कांग्रेस के सभी आला नेता चिंतित हो रहे है की यह दिल्ली में हो क्या रहा है। सचिन तेंदुलकर को सन्यास भी दिला दिया पर जिस को लोग जिन्दा भगवान् मानते थे के इस्तीफे से भी दिल्ली प्रदर्शन कर रही जनता पर फर्क नहीं पड़ा। असल में कांग्रेस सरकार में असमंजस इस बात का है की जब सोनिया गाँधी ने भी प्रदर्शनकारियो से बात कर ली तो भी उनके आश्वासनों के बाद भी प्रदर्शनकारी क्यूँ वापस अपने दडबो में जा नहीं रहे है। तो सोनिया गाँधी जी आप भी कुछ बाते जान ले की क्यूँ नहीं लोग संतुष्ट हो रहे है।
1. लोग न तो कभी आपको देश का नेता मानते थे और ना ही आपकी अपील में कोई दम था बस आपका भ्रम था जो गुजरात चुनाव से सब को स्पष्ट हो गया की आप और आपके चुन्नू मुन्नू कितने पानी में है।
2. देश का युवा यहाँ है राहुल गाँधी कहाँ है, के नारे लग रहे है तो राहुल गाँधी खुद अमेठी बलात्कार काण्ड में संदेह के घेरे में है तो वो कहाँ से आएंगे।
3. सरकार पिछले 8 सालो से मीडिया रूपी शेर की सवारी कर रही थी,तब तक अच्छा लगा ठीक अब उतरना चाह रही है। जो सरकार सिर्फ और सिर्फ मीडिया के भरोसे चल रही थी वो अब उसी हथियार से चित्त है। समझ नहीं आ रहा की मीडिया से कैसे निपटे।
4. मीडिया जिसका सहारा लेकर यह सरकार चल रही थी उसी की शह पर मनमोहन सिंह को राज्ये सभा से लाकर प्रधानमंत्री बनाया था। तो जनता से कटे प्रधानमंत्री की हिम्मत ही नहीं है लोगो से बहार निकल कर बात करे और उसकी बातो का भरोसा कर लोग वापस जाये।
5. जिस युवा के नाम पर राहुल गाँधी रैलियो में मंच पर कूद कूद पड़ रहे थे उसे मालुम नहीं की "युवा" यदि उलट जाये तो "वायु" बन जाता है और तेजी से बहे तो तूफ़ान, जो की अब रायेसीना हिल और राज पथ के बीच चल रहा है। युवा सँभालने की औकात नहीं तो युवा का नाम लेकर लोगो को क्यूँ भरमाते हो।
6. मीडिया में कांग्रेस के लोगो में सन्नाटा क्यूँ है भाई ? इस लिए है की जो एक अदद प्रवक्ता था वो खुद न्याय के मंदिर में कुकर्म करता पकड़ा गया है। लोग अभिषेक मनुसंघ्वी को तलाश रहे है सरकार की तरफ से एक अदद संवाद को।
7. सरकार की सोच है की सारे पुण्ये तो 2014 में लोकसभा की ग्रामीण सीटो के लिए कर रही है वो मनेरगा हो या कैश सब्सिडी, प्रोमोशन में आरक्षण हो।तो दिल्ली और शहरो के लोग यदि कांग्रेस का विरोध भी करते है तो फर्क क्या पड़ेगा कांग्रेस पर इसलिए कांग्रेस शहरी लोगो विशेष कर मीडिया की पहुँच के लोगो की सुन नहीं रही है बल्कि लाठियो से भगा रही है। शहरी सीट अगले लोकसभा में कांग्रेस के हाथ से जाये तो जाये फोकस तो ग्रामीण सीटो पर है।
8. कांग्रेस को इस बात का गुमान हो गया की लाख लोग महंगाई पर रोये, लाख भरष्टाचार के काण्ड हो, कितना भी विदेशी सरकार या विदेशी कंपनियों को देश बेच दिया जाए कितना भी राहुल गाँधी अनपढ़ और बेवकूफ कहा जाये, कितना भी कोई पेट्रोल के दाम सरकार बढ़ा दे, देश की सुरक्षा से कितना भी समझोता कर लिया जाये फिर भी यह देश वो भी गुजरात जैसे राज्ये में पहले से एक सीट ज्यादा देता है ,तब भी भाजपा से हिमाचल जैसा एक शिक्षित राज्य छीन कर कांग्रेस की सरकार बना सकती है। यह तो हाल विकसित राज्यों का है तो फिर कांग्रेस का पिछड़े राज्यों में तो कोई कुछ उखाड़ ही नहीं सकता।
9. कांग्रेस इन दिल्ली प्रदर्शनकारियो को इसलिए हलके में ले रही है की सरकार को हिलाने वाला हिन्दुस्तान में कोई माई का लाल नहीं है। कांग्रेस को पता है जब तक लोग विशेषकर हिन्दू बंटे रहेंगे। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे दल कांग्रेस की जेब में होंगे तब तक सरकार का कुछ नहीं बिगड़ने वाला। और अगले चुनाव में फिर धर्मनिरपेक्षता जिन्दा बाद। देश और देश के लोग बलात्कार - बलात्कार चिल्लाते रहेंगे और कांग्रेसी 'जय हो' जैसे अट्टहास लगाते रहेंगे।
10. अंत में जब सरकार को पता हैं भारत की जनता को जो वो पढ़ना चाहे वो पढ़ा सकती है (जैसे भारत का इतिहास कृत्रिम रूप से बनवा कर पढ़ा रही है) तो कांग्रेस सरकार आम भारतीयों की सुने क्यूँ? अन्ना हजारे की बोलती सरकार ने बंद कर दी, बाबा रामदेव को आतंकित कर दिया। तो जो भी सरकार के विरुद्ध आन्दोलन का नेत्रित्व करेगा उसी की खाल उधेड़ देगी। और कांग्रेस के इसी डर से इस बार दिल्ली में हो रहे प्रदर्शन का कोई अगवा भी नहीं बन रहा और न ही कोई नेता। पुलिस के लाठी भांजने पर प्रतिकार करने पर यदि आन्दोलनकारी पुलिस को जवाब दे रहे है तो कांग्रेस का कुप्रचार है यह की कुछ राजनेतिक संघटनो ने आन्दोलन हाइजेक कर लिया। चित्त भी कांग्रेस की और पट भी। कोई भी उत्तर है कांग्रेस के पास की दिल्ली में महिलाओ को टेकल करने के लिए एक भी महिला पुलिस कर्मी थी क्या वहा पर।
गुंडे तो कांग्रेस सरकार ने पाल ही रखे है जो आज भी सरे आम दिल्ली के विभत्स बलात्कार काण्ड के बाद भी कांग्रेसी गुंडे संजय निरुपम को कांग्रेस ने पार्टी से निकाला नहीं।जब कांग्रेस की रणनीति मजबूत और आम भारतीयों की यादाश्त कमजोर है तो कांग्रेस तो सत्ता के मद में चूर रहेगी ही। मनु सिंघवी को 2-4 महीने के बाद ससम्मान वापस पार्टी के मंच पर बैठा दिया गया है । इसी लिए संजय निरुपम को भी नहीं निकाल रहे। । आखिर इसी को तो कांग्रेस की जीत बोल रहे है लोग । और यह ही कांग्रेस के अहंकार का राज जो आज दिल्ली में आंदोलनकारियो पर भारी पड़ रहा है। लाठी भी भंज रही है और लोगो को रोने भी नहीं दे रही है ।
जारी रहिये, बधाई !!
ReplyDelete१०० फ़ीसदी आपके तर्कों से सहमत हूँ. अगली सरकार फिर कांग्रेस की नहीं बनेगी यह भी नहीं कहा जा सकता. लेकिन कांग्रेस की बात ही क्यों अभी तक बाकी नेता भी तो छुपे बैठे थे और अपनी नीति निर्धारण में ही लगे थे इस घटना में.
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