Tuesday, June 5, 2012

नरेंदर भाई मोदी भारत का प्रधान मंत्री बने परन्तु ??????????????????

भारत देश अपने "परम वैभव" पर खड़ा होगा जब देश की सर्वोच्च सत्ता पर श्री नरेंदर भाई मोदी जी जैसा कोई प्रखर राष्ट्रवादी और प्रतापी होगा. नरेंदर भाई देश की सबसे बड़ी हिन्दू द्रोही शक्ति चर्च और इस्लामिक शक्ति की अधिष्ठात्री देवी श्री मति सोनिया गाँधी और उसकी दुर्जन संचार ताकतों के सामने एक नहीं १० साल से न केवल खड़ा बल्कि इन शक्तिओ को बार बार अपने पौरष से धुलधूसरित किया और अह्साहस कराया है की क्यूँ लोग कहेते है की
"यूनान मिश्र रोमा मिट गए जाहं से हस्ती है हमारी मिटती नहीं जाहं से"
भारत वर्ष को गर्व है श्री नरेंदर भाई मोदी जी पर.
आज जब श्री अडवानी जी भी बीजेपी को सन्देश दे रहे है की पार्टी को एक जुट हो जाना चाहिए देश हित में. बिलकुल सही बोला है श्री अडवानी जी, जिस अडवानी जी को लोग आरोपित कर रहे है उनको सोचना चाहिए की यह ही वो शख्स था जिसने पार्टी को २ सीट से उठा कर १९२ सीट पर बैठा दिया था. जिस पर आरोप लगाया जा रहा है की श्री अडवानी जी पार्टी को हतौत्साहित कर रह है उनको एक बार यह जरुर सोचना चाहिए की इसी शख्स ने हिंदुत्व ओतप्रोत पार्टी बीजेपी को अंतर राष्ट्रीय आयाम दिया. अमेरिका से लेकर इसराइल तक बीजेपी का ही डंका बजा हुआ था, इस एक शख्स ने अंग्रेजी मीडिया में बीजेपी के प्रवक्ताओ और पत्रकारों की लाइन लगा दी जब बीजेपी में अकाल था अपनी विचारधारा को सही परिपेक्ष में रखने वालो का तब श्री अडवानी जे ने अपनी संघटनात्मक क्षमताओ का इस्तेमाल करके एक नेटवर्क खड़ा कर दिया जिस पर आज कुछ बीजेपी वाले कूद रहे है. श्री अडवानी जी वो शख्स है जिसे मालूम है की उनके ही कहेने पर संघ ने २००९ में अपनी सारी जमा पूंजी उनके हाथ में देकर कहा था की इस हिन्दू और देश विरोधी सरकार से देश को छुटकारा दिलाओ. जबकि संघ यदि अपनी करता तो २००९ में इस दम्भी और निकृष्ट सरकार से छुटकारा मिल भी गया होता परन्तु अडवानी जी की तपस्या को देखते हुए एक दाव चला जो की दुर्भाग्य से सफल नही हुआ. तो अडवानी जी को जो लोग संघ से अलग या विचारधारा से अलग पाते है वो गलती पर है. यह अलग बात है की जिन्ना प्रकरण या सोनिया गाँधी से काले धन पर माफ़ी से कुछ उनके ही समर्थक उनके विरोध पर है. मानव सवभाव है गलती हो सकती है परन्तु क्षमताव और निष्ठां पर शंका करना पाप है.
कभी कभी समय ठीक नहीं होता क्या लोग नहीं जानते जो लोग आज बाबा रामदेव और अन्ना जी का जन, जंगल, रोटी पर साथ दे रहे है उसके लिए सुश्री उमा जी ने अपने मुख्मात्रित्व काल में अपने पद को ही दाव पर लगा दिया था. क्या बाबा राम देव और अन्ना जी वो ही नहीं कर रहे जो सुश्री उमा जी और गोविदाचार्ये जी कर रहे थे. खैर यह तो समय की बात है. क्या यह सच नहीं की बाबा राम देव कुछ मुद्दों को इसलिए नहीं उठा रहे की उनके उठने से दुसरे मुद्दे दब जायेंगे. क्या बाबा राम देव कभी उस चिट्ठी का जिक्र करे जिसको सुबोद्कांत सहाह ने ३ जून की रात को दी थी जिस में सरकार ने भारतीय भाषाओ में शिक्षा की बात कही थी और उनकी बाकी मांगे भी मानी थी. लोग ४ जून की घटना पर उस चिट्ठी की सात्विकता और सरकार का बाबा रामदेव के कुछ मुद्दों को सहमति दी थी. क्यूँ बाबा राम देव जी उनको नहीं उठाते और सरकार को उसकी सहमति होने पर जो की लिखित में थी पर क्रियान्वन करवाते है?
बीजेपी में भी जो लोग श्री गडकरी जी के नेत्रत्व में खामी निकालते है वो भी एक बात समझ ले की यह ही वो एक दरी बिछाने वाला कार्यकर्ता है जो आज दिल्ली में शीर्ष पर बैठ कर बड़े बड़े फन्ने खान का दम्ब निकाल रहा है. जिस शांति से उन्होंने बीजेपी को पटरी पर लाया है वो काबिले तारीफ है. जिस प्रकार मोदी जी को श्र्ये दिया जाता है गुजरात में हिन्दू विरोधी शक्तिओ से लड़ने का उसी प्रकार गडकरी जी भी भ्रष्ट, हिन्दू विरोधी शक्तिओ से बीजेपी नामक नौका को सुरक्षित निकालने में ही लगे है. और हमें उनके प्रयासों की सरहाना करनी चाहिए. और मैं व्यक्तिगत रूप से यह कहेता हूँ की बीजेपी ने कुशवाहा को बीजेपी में मिला कर कोई भी गलती नहीं की. जो लोग भ्रष्टाचार की मूर्ति मायावती से तो गलबहिया करते है, जब बीजेपी दूध की धुली थी तब क्यूँ सुखराम को बीजेपी में शामिल किया था उस पर चू भी नहीं करते और कुशवाह पर आंखे दिखाते है. यु पी का चुनाव आंख खोलने वाला चुनाव है जो न तो भ्रष्टाचार के मुद्दों पर लड़ा गया है और न ही किसी के व्यक्तित्व पर. यह चुनाव मुस्लिम साम्प्रदायिकता और विदेशी शक्तिओ की जीत है जो जानते थी की केंद्र में कांग्रेस की सरकार को ऍफ़ डी आई के मुद्दे पर नुक्लियर डील की तरह कौन सपोर्ट कर सकता है. कौन देश का नागरिक नहीं जानता की मुलायम सिंह यादव का सिपहसलार रेवती रमण (इलाहाबादी) किस लेनदेन में शामिल था. कौन नहीं जानता मुलायम सिंह आय से अधिक धनसंपत्ति के मामले में गंभीर आरोपों से घिरा है. उस पर आप तुर्रा दे रहे है की कुशवाहा को लेने से बीजेपी हार गई, हारी मित्रो सिर्फ अपने लोगो के असहयोग से है. यह बिलकुल ध्रुव सत्य है यदि बीजेपी को जीतना तो यद्दुराप्पा जी को कर्नाटका में सत्ता देकर चुनाव लड़ाना ही होगा. किस निशंक जी को हटा कर कौन सी सत्ता बीजेपी ने हासिल कर ली. यदि लोग भ्रष्ट हिन्दुओ लल्लू, मुलायम और मायावती को लेकर एक हिन्दू राष्ट्र नेपाल ख़त्म कर सकते है वो ही भारत को भी हिन्दू विहीन कर सकते है. कोमुनिसटो ने बंगाली - बंगाली खेल कर बंगाल का बंटाधार कर दिया, क्या आप हिन्दुस्तान का भी एसा करवाना चाहते है. कुछ लोग कहेते है की आप भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहे है, नहीं ऐसा नहीं है मैं तो केवल जीतने वाले घोड़े पर सवारी करना चाहता हूँ. राम यदि विभिक्षण को राक्षश होते हुए भी अपने साथ लेकर रावन का सह्न्हार कर सकता है तो बीजेपी क्यों नहीं. आज मरन और जीवन का प्रशन है. इस कोंग्रेसी सरकार ने हिन्दुओ को हिन्दुस्तान में भीख का कटोरा थमा दिया है. आज हिन्दू सत्ता का मतलब भारत की सत्ता पर कब्ज़ा है. एक तरफ ४००००००० करोड़ रूपये को दबाये बैठी त्याग की देवी है जो चर्च और इस्लामिक शक्तिओ का नेत्रत्व कर रही है दूसरी तरफ कुछ एक रूपये की हराफेरी का सिर्फ और सिर्फ आरोपी है और हम पाप के प्रायश्चित से धरती में गड़े जा रहे है.
ज्यादा चौबीस केरेट का सोना बनना है तो मंदिरों में जाकर बैठो, २४ केरेट के सोने के आभूषण नहीं बनते खाली बिस्कुट ही बनते है. यह ५००० हजार वर्षो की हिन्दू सभ्यता का प्रशन है और इसको प्रतिष्ठित करना ही होगा दिल्ली के ऊपर अन्यथा १०-२० वर्षो में कलमा पढने को तैयार हो जाओ. 
आरोपी तो बाबा राम देव भी है परन्तु हम उनके पैर छु रहे है और अपने ही जाबांजो को टट्टू बनाने पर तुले हुए है. "समर्थ को दोष नहीं गुसाई". एक बात समझ लो जौहर करने, सती होने, प्राण त्यागने, भस्म होने से सभ्यता जिन्दा नहीं रहेती प्राण लेने और सत्ये को स्थापित करने से ही सभ्यता जिन्दा रहेती है. गीता में यह ही तो लिखा है क्या नहीं जानते भगवान् श्री कृष्ण ने असत्य को हारने के लिए कांटे से काँटा निकाला न की असत्य के सामने निहात्ये खड़े होगये और इसी लिए आप इस देश को आर्यवर्त और भारतवर्ष कहेते हो. इसी टट्टू सत्ये की वजह से बंगलादेश और पकिस्तान दे दिया और १०-२० सालो में इसी टट्टू सत्ये की वजह से हिन्दुस्तान के हिन्दू से कलमा भी पढवा दिया जायेगा.
हिंसक कुत्तो से लड़ने के लिए राम - राम जप करता तोता आगे नहीं किया जाता. यह युद्ध का मैदान है सत्ये को स्थापित करने के लिए क्रूर बनना होगा. 



महा राणा प्रताप ने क्या भामाशाह के धन के स्रोतों का पता लगा कर उनसे धन लिया था और  हिंदुत्व की रक्षा की थी. अरे जब नसल ही मिट जाएगी तो फिर किसका पैसा और कौनसा पैसा. पाकिस्तान के हिन्दू जब कलमा पढ़ रहे थे तो उनसे पूछो की उनको काले धन से बचाया गया था या सफ़ेद धन से. मित्रो आपातकाल में शिष्टाचार और मर्यादाओ का ध्यान नहीं किया जाता. और मित्रो यह आपातकाल है जिसको बाबा रामदेव जैसे सन्यासी ने समझा या फिर ८० साल के एक ब्रह्मचारी बुजुर्ग अन्ना हजारे जी ने समझा और हम वातानुकूलित कमरे में अच्छे और बुरे की सेलेक्शन में समय बर्बाद कर रहे है. अरे जीतो और जीतने वाले घोड़े पर दाव लगाओ. इस कलयुग को सतयुग को बना रहे हो. जिस स्वयंसेवक के बच्चे स्वेम्सेवक बन नहीं रहे वो देश को सतयुग में ले जा रहे है. कृपया टार्गेट ओरियेंटिड बने. सतयुगी पहेले स्व्येम, फिर परिवार, फिर गाव/ मोहल्ला, फिर नगर और फिर देश को बनाये. और उस से पहेले २०१४ में अपनी सरकार बनाये.
बहुत बड़ी क्रूरता है की संजय जोशी जी जैसे तपस्वी को नरेंद्र भाई मोदी जी के अहंकार के सामने बलिदान कर दिया गया. इस बात की जितनी निदा की जाए कम. मोदी जी को अपने ह्रदये को विशाल बनना ही होगा अन्यथा आगे का पथ कठिन होगा. परन्तु नरेंदर मोदी जी जिसकी कुंडली में छठे घर में राहू का वास है जिसका मतलब वो एक शत्रुहंता है के समक्ष आदरनिये संजय जोशी भाई का बलिदान भी स्वीकार है. परन्तु हर हाल में हिन्दू विरोधी इस यु पी ऐ की कांग्रेस सरकार को हटाने के लिए यह घूंट भी पियेंगे. और कोंग्रेस के ब्रहामन / पटेल / पिछड़े के बंटवारे के षड्यंत्र से सचेत होते हुए गुजरात और भारत में हिन्दू शक्तिओ को तो सत्ता में तो लाना ही होगा. कांग्रेसी मित्रो सचेत हो जाओ वो दिन लद गए जब हिन्दू शक्तिया इन भटकावो में आती थी. आज आपकी मीडिया ने आसमान जितने कांग्रेसी पाप को तो छुपा रखा है परन्तु बीजेपी के धूल  बराबर गलती को भी पहाड़ बना देती है. क्या विडंबना है की मीडिया को सरकार और सत्ताधारी दल की आलोचना करनी चाहिए परन्तु देश का दुर्भाग्य है की आज एन डी ये के टाइम की सोने की चिडया दुबारा से कांग्रेस की विदेशी सत्ता ने भीगी बिल्ली बना दी और मीडिया आज भी बीजेपी के पीछे पड़ी है. 

बहुत बड़ा देश और दुनिया का दुर्भाग्य है की जो मीडिया देश की कम होती विकास दर का ठीकरा कांग्रेस और सरकार पर फूटना चाहिए वो एक विपक्ष के काल्पनिक नेत्रत्व पर समय बर्बाद कर रही है. मीडिया की इस हास्यप्रद कार्य पर केवेल और केवल रोना ही आ सकता है. जो सोनिया गाँधी के १०० खून भी माफ़ कर सकती है परन्तु बीजेपी की ठेस भी सहन नहीं. 

खैर कोई बात नहीं यह सब भी समय का फेर है. देखते है नरेंदर भाई मोदी देश के इस बिखरे हिन्दू समाज को कैसे संजोते है ताकि वो एक समहू में एक ताकत में हिन्दू शक्तिओ को आने वाले चुनाव में विजय बनाते है.

लोग नहेरु के नशे में सरदार पटेल का शोषण भूल गए, गाँधी की आभा में वीर सावरकर को भूल गए, तो क्या मोदी के जोश में संजय जोशी को नहीं भूल सकते मगर शर्त है की हर हाल में देश में २०१४ में हिंदुत्व का पताका फहराए.

क्या आप तैयार ?????????????????????






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