू भारत पलायन कर रहे हैहिन्दू लडकियों से बलात्कार और धर्मपरिवर्तन हो रहा है.

हिन्दुस्तान में हिन्दू लडकिया भगाई जा रही है और उनसे लव जिहाद के नाम पर धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है.

क्या शर्मनाक कदावत नहीं की एक हिन्दू को सरे आम टीवी पर इस्लाम में धर्मान्तरित किया जा रहा है और दुनिया का कोई मानवाधिकार संघठन इस पर आक्रोशित नहीं होता. यह न केवल शर्मनाक है बल्कि डूब मरे लायक है. हिन्दुस्तान की वर्तमान सरकार किस भांग के नशे में है यह समझ से परे है. सरकार जिस प्रकार अमेरिका की अजेंटीगिरी कर रही है और अपने एक मंत्री को ऍफ़ डी आई पर लगा रखा है वो भर्त्सना योग्य है.

हिन्दुओ को मुंबई में जिस प्रकार का ट्रेलर दिया गया है डराने और उकसाने के लिए उसपर भी सरकार का रविया दोषीओ को सजा देना कम, मामला दबाना जायदा है. सरकार की नियत और और नियति दोनों पर प्रशन खड़ा करता है. 

सरकार और मीडिया जिस सच को छुपाने की भरसक कोशिश कर रहा है वो रीस रीस कर बहार आ रहा है. मुसलमानों की क्रूरता और देशद्रोह छुप नहीं सकता. जिस म्यांमार के मुस्लिम शोषण की आड़ लेकर मुंबई में प्रदर्शन किया गया वो सिवाए मुस्लिमो के इस भारत देश में "छुट्टे सांड" होने के और कुछ भी नहीं प्रमाणित करता . इस म्यांमार के शोषण की आड़ में जो हिंसा का नंगा नाच मुम्बई में किया गया है वो महाराष्ट्र और केंद्र के कांग्रेस और एन सी पी के शह की वजह से हुआ है. 

क्या बात है की इस म्यांमार की घटना पर न तो ब्रिटेन के मुस्लमान बोले, न पडोसी मलेसिया के मुस्लमान बोले, न ही बंगलादेश के मुसलमान बोले. हिन्दुस्तान के मुस्लमान जो हर दिन बकरीद और रात को ईद मनाते है इस हिन्दुस्तान की सरजमी पर, जिनको केंद्र की  सरकार मसाज करती है, घर बैठे दामाद मानती है, उनके म्यांमार की मिर्ची क्यूँ लगी? असल में पिछले १० साल में मुसलमान इतने इम्पावर होगये की वो देश में इस्लामिकारण का एक और दौर चला कर, इस देश का कुछ एक और हिस्से पर कश्मीर के हालत बनाकर एक और पकिस्तान का निर्माण करना चाहते है.

आज मुसलमान कांग्रेस की सोनिया गाँधी की गोद में बैठकर देश की पुलिस, सेना, नागरिको और मीडिया की आंखे फोड़ रहा है. और कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता इन का.

क्या सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग यह सरकार मानेगी और रजा अकेडमी से तोड़फोड़ का हर्जाना माँगा जायेगा और क्या रजा अकेडमी उसे भरेगी?

सुप्रीम कोर्ट वैसे तो मुसलमानों के ठेंगे पर है. न तो नूर मस्जिद और न ही अकबरी मस्जिद दिल्ली के बारे में मुसलमानों ने कोर्ट की सुनी. 

असल में सच में मुझ से पूछा जाये तो में कहूँगा की इस देश में दो ही लोगो का आदेश चलता है एक राज माता सोनिया गाँधी का और दूसरा मुसलमानों को बाकी हिन्दुस्तान एक भेड़-बकरी से ज्यादा कुछ नहीं. और जो लोग मेरी बात का विश्वास नहीं करते तो वो देखलो की रजा अकेडमी कैसे इस हिंसा में तोड़फोड़ का हर्जाना भरती है? 

आज कहाँ गए महेश भट्ट, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, सुभाष गतड़े ? यह क्या बोलेंगे इस हिंसा पर परन्तु एक कदम आगे निकल कर उप्र सरकार के समाजवादी पार्टी के केबिनेट मंत्री आजम खान कश्मीर को भारत का हिस्सा मानने को तैयार नहीं. तो मुसलमानों को हिन्दुस्तान में विशवस ही नहीं है और अजेंडा एक दम साफ़ है , वो दिन रात इस देश को और इसके नागरिको को घाव देने के अलावा कुछ नहीं कर सकता है. और यह बदसूरत जारी है. मैं  चीख चीख कर कहेना चाहूँगा की जो पार्टिया इनको आरक्षण देना चाहती है वो जान ले की जो लोग भारत की सेना और उसकी असिमिता अमर जवान ज्योति की ज्योति ही बुझा रही है तो क्या वो देश के हित में काम करेंगे? इनको आरक्षण देना का मतलब है इस देश का नाम भारत से बदल कर इस्लामिस्तान रखना .और १०० करोड़ हिन्दुओ से कलमा पढवाना . क्यूँ नहीं इन १०० करोड़ हिन्दुओ का खतना कर देते और कहानी ख़तम करते. असम दौरे के समय जब सोनिया गाँधी और देश के ग्रहमंत्री के होते हत्याय हो रही है हिन्दुओ की तो कौन रोकेगा इन मुस्लिम आतंकवादियो को हिन्दू को मारने से? आज महीने से ऊपर हो गया बरेली में  करफू को. किसको का फर्क पड़ रहा है. 

क्या कांग्रेस इस मुंबई हिंसा के लिए ही "साम्प्रदायिक बिल" ला रही थी जिस से इस हिंसा को बहुसंख्यक हिन्दुओ के माथे मड्ड सके. रोम की हिन्दुस्तानी राज माता को पता ही कुछ नहीं की १९४७ में हुआ क्या है. जिसका जीवन साजिशे बनाने और बुनने में लगा हो उसे देश की मिटटी की खुशबु का क्या पता.

क्या कांग्रेस हिन्दुओ को असदुद्दीन ओवासी के भाषण से डराना चाहती है. आवासी का भाषण क्या भारत की संप्रभुता के खिलाफ नहीं। यह चोरी और सीनाजोरी नहीं तो क्या है। क्यूंकि मुसलमानों तो मोर्चा खोल दिया भारत देश और हिन्दुओ के खिलाफ और ये आरोप में अपने से नहीं लगा रहा हूँ. जो दिख रहा है सिर्फ उसे बयां कर रहा हूँ.

मुसलमानों को कांग्रेस की केंद्र सरकार और राज्यों की कांग्रेस सरकारों ने माहौल प्रदान किया, की कुछ भी करो सुरक्षित रहोगे. कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ेगा. देश में यदि कहीं भी मुस्लिम अतंकवादियो को पकड़ा जायेगा कांग्रेस की केंद्र सरकार गुजरात सरकार की तरह गत बना देगी उसकी . बाकी का काम उसके राज्यपाल करेंगे. तो कांग्रेस राज में तो कोई दिक्कत है ही नहीं और जहाँ कांग्रेस की सरकार नहीं है वहा पर उसके राज्यपाल मुस्लिमो को बचायेंगे. अच्छा  सरकार ने पहेले से ही पोटा हटा दिया है, ऊपर से बहुसंख्यको को दबाने के लिए "साम्प्रदायिक बिल" ला रही है. मोदी को "धर्मनिपेक्षता" के चुंगल में फंसा रखा है और बाकी का काम उसकी सहयोगी पार्टिया कर ही रही है मोदी रोको अभियान. फिर संघ को 'भगवा आतंकवाद" का फंदे में फंसाया हुआ है. बाकी कांग्रेस की मीडिया "भगवा गुंडे" बता कर राष्ट्रवादियो और हिन्दुओ को लपेट रही है. बेचारे जो धार्मिक संत है उनको बहरूपि और ढोंगी बाबा कहे कर रोज सड़क पर नंगा किया जा रहा है.

रमजान का महिना है हर कांग्रेसी नेता इफ्ताहर कर रहा है तो क्यूँ नहीं मुसलमान इस देश को आंखे दिखायंगे. न केवाल आज आंखे दिखा रहे है बल्कि मुम्बई में तो आंखे निकालने का कृत्ये कर रहे थे.

क्या जज्बा है मुसलमानों का की "रमजान" के पवित्र महीने में महिला पुलिस के कपडे उतार रहे थे. उनके निजी अंगो पर वार कर रहे थे. वहा  क्या धर्म है जो रोजो में इतना पवित्र कार्य कर रहा है. देश की रक्षक भारतीय सेना के स्मारक अपवित्र कर रहा . 

मुझे एक बात समझ नहीं आती की पुलिस ने इन मुसलमानों को इस बर्बर हिंसा करने की इजाजत क्यूँ दी. पुलिस कहेती है की १९९२ से भी बदतर हालात हो जाते यदि एसे नहीं करने दिया जाता. तो मैं पूछना चाहूँगा जब मुम्बई में हिंसा का यह तांडव है, देश की राजधानी दिल्ली में नूर मस्जिद और अकबरी मस्जिद जो गैरकानूनी है का सुभाष पार्क में मुस्लिम हिंसा का नंगा नाच, असाम में हिन्दुओ के नरसंहार, बरेली में हिन्दुओ की  हत्याय. तो क्या इस से भी बुरा और होगा देश के हिन्दुओ और देश के खिलाफ? मनानिये सुप्रीम कोर्ट कृपया पुलिस के इस बयान का नोटिस लिया जाये. क्या कहेना चाहती है पुलिस की इनको जो मर्जी करने दो नहीं तो हिन्दुओ अंजाम भुगतो. पुणे में बम्ब विस्फोट किया और यह लगातार हो रहा है तो क्या हिन्दू बस मरे, पिटे और लूटे तभी इन रक्त पिपासुओ रक्षाशो की प्यास बुझेगी. 

और जो लोग यह कहेते है की मुस्लिम समाज का इस मुम्बई हिंसा में कोई योगदान नहीं, बस यह तो कुछ एक शरारती तत्व की "शरारत " है. बकवास करते है यह लोग, झूट बोल रहे है, देश को मुर्ख बना रहे है। पहली बात तो किसी भी विडिओ फुटेज में कोई भी मुसलमान हिंसा करते लोगो को रोकता नहीं है। दूसरा यदि यह हिंसा मुस्लिमो को मंजूर नहीं थी या उनके नेता जो आज  आंसू बहा रहे है और झूटी माफ़ी मांग रहे है तो क्या वो यह बाताने की जहमत उठाएंगे की जब यह हिंसा हो रही थी तो वो इसको रोकने का क्या कोशिश कर रहे थे। दूसरा यह तो संभव ही नहीं की बीस हजार लोगो की भीड़ में से 10-15 लोग हिंसा करे। यह तो तभी संभव है जब उन्हें 20000 लोगो का समर्थन प्राप्त हो। कामल तो यह है जो मीडिया बात बात पर विपक्षी या राष्ट्रवादियो नेताओ के बयान ढूंड ढूंड कर दिखाती है वो इन जहरीले भाषण देते मुस्लिम नेताओ के भाषणों की विडिओ सवार्जनिक क्यूँ नहीं करती। देखे तो सही के "मासूम और भटके भाईजान" देश के प्रति कितनी मोहबत रखते है। जिस थाली में खाते है उसी में थूकते है।

खैर जो नेता संसद में  मुम्बई हिंसा को उठा रहे है वो भी इस बार मीडिया से खौफ जदा है। क्यूंकि किसी ने (न ही जदयू के थूक  फैंक नेता श्री शिवानन्द तिवारी ) यह नहीं पूछा की एक भारतीय होते हुए "म्यांमार" में किसी घटना के लिए मुम्बई के मुसलमान के पेट में क्यूँ  ऐंठन हो रही है।  क्या अमेरिका में मारे गए सिख भाईओ के मारे जाने से जालन्धर में या चड़ीगढ़ में दंगे हो गए। और फिर हिन्दुस्तान तो सिखों और हिन्दुओ की अध्यात्मिक, आत्मिक जन्मस्थली है। म्यांमार से हमें न लेना एक न देना दो, तो फिर मुसलमानों से कोई पूछता क्यूँ नहीं की तुम्हे किस बात के दस्त लगते है जिस से आपका कोई भी सरोकार नहीं।

यह भारत की सरकार से भी पूछना चाहिए की फ़्रांस में बुर्के पर बेन लगे तो प्रदर्शन हिंदुस्तान के मुसलमान यह की सडको पर करते है, इंग्लेंड में किताब लिखी जाये तो प्रदर्शन हिन्दुस्तान में होते है, काबुल में अमेरिकन कुछ करे तो दंगे भारत में होते है, डेनमार्क में कोई कार्टून छपे तो सड़के हिंदुस्तान की आप तबाह करते है, मित्रो बात समझ नहीं आती की हमारा कसूर क्या है। क्या भारत सरकार हिन्दुस्तान को मुसलमानों को मनमर्जी कर देने के लिए "माहोल" नहीं प्रदान कर रही। और हुनको हिन्दुओ के खिलाफ उकसाने की खुली छुट दे रही है? अब दूसरी तरफ हिन्दुओ को देखो सबसे बड़ा उधाहरण श्री लंका का है कितने हिन्दू मरे, बल्कि यूएन ने भी सवीकार किया की वहा पर हिन्दुओ का नरसंहार हुआ। परन्तु क्या किसी हिन्दू ने कही पर भी प्रदर्शन किया या दंगे किये या बसों में आग लगाईं। 100 करोड़ हिन्दू चाहते तो इसकी भड़ास निकाल सकते थे। क्या नरसंहार हुआ है गुजरात में, सिवाए राजनीति के कुछ भी सच्चाई नहीं इसमें, जिसमे मीडिया, कांग्रेस और अवसरवादी लोग शामिल है। यदि "नरेंद्र मोदी ' इतने ही बड़े हिन्दुओ के नेता होते तो क्या श्रीलंका के हिन्दुओ के लिए एक बड़ी रैली न करते, जिस से भारत के मुसाल्मान खौफ खाते और विश्व में हिन्दू नेता होने का गौरव प्राप्त होता । क्या ऐसा हुआ? आप मुसलमानों को दुनिया में कही पर भी खरोच आती है तो आपन हिन्दुस्तान में हिंसा का नंगा नाच करते है। क्या यह सब आपको शोभा देता है?
मुसलमान थाईलेंड में बोद्धो का कत्ले आम करते आ रहे है तो क्या हिन्दुस्तान के हिन्दू इस बात पर आंदोलित हो जाये। भाई थाईलेंड उनका देश है वो जाने और उनका देश।

मुस्लिम भाईओ  यदि सच में तुमने अपनी माँ का दूध पीया  ही है तो पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों पर होते अत्याचार पर "पाकिस्तान दूतावास के सामने प्रदर्शन" क्यूँ नहीं करते। क्यूँ नहीं पकिस्तान में शियाओ के मरने पर या उनकी मस्जिदे  पर देश भर की सड़के प्रदर्शन से सरोबार करते। असल में यह सब आप नहीं कर सकते क्यूंकि आप का केवल और केवल हिंद्सुतान के हिन्दुओ को डराना और धमकाना ही मकसद है। और इस बात को शिवानन्द तिवारी और अन्य मुसलमानों के रहनुमा भी सुन ले। इसलिए मेरा धर्मनिरपेक्ष नेताओ से नम्र निवेदन है की बात की गंभीरता समझे और इन मुस्लिम गुंडों से देश को बचाए। हिन्दू वास्तव में बहुत गंभीर मानसिक अवसाद से गुजर रहा है। इस सच्चाई को स्वीकार करे और उनको भी हीलिंग टच  दे। कश्मीर हो या बम विस्फोट, हिन्दू आतंकवाद (झुटा, मीडिया गडित) सब में हिन्दुओ को हीन  बनाने की ही साजिश है। असल में इस प्रकार का व्यवाहर मानवता के मूल सिधान्तो का घोर उलंघन है. कृपया हिन्दुस्तान को मुस्लिम मामलो में ऐपिक  सेंटर न बनाये और इस से बचा जाये। 

यदि हैदराबाद में पकिस्तान का झंडा फहराया जायेगा और उसका स्वतंत्रता दिवस मनाया जायेगा। हिन्दुस्तानी मुसलमान पाकिस्तान में मुस्लिमो पर अत्याचार तो एक दम चुप रहेगा परन्तु 1000 -2000 किलोमीटर पर हुए देश से बहार किसी घटना पर हिन्दुस्तान की सड़के हिंसा के नंगे नाच करेगा, औरतो की इज्जत से खेलेगा, बहुसंख्यको को डराए गा। तो यदि इस के मद्देनजर पब्लिक परसेप्शन पाकिस्तान परस्ती की नहीं बनती और यदि नहीं बनती तो फिर लोग इन घटनाओ को कैसे देखे। क्यंकि मुंबई हिंसा के बाद किसी भी उर्दू अखबार ने इस घटना की मजम्मत नहीं की और न ही किसी को दोषी माना बल्कि इसके ठीक उलट सरकार को ही कटघरे में खड़ा किया गया। तो क्या यह ही न्याय है?

यदि हिन्दुस्तान के हिन्दू जैसे को तैसा करने की प्रवर्ती  रखते जैसा की 1992 के बाबरी ढांचे गिरने के बाद पाकिस्तान या बंगलदेश में या हिन्दुस्तान में प्रतिकिया हुई तो हिन्दू बालक के पाकिस्तानी राष्ट्रीय चैनल पर मुस्ल्मिम धर्मांतरण पर क्या कोई प्रतिक्रिया हुई। क्या शिवानन्द तिवारी या कांग्रेसी निरुपम संजय या असुद्दीन ओवासी इस घटना से हिन्दू रेडिकल होने का कोई खतरा नहीं। बात समझो श्री लैंको में लाखो हिन्दू मरने से हिदू रेडिकल नहीं हो सकता परन्तु बंगलादेश मुसलमानों को हिन्दुस्थान में न बसने देने पर मुस्लिम रेडिकल हो सकता है। वहां क्या तर्क है ओवासी सहिभ?  

क्या अब भी केंद्र सरकार बताएगी की हिन्दु और बहुसंख्यको के खिलाफ "साम्प्रदायिक बिल" कब लाया जायेगा? या वास्तव में हिन्दू ही आतंकवादी है और बाकी मासूम और भटके हुए। इन उपर लिखित घटनाओ में किसी में भी हिन्दू का हाथ नहीं तो क्या कोई मुस्लिम अभी तक सजा पाया? और राजनीति के दुरूपयोग की प्रकाष्ठ यह है की इस मुम्बई हिंसा का ठीकरा भी बीजेपी और शिवसेना पर फोड़ा जा रहा है। संसद में तो कम से कम ऐसा ही लगता है। कांग्रेस और धर्मनिरपेक्षता  दल कम से कम इस पर तो राजनीति न करे।

अभी तक मुंबई हिंसा के भड़काऊ भाषण देने वाले पुलिस की गिरफ्त से बहार क्यूँ है? या महाराष्ट्र सरकार अभी "बाला साहिब ठाकरे के भाषण का इन्तजार कर रही है ?

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