Wednesday, July 25, 2012

मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दू जातीया, कांग्रेस और मारुती का मानेसर कार प्लांट !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!



हिंदुस्तान का आम आदमी आज अंतिम सांसे गिन रहा हैऔर उसका क्रेडिट निश्चित तौर पर भारत की कांग्रेस पार्टी को जाता हैकितना फरेब और बड़ा झूट है की हम "आम आदमी" के काम कर रहे है अरे आप उसके काम नहीं कर रहे बल्कि उस आम आदमी का वोट लेकर आम आदमी पर चोट कर रहे हैआज कांग्रेस की शह पर बाकी पार्टिया जो सेकुलर धर्म की राजनीति करती है ने हिन्दुओ को हिन्दुस्तान में रगड़ कर रख दियाबात बरेली दंगो की होकोशी के दंगो की होदेवबंद की होशामली में माता की जोत पर मुस्लिमो के पानी डालने की होउड़ीसा की होहोशंगाबाद की होबाबा अमरनाथ की यात्रा में मरते हिन्दू भक्तो की होशिव की कावड चढाते और मुस्लिमो से पिटते शिव भक्तो की होशिव लिंग पर अपने पैर रखते फोटो की होगंगा के मरनसन्न होने की होदिल्ली - हरिद्वार राजमार्ग की दुर्दशा की होहिन्दुओ लडकियो के लव जिहाद की होमुस्लिम अतंकवादियो को फांसी  देने की होराम सेतु तोड़ने की होअसम में हिन्दू स्त्रियो के बलात्कार की हो या कल हुए मुस्लिमो द्वारा दंगो की होहैदराबाद के दंगे होंमुध्खेड नांदेड के दंगे होमहाराष्ट्र के ही नगर के दंगे होदुर्गा देवी पर पत्थर फैंकने की घटना होदिल्ली में मेट्रो स्टेशन के खुदाई पर झूटे ही वो भी प्रशासन की आज्ञा की अवेहेलना कर रातो रात एक फर्जी "अकबरी मस्जिदखड़ी करने की होदिल्ली में ही डीडीऐ की जमीन पर जंगपुरा में जबदस्ती की "नूर मस्जिदका निर्माण हो. किस किस के बात करे और क्या क्या बात करे. पता नहीं इस धरती पर इंसान पैदा होने बंद होगये क्या जो न सेकुलर नेता, न कांग्रेसी नेता और न मीडिया का ध्यान इन बातो पर जाता है. यहाँ तो चारो और हा हा कार हो रहा है. हर तरफ हिन्दू मर रहा है. न मीडिया में सुनवाई न कानून का राज. क्या हो रहा है. यह और कुछ नहीं कांग्रेस की हर तरफ हिन्दुओ को अत्याचार कर क्रिया की प्रतिक्रिया करवाने की कोशिश है. सारी मीडिया हाथ पर हाथ धरे बैठी है. और इन्तजार इस बात का कर रही है की हिन्दू कब अपनी प्रतिक्रिया दे और कब यह अपनी कलम और जीभ फिर से चलाये जैसे की गोधरा के बाद हुआ था. घोर आश्चर्ये होता है जब बरेली जैसे दंगो पर मीडिया "मामूली झडप" जैसी हेड लाइन बनाती है और असाम के मुस्लिम कृत दंगो को "जातीय हिंसा" बताती है. 

किसी भी सूरत में मीडिया के इस रविये को और कोंग्रेस के इस अंदाज का माफ़ नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस को असहास नहीं है की १० जनपथ तो अपना टिन टप्पर उठा कर परिवार समेत भारत से बहार चला जायेगा परन्तु कांग्रेसियो का क्या होगा. क्या कल जहर पीने के लिए वो ही बाकी रहेंगे.

कांग्रेस ने हर बार भारत की आत्मा पर चोट की है और अब उसके मर्म पर कर रही है. राजनीति की भी सीमा होती है परन्तु जिस प्रकार निरह हिन्दुओ को खूंखार मुसलमानों के हाथो मरने के लिए छोड़ दिया है वो इंसानियत को भी शर्मशार करती है. आज जेलों को इस्लामिक और पाकिस्तानी आतंकवादियो की शरण स्थली बना दी गई है. और बाकी हिंदुस्तान मुस्लिमो का क्रीड़ास्थल बन गया है किसी की बहन लेकर भाग जाओ, किसी का धर्म परिवर्तन करा दो, किसी को दंगो में मार दो. यदि कुछ होता है तो मई बाप मीडिया और सेकुलर नेता बैठे ही है. यह है हिंदुस्तान का दर्द और आम हिन्दू की पीड़ा. 

और कानून का राज न होने से आज आतंक की आग मारुती-सुजुकी  जैसी विदेशी कंपनी के आंचल तक पहुँच गई. इलाज जड़ में है पत्तियो में नहीं, आज जो लोग कोग्रसी नीति के दंश पर दारुण कर रहे है वो जान ले कल जब ८५ करोड़ हिन्दू बावले हो जायेंगे तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा. महाभारत में क्या हुआ था वहा पर भी न तो कानून का राज रहा था और न सिधांत की इज्जत और परिणिति कुरु क्षेत्र का युद्ध. 

कांग्रेस को न तो देश चला न आता है और न ही सरकार. आज गावो के अन्दर खेतिहर मजदुर नहीं मिल रहे है, जमीन पर खेती महंगी हो गई है, उस से सब्जियों, दालो और अनाज के दाम बढ़ गए है. मानेसर प्लांट में क्या हुआ. उसको यदि समझा जाये तो आने वाले समय की पिक्चर का आभास हो जायेगा. फरीदाबाद, गुडगाव और नॉएडा की फेक्टरियो में कोई गरीब काम नहीं करता, मुख्यत: जिनको मार्शल कौम कहा जाता है वो लोग काम करते है. उन्ही के पास गावो में जमीन भी है. आज उनकी खेती घाटे का कारोबार होगया है. तो शहरो में नोकरी करने लग गए और सप्ताहांत पर खेती का काम देखने लग गए है. अब जिनके पेट भरे हो तो वो अपने स्वाभिमान के रक्षा के लिए कुछ भी कर जायेंगे. वो जापानी या चीनी मजदुर तो है नहीं जो किसी की सुन लेंगे. पेट भरे तो टक्कर देंगे ही उनके सामने फेक्टरी का मालिक क्या और अफसर क्या. अब छोटी जातियो को सरकार घर बैठे पैसे दे रही है, नौकरी दे रही है, और अब तो खाद्य सुरक्षा भी दे रही है. तो एक तो नीचे से काम करने की परम्परा ही ख़त्म हो गई. दूसरा मार्शल कौम अपनी इज्जत बचाने को नौकरी भी कर रही है जहा पर शहरी संस्कार सीख रही है दूसरा गावो की परम्परा भी ढोह रही है. संक्रमण काल की इस दौर में यह कौमे गेहेरे दबाव में. इस दबाव के कारण को चार कलास पढ़ा एच. आर. विभाग का अधिकारी क्या समझेगा. 


यह यूनियन बाजी और मजदूरो की राजनीति तो क्षणिक बाते है मुख्य कारन इस अनपढ़ और जाहिल सोनिया गाँधी और ढपोर राहुल गाँधी की सरकार पर हावी होती उलजलूल नीतिया है.  

कांग्रेस का वोट बैंक बनायेंगे!! अरे बना तो लो पर करवाओ गे क्या इन पर. सब को लेप टॉप बाँट दो. सब को पी एच डी करा दो तो होगा क्या, हम खायेंगे क्या, कल को खुदरा में विदेशी निवेश लेकर आजाओ, जो हालत आज गाव में है कल बनियो के बच्चे बेरोजगार हो कर वो ही काम करेंगे जो आज मानेसर में हो रहा है. 

दिल्ली के आज पास जाटो, गुज्जरों, त्यागियो की जमीन सरकार ने छीन कर पैसे हाथ पर रख दिया, अरे जिनके बाप दादो ने इतने पैसे नहीं देखे और जो हल और खेती के आलावा कुछ नहीं करते थे उनको रातो रात करोड़पति बना कर भिखारी जैसा बना दिया. कुछ लोग कहे भी सकते है यार कमाल कर रहे हो सरकार ने पैसे देदिए और आप कहे रहे हो भिखारी बना दिया. अरे भैया कल को साइकल चलते के हाथो हवाई जहाज पकड़ा दो गे तो क्या उड़ा लेगा. जो गलती बड़े बड़े मुर्ख राजा भी नहीं कर पाए वो बेवकूफी कांग्रेस सरकार कर रही है. भगवान् परशुराम ने भी क्षत्रियो का संहार करने के बाद अपनी फ़ौज को जमीन बाँट दी थी जिस से जो भी बचा खुचा जोश हो वो धरती में लगाये न की मानव को  मारने में क्यूंकि सत्ये की पताका तो फेहरह चुकी थी. उनको मालूम था मिटटी ही इनको इलाज है इसको चीर कर मानव के लिए अनाज उगायेंगे और समाज व् संस्कृति का सर्जन होगा. परन्तु इन दुर्जन कांग्रेसियो ने इन मार्शल कौमो से पहेले खेती करते मजदुर गावो से छीने, फिर उनकी जमीने छीन ली और अब जब बात अपने पर आई तो लकड़ी के बीच फंसे अंडकोष की पीड़ा से ग्रसित बन्दर के मानिंद कर रही है. यह तो होना ही था और होगा.

कांग्रेसियो ने पहेले जिन्न तैयार किये गाव में मजदूरी करते मजदुर और उनको बना दिया निट्ठाला, उनके काम के बारे में नहीं सोच रही, बल्कि अभी भी घर बैठे उनके मुह में कैसे हराम के टुकड़े ठुसे जाये यह सोच रही है, स्वाभिमान से जीते किसानो को जबरदस्ती क्रेडिट कार्ड बांटे, आज वो भी दर दर की ठोकरे खा रहे है और बैंक के आगे गिड गिडा रहे है. फिर उन किसानो की जमीन छीन ली और हाथ में आकूत पैसा रख दिया, जो उनके लिए किसी काम का न था. फिर पाप किया जिन लोगो के पास जमीन थी उनको तथाकथित स्वर्ण जाती घोषित कर के उनके बच्चों के आगे बढ़ने के अवसर रोक दिए और निजी कंपनियो के क्रूर हाथो को सौंप दिया. अब जो हो रहा है उसको भुगतो.

हिन्दू धर्म के ऊपर उसकी प्रक्रति जाने बिना उसको जो शीर्ष आसन करवाएगा उसको यह ही दंड मिलता रहेगा. हिन्दू समाज को हिंसा के आगे झोंक कर उनको असल में हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है. जैसे की गोधरा में किया गया था अब वो चाहए असाम हो या मानेसर यह कोई गोधरा से कम नहीं है. 

गलती सोनिया गाँधी की चवन्नी छाप सोच की है जो भारत के आदमियो को नीचे से खिलाना और ऊपर से हगवाना चाहती है. मित्रो इसका इलाज आपको और हमको ही करना है क्यूंकि यह आपके पुरखो की धरती है जिसको आपको अपनी आने वाली सुसंस्कृत संतति को सौपना है. 

अन्यथा यह कौवे तो गोधरा के बाद की क्रिया की प्रतिक्रिया का ही इन्तजार करेंगे जिस से २०१४ में एक बार फिर से "सेकुलर" सरकार के नाम पर फिर से हमें रसातल में लेजाये. 
      

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