Wednesday, December 11, 2013

डिकोडिंग अरविन्द केजरीवाल और आप पार्टी !!!!!!!!!!!!!!!!!!! Decoding Arvind Kejrival and AAP party

मित्रो वैसे तो कोई मुद्दा नहीं अरविन्द केजरीवाल और उनकी आप पार्टी के बारे में लिखना पड़े, परन्तु महत्वपूर्ण इसलिए हो गया और लिखना इसलिय पड़ रहा है कि जो जनशक्ति, जो हिन्दू शक्ति १९९२ के बाद अब जाकर बननी शुरू होई थी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उस में मीडिया के जरुरत से ज्यादा शोर से अरविन्द केजरीवाल और उनकी आप पार्टी पर अब कुछ कहना बनता है।   

मैं कोशिश करूँगा शुद्ध और सच्चा विश्लेषण कर सकू ।  

मित्रो प्रथम आते है आप पार्टी के पुरे कम्पैन पर, आप देखे तो पाएंगे कि किसी भी आप पार्टी के नेता कि बॉडी लेंगुएज यह नहीं कहती थी कि वो दिल्ली में २८ सीट लेकर आएंगे। इसके सबूत के रूप में आप टीवी कि पुरानी फुटेज देख सकते है और आराम से बता सकते है कि हाँ वकाई में बात सच है। इस में बहस का विषय नहीं है आप को लगेगा तो विश्वास कर लेना। 

दूसरा मित्रो आप सब इतना तो समझते ही है कि भाजपा और कोई पार्टी यहाँ तक कि कोमुनिस्ट भी वादे तो कर ही सकते है।  जैसे कि बिजली कि बिलो में कटौती या इतना पानी फ्री परन्तु सच्चाई वो जानते है कि जनता से झूठ बोल कर वोट ही नहीं लेना देश और सरकार भी चलानी है। 

और रही बात आदर्श और शुचिता कि वो तो कोंग्रेस जैसी पार्टी भी किसी को झाड़ पोंछ कर आगे कर सकती है जैसे कि पिछले १० सालो से श्री मनमोहन सिंह से काम चलाया ही जा रहा है। तो फिर इतने वादे करने के पीछे आप पार्टी कि क्या सोच रही थी? मित्रो सोच इनके ही बड़े नेता श्री योगन्द्र यादव जी के श्री मुख से निकलती है जो दावा करते है कि आप पार्टी काशीराम जी के फलसफे को मानती है कि "पहला चुनाव हारने के लिए दूसरा हराने के लिए और तीसरा जीतने के लिए" आप पार्टी दिल्ली चुनाव में लड़ रही है। तो आप पार्टी का उदेशय सिर्फ इतनी सीट लाना था कि दिल्ली जो कि देश कि राजनीति का केंद्र है में शोर अगले चुनाव तक मचाते रहे बस काफी है। पर हाय री दिल्ली जो कि राजाओ वाला दिल रखती है और दावा भी करती है कि दिल्ली दिल वालो कि ने दिल से ज्यादा दिमाग से कम पर आप पार्टी को वोट दे ही दिया। अरे अपने यशराज जी तो यह बात बहुत पहले से  जानते थे और उनकी पिक्चर में प्यार और दिल वाले मामले में दिल्ली को वो अलग ही स्थान देते थे। सो दिल वालो ने इस बार आप पार्टी को दिल से वोट दिया अन्यथा ये आप वाले तो २-५ सीट बहुत मानते थे। अच्छा फिर खेल यह खेला कि एक सेफोलॉजिस्ट रख लिए जो गले में दुपटा नक्सली स्टाइल में डाले रहता है। नहीं विश्वास तो बंगाल वाले नक्सली "किशन जी " कि पुरानी फुटेज देख लो पता लग जायेगा कि मेरी बात में कितनी सच्चाई है। छोटी बात है पर गम्भीर बात है कि यह वो ग्रामीण गमछा नहीं जो किसान लोग डालते है ये नक्सली स्टाइल है।  अब मित्रो आप पूछोगे कि इस से सिद्ध क्या होता है तो मित्रो यह सब कोमुनिस्ट और नक्सलिओं को जंगल से निकाल कर आपके देश कि छाती दिल्ली में अवतरित करना चाहते है। जिसे के बाद दिल्ली वालो और देशवासीओ को नक्सलिओं को स्वीकार करने में ज्यादा दिक्कत न हो।  माओवादिओं को धीरे से नेपाल में सत्ता में बैठा दिया और अब भारत का नंबर है।  तो यह सेफेलॉजिस्ट जी है इन्होने दिल्ली में एक "फेंका " मारा कि हम ४७ सीट लाकर सरकार बना रहे है जो कि सम्भव ही नहीं था पर "फेंका" तो मारना था अन्यथा मीडिया मे हर्षवर्धन, शीला और अरविन्द कि फोटो कैसे चस्पाते वो काम तो सेफोलिजिस्ट के रोल में कर लिया और दूसरा काशीराम वाला बयान देकर अपनी असली नीति भी बता दी कि  भैया ट्राई मात्र ही कर रहे है।  

अच्छा भाई एक बात बताओ ऐसे कौन से लोग है दुनिया में जो अपने टारगेट के नजदीक होकर उसको छूने कि बजाये भाग जाना पसंद करते है।  आप नहीं जानते तो उनका नाम है आप पार्टी कि नेता। और क्यूंकि लोगो कि सोच पर इतना अधिकार दिखा रहे है कि सरकार बनाने वालो को फर्जी और भ्रष्टाचारी भी प्रचारित कर रहे है।  

ये तो वो लोग साबित हो रहे है कि पहले लोगो को अपनी इच्छा बताई कि शादी करनी है और लोगो ने तरस खाकर शादी का इंतजाम भी कर दिया पर  जय माला पर दुल्हन छोड़कर फिर सड़क पर खड़े हो गए कि हमें दुल्हन चाहिए वो भी "विश्व सुंदरी " क्यूंकि लोगो ने मुझे विश्व सुंदरी नहीं दी तो में फिर से सड़क पर आकर फिर से आपके पैरो में गिरकर नई दुल्हन मांगूगा।  तो मित्रो बताओ आप पार्टी आज कर क्या रही है? अरे सरकार बनाओ कोंग्रेस - भाजपा किसी के सहारे भी सरकार बनाओ और अपने वादे दिल्ली में लागु करो भाजपा - कोंग्रेस चूं चपड़ करती है उसे देश के सामने नंगा कर दो कि यह पार्टी फर्जी है, सही काम आप को करने नहीं देती पर यह क्या है कि सरकार बनाने कि प्रक्रिया जो कि संवेधानिक कार्य है आप उसका मजाक उड़ा रहे हो।  आप देश कि युवा शक्ति को कहना क्या चाहते हो कि देश में सरकार बनाना मजाक है।  बहुत ही बड़ा पाप किया जा रहा है मित्रो! न तो खुद कुछ करेंगे और न ही किसी को कुछ करने देंगे और इस बात के लिए यदि कल देश कि राजधानी में अराजकता होती है उसके लिए आप पार्टी तो जिम्मेदार है ही परन्तु मीडिया उस से भी बड़ा अपराधी है।  चुनाव के बाद सरकार बनाना उतना ही नैसर्गिक कार्य है जितना शादी के बाद संतान उत्पति अन्यथा तो मानव जीवन ही ख़तम हो जायेगा उसी प्रकार सरकार अच्छी है बुरी है, क्यूँ नहीं आप पार्टी कुछ दिन सरकार चलाती और कौन सी मुर्ख पार्टी होगी जो लोकप्रिय आप पार्टी कि सरकार को गिराने का जोखिम लेगी विशेषतौर पर लोक सभा चुनाव के ठीक पहले।  भैया आप पार्टी जिस पूर्णता कि बात कर रही है वो तो लोकप्रिय शासन चलाने के बाद ही मिलेगी क्यूंकि क्या गारंटी है कि बिना सरकार बनाय फिर से चुनाव के बाद यह ही स्थति दोबारा नहीं होगी। 
अरे तो डिफ्रेंसिएटर तो ये ही है कि अब सरकार बनाओ और एक बड़ी लाइन खींच कर देश भर में अपनी सफलता का डंका पीटो। 

 हा हा हा पर आप नहीं करोगे आप पार्टी के मित्रो क्यूंकि आपकी नियत ठीक नहीं।  आप चाहते हो कि देश भर में अराजकता का माहौल बना रहे और भाजपा कोंग्रेस सत्ता और विपक्ष दोनों को लोगो कि अदालत में अपराधी के तौर पर लोकसभा चुनाव तक रखा जाये और फिर से देश में हंग पार्लियामेंट बने जिस से देश में विदेशी शक्ति अपने पैर पसार सके और उस अराजकता के माहौल में जंगल से नक्सली  ला कर दिल्ली में नेपाल का नजारा प्रस्तुत कर सको जैसा कि यूपीए वन में आपके कमोनिस्टो ने किया था।  आप नहीं चाहते कि देश मोदी के नतृत्व में एक हो और एक सफल सरकार चलाये।

देश के लोगो से कहना चाहूंगा जोश बहुत अच्छी बात है परन्तु बिना होश के सरकारे नहीं चलती।  और न ही १२० करोड़ लोगो का पेट भर सकती।  इसलिए इन बारह मन कि धोब्बन से बचना चाहिए। 

तीसरा मित्रो आप पार्टी कि मीडिया में सक्रियता देख कर लगता है कि आप पार्टी किसी विकास और आदर्श कि बात मात्र करती है परन्तु  उसे लागु करना संधिगत है।  जैसे शब्द इनके एक और नेता डा विश्वास बोलते है क्या उस से किसी प्रकार के आदर्शवाद कि झलक मिलती है? कौन आदर्शवादी और शालीन व्यक्ति सार्वजानिक रूप से इन शब्दो का इस्तेमाल करता है कि आपको मिलेगा "बाबा जी का ठुल्ला " और कौन से शालीन व्यक्ति देश में सावर्जनिक रूप से माँ बेहेन कि गाली देते है कौन लोग है जो "म्यूसिक कन्सेर्ट" कराते है। इसलिए मित्रो इनकी आदर्शवादिता और शालीनता एक ढकोसला है। 

चौथी मित्रो अरविन्द केजरीवाल के शब्दो पर गौर करो वो सारे वो शब्द बोलते है जैसे कि भगत सिंह अवतरित हो गए हो पर कथनी के करनी के नहीं उनके कुछ शब्दो पर गौर फरमाइये जैसे "हम सर कटा लेंगे", "देश कि जनता देख रही है" "हम पर साजिश हो रही है", "अच्छे लोग दूसरी पार्टी तोड़ कर हमारी पार्टी में आ जाओ " परन्तु करनी क्या है उनकी - जैसे कि बरेली के दंगो अपराधी तौकीर रजा से मिलना, अन्ना हजारे के अनशन में माँ भारती कि फोटो को हटाना इत्यादि इत्यादि। कौन लोग ऐसा कहे सकते है और कौन लोग ऐसा कर सकते है मुझे इस पर ज्यादा केहेने कि आवश्यकता नहीं है।  इन्ही के पार्टी कि नेता बाटला काण्ड पर शक जताते है, कश्मीर पकिस्तान को देने कि बात करते है। कौन देश प्रेमी नेता ऐसा कहेगा, क्या आप लोहिया और जयप्रकाश जी से उमीद करेंगे कि भ्रष्टाचार के अपने ऊपर लगे आरोपो के बावजूद वो इस नालायकी से देश के सामने कूदेंगे।  यह तो सिर्फ आप पार्टी ही कर सकती है। 

पांचवी बात मित्रो आप पार्टी कि वेबसाइट पर जाकर देखो तो पता चलेगा कि बोलने के छोड़ो लिखने के क्या संस्कार है और यह ही भाषा यह देश के युवाओ को सिखाना चाहते है। जिस शालीनता और आदर्शवाद कि बात करते है वेबसाइट कि भाषा से ही उसके परखच्चे उड़ जाते है। पता नहीं भाजपा और कोंग्रेस क्यूँ आप पार्टी के ४७ सीटो वाले दावे को जवाब नहीं देती और प्राथमिक आकड़े अपने अपने सर्वे के नहीं वेबसाइट पर डालती।  आप पार्टी ने अपने ही लोगो का सर्वे किया और उसी को वेबसाइट पर डाल दिया यह ही तो १० साल से सेफोलॉजिस्ट बन कर सिखा है सो दिखा दी अपनी एक्सपर्टिसी।  

छठा आप पार्टी दावा करती है कि वो राजनीती का विकेन्द्रीयकरण करेगी परन्तु कैसे करेगी वो आज तक किसी को पता नहीं और जितना पता है उसका सार यह यह है कि वो देश और राज्य में पार्टी आधारित ढांचा बनाएगी जैसे कि चीन कि पीपुल पार्टी या नॉर्थ कोरिआ कि वर्कर पार्टी करती है। तो क्या यह सच नहीं कि आप पार्टी का छुपा ऐजंडा देश में कम्युनिस्टो का राज लाना नहीं है?  

सातवा मित्रो देश में आज अन्ना हजारे का अनशन हो रहा है तो क्या आदर्शवाद कि बाते करने वालो को राले गाओ सिद्धि में नहीं होना चाहिय था।  क्या अब दोनों के रस्ते अलग हो गए।  क्यों नहीं दिल्ली में सफलता के ढोल बजाने कि जगह अन्ना हजारे के पास चले जाते। क्यूँ नहीं बियर कि बोतले खोलने कि जगह अन्ना जी के पास सारे विधायक ले जाते ?    हाँ हमारा विचार पढ़ कर मन बदल जाये तो बात अलग है परन्तु अभी तक तो आप ने अन्ना का हाल भी नहीं पूछा।  

आठवा आप ने एक बार भी तरुण तेजपाल जैसे के बारे में एक बयान देना भी उचित नहीं समझा जबकि निर्भया काण्ड का क्रेडिट खुद लेते फिरते है।  

नौवा मित्रो राज्ये हो या देश हो क्या कोई भी भारतीये एक ऐसी पार्टी को सत्ता में पहुचना चाहेगा जिसकी देश के बारे में कोई भी विचारधारा नहीं है बल्कि सुरक्षा पर इनका नजरिया देश के नजरिये से भिन्न है। क्या देश ऐसे लोगो को सत्ता में लाएगा जिनका उदेश्ये फ्री में देश के संसाधन लुटाने भर से काम हो कोई रचनात्मक एजेंडा नहीं हो। 

जो लोग यह दावा करते है कि देश में कहीं पर कोई कश्मीरी सुरक्षित नहीं है क्या यह बात देश कि सेना और उसके लोगो के मुहं पर तमाचा नहीं है क्या यह बात पकिस्तान के प्रधानमंत्री और  कश्मीर के अलगावादी नेता सैयद गिलानी के आरोपो को पुष्ट नहीं करती?

दसवा मित्रो आप पार्टी जो दावा करती है कि हम हिन्दू मुसलमान कि राजनीति नहीं करते हम जाती कि राजनीति नहीं करते तो क्या वो उन आतताई मुस्लमानो को रोक सकेगी जो दिल्ली कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बना रहे है।  जो लोगो जेएनयू में आरक्षण के खिलाफ भाषण दे रहे थे क्या उनकी नीति स्पष्ट नहीं होनी चाहिए कि या तो आरक्षण देना है या नहीं देना है।  सत्ता में आकर क्या कोई आकाशवाणी होगी जिसका यह लोग पालन करेंगे। 

अंत में मित्रो मैं यह कहना चाहूंगा भाजपा के वोलेंटियर तो हम भी है अनाम है गुमनाम है।  किसी स्वार्थ कि इच्छा नहीं है।  किसी प्रकार का क्रेडिट लेनी कि चाह नहीं है कोई हमारा नाम जाने इसकी भी इच्छा नहीं है। जिन वॉलंटियर्स का आप पार्टी बखान करती है कि लोग नौकरी छोड़ छोड़ कर आप पार्टी का काम कर रहे है विदेशो से लोग आ रहे है आप पार्टी का कार्य करने तो मित्रो संघ के हजार नहीं लाखो लोग मोटी तनखाह छोड़ कर आज से नहीं पिछले कई सालो से निस्वार्थ कार्य कर रहे है।  हमें  न ही भाजपा कोई पैसा देती और न ही किसी प्रकार ऐसा आकर्षण है परन्तु देश यदि भाजपा जैसी पार्टी के नेतृत्व में एकजुट हो और एक वैकल्पिक सरकार बना कर १२० करोड़ लोगो को एकजुट कर विकास के रस्ते पर अग्र्सर हो यह कामना है परन्तु इसका मतलब यह तो नहीं कि हम सड़क पर कपडे उतार कर कूदने लग जाये कि भाजपा के पास भी ऐसे लोग है जो निस्वार्थ है। मैं ही नहीं मेरे जैसे लाखो लोग नरेंद्र भाई के, भाजपा के लिए दिन रात एक करे है क्यूंकि इनकी विचारधारा संघ जैसी वटवृक्ष से प्रेरणा लेती है जो देश और हिन्दुओ को एकजुट बनाये रखे का पाठ पढ़ाती यदि भाजपा अच्छा नहीं करती तो कोई और विकल्प तलाशेंगे परन्तु गुजरात मध्य प्रदेश  छत्तीसगड़ के सफल कार्ये करने के बाद भाजपा पर विश्वास करने के कारण है , कोंग्रेस जैसी पार्टी जिसने देश का १० साल में बाजा बजा दिया , एक ही परिवार कि रखैल बना दिया, घोटालो कि भरमार कर दी, महंगाई से जीवन दुश्वार हो गया, भारतीये और हिन्दू संस्कृति रसातल में गर्त कर दी गई इसलिए कोंग्रेस का विरोध करने का भी कारण है। देश के हिन्दुओ को सरकार ने नर्क का जीवन दे दिया , साधू संतो को बलात्कारी और अपराधी चरित्र बना दिया।  तो कोंग्रेस के हिन्दू आतंकवाद का शालीनता से जवाब दने का कारण है हम अकारण ही कोंग्रेस का विरोध नहीं करते।  पर आप तो थूको और भागो कि नीति पर अमल करते हो भाजपा ने जो भी घोटाले संसद या उसके बहार उठाये उनको अदालत में अंजाम तक लेकर गई है आपकी तरह नहीं जिसके पास बड़े बड़े नामी वकील होते हुए भी खाली जबान खर्च करती है।  

मित्रो। पर इसके बावजूद देश पर कोंग्रेस कि जो भी थोड़े से उपकार है उनके लिए भी उसका सम्मान है इसका अर्थ यह नहीं कि हम बेवजह युवाओ को जोश भरकर संसद को गाली देने लग जाये। हम मौत के सौदागर केहेने वालो कि भी आलोचना करते है और राजनितिक रैली में किसी कि ५० करोड़ कि गर्ल फ्रेंड का नाम लेने वालो कि आलोचना करते है पर इसका मतलब यह नहीं कि हम सर्वोच्च अपने को मानते है और बाकि को मूर्खो कि जमात। देश कि एकता अखंडता सर्वोपरि है। किसी ऐसे के पक्ष में तो कतई नहीं जो कश्मीर के बारे में देश विरोधी बयान दे और निर्लजता से उस पर डटा भी रहे।  

संघ के ऐसे लाखो कार्यकर्त्ता है जो आपके मित्र नक्सलिओं से सालॊ से लड़ रहे है वो किसी को मार नहीं रहे बल्कि अँधेरे में दिया जला रहे है उन लाखो आदिवासिओ को शिक्षा और रोटी दे रहे है जहाँ पर झोला छाप दिन कि रौशनी में भी नहीं जा सकते। 

मुझे सिर्फ इतना कहना है कि यदि किसी बात पर संघर्ष किया है तो उसे अंजाम पर पहुचाओ न कि कुछ ऐसा करे जिस से देश में संघर्ष के नाम पर कल लोग खड़े भी  न हो सके।  चाहे आप कि विचारधारा कोई भी हो पर देश आपका भी है इसलिए इसको अराजक स्थिति में डाल कर विदेशिओं कि सहयता न करे।        

जय भारत जय भारती 

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