Saturday, August 10, 2013

कश्मीर के किश्तवाड़ में "साम्प्रदायिक" हिंसा !!!!!!!!!!!

मेरी हंसी रोके नहीं रुक रही इस खबर को सुन कर!!!! की मीडिया कैसे कैसे खबरे रचती और गढ़ती है जो इतनी हास्यप्रद होती  की रोने की जगह हंसी आती है। 

चार हिन्दू नहीं रहते कश्मीर में अब, और फिर भी साम्प्रदायिक हिंसा? बेचारे जो दो चार हिन्दू ओमर अब्दुल्ला के भुलावे और बहकावे में आकर वहां रहेते थे उनको घर से निकाल कर मार दिया / जिन्दा जला दिया और उसको साम्प्रदायिक हिंसा कहेते है। और कहेते है दो गुटों में दंगा . 

अबे तो गुट कौन कौन है वहां . गुट तो एक ही है जल्लाद मुसलमानों का और दूसरी और सेना बचा कुचा कश्मीर बचाती हुए है . 

खैर रुक तो आंसू भी नहीं रहे की बेचारे कश्मीर के आलावा सारे भारत के  हिन्दुओ के जीभ में छाले पड़ गए "ईद मुबारक" करते करते और हिन्दू नेताओ की टट्टिया लग गई ईद की सवैया खाते खाते। फिर भी एक ही रट  की सब हिन्दुओ टोपी पहनो।

अरे टोपी वोपी का क्या चक्कर है सीधा ८० करोड़ हिन्दुओ का खतना ही न करा दो। किश्तों में क्यूँ करते  हो !!!!!!!!
अब तो हिंदुस्तान की मीडिया ने इस खबर को दिखाना ही बंद कर दिया। 

जिन्दा जला कर मरा है कल किश्तवाड़ में, इसे नरसंहार कहेते है। 

हिन्दू  आज एक एसा मेमना है जिसे रोने का हक़ भी खो दिया हँसना तो किस्मत में अब है ही नहीं ,. 

जातियो में बंटा , क्षेत्रो में बंटा , राज्यों में बंटा, वर्गों में बंटा, खूंटो से बंधा,  हलक से सुखा , महंगाई से पिटता, हकलाता सा, रोता सा हिन्दू अब हैं कहाँ ?

भारतीय जनता पार्टी यह जान ले की २०१४ में नहीं आई तो इतिहास के अजायबघर में रखी जाएगी और टोपियो वाले नेता  टोपी नहीं सीधा कलमा ही पढ़ लो तो ठीक है किश्तों में मुसलमान मत बनो।  जब अपने ही हिन्दू से मुस्लिम बने ५० करोड़ मुसलमानों से पहले ही लड़ रहे है तो दो चार करोड़ और बन गए तो कुछ नहीं होगा परन्तु बाकि बचे हिन्दुओ की गलत फेमि तो दूर होगी।

 जो लोग बांग्लादेश के हिन्दुओ से सबक नहीं सीखे, पकिस्तान के हिन्दुओ से सबक नहीं सीखे उन से कश्मीरी हिन्दुओ से सबक सिखने की उम्मीद रखना ही मुर्खता है. 

बेचारे हिन्दू !!!!!! अब भी भ्रम में है "सर " आप सड़क से लेकर संसद तक घिर चुके हो. सोनिया गाँधी जी जिस काम के लिए हिंदुस्तान आई थी वो काम हो चूका। मनमोहन सिंह जी भी जिस काम के लिए आये थे निपटा चुके है. देश का टिन टप्पर बेच दिया और अर्थव्यवस्था चूल्हे में झोंक दी।  यह मुसाफिर तो अब बोरिया बिस्तर बाँध रहे है और अस्तचल की और है. 


देखा नहीं कल पाकिस्तानी अखबारों में की हिंदुस्तान की सेना के पास ९७% रक्षा तंत्र ख़त्म हो चूका और टेंक गोले बारूद रहित है की खबर. अब भी किसी और चीज का इन्तजार है !!!


याद करो जब ओबामा ने बोल था की भारत की प्रगति की वजह से अमेरिकियो को खाना नहीं मिल रहा क्यूंकि चीन और भारत खाद्द्यानो को ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है। 

हवा हो गए वो दिन जब ओबामा भारत में नौकरी मांगने आया था।  

सरहद पर चीन तो छोड़ो पाकिस्तान हमारी पेंट लेकर भाग गया और हम कबूतरों के पंख गिन रहे है.

पाकिस्तान ने बोल दिया की  दाउद इब्राहीम हमारे पास था हाफिज सईद हमारे पास है।  उखाड़ सको तो कुछ उखाड़ लो. 

भारत एक उभरती शक्ति है और औकात यह आ गई की चीन को छोड़ो , पकिस्तान को भी छोड़ो, एक अदने से हाफिज सईद को भी जवाब देने की शक्ति नहीं रही. 

क्या सोनिया बाई कुछ और भी बाकी है।  अब तो बक्शो !!!!!!!!!!! 

१५ हिन्दू मरे कल किश्तवाड़ में बेचारे जिन्दा जला दिए गए।  किसी ने सहानुभूति का एक शब्द नहीं बोला। 

यह हाल तो "भगवा आतंकवाद का है" चलो कुछ नहीं तो बच गए जो १५ की बलि लेकर ही "शांतिप्रिय दूत " शांत हो गए यदि यह "ईदी " देश भर में दे दी होती तो "बेचारे बाकी हिन्दुओ" का क्या होता ?

और कुछ लोग अभी भी शक कर रहे है की "नरेंदर मोदी " देश का प्रधानमंत्री बनेगा। तो लोग  भूल गए वीर शिवाजी क्यूँ बने थे छत्रपति, गुरु गोबिंद सिंह ने क्यूँ रखी थी खालसा पंथ की नीव. तो इतिहास अपने को दोहराने फिर से मुहाने पर आ गया है. 

जात पर न पात पर - किसी भी हालत में अब मोहर नहीं लगे की "हाथ " पर!!!

यह मैं नहीं कल कुछ "शांति के दूतो " से पिटते पिछड़े भाई कहे रहे थे !!!!!!!!! और मैं समझा की ईदी मिलने की ख़ुशी का इजहार कर रहे है. पता नहीं हो सकता ही भ्रम हो जैसा भी है उत्तर प्रदेश पर "आजम खान" जैसे का राज देख आदरनिये श्री औरंगजेब जी की याद आ जाती है. वाकई जो हाल आज उत्तर प्रदेश में हिन्दुओ का होगा कम से कम इस से बत्तर तो नहीं होगा मुग़ल काल के स्वर्णिम समय श्री औरंगजेब जी के समय में।  

मुश्किल तो हिन्दुओ की यह है की मारते भी है और रोने भी नहीं देते नहीं विश्वाश होता तो दुर्गा नागपाल / अशोक खेमका / कवल भारती जी से पूछ लो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. सही कहते हैं आप, दो गुटों में साम्प्रदायिक दंगा तो तब कहा जाय जब दोनों तरफ बराबर नुकसान हो। हजारों लोग मिलकर चन्द हिन्दुओं को जिन्दा जला दें और उसे मीडिया वाले साम्प्रदायिक दंगा कहें तो हँसी आयेगी ही।

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