एविं ही लोग प्रियंका वढेरा को राजनीती में घसीट रहे है और मोदी का विरोधी बता रहे है। मुझे तो एक भी बयान उनका राजनितिक नहीं लगा। जैसे ----
१. मोदी का ५६ इंच वाला बयान - असल में प्रियंका कहना यह चाहती थी की जिम तो रॉबर्ट वढेरा जाते है और ५६ इंच का चौड़ा सीना मोदी अपना बताते है।
२. भाजपा को चूहा बताने वाला बयान - अरे भाई भाजपा को चूहा केवल पारिवारिक हिसाब बराबर करने के लिए बोला क्यूंकि चाची मेनका गांधी ही पशु और जानवरो की ठेकेदार न बन जाये। भाई जेठानी और देवरानी को कोई तो बराबरी पर ला रहा है।
३. वरुण गांधी को भटका हुआ बताना - अब यह भटका नहीं तो क्या है सारा गांधी परिवार पहले निकाह / मेरिज करता है फिर मंदिर में शादी कर फोटो खिंचवाता है तो वरुण ने तो पहले मंदिर में विवाह किया फिर फोटो खिंचवाई। अब वरुण गांधी का इस से बड़ा भटकाव और क्या होगा।
४. वाड्रा की भाजपा द्वारा सीडी जारी करने पर की मैं किसी से नहीं डरती - अरे बच्चे / बूढ़े / शराबी / पागल किसी से भी नहीं डरते।
५. अमेठी की जनता ने हमें बहुत प्यार दिया है - कमबख्त इश्क, प्यार अँधा होता है।
६. स्कुल टीचर की तरह मोदी जी देश को ऐ बी सी सिखाते है - अरे अरे अरे च च च वरुण गांधी को छोड़ कर कॉलिज का मुहं तो किसी ने देखा ही नहीं परिवार में। सिखने की ललक को प्रशंसा मिलनी चाहिए।
७. मोदी जी को महिलाओ के कमरे में चुपके चुपके फोन नहीं सुनने वाला बयान - अरे यह तो सिर्फ इनकी ही परिवार का एकाधिकार है चुपके चुपके फोन सुनने का। विश्वास नहीं तो मेनका गांधी से पुछलो, राजीव जी की शादी के बाद जब धक्के दे कर गांधी परिवार ने बहार निकाला था तब इन्ही के फोन टेप होते थे और कुछ नहीं तो प्रणव दा ने तो अपने कमरो में मिक्रोफोन देख कर अपने फोन सुनने की शिकायत दर्ज कराई थी। सो एकाधिकार तो सिर्फ इनका ही है।
८. गांधी परिवार की एकता और बलिदान वाला बयान - असल में एकता के बहाने वो अपने गांधी परिवार की टूट को छुपाना चाहती थी की राहुल जी सोनिआ जी साथ नहीं रहती , मेनका और सोनिआ जी साथ नहीं रहती परन्तु देखो कितनी एकता है की इसी एकता का स्वार्जनिक नजारा चुनाव में प्रस्तुत करते है। रही बलिदान की बात तो कोई छोटी बात है की पति रॉबर्ट वढेरा राजनितिक जमीन छोड़ कर एक मजदुर की भांति किसानो की जमीन में दिन रात काम करते रहते और देश के दो राज्यों में जमीनी कामो के कहाँ कहाँ नहीं भटकते रहते। अब और कोई कितना बलिदान करे।
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मित्रो मुझे तो यह आठ बयान ही मिले आपको आगे कोई बयान मिले तो इत्तला करना। और मुझे तो प्रियंका जी के एक भी बयान में राजनितिक बयान की बू नहीं आई और कुछ मूर्धन्य पत्रकार राहुल गांधी को कमतर और प्रियंका मोदी टकराव की खबरों से पन्ने काले कर रहे है। सुना नहीं कांग्रेस का अधिकृत बयान की प्रियंका जी प्राइवेट नागरिक है।
१. मोदी का ५६ इंच वाला बयान - असल में प्रियंका कहना यह चाहती थी की जिम तो रॉबर्ट वढेरा जाते है और ५६ इंच का चौड़ा सीना मोदी अपना बताते है।
२. भाजपा को चूहा बताने वाला बयान - अरे भाई भाजपा को चूहा केवल पारिवारिक हिसाब बराबर करने के लिए बोला क्यूंकि चाची मेनका गांधी ही पशु और जानवरो की ठेकेदार न बन जाये। भाई जेठानी और देवरानी को कोई तो बराबरी पर ला रहा है।
३. वरुण गांधी को भटका हुआ बताना - अब यह भटका नहीं तो क्या है सारा गांधी परिवार पहले निकाह / मेरिज करता है फिर मंदिर में शादी कर फोटो खिंचवाता है तो वरुण ने तो पहले मंदिर में विवाह किया फिर फोटो खिंचवाई। अब वरुण गांधी का इस से बड़ा भटकाव और क्या होगा।
४. वाड्रा की भाजपा द्वारा सीडी जारी करने पर की मैं किसी से नहीं डरती - अरे बच्चे / बूढ़े / शराबी / पागल किसी से भी नहीं डरते।
५. अमेठी की जनता ने हमें बहुत प्यार दिया है - कमबख्त इश्क, प्यार अँधा होता है।
६. स्कुल टीचर की तरह मोदी जी देश को ऐ बी सी सिखाते है - अरे अरे अरे च च च वरुण गांधी को छोड़ कर कॉलिज का मुहं तो किसी ने देखा ही नहीं परिवार में। सिखने की ललक को प्रशंसा मिलनी चाहिए।
७. मोदी जी को महिलाओ के कमरे में चुपके चुपके फोन नहीं सुनने वाला बयान - अरे यह तो सिर्फ इनकी ही परिवार का एकाधिकार है चुपके चुपके फोन सुनने का। विश्वास नहीं तो मेनका गांधी से पुछलो, राजीव जी की शादी के बाद जब धक्के दे कर गांधी परिवार ने बहार निकाला था तब इन्ही के फोन टेप होते थे और कुछ नहीं तो प्रणव दा ने तो अपने कमरो में मिक्रोफोन देख कर अपने फोन सुनने की शिकायत दर्ज कराई थी। सो एकाधिकार तो सिर्फ इनका ही है।
८. गांधी परिवार की एकता और बलिदान वाला बयान - असल में एकता के बहाने वो अपने गांधी परिवार की टूट को छुपाना चाहती थी की राहुल जी सोनिआ जी साथ नहीं रहती , मेनका और सोनिआ जी साथ नहीं रहती परन्तु देखो कितनी एकता है की इसी एकता का स्वार्जनिक नजारा चुनाव में प्रस्तुत करते है। रही बलिदान की बात तो कोई छोटी बात है की पति रॉबर्ट वढेरा राजनितिक जमीन छोड़ कर एक मजदुर की भांति किसानो की जमीन में दिन रात काम करते रहते और देश के दो राज्यों में जमीनी कामो के कहाँ कहाँ नहीं भटकते रहते। अब और कोई कितना बलिदान करे।
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मित्रो मुझे तो यह आठ बयान ही मिले आपको आगे कोई बयान मिले तो इत्तला करना। और मुझे तो प्रियंका जी के एक भी बयान में राजनितिक बयान की बू नहीं आई और कुछ मूर्धन्य पत्रकार राहुल गांधी को कमतर और प्रियंका मोदी टकराव की खबरों से पन्ने काले कर रहे है। सुना नहीं कांग्रेस का अधिकृत बयान की प्रियंका जी प्राइवेट नागरिक है।
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