सत्ता और पैसे के मद में सत्ताधीश और धन्ना सेठ इस भारतवर्ष में आज इस कदर चूर है की व्यवहार उस हाथी के मानिंद कर रहे है जो नशे में चूर हो और पुरे जंगल में अपने बल और आकार से कोहराम मचाये हो. श्री मति सोनिया गाँधी ने इस देश में एक एसे सत्ता के चरित्र की रचना कर दी है जिसका तोड़ हिन्दुस्तान के गंभीर नागरिक और देशभक्त लोगो पर अगले २०-३० साल तो नहीं ही है. सोनिया गाँधी एक व्यक्ति नहीं यह एक संस्था है और बेचारी बीजेपी जैसी पार्टी को तो अब तक समझ में ही नहीं आया की इस से लड़े तो लड़े कैसे. कभी अडवानी जी इस सोनिया गाँधी के आगे महामानव हुआ करते थे और आज बेचारे सोनिया गाँधी के आगे हाथ जोड़ने और माफ़ी मांगने के अवसर ही तलाशते रहेते है. असल में पुरे देश के राष्ट्रवादी और हिंदूवादी नेताओ का दुविधापन सोनिया गाँधी को सशक्त बनाने में ज्यादा सहायक हुआ है. इसको समझने के लिए थोडा सा पीछे चलना होगा.
दरअसल भारत के १९९८ परमाणु विस्फोट करने से दुनिया की शक्तिशाली ताकते हिल गई थी. और उन्होंने दुनिया के अपने गेम प्लान में भारत को और सत्ता की बागडोर संभाले बीजेपी को रडार पर लेकर रणनीति बनाई . और इस रणनीति को बनाने के लिए पुरजोर आवश्यकता इसलिए भी बनी की पश्चिमी देशो के सेंक्शनस लगाने के बाद भी हिन्दुस्तान की विकास दर अक्षुण रही और भारतीय अर्थवयवस्था और भी मजबूत होकर निकली. भारत के दुनिया में इतना मजबूत बनने से तो तथाकथित अंतराष्ट्रिये ताकतों को भविष्य की चिंता सताने लग गई और भारत के विषये में बहुत ही गंभीर चिंतन होने लगा. और मैं इसको गलत भी नहीं मानता हर देश को अधिकार है अपने अधिकारों और भविष्य को सुरक्षित रखने और करने का तो वो इन शक्तियों ने किया भी. परन्तु इस के परिणाम भारत को तो भुगतने ही थे और वो आज भुगत रहा है.
इन शक्तियों ने मिलकर भारत में एक विशेष देश परस्त नौकरशाह, पत्रकार, व्यापारी और राजनेता का गैंग तैयार किया. और सुनिश्चित किया की देश का भविष्य कुछ एक दशक तो इन ही के हाथ में रहे. और फिर छोटी मोटी राजनीति को छोड़ कर भारत की हर दिशा और दशा में हस्तक्षेप होने लगा. अरे कौन सा फविकोल है जो स्वतंत्र भारत की क्रूरतम सरकार को धुरविरोधी राजनितिक दल हर समय बचाने के लिए खड़े ही रहेते है. अरे कांग्रेस के सरकार न हुई यह तो साक्षात् ब्रह्मा की ही सरकार है. किसी बड़े राज्ये में विपक्षी जीते या केबिनेट के आधा दर्जन मंत्री जेल में हो, दामाद पर भ्रष्टाचार के आरोप हो या फिर पोपट, निर्लज और अक्षम प्रधानमंत्री का जीवान्त लोकतंत्र में बार बार प्रधानमंत्री बनना हो. यह सब बड़े ही मजे से हो रहा है. जहाँ तो सरकार चलाना काँटों का ताज माना जाता था और इस सोनिया संचालित सरकार तो केक वाल्क कर रही है. और यह विपक्ष के ५०-५० साल के राजनैतिक अनुभव वाले ठोकरे खा रहे और चवन्नी छाप लोग देश के सर्वशक्तिमान बन देश की बागडोर संभाले बैठे है. क्यूँ मित्रो कुछ तो दाल में काला है?
कोई भी इशु हो सोनिया की सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता जरा नजर डालो और अनुमान लगाओ की पिछली सरकारों के लिए इन मुद्दों पर क्या सरकार न गिर गई होती जैसे, छबीस ग्यारह का पाकिस्तान का भारत पर मुम्बई में अटैक हो, तेलंगाना का इशु हो, नोर्थ-ईस्ट का मुंबई और कर्नाटका से भागना हो, कावेरी का मुद्दा हो, महंगाई हो, कोएले का इतना बड़ा घोटाला हो, विकिलीक्स के मुद्दे हो, राम मंदिर हो, पिछले तीन साल में सैकड़ो मुस्लिमानो द्वारा परायोजित दंगे हो, आदर्श घोटाला हो, कोमंवेल्थ घोटाला हो, उतर प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार हो, पंजाब में हार हो, सोनिया गाँधी की बिमारी हो, मनमोहन सिंह की बयेपास सर्जरी हो, संसद में खुले आम सरकार बचाने के लिए रिश्वत ली गई हो, सोनिया गाँधी के अपने दामाद पर ३०० करोड़ के भ्रष्टाचार का मुद्दा हो, नारायणदत तिवारी का राजभवन में यौन क्रियाओ में लिप्तता हो, या अभिषेक मनु संघवी का न्याय के मंदिर में सेक्स काण्ड हो, राहुल गाँधी पर अमेठी का बलात्कार काण्ड हो, राजस्थान के दंगे हो या मुंबई पर हिन्दुस्तान की अस्मिता शहीद स्मारक स्थल पर मुसलमानों का मूत्रदान हो, अर्थव्यवस्था को रसातल में जाना हो, पेट्रोल और डीजल से त्रस्त जनता हो. इस सरकार को न तो जनता का भय और न विपक्ष का खौफ, न आँखों में शर्म और न भगवान् का डर. तो मित्रो कुछ तो एसा है जो न आपको पता और न मुझे कुछ तो है जो गड़बड़ है अब आप एक तरफ तो इस देश के लोकतंत्र को जीवान्त कहेते नहीं थकते और दूसरी तरफ समस्याओ की सुनामी देश में आई हुई है परन्तु मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो की तरह एक ही रट की चुनाव तो २०१४ में ही होंगे. अरे तब तक तो लोगो की धोती भी बिक जाएगी और लोकतंत्र अखबारों और म्यूजियम में ही रह जायेगा.
खैर जिस गैंग की चर्चा मैंने ऊपर की थी अभी तो सत्ता इसी गैंग के पास रहेगी चाहए कुछ भी करलो.
हंसी तो इस बात पर आती है की श्री मति सोनिया गाँधी का दामाद ३०० करोड़ का घोटाला करता है और बीजेपी गडकरी जी की एक चिट्ठी पर रक्षात्मक होए जा रही है. प्रधानमंत्री जी की सीट के निचे कोयला घोटाला हो रहा है और छत्तीसगढ़ बीजेपी एक चिट्ठी पर रक्षात्मक हो रही है. सोनिया गाँधी का लोकसभा चुनाव का अपनी आय के बारे में शपथपत्र पढ़ लो तो लगेगा की साइकल खरीदने के भी पैसे नहीं है. पर फिर भी न जाने कौनसी बिमारी के इलाज के लिए अमेरिका जाती है उस पर न तो सरकार खर्चा करती और न ही सोनिया गाँधी की शपथपत्र के अनुसार औकात है फिर भी २० लोगो का कारवां लेकर अमेरका और इटली जाती है.
बीजेपी को भी दो मिनट अपने गिरेहबान में झांक कर देखना चाहिए की केजरीवाल जैसे भांड के सामने सामने ही दिल्ली में बिजली के बिलों का मुद्दा उठा रही है. बीजेपी कहाँ थी जब कांग्रेस सरकार ने रॉबर्ट वढेरा को हवाई अड्डो पर से जाँच की छुट से अलग रखकर भारत के राष्ट्रपति के समकक्ष रखा था. आज रोबट वढेरा सुर्खियों में है तो केजरीवाल की वजह से भले ही केजरीवाल कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति का मोहरा ही क्यूँ न हो पर जनता को कुछ तो पता चला की गाँधी परिवार देश के कोढ़ में कितनी बड़ी खाज है.
तो बात कर रहे थे देश पर सोनिया तंत्र की तो मित्रो सोनिया गाँधी बीमार नहीं है बल्कि भारत के लिए एक बिमारी का नाम है. और बीमार भी इसलिए की इस तरह की व्यवस्था जो सोनिया गाँधी ने की है की कोई तोड़ आज तक तो बना नहीं है. कांग्रेसी लोग भड़क जायेंगे की हमारी नेता को बिमारी बोला तो भाइओ "बिमारी" इस लिए है की जो तंत्र इन माता जी ने विकसित किया है वो एक तरह का भस्मासुर है, यह एक शेर की सवारी बन गई है जिस पर कांग्रेसी चढ़ तो गए है पर उतर वो भी नहीं सकते. ठीक है यार कांग्रेसी भ्रष्टाचारी है पर यह तो मेरे जैसा कांग्रेस विरोधी भी नहीं कह सकता की सभी कांग्रेसी भ्रष्टाचारी है. यह भी तो सच है की कुछेक कांग्रेसी ही तो अपनी भ्रष्ट कमाई से इस महंगाई में खुश है परन्तु आम कांग्रेसी कैसे बच पायेगा? क्या आम कांग्रेसी जो सड़क पर कांग्रेस का कार्यकर्ता है इस काग्रेस भ्रष्ट सरकार का बचाव कर पा रहा है? कोई नहीं मित्रो. तो कुछ एक हजार लोग जो इस भ्रष्ट और निक्कमी सरकार से लाभान्वित है उनको छोड़ कर क्या कोई और चाहेगा की यह सरकार चले? और सांसदों का क्या जो अपनी चवन्नी बचाने के लिए देश के लोगो का लाखो बर्बाद कर रहे है. सांसदों के पास एक अलग नौटंकी है की "हम अभी चुनावो के लिए तैयार नहीं है" अरे माननीयो जी देश में जब नरकंकाल रह जायेंगे तो नरक में जा कर चुनाव लड़ोगे?
अच्छा थोडा विचार करते है की इस तंत्र को चलाया कैसे जाता है. मित्रो भारत जैसे देश जहाँ पर प्रमुख धर्म हिन्दू है, विभिन्नता और विविधता ज्यादा है. इस देश में लोगो लघु समय के लिए दिग्भर्मित किया जा सकता है एक समूह के रूप में. जैसे के उदहारण है तेलेंगना के मुद्दे पर, ऍफ़ डी आई पर बेचारे किसानो को, सोनिया की माथे पर बिंदी और हाथ पर कलेवा, सर पर पल्लू, कुम्भ पर स्नान आदि आदि , राजकोट की रैली की सोनिया गाँधी के तस्वीर देखी तो फिर से वोही नौटंकी दिखी, थोप्डा एसा पुता की देश का सम्पूर्ण संस्कार बस मंच पर ही पसरा है. इतने ही बड़ी हिन्दू और भारत के हितेषी है तो सारी सरकार और कांग्रेस पार्टी मिलकर बता दे की एक भी काम इस सरकार ने हिन्दू या भारत संस्कृति के लिए पिछले ८ सालो में किया है क्या?. बल्कि हिन्दुओ को एक हिजड़ा दिग्विजय सिंह दे दिया जो हिन्दुओ के जले पर नमक ही छिड़कता रहेता है.
सोनिया तंत्र का भ्रूण श्री राहुल जी कहेते है वो ब्रह्मण है, वो एक कश्मीरी है , उनके पिता भारतीय थे तो वो भी एक भारतीय है पर एक बार भी फुट्टे मुहं से नहीं कहा की वो "हिन्दू" भी है. यह है इनकी दौरंगी नीतिया.
खैर इस तंत्र को चलाने का सबसे उम्दा उदहारण उत्तर परदेश से मिलेगा. सोचो जरा क्या लड्डू सोनिया गाँधी बसपा और सपा को देती है समर्थन लेने के समय और क्यूँ समय बीतने के बाद ठुड्डे मारती है इनको. असल में सोनिया गाँधी ने "अंग्रेजो" के नीति आत्मसात कर ली. जैसे अंग्रेजो ने भारत के लिए सब कुछ किया पर इसकी आत्मा को मारने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
अरे हमें भी बीजेपी कोई लड्डू नहीं देगी हम तो देश की आम जनता है. और इस बीजेपी ने भी कोई राम का मंदिर तो बनवा नहीं दिया था और बात शुरू होई थी ३०००० मस्जिदों की जो मंदिरों के ऊपर बनी है. परन्तु बीजेपी से इतना तो सरोकार है की देश की आत्मा को तो नहीं ही बेचेगी जो कांग्रेस पिछले आठ साल से कर रही है और अपने दिग्विजय सिंह से करवा रही है.
भाई भ्रष्टाचार से यह सोनिया अपना और अपने लोगो के पेट भर रही है, सरकार नीत रोज इमानदार लोगो पर टेक्स बढ़ा रही है उनके पैसे से देश के न करने वाले वर्ग को (जो की इस कांग्रेस का वोट बेंक है) खैरात बाँटती है. मीडिया में जिसको चांदी के जूते से नहीं खरीद सकती उसे सरकारी पदक और भूषण बाँट देती है और बाकी बचे समाज और लोगो को हड़का के रखती है. अपने टीवी पर प्रवक्ता भी हट्टे कटते गुंडे टाइप के रखे हुए है जो बिन सिर - पैर की बात करते है, चीखते है, राहुल गाँधी की तरह कुरते की आस्तीन चढाते रहेते है, और बात बात पर १० साल पुरानी घटनाओ को ही दोहराते रहते है. अरे यार कांग्रेसियो एक बात बोलता हूँ, आप पिछले ८ साल से देश पर राज कर रहे हो जो भी बीजेपी ने पाप किये है उनको उस बात की सजा क्यूँ नहीं दे ते? सत्ता आपके हाथ में कोई झुनझुना बजाने के लिए तो है नहीं. हर बात पर कफ़न घोटाला या पेट्रोल पम्प घोटाला या १ लाख की बीजेपी अध्यक्ष की नोट लेते हुए की तस्वीर की चर्चा. अरे यार मोदी जी ने भी एक बार भी कांग्रेस के पुराने राज का रोना नहीं रोया या किसी भी बीजेपी के मुख्मंत्री ने भी तो कोई रोना नहीं रोया . तो फिर आप कांग्रेसी किस शौचालय से यह तर्क उठा कर लाते हो?
मीडिया हॉउस भी जान ले की टीवी पर कांग्रेस की अर्थहीन बहस और उस पर बीजेपी के मुख़्तार अबास नकवी जी जिनको पता ही नहीं की तर्क क्या देना है (बीजेपी की हास्यप्रद स्थिति बन जाती है) के सामने लोग कार्टून नेटवर्क देख रहे है. यह ही चलता रहा तो टी आर पी रेटिंग का क्या होगा यह टीवी वाले सोच ले. कांग्रेस का सारा दरोमोदर बेचारे श्री विनोद शर्मा (हिंदुस्तान टाइम्स) पर ही आ जाता है. खैर यह तो उनको देखना है की इस कीचड़ को कितने दिन अपने मुहं पर मलना है, कांग्रेस की इस गत से पंजाब केसरी के अश्वनी चोपड़ा जी ने तो समझ ली. खैर अपनी अपनी समझ और सोच है.
तो मित्रो देखो अभी तो यह सोनिया तंत्र ही देश में चलेगा क्यूंकि तंत्र ने सम्पूर्ण बेलेंस बना लिया है. मित्रो क्षमा करना पर वाकई बीजेपी २०१४ में आज सत्ता में आती नहीं दिखती और बड़ी बात यह है आई तो लुंजपुंज आएगी और वो ही धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार बीजेपी की सरकार को चलाएंगे जैसे की पहेले चलाया गया था. क्यूंकि कांग्रेसी सोनिया तंत्र तो अपने विरोधी भी खुद ही चुनता है जैसे अन्ना जी और केजरीवाल. पहेले अन्ना जी ने देश में एक स्वच्छ हिन्दू क्रांति में रोड़ा अटकाया और अब केजरीवाल कांग्रेस का विरोधी बन कांग्रेस को ही लाभ पहुचना है. जैसे अन्ना अन्ना करते उसे कांग्रेस ने मीडिया की सहयता से बीजेपी और विपक्ष से भी ऊपर बैठा दिया था, महाराष्ट्र में ठाकरे ठाकरे कर राज ठाकरे को खड़ा कर दिया, उसी प्रकार दिल्ली में तो कम से कम भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार करते करते अरविन्द केजरीवाल नामक गैंग को दिल्ली में बीजेपी के विरुद्ध खड़ा कर देंगे. अरे यारो जब अंग्रेजो के पिछलग्गू कांग्रेस को ही भारत की सत्ता मिली भारत के असली वारिस सुभाष चन्द्र बोस या वीर सावरकार या वलाभ्भई पटेल को नहीं मिली तो नरेंद्र भाई मोदी या देश के सच्चे भक्त को कैसे मिल जाएगी. जो इनकी आँखों में आंखे डाल कर पूछे तो सही की भारत देश का बजा क्यूँ बजाय जा रहा है. क्या आप उमीद करते है केजरीवाल या प्रशांत भूषण सोनिया गाँधी या मनमोहन सिंह से आँखों में आंखे डाल कर देश की दुर्दशा पर प्रशन कर सकेंगे. जो बिजली का कोनेक्सन कल केजरीवाल ने दिल्ली में जोड़ा है यदि कोई और कर देता तो दिल्ली पुलिस चोबीस घंटो में वो कोनेक्सन उस आदमी को वहां वहां देती की कानो से धुए उठवा देती. सो सोनिया तंत्र वोटो को तितर बितर करने के लिए केजरीवाल को खड़ा कर रहा है और उसपर केजरीवाल वाम दलों का नायक बना दिया जायेगा जो वाम दल पिछले कई दशको से भारत की मुख्य धरा में लौटना चाहते है उनको केजरीवाल और प्रशांत भूषण एक प्लेटफोर्म देंगे और मीडिया रातो रात २०१४ से पहेले वामदल, सपा, केजरीवाल और अन्यो का एक एसा शोशा बना देंगे की फिर से चुनाव त्रिकोनिये या बहुकोणी हो जायेंगे. लो लड़ लो भ्रष्टचार से?????????????????????/
कोई पूछो अरे क्या पूछो मीडिया अपने लाडलो से पूछे श्री केजरीवाल जी से की अन्ना और उनकी लड़ाई क्यूँ हुई? क्यों सहमत नहीं है एक विचार पर?अरे अभी तो कुछ मिला नहीं जब यह हाल है यदि कुछ मिल जाता तो क्या होता? गंजा अपने ही नाखुनो से सर फाड़ डालता. मीडिया जेटली जी और सुषमा जी में तो बड़ा आनंद लेता है, मोदी जी और गडकरी जी की भी चंडूखाने की खबरे परोसता है. पर अन्ना और केजरीवाल की लड़ाई में कोई रूचि नहीं ली. हा हा हा हा हा सब भांड है.
असल में सोनिया तंत्र के भस्मासुर में अनेक भस्मासुर पैदा हो रहे है. पिछले दस साल से जो पैसा मीडिया पर लुटाया जा रहा है उस से भी मीडिया में कई भस्मासुर पैदा हो गए जो अब सत्ता के सञ्चालन में सहयेता देनी की बजाये अपने ही लोग सत्ता में बैठना चाह रहे है. उनमे श्री राजेंदर यादव जी भी आ गए. जो माल मसाला टीवी के खर्चो पर पिछले १० साल में जमा किया उसमे एक और लोहिया बनने की चाहत खड़ी हो गई. गले में गमछा, सर पर टोप्पी, खद्दर का कुर्ता, दहाड़ी बढ़ी हुई, गवई भाषा का इस्तेमाल . सारे बजरबट्टू अपने चहरे पर चिपका कर राजनीति में प्रवेश किया जा रहा है. यार बहुत लोगो को बेवकूफ बना लिया , एक धोती पेहेन कर एन जी ओ की राजनीति करती महिला नेत्री, एक गमछा टांग कर किसानो का मोर्चा लाता नेता , अब तो पत्रकारों के हौंसले ही बढ़ गए की टीवी पर साफ साफ बताते है की वो भी गाव या बिहार या उत्तर प्रदेश से है. यह बताने का मतलब यह है को वो भी नेताओ पर धौंस जमाते है की हमें कम न समझो हम भी गवई राजनैतिक जमीन रखते है हम भी वाया केजरीवाल राजनीती में आकर आपको टक्कर दे सकते है. तो भईया यह है आज हिन्दुस्तान की राजनीति. किसान की राजनीति और किसान नेता को हवाई मंत्रालय दे दिया.
बीजेपी और संघ भी यदि सोचता है की वो कांग्रेस को सही दिशा में टक्कर दे रहा है तो कृपया अपनी रणनीति पर पुनर्विचार कर लो. सोनिया तंत्र को छोटा समझना मुर्खस्तान की सैर करना होगा. कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए नर्म हिन्दू राजनीति का प्रयोग किया था दिग्विजय को पता है को वो फेल हो गया था. तो बीजेपी भी इस सेकुलारिसम और आर्थिक उदारवाद और ख्याली आदर्शवाद से बहार आये और अपनी यू एस पी (विशेषता ) पर राजनीती करे. बिलकुल ठीक है मोदी जी को बिहार जाना चाहिए अरे गटबंधन अपनी जगह है उसके लिए एक प्रदेश के मुख्मंत्री को यदि नितीश कुमार किसी को खलनायक बनाये और देश के ही एक भाग में उनको आने के लिए बवाल करे तो राज ठाकरे और नितीश कुमार में अंतर क्या है. राज ठाकरे तो सच बोलते है और सब पर जाहिर करते है छुपाते कुछ भी नहीं पर नितीश इस घटिया राजनीति से देश में अलगाव और क्षेत्रवाद की राज नीति कर रहे है. जो सारा सर घटियापन है.
तो मित्रो अभी बीजेपी को कुछ समझ आ नहीं रहा है. क्यूंकि बीजेपी गुजरात में जीत कर भी देश में हार जाएगी. अब यह बात सब को तो समझ में आयेगी नहीं और जिनको आएगी उनके पास करने को कुछ खास है नहीं . तो राजनीति को कुछ दिन दो विराम और बस कबीर दास जी की तरह देखो - " चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोये दो पाटन बीच साबुत बचा न कोय"
हमने तो चिंता छोड़ दी बस चिंतन जारी है.
सुनार की तरह टुक टुक ठोकने से कुछ भी नहीं होगा इस देश को पटरी पर लाना है तो लुहार कर "हथौड़ा" चाहिए इन टीवी की छोटी छोटी हथौड़ी टाइप नौटंकियो से कुछ नहीं होने वाला जिनमे लगे लकड़ी के हत्थे भी कांग्रेस के हाथो बिके है. "हथौड़ा' चाहिए मित्रो हथौड़ा.
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